प्रवीण डायरी – २०१२ – भाग ३

२ जुलाई २०१२

एक समय छलैक जहिया सौराठ सभागाछी सऽ विवाह करब अपना आप में बहुत पैघ उपलब्धि होइत छलैक। जेना आइ हम सभ कोनो आइ-ए-एस रैंक के लोक केर प्रति सम्मान के दृष्टि सऽ श्रद्धा प्रकट करैत छी, तहिना कहियो सौराठ सभा सऽ विवाह कयनिहार लाखो में एक होइत छलाह।

समय के धारामें परिवर्तन अयलैक, जेना परीक्षामें कदाचारिता आ भ्रष्टाचारिता सऽ हरही-सुरही सभ केओ पास करैत अछि… तहिना अपन कुल-मूल-पाँजिके विषयमें गलत जानकारी दऽ के, लड़की के विषय में झूठ बयानबाजी कऽ के, पढल-लिखल लड़का के संग लंगड़ी-लूल्ही कनिया कपार में थोइप कऽ, बताह-गँजेरी लड़का नीक खानदान आ सुन्दर सुशील लड़की के कपार में साइट कऽ जखन एहि परंपरा के मजाक उड़ायल गेल तऽ उल्टा भेल जे सौराठ सभा सऽ विवाह होयब माने जेकर विवाह कतहु नहि भेल से आब सभागाछी सऽ विवाह करत। 

आब परिस्थिति एहेन छैक जे नहि तऽ लड़का एहिठाम अबैछ आ नहिये लड़कीवाला लड़का के खोजय एहि सभाके उपयोग करब जरुरी बुझैछ… तखन ई ऐतिहासिक परंपरा कोना जियत? एकर चिन्ता करनिहार केओ होइथ, लेकिन विचारनीय बात ई जे आखिर एकर पुनरुत्थान आब कोना संभव छैक।

दहेज मुक्त मिथिला आब पुनः एतय सऽ केवल वैह लड़का के विवाह संभव देखि रहल छैक जे पूर्ण दहेज मुक्त विवाह करय लेल तैयार हो। ओ लड़का जेकरा में दुनिया के अपन दम देखाबय के क्षमता हो। ओ लड़का जे संसार के ई शिक्षा देबाक लेल जे दहेज में केवल दुलहिन मात्र महत्त्वपूर्ण छैक, बाकी लड़कीवालाके स्वेच्छाचार पर छोड़ल जाय… बस केवल एहने लड़का टा एहिठाम सऽ विवाह लेल तैयार भऽ सकैत छथि। सभ में आब ओ दम नहि आ हिम्मत नहि जे अपन परंपरा के निर्वाह कऽ के दुनिया के एक सीख प्रस्तुत करैथ। साल २०१२ ई. में हमरा सभ के नजर पूरा मिथिलामें केवल दू गो बेटा में ई ताकत देखल गेल। पहिल श्री मिहिर झा ‘महादेव’ आ दोसर श्री चन्दन झा! श्री मिहिर झा के विवाह में लड़का के प्रखर प्रस्तुति आ चन्दन के विवाह में पूर्ण समर्पण देखल गेल। समस्त मिथिला के लेल ई दू कथा अनुकरणीय अछि।

हरिः हरः!

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३ जुलाई २०१२

विचारधारा में फरक

प्रवक्ता महोदय कृष्णानन्दजी के कहब हमरा नीक तऽ लागल लेकिन हमर विचार फरक अछि। 

कृष्णानन्दजी: सौराठ सभा एक कोकनल ढेंग थीक। एकर पोषण करैत रहब दहेज मुक्त मिथिला के उद्देश्य में सार्थकता प्रदान नहि कय रहल अछि कारण एहि संस्था के प्राण देनिहार बाहरी लोक नहि बल्कि स्थानीय लोक मात्र बैन सकैत छथि। हम-अहाँ कतबू बाहर सऽ एकरा में प्राण देबाक कोशिस करब ओ सभ बेकार होयत। … (आरो बहुत रास बात… हमरा तऽ झगड़े भऽ गेल फोन पर बुझू जे….  …. बाकी अपन विचार अपनहि लिखैथ Krishnanand Choudhary Jee)  … हलाँकि ओ कहैत छलाह जे विन्दुगत सभ बात डक्युमेन्ट फाइलमें पहिले लिखने छी… एखन धरफरी में भऽ सकैत छैक जे हम नहि ताकि सकलहुँ… एक बेर फेर अनुरो्ध जे आब फेर विचार करैत लिखैथ…

हमर विचार में – सौराठ सभागाछी ऐतिहासिक धरोहर थीक मिथिला के – एकर गरिमा पौराणिक – धार्मिक – व्यवहारिक आ मिथिला के सर्वांगीन विकास के पोषक छलैक। कालान्तर में भ्रष्टाचारिता आ अनाचार-कदाचार के कारण सभ गड़बड़ा गेलैक।

मुदा आइ एकरा पर्यटन केन्द्र के रूपमें विकास करब आ भारत सरकार सँ एकर ऐतिहासिक महत्त्व के अवधारणा शेयर करैत एक जाति के सुन्दर व्यवहार के सभ जाति लेल पालनीय बनबैत kiyaik nahi ekra Rashtriy Dharohar ke roop me Mithila ke darshaniy sthaan me shaamil kail jaay aa tourism ke sabh sa besi potential raakhayvaalaa ehi jagah ke badhiya sa ghera-bandi-sanrakshit karait sundar baagvaani aa museum nirmaan karait desh-videsh ke paryatak ke aakarshit kail jaay? Ehi avadhaaranaa ke sang sabh ke aabay parat. Lekin KNC ke kahab jaayaj chhanhi je hamra chaahane ya aha ke chaahane ki hetaik jaabat otukaa lok swayam ehi lel ‘do-die movement’ nahi karataik?

Ona, hamar eho kahab achhi je chhoru sarakaari aash – katao 5 rupaiya ke sahayog coupon aa banao ehi dharohar ke utkrisht.

Bajao samuchaa Mithila ke vidwan ke, karao shastraarth ek ber fer aa takhan chunu apan samaj ke agragaami nikaas denihaar neta ke, banao okra Mithila ke pratinidhi.

Har vishay je Mithila lel achhi mahattvapoorn, taahi par shuru karu vichaar-vimarsh ehi kendra sa. Sabh Mithila-Maithili premi sangh sansthaa sabh ke joru ehi centre sa.

Kono vikash ke abhiyaan etay sa shuru kara me hoyat aasaan – kaalhi chaahab, kaalhi banat Mithila aha ke apan.

Beta aa beti – sabh ke baraabar ke adhikaar diyauk etay assembly kara lel. Bujhay diyauk mahattva punah garimaamay Mithila ke.

Hamro lag aaro bahut-bahut points achhi je ehi sabhagaachhi sa shuru karait ham Mithila ke nirmaan ke sapana dekhi rahal chhi.

Lekin ehi lel ham kahab je banao pahile ek sangathan DAHEJ MUKT MITHILA ke gaam-gaam ek samiti, je karat Saurath Sabha ke vikash lel prachaar ke kaaj. Badhayat Mithila ke garima aa banayat aha ke shan.

Jay Maithili! Jay Mithila!!
www.dahejmuktmithila.org par visit karu, aa jau sahi me dahej mukt mithila nirmaan kara lel ikshuk chhi takhnahi juru. Mithyaachaari lel no room please!!

Harih Harah!!

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२ जुलाई २०१२

Sitaram Sitaram! Dear all friends n familiars! By His blessings again, I along with two more friends have started for pious journey to Babadham. We may join the pilgrimage after a sacred dip in ganga tomorrow. Also we will be filling the treasure (kaamar) with gangajal for holy shrine n start bare feet journey by walking up to 100 km. Every morning n evening we shall be offering sacred oblations, hymns, austerity, and all that can keep us away from this world and keep sunk in spirituality. That’s really the bliss I want to attain every 4 months. So, this time I will keep you updated as part my oblation alone. You guys are prayed to pray for all with Ma n Baba to just remain pleased.

Kalateet kalyaan kalpaantkaari, sada sajjananand data purari.
Chidanand sandoh mohaapahaari, prasida prasida Prabho man mathaari.

Kindly post your comment, if any, but in English font as my mobile does not support Devnagari. 

Namah Parvati Pataye Har Har Mahadev!

Harih Harah!

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५ जुलाई २०१२

Dhanyavad Pankaj bhai. Avashya ehi abhiyaan ke ham kewal aa kewal Mahadev ke prerna sang dekhait chhi. Aakhir SitaRam Hunkar favourite Naam thik aa Mithila sa khas apanattwa Hunka apan Sasur aa Bhagwan Ram jee ke saasur la ke besi chhanhi aa taahi tham lok Sita aa Gauri lel dahej ke danav sang bhirait chhathi. Kahu je khush kona heta? Atah Mithila ke karmath lok ehi baat ke manan karaith je mahima kona bachat. Saudabaaji chhoru, aadarsh apanao. Beta aa beti ke ek rang maan debaak ghari thik, jatek chukab, tatek paachhu parab. Dahej mukt mithila ke nirmaan lel sabh gote kasam khao, gaam-gaam aa shahar-shahar sa dahej lobhi ke gheru aa shiksha diyaun. Harih Harah!

