विश्व केर कोण-कोण मे रहनिहार मैथिलीभाषी धरि अपन आवाज पहुँचायब, संकल्पित छीः प्रीतम

अन्तर्वार्ता – मैथिली गायिका प्रीतम पालन झा संग 

आइ सोशल मीडिया हमरा लोकनि मैथिलीभाषीक लेल एकटा सुन्दर सम्बल थिक। टेलिविजन, रेडियो, समाचार पत्र वा पत्रिका, स्मारिका, विभिन्न आनलाईन समाचार वेब पोर्टल आदिक स्रोत आ साधन एतेक बलवान् नहि देखाइत अछि जे मिथिलाक गाम-गाम आ शहर-नगर सब तैर सँ प्रतिभा सब केँ खोजिकय हुनका लोकनिक परिचिति सम्पूर्ण मैथिलीभाषी संसार केँ दियए, परञ्च सामाजिक संजाल आ ताहि पर एक-दोसर संग सूचना शेयर तकनीकी आइ एहि परिचिति प्रसार केर कमी केँ बहुत हद तक समाधान कय रहल अछि। मैथिली जिन्दाबाद केर संपादक प्रवीण नारायण चौधरी हालहि दिसम्बर २०१८ केर आरम्भहि मे बंगलुरूक यात्रा पर जेबाक समय फेसबुक फ्रेन्ड आ भाइ पालन झा संग साक्षात्कार केर संयोग बनलनि आर ताहि समय एकटा महत्वपूर्ण परिचिति सोझाँ अबैत छथि प्रीतम झा केर। फेसबुक पर हिनकर आइडी छन्हि ‘प्रीतम पालन झा’। अक्सर हिनका देखि सकब जे अपन गायन प्रतिभा केँ फेसबुक लाइव केर मार्फत सेहो अपन प्रशंसक लोकनि लेल साझा करैत छथि। स्वर साधना मे निरन्तर लागल प्रीतम ओतबा कुशल गृहिणी सेहो छथि। अतिथि सत्कार लेल हिनकर जतेक प्रशंसा करब कम होयत। पति पालन झा संग बंगलुरू मे रहिकय मैथिली-मिथिला प्रति सेहो सम्मानजनक सेवाभाव हिनका दुनू गोटाक सराहनीय अछि। आउ, हिनका संग भेल एक अन्तर्वार्ता मैथिली जिन्दाबाद पर पढी आर अपन मिथिलाक नामचीन प्रतिभा सब केँ भरपूर आशीर्वाद दी जाहि सँ ई लोकनि आरो बढि-चढिकय कार्य करैत अपन-अपन क्षेत्र सँ एहि विशिष्ट भूगोल आ सभ्यता ‘मिथिला’ केर परिचिति केँ विश्व पटल पर आरो दूर धरि प्रसार करती। 

प्रवीणः सोशल मीडिया सँ परिचय भेटल प्रीतम जी जे गायन मे अहाँक बहुत रुचि अछि। अक्सर देखैत छी जे अहाँ अपन गायकी सँ अपन प्रशंसक (फैन्स) केँ किछु न किछु सांगीतिक उपहार पठबैत रहैत छियनि। कि अहाँ प्रोफेशनल तौर पर सेहो गायन मे रुचि रखैत छी?

प्रीतमः जी! अपने केँ त पहिने बहुत-बहुत धन्यवाद जे अहाँ अपन मैथिली जिन्दाबाद पत्रिका मे अन्तर्वार्ता लेल आमन्त्रित केलहुँ। जहाँ तक अपनेक प्रश्न अछि, त हम कहय चाहब जे गायन केँ प्रोफेशनल तौर पर जरूर रखैत छी। हमर इच्छा रहैत अछि जे अपन मिथिलाक पारम्परिक गीतनाद जन-जन तक पहुँचय। ताहि लऽ के हम सोशल मीडियाक माध्यम सँ सेहो अपन प्रस्तुति दैत रहैत छी आर ओहि माध्यम सँ सेहो श्रोता सब केँ खूब रास स्नेह आ आशीर्वाद भेटैत रहैत अछि। धन्यवाद सोशल मीडिया केँ दैत छी जाहि के माध्यम सँ एक स एक व्यक्तित्व लोकनि संग परिचय भेल जाहि मे एक स एक साहित्यकार, गीतकार, संगीतकार सब सेहो भेट भेलाह आर हुनका लोकनिक मार्गदर्शन, प्रोत्साहन आ सराहना निरन्तर भेटैत रहैत अछि। गौरवान्वित हम तखन अनुभव करैत छी जखन एक स एक व्यक्तित्व हमरा सम्मानित करय अबैत छथि।

