हनुमानजी द्वारा भगवान् राम केर स्तुति

हनुमत्कृत श्रीरामस्तुति
 
नमो रामाय हरये विष्णवे प्रभविष्णवे। आदिदेवाय देवाय पुराणाय गदाभृते॥
विष्टरे पुष्पके नित्यं निविष्टाय महात्मने। प्रहृष्टवानरानीकजुष्टपादाम्बुजाय ते॥
निष्पिष्टराक्षसेन्द्राय जगदिष्टविधायिने। नमः सहस्रशिरसे सहस्रचरणाय च॥
सहस्राक्षाय शुद्धाय राघवाय च विष्णवे। भक्तार्तिहारिणे तुभ्यं सीतायाः पतये नमः॥
 
श्रीहनुमानजी कहलनि –
 
सबपर शासन करयवला, सर्वव्यापी, श्रीहरिस्वरूप श्रीरामचन्द्रजी केँ नमस्कार अछि। आदिदेव पुराणपुरुष भगवान् गदाधर केँ नमस्कार अछि। अष्टदल कमल केर सिंहासन पर नित्य विराजमान भेनिहार महात्मा श्रीरघुनाथजी केँ नमस्कार अछि। प्रभो! हर्ष मे भरल वानरक समुदाय अहाँक युगल चरणारविन्दक सेवा करैत अछि, अहाँ केँ नमस्कार अछि। राक्षसराज रावण केँ पीसिकय सम्पूर्ण जगत् केर अभीष्ट सिद्ध कयनिहार श्रीरामचन्द्रजी केँ नमस्कार अछि। अहाँक सहस्र मस्तक, सहस्र चरण आ सहस्र नेत्र अछि; अहाँ विशुद्ध विष्णुस्वरूप राघवेन्द्र केँ नमस्कार अछि। अहाँ भक्तक पीड़ा दूर करयवला तथा सीताक प्राणवल्लभ छी, अहाँ केँ नमस्कार अछि।
 
स्रोतः कल्याण – वर्ष ९२ – अंक ११
 
हरिः हरः!!