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९ जुलाई २०१२

पवित्र श्रावण मास अहाँ सभ के लेल भक्तिदायिनी – ललित-शक्ति-प्रदायिनी आ आनन्ददायिनी हो। कृषि लेल अमृतवर्षा हो! तप्त धरतीके शीतलता लेल ब्रह्मा-विष्णु-महेश केर कृपा हो!

मिथिला में भ्रष्टाचारिता के सर्वथा नाश हो आ अपन सनातन सुन्दर स्वरूप केर प्राप्ति हेतु बेटी ऊपर अत्याचार बन्द हो। दहेज मुक्त मिथिला के निर्माण हो! लोक पाइ संग नहि मनुख संग नेह करय एहि लेल समाज में जागरुकता के अभियान तेजी साथ आगू बढे!

एकता में हम सभ बन्हाइ आ अनेकता के अन्त करी। मैथिल खण्डी बुद्धि के होइत छथि – एहि प्रथा के आबो बदली। 

हरिः हरः!

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दहेज मुक्त मिथिला – कार्यक्षेत्रमें एक वर्ष

पैछला वर्ष दहेज मुक्त मिथिला माधवेश्वरनाथ महादेव मन्दिर में कुमैर-ब्राह्मण खुवाबैत ईशक शरणमें मिथिला लेल स्वच्छ समाज निर्माण हेतु दहेज मुक्त मथिला के परिकल्पना के एक ईंटा राखैत सौराठ सभा समान गरिमापूर्ण मिथिलाके पौराणिक धरोहर के पुनर्जीवन लेल अपन कार्यक्रम के क्रियान्वयन कयलक। २ जुलाई २०११ ई. मधुबनी में प्रेस कन्फ्रेन्स करैत एक ज्ञापन-पत्र मधुबनी के विकास आयुक्त आ प्रतिलिपि जिलाधीश के दैत सौराठ सभा लेल एक प्रस्तावना रखलक। तदोपरान्त बिहार सँ एकर पंजियन हेतु आवश्यक कदम उठेबाक लेल प्रयास केलक जे अन्ततः असफल रहल। दिल्ली में राष्ट्रीय अधिवेशन लेल कार्यक्रम बनल जे पंजियन आ कार्यकर्ता के कमी के कारण नहि भऽ सकल। एहि संस्था के वेबसाइट निर्माण भेल आ समस्त दहेज मुक्त विवाह करनिहार सऽ अपील कैल गेल जे एहिपर अपन प्रोफाइल राखी जाहिसँ इच्छूक लोक एक-दोसर संग वैवाहिक प्रस्ताव आदि राखि सकैथ। एहिमें बहुत हद तक सफलता सेहो प्राप्त होवय लागल अछि। मिथिलाशादी नामक पेज सँ सेहो एकर संचालन कैल जा रहल अछि। तदापि समयाभाव में सुविधा बहुत लाभकारी भेल अछि से तेहेन नहि अछि। लेकिन प्रयास थिकैक, जारी छैक। आगू आरो नीक हेतैक।

विराटनगर में संकल्प दिवस मैथिली सेवा समिति के संग कैल गेल जेकर दूरगामी असर पड़ल आ आइयो विराटनगर में हरेक समाज बीच एकर चर्चा निरंतरता पबैत अछि। तदोपरान्त दहेज मुक्त मिथिला के उद्देश्य प्रति सजगता प्रदान करबाक लेल गाम-गाम के यात्रा के क्रममें दुर्गा पूजा के छूट्टीके समय उपयोग करैत अलग-अलग गामके लोक सभ केँ जोड़ल गेल। एहि बीच कलकत्तामें ताजा टीवी पर दहेज मुक्त मिथिला के प्रतिनिधित्व करैत साक्षात्कार के प्रस्तुतीकरण करैत कलकत्ता के मैथिल बीच एहि अभियान के प्रादुर्भाव कैल गेल।

फेर विराटनगर में विद्यापति स्मृति पर्व समारोह – २०६८ में दहेज मुक्त मिथिला केर प्रतिबद्धता संग आम जनमानस के परिचित करायल गेल। जनवरी २०१२ में माधवेश्वरनाथ मन्दिर जीर्णोद्धार लेल प्रण लेल गेल आ ८ जनवरी २०१२ के सौराठ सभा विकास समिति संग संयुक्त मिटींग करैत एक कार्यसमिति सेहो बनायल गेल। एहि बीच बिहार सरकार द्वारा माधवेश्वरनाथ मन्दिर के धरोहर मानैत एकर जीर्णोद्धार के जिम्मा लेल गेल। संगहि उपरोक्त मिटींगके सुखद परिणाम ईहो भेल जे सौराठ सभा के नव जान फूकबाक लेल सौराठ गाम में मिथिला पेन्टिंग के संस्थान के निर्माण के मुख्यमंत्री नितीश कुमार जी द्वारा पुष्टि कैल गेल। तेकर बाद फेर अप्रील ३० तारीख सौराठ सभा में जानकी नवमी के आयोजन करैत दहेज मुक्त मिथिला के तरफ सऽ एक सद्भावना संवाद पूरा मिथिला में जाय आ एक बेर फेर लोक एहि सभागाछी के महत्त्व किछु एना बुझैक जे सभामें नहि सिर्फ लोक वैवाहिक अधिकार निर्णय आदि के गप कय सकैत छथि बल्कि प्रवासी मैथिल के मिथिला सँ जोड़ि के राखि सकैत छथि आ संगहि मिथिला के सम-सामयिक समस्या आदिपर सेहो विचार संप्रेषण कय सकैत छथि। एतबा नहि, विद्वत्‌ सभा के मार्फत मिथिला के प्रतिभा वगैर जाति-पातिके बन्धन के सामने आनल जा सकैत छैक आ एहि सँ मिथिला प्रति सभ में एक नव उर्जा के संचरण सेहो कैल जा सकैत छैक। एकर अलावे ईहो सोच के अग्रसर कैल गेल जे सौराठ सभा के जतेक विशिष्टता छैक तेकरा अनलाइन हर शहर आ दूरदराज के क्षेत्रमें उपलब्ध करायल जा सकैत छैक। एहि लेल किछु आवश्यक पूर्वाधार के निर्माण लेल सेहो प्रयास शुरु कैल गेल। शायद अगिला वर्ष सऽ ई सुविधा ईन्टरनेट के माध्यम सऽ उपलब्ध भऽ सकत।

संस्था के पंजियन एक चुनौती बनि ठाड़्ह भऽ गेल एवं कठिन परिस्थितिमें निर्णय लेल गेल जे बिहार सँ एकर पंजियन शायद कहियो संभव नहि भऽ सकत जेकर कारण अनेक छलैक… तखन मजबूरीमें दिल्ली सँ एकर राष्ट्रीय स्वरूप के पंजियन करायल गेल अछि।

सौराठ सभामें हिस्सा नहि लेब एहि सोच के परिस्थितिवश बनबैत पुनः माधवेश्वरनाथ के इच्छा सऽ सहभागिता भेल आ २४ एवं २८ जून २०१२ के दू विशिष्ट कार्यक्रम भेल जेकर दूरगामी प्रभाव अवश्य हेतैक आ सौराठ के पुनर्जीवन में एहि दू विशिष्ट प्रसंग के भूमिका जरुर रहतैक से विश्वास अछि। आगामी समयमें सौराठ सभा लेल ६ विन्दुके प्रस्ताव राखल गेल अछि आ एहि पूर्वमें बनल कार्यसमिति के पुनर्गठन लेल सौराठ सभा विकास समिति सऽ आग्रह कैल गेल अछि।

आगामी समय में एकर योजना अनेको अछि, बस एखन पुरान काज के एक संक्षिप्त समीक्षा लेल ई पोस्ट पढल जाउ। एहि में बहुत किछु छूटले होयत, बढल किछु नहि अछि। ईमानदारी आ कर्मठता के संग एहि अभियान के शनैः शनैः यथार्थ के धरातल पर चलाबयमें समस्त कर्मठ सदस्यके संग अभिभावकवर्ग एवं नेतृत्वकर्ता सभकेँ हार्दिक धन्यवाद आ बेर-बेर नमन।

संस्था संग आबद्ध लिंक सभ:
On Facebook:
https://www.facebook.com/groups/dahejmuktmithila/
https://www.facebook.com/MithilaShaadi
https://www.facebook.com/DMMITHILA
https://www.facebook.com/pages/Fight-Against-Devils-of-Dowries/250613461649922