प्रवीणः बंगलुरू मे आयोजित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम मे अहाँक सहभागिताक समाचार पढैत-सुनैत छी। परसू १२ जनवरी बंगलुरू केर आयोजन मे सेहो अहाँक सुन्दर प्रस्तुति सब भेल। अहाँ अपन अनुभव सुनाउ। एतेक विशाल भीड़क सोझाँ गायन मे कतेक सहजता-असहजता बुझायल?

प्रीतमः जी! ई त सब श्रोता केर आशीर्वाद अहि जे हमरा एतेक पैघ मंच पर आमंत्रित कयल गेल आ ओहि मे हमर गायन केर प्रस्तुति नीक रहल। श्रोता सब सँ बड़ रास ताली केर स्वरूप स्नेह आ आशीर्वाद भेटल। पहिले त एतेक विशाल जनसमूह देखि मोन अभिभूत भेल आ तखन श्रोता सभक जोश आ प्रोत्साहन आ स्नेह देखि बहुत आनन्दित आ सहज महसूस केलहुँ। तहिना प्रस्तुति सेहो बहुत बढियाँ रहल। 

प्रवीणः ई गायन यात्रा कहिया आ कोना-कोना शुरू केलहुँ? कोनो प्रशिक्षण सेहो लेलहुँ या कोना कि?

प्रीतमः कहि सकैत छी जे गायन बचपने सँ कय रहल छी। स्कूल, कालेज आ बहुत रास कार्यक्रम मे भाग लैत रहलहुँ। एहि क्रम मे स्कूल सँ हमरा लोकगीत मे प्रथम स्थान भेटल आ अपन स्कूल सँ डिस्ट्रीक्ट लेवेल तक चयनित भेलहुँ। मुदा ओहि समय मे गायन क्षेत्र मे खास कय लड़की सभक लेल ओतेक ग्लैमर नहि छल, तेँ ओहि टाइम पर आगू जाय सँ वंचित रहलहुँ। मुदा हमर गायन केर यात्रा नहि रुकल आ ओ चलिते रहल। प्रशिक्षण त हमर प्रथम गुरु हमर अपनहि माँ सँ भेटैत रहल। आर संगीत केर प्रशिक्षण औपचारिक तौर पर प्रयाग समिति इलाहाबाद सँ लेने छी। संगहि एहि ठाम बंगलुरू स्थित शास्त्रीय संगीत संगीत अकादमी सँ सेहो जुड़ल छी। 

प्रवीणः हम मोन पाड़य चाहब पालन जी केँ – अहाँक पतिदेव – जीवनसंगी आ हमरो प्रिय भाइ। घर-गृहस्थी मे पर्यन्त अहाँक गायन मे रुचि देखैत हुनका तरफ सँ सहयोग केर बहुत सुन्दर वातावरण देखि रहल छी। हुनका आ अपन शिक्षा-दीक्षा देनिहार माता-पिता-परिजन केँ कोना पाड़ैत रहैत छियनि?

प्रीतमः जी, एहि मे त पूर्णरूपेण हुनकर सहभागिता बहुत ज्यादे छन्हि, कारण विवाह के उपरान्त किछु दिन लेल संगीत सँ दूर भऽ गेल छलहुँ। परन्तु यैह मुन पाड़लन्हि जे अहाँ केँ संगीत मे एतेक प्राण बसैत य त अहाँ अपन प्रतिभा केँ नहि रोकू। आर, हुनकर एतेक प्रोत्साहन सँ हमरा मे फेर सँ संगीत प्रति वैह पुरना जोश फेर सँ आबि गेल आ हम जी-जान संगीतक लेल समर्पित कय देने छी। एहि मे हमर माँ केर बहुत सहभागिता अछि कियै कि हमर संगीत केर पहिल गुरु वैह छथि आ हुनके सँ पारम्परिक गीतनाद सब सीखने छी। मैथिली पारम्परिक गीत मे हमर माँ केँ बहुत रुचि छन्हि, ताहि ल के हुनका सँ बहुत रास पारम्परिक गीतनाद सीखय लेल भेटल। एहि मे सासूर आ सासु केर सेहो बहुत सहयोग छन्हि जे अपन संस्कृति केर संरक्षण करू आ अपन मैथिली परंपरा केँ आगू बढाउ। तेँ सासूर-नैहर सभक सहयोग अछि। हमर ससूर कहैत छथिन जे जखन महादेव एहि मिथिला मे विद्यापति केर भक्तिगीत सँ अभिभूत भऽ कैलाश छोड़ि मिथिलाक प्रांगण मे आबि गेलाह त ओहि संस्कृति केँ सहेजनाय हमर सभक परम कर्तव्य अछि। ओहि दुआरे हुनकर आशीर्वाद जखन-तखन भेटैत रहैत य। हम एहि हिसाबे बहुत भाग्यशाली छी, सभक सहयोग भेटैत रहैत अछि। 