Official Website:
www.dahejmuktmithila.org

उपरोक्त विवरण के अलावे जिज्ञासू जन गूगल पर सर्च करी ‘दहेज मुक्त मिथिला’ या ‘सौराठ सभागाछी’ आ पढी ओ समस्त विवरण जे अपने लोकनिक ई छोट संस्था यथार्थ में करैत आयल अछि। एहि संस्था के बस एक अपील जे सौ में केवल पाँच गोट किऐक नहि हो – लेकिन ओ सत्य के शपथ लैत छथि जे हम सभ दहेज के व्यवहार नहि करैत छी, नहि करब आ एहेन कुटुम्बवर्ग सेहो नहि अपनायब – बस एहेन ५ फीसद लोक केँ जोड़ैत एक स्वच्छ समाज बनय जेकर नाम हो ‘दहेज मुक्त मिथिला’ – एहि में दहेज लेन-देन करनिहार ऊपर जोर-जबरदस्ती वा जुड़य लेल कोनो तरहक आग्रह पर्यन्त नहि कैल जाइत छैक आ एकर अलावे कमौआ बेटा-बेटी सऽ निवेदन रहैत छैक जे अहाँ जाहि मिथिलाके माइट-पाइन सऽ बनल छी तेकर भाषा आ भूमि के संवर्धनमें अपन योगदान दैत रहियौक जाहि सऽ समृद्धि कतहु हेरायल नहि रहैक। सरकारी उपेक्षा रहितो हम-अहाँ अपन बदौलत अपन गाम के चमका सकैत छी, बना सकैत छी। हमरा लोकनिक जे धरोहर जे लगभग हर गाम में अछि – ओ भले कोनो पोखैर के रूपमें हो, कोनो मन्दिरके रूपमें हो, कोनो हाट या बगीचा के रूपमें हो… चाहे सार्वजनिक हित के कोनो भी रूपमें किऐक नहि हो; एहि पर हम सभ अपन लगानी बाहर सऽ पठबैत अपन-अपन गाम के धरोहर के संरक्षण करी। यैह थीक दहेज मुक्त मिथिला। एकर सदस्यता लेल स्वेच्छा आ स्वपोषण के सिद्धान्त बूझब अत्यन्त जरुरी अछि आ एहि लेल कियो केकरो पर दबाव नहि दऽ सकैत छथि। आ, जरुर समय-समय पर जे काज कैल जाइत छैक एहि में सदस्य अपन लगानी सऽ काज करैत आयल छथि आ करैत रहता।

ॐ तत्सत्‌!

हरिः हरः!

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१० जुलाई २०१२

नरेन्द्र मोदी जी केँ भारतक प्रधानमंत्री देखबाक सदिच्छा प्रकट करबाक ऐतिहासिक स्टेटस

Narendra Modi as a PM of India

Yes, indeed. We wish to get a PM like him but BJP and he should convince the minorities that their ideology is not meant for sweeping them out of India, justice for Hindus do not mean injustice for others. Modi is a hard liner leader only because of injustices imposed on Hindus in many ways. Let India do justice with all. Let era of divide and rule end in India.

Harih Harah!

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मिथिला के गाम-घरमें दहेज के माँग घटय लागल अछि। एहि बात के पुष्टि होइत अछि हालहि सम्पन्न अनेको विवाह सऽ। बेटीवाला स्वेच्छा सऽ अपन कुटुम्बवर्गके इच्छा सुनैत पूरा करैत छथि आ बड़ा हँसी-खुशी विवाह सम्पन्न होइत छैक। एहि में दहेज के भूमिका बिलकुल नगण्य रहैत छैक।

लेकिन दहेज लोभी किछु लोक के पहचान सेहो भेल जेना:

*बेटा के डोनेशन पर प्राइवेट संस्थान सऽ ईन्जिनियरिंग के पढाई करेनिहार परिवार के इच्छा रहैत छैक जे कम से कम खर्चो धरि लड़कीवाला सऽ व्यवस्था में भेटि जाय। 

*एम.बी.ए./एम.सी.ए. पढल युवा के भले कैम्पस सिलेक्शन भेल नहि भेल… मुदा लोभी माता-पिता के इच्छा रहैत छैक जे आजुक समय के सभ सऽ नीक पढाई मानल जायवाला आ पैकेज में टाका कमाइवाला बेटा लेल कोनो लड़कीवाला जतेक बेसी कटा जाय… लऽ लऽ आउ, धऽ धऽ आउ!

*जेकर बेटा कोनो टेक्निकल कोर्स या फेर सरकारी नौकरी कम्पीटिशन द्वारा पयलैथ, हुनकर तऽ मान एहि पृथ्वी पर रहिते नहि छन्हि… आ लड़कियोवाला जे खूब पाइ रखने छथि ओ जा कऽ एकहि बेर मुँहमाँगा दऽ अबैत छथिन… पाँचो आँगूर घीये में। 

*एकर अलावे जिनकर धियापुता सामान्य-वर्गमें रहैत छथिन मुदा मड़ौसीमें एकमुष्ट खूब हिस्सा छन्हि तिनको माँग किछु न किछु रहिते टा छन्हि।

*ब्यापारी-वर्ग में चलतीका नाम गाड़ी होइत छैक – से एहेन परिवार में सेहो बेटा आ बेटी दुनू लेल लेन-देन होइते टा छैक।

दहेज मुक्त मिथिला के एहि सभ में केवल स्वेच्छाचार के बात प्रति समर्थन छैक, बाकी समाज लेल कथमपि उचित नहि।

लेकिन बेटीके शिक्षा आ धरोहर प्रति सजगता लेल सभ सऽ प्रार्थना!

हरिः हरः!

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११ जुलाई २०१२

मिथिला राज

आउ करी एक अनुसंधान
मिथिला प्रश्न के करी निदान

कतय फँसल अछि मुद्दा मूल
कोन तरहक भऽ रहल यऽ भूल

नेता-कर्ता सभ माया बन्धन
तैयो करै छी हम सभ क्रन्दन

उठबी आँगुर एक-दोसर पर
बिन बनेने एक छोटो टा घर

केओ कहय छै जाइतक झगड़ा
बिन देखने जे अकर्मक रगड़ा

बनय छै सभटा बुद्धिक खान
ताकय केवल अपनहि मान

ई नहि जे चली बनल ओ लीक
ओज भरल ओ पुरनो सिख

करी अपन हिस्सा के काज
तखन बघारी मिथिला राज

दूर करी समाज सऽ अकर्म
त्यागि दंभ आ फूइसक मर्म

विश्वास निहित कऽ एक-दोसरमें
बाकी जे काज अपन जोगरमें

नहि काटी एक-दोसरक बात
बरु निभाबी काँपैत हाथ

गप्पक खेती भेल पुरान
आब लड़ी कर्मक मैदान

कनेमने सभक जोड़ि कऽ
उपजाबी बरु पाथर फोड़िकऽ

एना बनत जे मिथिला राज
चलत नीक सऽ सभटा काज!

हरिः हरः!

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१३ जुलाई २०१२

एक मित्र कहने छलाह जे कालान्तर में स्वयं मनन केलहुँ तऽ सच लागल – हम कतबो अन्य भाषा के मजबूत बना ली – कतबो दोसर के संस्कृति सँ स्वयं के रंगबाक चेष्टा करी… लेकिन अपन मूल के त्याग सर्वथा आत्महत्या के समान होइछ आ भविष्य पक्का अन्हार बनैछ।

आइ मिथिलाके विभिन्न शहरमें सर्व भाषा-भाषीके भेटब कोनो पैघ बात नहि कारण संघीय भारत में बिहार राज्य एवं केन्द्रिय ईकाइ के कर्मचारी अन्य भूभाग सऽ आबि रोजगार के सिलसिलामें रहब व नीक लगला पर एहिठाम स्थायी तौर पर रहि जायब संभव छैक, संभव भेवो केलैक। तहिना ब्यापारी वर्ग विभिन्न जगह सँ प्रव्रजित भऽ मिथिला के विभिन्न भूभागमें स्वयं के बसौलनि। एहि तरहें मिथिला के लोक सेहो अपन प्रव्रजन केलाह आ आइ संसार के विभिन्न भूभाग में बसलाह। भाषा व संस्कृतिमें मिश्रण प्राकृतिक एवं स्वाभाविक छैक।

परन्तु मैथिल के एक विशेष गुण जे अपन भाषा छोड़ि बहरिया के नकल करैत तुरन्त बदैल जायब… अपने तऽ बदलबे करब… धियापुता सँग सेहो बलजोरी वैह व्यवहार करय लाग देखौंस में… एहि तरहें मैथिली के नोकसान सहजहि अनुमान लगायल जा सकैत छैक। आब एहि में परिवर्तन लाबय लेल के कि कऽ सकैत अछि? कहबी कोनो गलत नहि छैक – चाइल, प्रकृति आ बेमाय ई तिनू संगहि जाय।  हाँ, एक सुधार अवश्य संभव छैक जे सक्षम वर्ग मैथिलीके पोषण में पूर्ववत्‌ लागल रहैथ आ एहि चिन्ता के सदा के लेल बिसैर जाइथ जे एहि लगन लेल मैथिली के यदा-कदा आरक्षित वर्ग के भाषा मानल जाइत छैक। जे होशियार छैक – जे सही अर्थ में शिक्षित छैक ओहो सभ अपन मातृभाषा के अर्थ नीक सऽ बुझैत छथि। अपन मातृभाषामें रचना करैत छथि – अपन धियापुता संग एहिमें वार्ता करैत छथि।

जापान, चीन, जर्मनी, फ्रांस, कोरिया… एतय तक जे तमिल, कन्नड़, तेलुगु, मराठी, गुजराती, मारवाड़ी, जाट लगायत अनेको भारतीय भाषा के समुदाय अपन मातृभाषा प्रति पूर्ण समर्पित व ईमानदार होयब प्रेरक छैक। एहि प्रेरणा सऽ मैथिल केँ किछु सीख जरुर लेबाक चाही। १९३५ ई. आसपास में डा. अमरनाथ झा के मैथिली लेल सिफारिश पर जाहि तरहें डा. राजेन्द्र प्रसाद व अन्य हिन्दीप्रेमीके माया ग्रहण लगेलक से बहुत वर्षों बाद २००३ में डा. भुवनेश्वर गुरमैता व अनेको जुझारू मैथिल आन्दोलनकारी के माँग के भारत के अद्वितीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ‘तब हिन्दी का क्या होगा…’ कहितो-कहितो पूरा कयलन्हि आ मैथिली के गुमनामी-अन्हरियामें डुबऽ सऽ बचा लेलनि।

आब आवश्यकता एतबी छैक जे अपन भाषा सऽ जुड़ैत रहू – एहि में सुन्दर भविष्य लेल संघर्ष करू। मातृभाषा में जँ शिक्षा उपलब्ध हेतैक तऽ हमरा पूरा विश्वास अछि जे १००% साक्षरता के केओ नहि रोकि सकैत अछि। केरल के उदाहरण सोझाँ में अछि। हमहीं सभ कि मास्टर साहेब के पढेलहा हिन्दी थोड़ेक नऽ बुझैत रहियैक, मैथिलीमें सिखबऽ पड़ैत छलन्हि। 

Ham aabhaari chhi Dr. Dhanakar Thakur, Dr. Kamalkant Jha, evam hinka lokain dwara del ja rahal gaam-gaam prashikshan ke jaahi me sabh baat ke khulaashaa hoit achhi.

मैथिली में जिबू – मैथिल बनू!

जय मैथिली! जय मिथिला!

हरिः हरः!

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गजब नशा

एक बेर जँ लागि गेल तऽ काम भेल तमाम
लत्‌ यदि जागि गेल तऽ नाम भेल बदनाम

ओ चाहे हो फेसबुक के चाहे नाम जपु राम
अपन समय ओ तानि लेत करु थोरे काम

शपथ भोर तखन सऽ छोड़ब बिसरि नाम
जखन बेर कंठ सुखाय पायब फेरो जाम

वैन योग के योगी बनि जँ त्यागी कोहराम
शान्ति पाबि मनन करू कि देखी परिणाम

दसो घोड़ा एक दिशा में दौड़य ईशक धाम
जीवन मानव सकल सफल बनत गाम

हरिः हरः!

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हृदय बहि रहल अछि आइ मैथिलीक मीठ संगीत संग
लागि रहल अछि भरल रहय मिथिला के अपन उमंग

मैथिल सपुत आलोक झा, दरभंगा के धन्यवाद जे प्रवासी मैथिल सभ लेल एतेक बढियाँ कार्यक्रम रेडियो के मार्फत रखलैथ अछि। सुनू अहूँ सभ! मैथिली गीत-संगीत मिथिला-रेडियो, दरभंगा पर २४ घंटा। एहि रेडियो के संचालन लेल विज्ञापन द्वारा सहयोग करियौन। दहेज मुक्त मिथिला अपन समस्त अभियान के रेडियो द्वारा संचालन करय लेल प्रतिबद्ध अछि। मिथिला रेडियो तरफ सँ पूर्ण सहयोग के आश्वासन भेटल अछि। आउ, हम सभ एक-दोसरके कार्यक्रम के कन्धा सँ कन्धा जोड़ि के पूरा करी आ समूचा मिथिला के एकजूट राखी।

http://www.mithilaradio.com/player1.htm

एखन रेडियो पूर्ण रूप सऽ संचालित नहि अछि, लेकिन सभ के सहयोग सऽ ई जल्दिये अपन पूर्ण संचालन में आयत से जानकारी भेटल अछि। इन्टरनेट या मोजिला पर सुनी।

हरिः हरः!

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पहिले सेहो कहने होयब, फेर कहैत छी… हिन्दी भाषा के विकास में हिन्दी सिनेमा के बहुत पैघ योगदान रहलैक अछि। आइ हिन्दी विश्व स्तर के भाषा बनि गेल छैक। कतहु दू मत नहि।

भोजपुरी एक अपूर्ण भाषा रहितो – मैथिली जेना समृद्ध भाषा नहियो रहला के बावजूद भोजपुरी भाषी के हिन्दी भाषा के समकक्षी फिल्मी अवधारणा पर काज करैत भाषा के मूल्यमें वृद्धि कयला सऽ आइ समस्त भारतमें भोजपुरी भाषा के प्रयोग करब में प्रतिष्ठा के हनन्‌ नहि बुझैत छैक।

तहिना भारत के विभिन्न अन्य भाषा जेना बंगला, गुजराती, मराठी, पंजाबी, तमिल, कन्नड़, तेलुगु, व अन्य भाषा सेहो अपन भाषा के फिल्म देखबाक लेल उत्सुक रहैत एकर संवर्धन करैत छथि।

मैथिली के भूमिका फिल्म निर्माण में साधारण नहि, प्रयास कदापि कम नहि भेल अछि। हमर समझ (जखन कि हमर ज्ञान एहि मादे एकदम कमजोर अछि।) सऽ मैथिलीमें सेहो अनेको फिल्म के निर्माण भेल अछि। लेकिन बाजारीकरण में मैथिल केर अपनहि लगनहीनता के कारण शायद अन्य भाषा के तुलना में मैथिली के फायदा नहि पहुँचल अछि।

ओनाहू मैथिल अपन भाषा छोड़ि दोसर के भाषा बाजय में महारत हासिल केने छथि।

रहय छै रहय छै कि हिन्दी बजय छै
पी जँ लै छै तऽ ईंगलिश बजय छै…

भविष्य सुनहरा हो से शुभकामना मात्र दऽ सकैत छी।

हरिः हरः!

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बेटा हो या बेटी – शिक्षा में नहि हो त्रुटि

माँगरूपी दहेज नहि ली आ नहिये दी
बेटीके शिक्षा दऽ अपन पैरपर ठाड़्ह करी।

मिथिला के हर गाम छै सुन्दर
जोगाउ एहिठामक सभ धरोहर

हरेक वाल-बैनर में निचाँ – दहेज मुक्त मिथिला – अवश्य लिखी। हरेक मैथिल सँ निवेदन जे एक-एक बैनर अपन-अपन गाम में दहेज मुक्त मिथिला के अभियान के समर्थन में लिखबाबी।

हरिः हरः!

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गीत:

गुदी-गुदी-गुदी! हि-हि! हि-हि! हि-हि!
गुदी-गुदी! हि-हि! हि-हि!
(कोरस स्वरमें आ तेकर बाद पुरुष/नारी स्वरमें)

धिया-पुतामें सुता के छौड़ा लगबै छल गुद-गुदी..
आब जबनका बाजि चुटूक्का लगबै छै गुद-गुदी..

हे देखू! देखू कोना के छूटय गुदगुदी!  – २

गुदी-गुदी-गुदी ….

कतबू जाय हकार पुरय लऽ ओतहु छल गुदगुदी
मास्टर जाइते किलास में सेहो लगबै छल गुदगुदी

मोछक पोम अबैते छौड़ा देखितो पबय गुदगुदी
चैलते फिरते सोचियो उठियो लागय छै गुदगुदी

हे देखू! देखू कोना के छूटय गुदगुदी!  – २

गुदी-गुदी….

भेल जवान दू बच्चा के बापो तैयो ताकय गुदगुदि
घर जमाय छै बैसल तखनहु चाही ओकरा गुदगुदि

बुढ-पुरान के सेहो देखियौ रोकलो न जाय गुदगुद्दी
चीज एहेन ई सदिखन सभके चाहैय छैय गुदगुद्दी…

हे देखू! देखू कोना के छूटय गुदगुदी!  – २

गुदी-गुदी…

फेसबुकिया के मैथिली चौक पर सेहो छय गुदगुदी
ई जितमोहना जानि कि सोचि बना देलक गुदगुदी

सभ जुवान के तानि कतियौने करा रहल गुदगुदी
काज बिसैर के छौंड़ा-माँड़रि ढाहि रहल गुदगुदी…

हे देखू! देखू कोना के छूटय गुदगुदी!