प्रवीणः आगाँ गायन क्षेत्र मे आर कि सब योजना बनौने छी?

प्रीतमः आगू हमर गायन क्षेत्र मे अपन मिथिलाक पारम्परिक गीत केँ हर राज्य, हर क्षेत्र आ दुनियाक कोणा-कोणा मे जतय अपन मैथिल रहैत छथि ओतय पहुँचाबय के लक्ष्य अछि हमर। अपन मिथिलाक मिसरी सम मीठ गीतनाद जन-जन तक पहुँचय आर एहि के लेल हम कृत्-संकल्पित छी। हमर यूट्युब चैनल PPJ Entertainment Official केर नाम सँ खोजि सकैत छी आर सब्सक्राइब कय हमर नव-नव गीत सुनि सकैत छी। हमर फेसबुक पेज SONGS by Pritam Jha पर फोलो आ लाइक कय सकैत छी। 

प्रवीणः मैथिली भाषा मे मिथिलाक प्राचीन आ पूर्ण सभ्यताक अनेकों पारम्परिक आ लोकगीत आदि प्रसिद्ध अछि। अहाँ किनका सँ कोन-कोन गीत सब सीखलहुँ? पारम्परिक गीतनाद आ लोकगीत सब मे कतेक रुचि अछि?

प्रीतमः मिथिला पारम्परिक गीतनाद के त किछु जबाबे नहि य। कियै कि एहेन कोनो मिथिला मे शुभ कार्य, पाबनि-तिहास नहि य जे पारम्परिक गीतनादक बिना सम्पन्न हुअय। पहिल त विद्यापतिजी केर गीत सब अपन माँ सँ सीखलहुँ आर हुनके सँ विवाह, उपनयन, मुड़न आ पाबनि-तिहार केर गीतनाद सीखय के सौभाग्य प्राप्त भेल। जेना कि सोहर, समदाउन, छैठिक गीत, भगवती गीत, सामा-चकेवा आ अनेको पारम्परिक गीत जे अपन मिथिलाक धरोहर अछि से माँ सँ सीखबाक मौका भेटल आर ओहि समय सँ रुचि जागल। 

प्रवीणः मैथिली जिन्दाबाद पर पाठक सभक लेल अपन अनुभव सँ अहाँ कि सन्देश देबय चाहब?

प्रीतमः मैथिली जिन्दाबाद पाठकक आ समस्त मिथिलावासी सँ कर जोड़ि निवेदन आ विनती अछि जे अपन संस्कार, संस्कृति आ मैथिली भाषा केँ सहेजि कय रखनाय अछि त अपन परम्परा सँ सदिखन जुड़ल रहू, चाहे देश मे रहू अथवा विदेश मे, अपन संस्कार आ संस्कृति अपन नेना-भुटका सबकेँ जरूर बुझाउ आ पारम्परिक गीतनाद सब सेहो सुनाओ जे ओ अपना सँ आगूक पीढीक लेल सहेजथि आ बढबथि, ताहि सँ मिथिला मैथिली आ माँ जानकी केर संरक्षण सदिखन होइत रहत। 

एहि कार्य मे मैथिली जिन्दाबाद पत्रिका बहुत नीक कार्य कय रहल अछि जे अपन मिथिलाक हरेक परम्परा सँ अवगत करा रहल य, चाहे ओ कविता होय, साहित्य होय वा पारम्परिक गीतनाद – सब क्षेत्र मे साक्षात्कार करा रहल अछि। मैथिली जिन्दाबाद केर एहि नीक कार्य लेल अनेकानेक धन्यवाद।

प्रवीणः अहुँ केँ बहुत-बहुत धन्यवाद आ सुन्दर भविष्य लेल हार्दिक शुभकामना।