धिया-पुतामें …..

गुदी-गुदी…. हि-हि! हि-हि!

हरिः हरः!

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१४ जुलाई २०१२

मिथिलावादी राजनीति के स्वागत करू!

वर्तमान बिहार व भारतीय केन्द्र सरकार के मिथिला के उपेक्षा आब लगभग स्पष्ट भऽ गेल अछि। मिथिला क्षेत्र में घोषणा के बावजूद एखन धरि उद्योग के अवस्था में कोनो सुधार नहि करब आ रोजगार के भरपूर अवसर रहितो कोनो एहि तरफ प्रयास नहि करब, सच में मिथिला संग धोखा कहि सकैत छी।

विडंबना जे बिहार में विकास के हवा खूब बहि रहल अछि लेकिन मिथिला क्षेत्र में एकर असर नगण्य़ रहितो एहिठाम सऽ चुनल जन-प्रतिनिधि केर कोनो प्रकार के चिन्ता नहि राखब आरो स्थिति के भयावह बनेने अछि।

चीनी आ पेपर मिल के संग-संग कृषिजन्य सामग्री सऽ प्रोसेस्ड फूड्स के उत्पादन करयवाला उद्योग के स्थापना – प्राइवेट सेक्टर के लगानी हेतु आवश्यक टैक्स फ्री जोन के स्थापना – वर्तमान कृषि प्रणालीमें सुधार हेतु वैज्ञानिकीकरण लेल मुहिम – पर्यटन वृद्धि ऐतिहासिक स्थल के विकास व प्रचार मुहिम चलायब – इत्यादि प्रमुख कार्य पर बिहार सरकार व जन-प्रतिनिधि के ध्यान नहि जायब अत्यन्त पीड़ादायक अछि।

मुख्य खेतीमें वैज्ञानिक प्रविधि द्वारा मखान, मकै, चावल, गेँहुं, आम, जामुन, लिची, केरा, तरभुज, फूइट, एवं विभिन्न अन्य कृषि-उत्पादन पर बेसी सऽ बेसी ध्यान केन्द्रित करैत ब्यवस्थित भंडारण व बिक्री-वितरण के इन्तजाम करैत एहि क्षेत्रक आर्थिक विकास में तेजी आनय लेल खाली पेपर में योजना के प्रकाशन होइछ, मुदा काज आइ धैर किछु नहि भेल छैक। जे किछु छैक, राम भरोसे आ कृषक के अपन क्षमता अनुरूप।

शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क के अवस्थामें विगत सँ बेसी विकास अवश्य भेल अछि; मुदा बिजली आ पाइन आइयो अब्यवस्थित अछि। संचार क्षेत्र में निजी लगानी के अलावे राज्य परिवहन के साधन सर्वत्र उपलब्ध नहि अछि। जाहि तरहें अन्यत्र आधुनिक शिक्षा लेल संस्थान सभ खोलल गेल अछि तेकर नोइसो मिथिलामें नहि होयब आ उलटे मिथिला के लोक आब अन्य क्षेत्रमें जाय उच्च शिक्षा ग्रहण करब के परिपाटी चलब मिथिला के लेल दुखद अछि।

एतेक समस्या रहैत अगिला चुनाव में मिथिलावादी राजनीतिक दल के बिना दोसर दल के प्रवेश निषेध कैल जाय। जे दल मिथिला के लेल प्रण लेत तेकर मात्र प्रवेश देल जाय आ बाकी सभ के बहिष्कार।

जय मैथिली! जय मिथिला!

हरिः हरः!

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आइ दिनांक १४.०७.२०१२ तदनुसार शनि दिन श्रीराम-जानकी मन्दिर, ठाकुरवाड़ी रोड, विराटनगर के प्रांगण में निम्न उपस्थित व्यक्ति सभक बैठक भेल जाहिमें सामाजिक उत्थान हेतु मधेस केन्द्रित एक नव संस्था निर्माण करबाक निर्णय लेल गेल जेकर नाम – मधेस सिविल सोशाइटी रहत। एहि नव संस्था अन्तर्गत समाजमें उपेक्षा के कोनो भी विषय पर जन-जागृति पसारय के आ स्वयंसेवा द्वारा समाजमें परिवर्तन लाबय के मूल उद्देश्य होयत। ‘निःसहाय के असहाय’ नामक मूल नारा संग एहि संस्था द्वारा गाम-गाम आ शहर-शहर सदस्यता के संजाल ठाड़्ह करैत सेवा प्रदान कैल जायत। ओ चाहे प्राकृतिक आपदा सँ पीड़ित जनमानस हो वा अर्थहीन रोगी – सभक लेल आसरा बनत ई संस्थाके स्वयंसेवी। मोरंग-विराटनगर सँ पंजीकरण करबैत समूचा नेपाल राष्ट्रमें सेवा प्रदान करत ई संस्था। एकर सदस्य देश-विदेश कतहु रहनिहार बनि सकैत छथि। एहि संस्थाके उद्देश्य पोषण हेतु सक्षम सदस्यक स्वेच्छा-दान सऽ कोष निर्माण करैत केन्द्रिय कार्यालय के निर्णय अनुरूप सभ क्षेत्रमें स्वैच्छिक कार्यक्रम करायल जायत। एहि संस्थाके विस्तृत विधान एवं पंजियन हेतु एक समितिके सर्वसम्मति सऽ गठन लेल अगिला शनि दिन पुनः बैठक वृहत रूपमें सहभागिता संग राखल जायत। तहिना औरही (सिरहा) के भीषण अग्निकाँड केर पीड़ित-पुनर्वास लेल किछु अंशदान करबाक उद्देश्य सँ विराटनगर में एक सांगीतिक संध्या (चैरिटी शो) करेबाक निर्णय सेहो कैल गेल जाहि सम्बन्ध में सेहो अगिला शनि दिन बैठकमें विस्तार सऽ चर्चा एवं निर्णय कैल जायत।

उपस्थिति:
१. अनिल मल्लिक
२. प्रवीण चौधरी
३. नवीन कर्ण
४. निरंजन मल्लिक
५. किशोर किरण लाल
६. बिपिन पासवान
७. विकास पाल
८. जितेन्द्र ना. ठाकुर
९. राम भजन कामत
१०. जानुका पौड़ेल
११. पंकज वर्मा
१२. प्रियंका यादव
१३. डिम्पल देव
१४. रामचन्द्र महतो
१५. निर्मल झा

हरिः हरः!

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हम अपन कविता व विभिन्न रचना सभ के पुनः समेटय के क्रम में छी – जे अनलाइन अन्तर्क्रिया के क्रम में विभिन्न समूह पर पोस्ट केने छी आ संभवतः ओहि रचना के जोगा कऽ सेहो रखने छी तेकरा एहिठाम पूर्णतः समेट लेने छी। तथापि, यदि हमर मित्र-वर्ग व प्रशंसकवर्ग केर नजरिमें कोनो छूटि गेल हो तऽ अवश्य ओहि रचना के समेटय लेल हमरा मदैद करी।

साभार – प्रवीण चौधरी ‘किशोर’

भूमिका:

वर्तमान संग्रह के नाम ‘ललित शक्ति’ एहि लेल राखि रहल छी जे ई समस्त युवावर्ग के प्रेरणा लेल रचित अछि आ सभ में ईश्वर के अदृश्य शक्ति के संयोग अछि। अपन समस्त क्रिया-कर्म हम सदैव ईश्वर के समर्पित करैत मात्र अपने सभके समक्ष रखैत आयल छी। अतः ई समस्त रचना में पाठक के नव शक्ति संग साक्षात्कार अवश्य होयत।

प्रतिक्रिया आ सुझाव केर हार्दिक स्वागत।

हरिः हरः!

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१५ जुलाई २०१२

बहुत दिन सऽ चलल एक फैशन
खूब गरियाबू ब्राह्मण-बाभन
बनल स्वयं छी तीतक खान
मुदा रगड़ि कबछुवा आन

अपन मलिन कंठ में छूपल
फोड़ा-फुंसी पीठ में ढूकल
खुदरा के कि गानत लोक
मोटगर ढेर बहन्ना शोक

ई थीक एकैसम शदी सुनू
पैछला देखि न आँखि मुनू
शिक्षा सूर्य सगरो उदित छै
शान बढाउ मान-मुदित छै

उलटे धार आब बाभन घेर
आरक्षण तीर शिकार अनेर
परदेशी बनय सभ मजबूर
जानि अपन घर कहिया घूर

करब तऽ होयत नाम अहुँके
बदलत दिन आ गाम अहुँके
गैर पढब तऽ अपने मुँह टेढ
हिन्दी विदेशिया बगुला छेर!

हरिः हरः!

(ब्राह्मणवाद आ जातिवाद आदि दाकियानूसी सोच संग साहित्यकार सभ समाज में आइ एकैसम शताब्दीमें सेहो फूइसक प्रतिष्ठा कमाइ लेल दु्ष्प्रयास करैत छथि – ई रचना हुनका सभ के समर्पित!) 

ॐ तत्सत्‌!

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श्री हृदयकान्त झा ‘मधुकर’
संपादक/प्रकाशक,
अप्पन मिथिला, मैथिली मासिक,
माइतीघर हाइट, काठमाण्डू।
फोन: ०१-६९२४२१३
इमेल: [email protected]

आदरणीय महोदय,

अपनेकेँ हृदय सँ धन्यवाद जे मिथिला-मधेशमें औद्योगिक विकास के भूत, वर्तमान व भविष्य के उल्लेख करैत हमरा सँ एक लेख माँगल अछि। हमर लेख हम एहिठाम निम्न लिखि अपनेक समक्ष पठाबय जा रहल छी। त्रुटि के लेल क्षमाप्रार्थी बनल रहब।

अपनेक विश्वासी,

प्रवीण ना. चौधरी
विराटनगर।

मिथिला-मधेश में उद्योग

नेपालक इतिहास में मिथिला क्षेत्र राष्ट्रके अन्य भाग जेकाँ कृषि प्रधान रहलैक अछि। ओना मधेश में आम जन-जीवन जेना-जेना सुगम होइत रहलैक आ विकास के गति सेहो तहिना क्रमशः आगू बढैत रहल अछि। भारत के बंगाल आ बिहार सऽ जुड़ल नेपालक मिथिला क्षेत्र उद्योग-लगानीमें पहिले सऽ अग्रसर रहल अछि। एहिठाम अधिकतर कारखाना कृषिजन्य उत्पादकेर प्रोसेसिंग प्लान्ट जेना राइस मिल, आयल मिल, चीनी मिल, पेपर मिल, जुट मिल, सुर्तीजन्य पदार्थक मिल आदि मुख्य रहल। कालान्तरमें यार्न मिल, टेक्सटाइल्स, आइरन एवं स्टील उद्योग के संग-संग बिस्कुट, चाउचाउ, कन्फेक्शनरी, साबुन, सर्फ, वनस्पति घी, आदि के उद्योग सेहो लागल। हलाँकि एहि सभ उद्योगमें बेसीतर उद्योग एकमात्र विराटनगर सऽ जुड़ल सुन्सरी-मोरंग औद्योगिक कॅरिडोरमें मात्र लागल कारण ई क्षेत्र कलकत्ता बन्दरगाह सऽ नजदीक रहल आ भारत लगायत नेपाल के विभिन्न क्षेत्रसँ पैघ-पैघ ब्यापारी अपन कारोबार विराटनगर केन्द्रित कयलन्हि। खुद मैथिल मधेशी उद्योग-ब्यापार क्षेत्र में दक्ष नहि रहला के कारण प्रत्यक्ष लगानी केवल कुटीर उद्योग-व्यवसाय में बेसी कयलन्हि। ओ चाहे ग्रामीण स्तर पर छोट-छिन मिल हो वा कोनो फेब्रिकेशन के काज, हिनकर सभके मूल ध्यान कृषि क्षेत्रमें आ सेवा तथा प्रशासकीय कार्य में बेसी रहलन्हि। एहिठाम के अधिकांश लोक मजदूरी एवं अन्य रूपें श्रमदान करैत उद्योग के संवर्धनमें अपन भूमिका निर्वाह कयलन्हि। अधिकांश पढल-लिखल लोक ईन्जिनियरिंग, लेखा प्रणाली व ब्यवस्थापन पक्ष सम्हारलैन; तहिना अनपढ आ ग्रामीण क्षेत्रक लोक दक्ष वा अन्य वर्ग के मजदूर बनैत उद्योगके सम्हारैत आयल छथि। पूर्वमें अड्डा आदि के समस्त काज सेहो मैथिलहि के हाथ में रहल। शिक्षा क्षेत्रमें तऽ मानू जे मैथिल के एकक्षत्र राज रहल, बाहरी उद्योगपति सभके बच्चा सभके शिक्षा लेल सेहो मैथिल एकलौती जिम्मेवारी वहन कयलन्हि। क्रमशः मिथिला क्षेत्रक मुख्य शहर सभमें पहाड़ आ अन्य जगह सऽ लोक के बेसी वास होवय लागल आ समस्त कार्यक क्षेत्रमें साझेदारी सेहो सभ वर्ग के बनय लागल, तदापि मैथिलकेर योगदान सभ दिन बेसी आ महत्त्वपूर्ण रहलन्हि। उत्पादन क्षेत्रमें पहिले बहुत कम रुचि रहैत छल, भारत व अन्य देश सँ आयातित सामान के बेसी प्रचलन रहलैक। नेपालमें बहुदलीय प्रजातंत्र के प्रवेश उपरान्त भारत द्वारा प्रिफरेन्शियल एन्ट्री के सुविधा भेटला उपरान्त नेपाली उत्पाद केर निर्माण हेतु एक ठोस आधार बनल आ तदोपरान्त, लगभग १९९० ई. (२०४७ विसं) के बाद नेपाल में उद्योग क्षेत्रमें क्रान्तिकारी विकास भेल। उद्योगी लगानीकर्ताके आन्तरिक भय जे उत्पादन क्षमता अनुरूप बाजार नहि भेटत से भय लगभग समाप्त भऽ गेल केवल उपरोक्त समझौता के कारण आ भारतमें खुलल बाजार उपलब्ध भेला के कारण उत्साहक माहौल बनि गेल। बाहरी लगानीकर्ता सभ सेहो एक पर एक कारखाना के निर्माण नेपाल में करय लगलाह आ विराटनगर तथा बिरगंज दू प्रमुख नाका रहला के कारण एहि दुनू जगह औद्योगिक विकास के परचम लहराइत रहल। शनैः-शनैः औद्योगिक विकास नेपाल के हर क्षेत्रमें भेल, लेकिन सुविधा बेसी मधेशमें उपलब्ध रहब आ भारत सन बाजार आ विकसित तकनीकी प्रणाली सभ सहज ढंग सऽ भेटब के कारण विकास के गति उत्तरोत्तर बढैत रहल। एतय तक जे भारत के द्वारा ई छूट भेटला के कारण जे कोनो कच्चा पदार्थ यदि तेसर मुल्क सँ सेहो आयातित अछि आ तेकरा प्रयोग करैत थोड़-बहुत निर्माण कार्य नेपालमें कैल गेल हो जाहिसँ तकनीकी रूपमें ओहि वस्तुक वर्गीकरण कोड (Harmonized System of Nomenclature – HSN Code) के पहिल चारि अंक में वा ओकर उपरान्त परिवर्तन आबि गेल हो तऽ निश्चित मूल्य वृद्धिके परिमाण (कम से कम मूल मोलके ३०%) अनुसार ताहि वस्तुके भारत निर्यात निश्चित भारत द्वारा मान्यता देल उद्योग वाणिज्य संघ वा अन्य द्वारा उत्पत्तिके प्रमाणपत्र जारी करैत कैल जा सकैत छैक। एहि सुविधा के कारण प्लास्टिक व एहिसँ निर्मित अनेको वस्तुके उत्पादन सभ के कारखाना नेपालमें फलित भेल। संगहि बहुत कम मेहनति में उत्पादन तैयार करैत भारत के विस्तृत बाजार सेहो पौलक। हलाँकि ड्युटि टैरिफ मे एहि दू रा्ष्ट्रके बीच पैघ अन्तर आ वर्ल्ड ट्रेड अर्गेनाइजेशन के शर्त अनुरूप ऐक्यता लाबय के एक निश्चित सीमाके कारण संभवतः बहुत एहेन उत्पादन जे नेपालसँ अत्यधिक कम मूल्य पर उपलब्ध होवय लागल छल आ जाहिसँ भारतीय उद्योग पर नकारात्मक असर पड़य के शिकायत इत्यादि अयलापर भारत अपन नीति के कतेको बेर पुनर्समीक्षा करैत रहल, मूल्य वृद्धिके सीमा पहिले २५% रहल तेकरा ३०% कयलक आ स्पेशल सिविडी ४% के दर सऽ सेहो लगेलक जे कालान्तरमें नेपाली पक्षक आग्रहपर क्रमशः हँटेबो केलक; लेकिन उद्योग के प्रवर्धनमें भारत के सहयोग नेपाल हेतु संजीवनी के काज कयलक अछि आ आगुओ बिना भारतक बाजार भेटने नेपालमें उद्योग फलित होयब कठिन होयत। नेपालमें आब अपन एतेक उत्पादन होवय लागल जे सभ किछु आयात पर निर्भर रहय के बाध्यता लगभग समाप्त भऽ गेल – रोजमर्राके हर वस्तु ‘नेपाल मा बनेको’ टैग संग सुशोभित भेल, बाजार सेहो विस्तार भेल, उपभोक्ताके स्वदेशमें निर्मित अनेको वस्तु भेटय लागल जाहि सऽ आत्मसम्मान आ स्वाभिमान सेहो बनल।

नेपालमें राजनैतिक अस्थिरताके चलते प्रगतिशील उद्योग के गति पर वीभत्स कुदृष्टि पड़ल। आधारभूत माँग बिजली के आपूर्ति सेहो दिन-ब-दिन माँग अनुरूप नहि राखि सकल नेपाल सरकार – वैकल्पिक अनेको उपाय सऽ नोकसानी के भरपाई नहि भऽ सकल। रुपैया के मोल दिनानुदिन खसैत रहल, उर्जा के स्रोत सभ दिन महंगे होइत रहल। भारत में सेहो महंगाईके परिस्थिति आ मौद्रिक नीति नेपाल के हितमें नहि रहि सकल। कोनो नया शुभ समाचार के लेल उद्योगी-ब्यापारी नित-दिन टकटकी लगेने इन्तजार करिते रहि गेल, मुदा तेहेन कोनो चमत्कार आइ धरि नहि भेल अछि। उलटे राजनीतिक अवस्था नित्य बिगड़ैत रहला के कारण सभ सऽ पैघ माइर केवल आ केवल उद्योगी ऊपर पड़ल। उद्योगमें सरकारी श्रम नीति के सेहो प्रभाव पड़ल। श्रमिक हित के बात उद्योग के रुग्णता वा गिरैत स्वास्थ्य अनुरूप नहि बनायब शायद दूरदर्शिता के कमी आ तुष्टीकरण व स्वार्थके राजनीति मात्र परिलक्षित करैत रहल। पहिले जनयुद्ध आ फेर शुरु भेल नया गणतन्त्रके स्थापना लेल संक्रमण काल के स्थिति। जनयुद्ध के समय सेहो चाप उद्योगीपर बेसी लादल गेल, हलाँकि सम्बन्धित राजनीतिक दल के बुद्धिजीवी विचारक के बीच-बचाव के कारण स्थितिमें भयावहता नहि आबय देल गेल… तदापि मनमौजी लूट यदाकदा मचैत रहल आ राजनीतिक आन्दोलनके नामपर आम उद्योगी स्वयं के लूटबावैत रहल। कतेको उद्योग एहि कुदशा के नहि झेलि सकल आ पहिले बीमार आ फेर मृत्यु – कतेको उद्योगी राष्ट्र छोड़ि भागि गेल आ भागाभागमें नेपालके बहुते पूँजी सेहो पलायन केलक से आशंका कायम अछि। आइयो कतेको बैंक के मोट रकम अप्राप्य छैक। लेकिन सरकार वा कोनो सम्बन्धित पक्षकेँ नियन्त्रण एहि सभ पर नहि रहि सकल। अफरातफरी मचि गेल – जे उद्योग आइ चलि रहल अछि ओकरो सभक हालत बहुत नीक नहि छैक। उत्पादन मोल आ बाजार मोल में सामंजस्य स्थापित करय लेल दृष्टिकोण तक नहि छैक। तखन राम भरोसे हिन्दू होटल चलाबयवाला तर्ज पर वर्तमानमें उद्योग अपन गाड़ी खींचि रहल अछि। सरकारी तन्त्र अपनहि मजबूरिये मजबूर – लगानीकर्ता कर्जे तरे आ ब्यापारिक घाटे में मजबूर। जानि कहिया ध्वस्त भऽ जेतैक, लेकिन चिन्ता केम्हरौ कोनो तरहक नजैर नहि अबैत छैक। यदि बिजली आ डिजल उद्योग लेल सुलभ दर पर प्रचूरता संग उपलब्ध नहि हेतैक तऽ दिनानुदिन समस्या बढबे करतैक तेहेन आशंका छैक। वैश्विक परिवेश में अविकसित राष्ट्र केर उद्योग नीति आ उद्योग के परिस्थिति अनुकूल पोषण करब अत्यन्त आवश्यक देखैत छैक। वर्तमान नेपाल सरकार के अवस्था एहेन छैक जे राजनीतिक समस्याके निदान करबा सँ कहियो फुर्सते नहि भेटलैक अछि, तऽ उद्योगक विकास लेल कोनो नव सोच वा कार्यक्रम कि प्रवेश करौतैक? तदापि वर्तमान उद्योग मंत्री के सद्‌प्रयास सुनैत आयल छी जे सरकारी कारखाना सभ के पुनरुत्थान लेल ओ प्रतिबद्ध छथि। विराटनगर जुट मिल केर ठेका प्रथा में भारतीय लगानीकर्ता वा नेपाली लगानीकर्ता द्वारा चलबेबाक योजना छैक। तहिना जनकपुर चुरोट कारखाना के विषयमें सेहो अपुष्ट समाचार भेटैत रहल अछि। सहजहि अनुमान लगायल जा सकैत छैक जे पुरान उद्योग बीमार आ मृत अवस्थामें सरकार लेल मथदुखी बनल छैक, नव लेल सोच कतऽ सऽ बनतैक? बिजलीके उत्पादन के संभावना रहितो जाबत ओहि विन्दु पर कोनो ठोस कदम नहि उठायल जायत, नेपालमें उद्योग दिन ब दिन रुग्ण होइत रहत। श्रम-नीति एकपक्षीय नहि बल्कि उद्योगके अवस्था अनुरूप सेहो बनबाक चाही जाहि सँ परिस्थिति बिगड़ला पर आकस्मिक निवारण के कदम उठायल जा सकैक। ईमानदारी सऽ नीति-निर्माण आ नियमन होयब परम जरुरी। भ्रष्टाचारी उन्मूलन लेल जे कदम डा. बाबुराम भट्टराई के सरकार उठौने छल से जारी रहबाक चाही। नौकरशाही आ राजनीति में सामंजस्य हेबाक चाही, एक-दोसर पर वार-प्रतिवार कयला सऽ राष्ट्र के विकास अवरुद्ध होयब स्वाभाविके छैक। भंसार नीति नेपाल के आन्तरिक संरचना अनुरूप आ भारतीय बाजार में प्रतिद्वंद्वी बनल रहैक अनुसार बनायब जरुरी। कच्चा पदार्थ पर भंसार सुविधा प्रदान करब उद्योग विकास लेल एकदम जायज छैक आ ओकर दूरगामी असर सेहो पड़तैक। उत्पादनशीलतामें वृद्धि लेल जगह-जगह पैकेज में आकर्षक उद्योग नीति के शुरुआत एक बेर फेर नेपालमें उद्योगक विकास लेल जरुरी छैक।

मिथिला के विशिष्ट माछ आ मखान – एहि दू के उद्योगरूप में परिवर्तित करब परम आवश्यक छैक। मिथिला क्षेत्रक विशिष्ट कृषि उत्पादनकेँ प्रोसेसिंग करैत विश्वमें बाजार करब जरुरी। मिथिलाके शीप मिथिला पेन्टिंग व सिक्की द्वारा निर्मित विभिन्न कलाकृति सभके बाजारीकरण बहुत पैघ लाभ अर्जित करऽ के क्षमता रखैत छैक। नहि सिर्फ स्वदेशमें बल्कि विदेशमें सेहो एकर नीक माँग एहि बात के समर्थन करैत छैक। एकर अलावे पर्यटन उद्योगमें सेहो मिथिला क्षेत्र के नीक योगदान भऽ सकैत छैक। एहि ठाम के खानपान विश्वमें प्रसिद्ध छैक। एकर बाजारीकरण करैत बहुत उपलब्धिमूलक काज कैल जा सकैत छैक। मुदा एहि सभके लेल सेहो सरकारी निकाय के ध्यानाकर्षण जरुरी छैक। आर तऽ आर, आइ संसारमें शिक्षा संस्थान सेहो उद्योग के रूपमें रुपान्तरित भेल जा रहल छैक। निःसंदेह एहेन रूपान्तरण लेल नया-नया ईन्जिनियरिंग व मेडिकल संस्थान के संग-संग मैनेजमेन्ट कोर्सेज पढाबयवाला विकसित संस्थान जे विश्व स्तरीय हो, एहेन संस्थान के निर्माण करैत मिथिला के गरिमापूर्ण इतिहास जे जनकजी सँ सिखबाक लेल दूर-दूर सऽ लोक आबय जाहिमें शुकदेवजी सेहो छलाह तेकरा चरितार्थ कैल जा सकैत छैक। एहि तरहक संस्थान में नहि केवल नेपाल के छात्र-छात्रा अध्ययन करत, बल्कि भारतीय क्षेत्र सँ सेहो लोक एहिठाम आबि उच्च विद्या अध्ययन करत। एहि तरहें मिथिला क्षेत्र लगायत समूचा नेपाल के उत्तरोत्तर प्रगति निश्चित अछि।

हरिः हरः!

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“बालोऽहं जगदानन्द! न मे बाला सरस्वती। अपूर्णे पञ्चमे वर्षे वर्णयामि जगत्त्रयम्॥”

अर्थात हे जगतपति, हम बालक अवश्‍य छी मुदा हमर सरस्‍वती बालिका नहि छथि, हमर बैस एखन पांच साल क नहि भेल अछि, मुदा हम जगत क वर्णन करि सकैत छी- शंकर मिश्र क अनमोल वचन।

स्रोत: ईसमाद (www.esamaad.com) जतय अहाँ बहुत किछु मैथिली में पढि सकैत छी – समाद, विचार समाचार हाट-बाजार फोटो खेल संपादकीय फीचर ई पेपर चित्रालय साक्षात्‍कार Posts Comments आ आरो बहुत किछु!

एहि समाद पर इ-पेपर सेहो अछि आ एकरा चलाबय में खास भूमिका निर्वाह कय रहल छथि मैथिलानी सभ। कतेक प्रसन्नता भेटत जखन अहाँ अपन गाम के समाचार सभ अपन भाषामें पढब! एतबा नहि – ई सभ मिथिला के हरेक मुद्दा के जैर सऽ कोरैत छथि… ऊपरे-ऊपर छूबय के आदैत हिनका सभ में नहि छन्हि। जेना काल्हिक हमर एक पोस्ट ‘मिथिलावादी राजनीति के स्वागत करू’ पर आशीष झा आ कुमुद सिंह दुनू गोटा सम्भ्रान्त रूपमें कहय लगलाह जे उद्योग के विकास करनिहार वर्ग के तऽ एहिठामक तथाकथित नेता सभ मैर-पीट-झगड़ा-फसाद आ मजदूरके नाम पर राजनीति कऽ के भगा देलनि… तखन विकास करत के? अपनो केओ ठाड़्ह होइतय से कहाँ अछि? दोसर जे बाहर सऽ आओत से केकरा बले… कथीके भरोसे? तखन विकास-विकास खाली हल्ला मचेला सऽ काज चलत?

भाइ! हमरा तऽ बहुत नीक लागल हिनका लोकनिक चिन्ता आ चतुराई दुनू। सचमें! जखन अहाँ लगानीकर्ताके माहौल देबैक तखन ने आर्थिक विकास करबाक लेल ओ अहाँके क्षेत्र में आयत? तखन ने रोजगार के अवसर नव-नव बनत? बाहर जे आइ बाले-बच्चे पराइत छी से नहि पलायन करय परत? एहि सभ लेल सेहो हमरे अहाँ के सोचय पड़त, छै कि नहि?

हरिः हरः!

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१७ जुलाई २०१२

धन्यवाद पिंकी! अहाँके कलम सँ निकलल रक्तिम् भाव जे दरभंगा द्वारा पटना के बुनियाद ठाड़्ह करय के बयाँ कयलक अछि एहि सँ हम सहित बहुतो हमरे सन के नवतुरिया मैथिल लाभान्वित भेलथि आ आगुओ हेता से विश्वास अछि। बहुत सुन्दर आलेख आ आँखि खोलयवाला अछि।

http://www.esamaad.com/opinions/2012/07/10582/

दरभंगा महाराजक कीर्ति महान्‌ छन्हि आ समूचा भारत संग विदेश में सेहो छन्हि। कहबी छैक जे कीर्तिमें त्याग रहैछ तऽ ओ अमरता प्राप्त करैछ। अवश्य! सुधीर झा के पाँति संग अहाँ के उपरोक्त आलेख अत्यन्त महत्त्वपूर्ण अछि।

एहि सँ नव आन्दोलन जरुर ठाड़्ह होयत। पटना के पटल पर मिथिलाके प्रतिनिधित्व कयनिहार के आत्मविश्वास आब आत्मशक्तिके रूपमें निरूपित होयत आ अहाँकेर जायज माँग जे दरभंगाके योगदान लेल सेहो पटनामें शिलालेखन, सड़क नामकरण, मुर्ति अनावरण आदि अवश्य कैल जायत से हमर हृदयके विश्वास अछि।

लेखनी होय तऽ एहेन जेकर प्रभाव सभ पर पड़य। ईसमाद के प्रयास सदिखन सार्थकता के पर्याय बुझाय लागल अछि। आत्मविश्वास सऽ भरल ई-समाद के समस्त टीम के हार्दिक धन्यवाद आ सुन्दर भविष्य के शुभकामना।

हरिः हरः!

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सुने आशुतोष आ तोरा समान एहि मैथिलीके फोरम पर अन्य भाषा के निरन्तर उपयोग करनिहार सभ भाइ-बहिन। तों सभ केओ आन थिकें से बात नहि छैक। सभ अपनहि परिवार के अनुज सभ थिकें… अनुज एहि लेल कहि रहल छियौक कारण इन्टरनेट के प्रयोगकाल सऽ हम एहि संसारमें पदार्पण करैत अपन श्रेष्ठ सभ संग बेसी अन्तर्क्रिया करैत जनैत छियौ। तखन किछु श्रेष्ठ सभ सेहो तोरे सभ जेकाँ देखावटी के सहारा लैत छथुन, निःसन्देह, हुनकहु सभ लेल संदेश प्रेषित करय चाहबौ जे तों वा ओ जे केओ मैथिली फोरम पर अन्य भाषा के प्रयोग करैत छें ओ बिलकुल मैथिलीविरोधी मानसिकताके प्रदर्शन करैत छें आ मैथिली के प्रचार-प्रसार-प्रयोग विरुद्ध ठाड़्ह होइत मिथिलाके दुश्मन बनैत छें। याद राख! तोरे सभ सन छुद्र बुद्धि के लोक सभ मैथिली के कमजोर बनेलकैक आ पद पर पहुँचैत मैथिलीके आरो ताखपर रखलकैक… एतेक तक जे अपन संतान के मैथिलीके शिक्षा तक नहि देलकैक – नहिये घरमें प्रयोग केलकैक… भले टूटले सही बजलकैक हिन्दी… शान-सोगारथ के मान देखलकैक आ मैथिलीके बहुत नोकसानी पहुँचेलकैक। तोरा अंग्रेजी बाजक छौ ताहि लेल कोनो शिकायत नहि, ताहि लेल ओहने फोरम के प्रयोग कर। एतहु कर, लेकिन अनिवार्यता देखि के। तोहर एक आरो आदैत बड़ समस्यावाला बुझैत अछि – थेथरै देखबैत रहैत छें, ई सभ बन्द कर। आ नहि तऽ हम तोहर कोनो अभिभावक के श्रेणीमें आभासी फोरम सऽ शासन नहि कऽ सकैत छियौक। बस सम्हरय लेल शिक्षा मात्र दऽ सकैत छियौक। सुधरमें तऽ एक लाख, बिगड़में तऽ दू लाख। 

हरिः हरः!

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१८ जुलाई २०१२

शहीद के प्रणाम!

मिथिला के ओ हर कीर्ति महान्‌
हे शहीद अहाँ के शत्‌ प्रणाम!

करी शत्‌ प्रणाम जगदम्ब नाम
करी शत् प्रणाम अवलम्ब नाम 
बलिदान अहाँ के मिथिला त्राण
हे शहीद अहाँके शत्‌ प्रणाम!

मिथिला के ओ हर कीर्ति महान्‌
हे शहीद अहाँके…

अछि ईशक भूमि मिथिला महान्‌
बनय सत्य धर्म अतिथि समान
तैर गेल अहाँके आत्मा नाम
हे शहीद अहाँके शत्‌ प्रणाम!

मिथिला के ओ हर कीर्ति महान्‌
हे शहीद अहाँके…

भले केओ कतबो कंठक धसान
बनि अक्खज आयू विदेहक गाम
मिलि गेल अहाँके हर एक प्राण
हे शहीद अहाँके शत्‌ प्रणाम!

मिथिला के ओ हर कीर्ति महान्‌
हे शहीद अहाँके….

मिथिला राज लेल शहादति देनिहार प्रति समर्पित!
अखण्ड संसार मिथिला के राज!

हरिः हरः!

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१९ जुलाई २०१२

निर्गुण:

मनक चालि किछु कहलो न जाई
देखब कोना मोर दोष!

स्वच्छ हृदय आ निर्मल तन में
कर्णप्रिय ध्वनि सुदृष्टि लोचनमें
देखब कोना मोर दोष हे भाई
देखब कोना मोर दोष!

मनक….

अपन टेटर अछि कंठक धोंधरि
दोष छुपल अछि पीठ पछोतरि
भरल विकार ई पेटक पोखरि
देखब कोना मोर दोष हे भाई
देखब कोना मोर दोष!

मनक….

हाथ निकम्मा लुरि न जाने
पैर लोथ मोरा घुरि न फाने
डाँड़्ह मनक टन कूथि काने
देखब कोना मोर दोष हे भाई
देखब कोना मोर दोष!

मनक….

नाकक गति दुर्गन्ध बेहाले
खटगर-मिठगर जिह्वा चाटे
स्वाँस गति सध द्वंद्व खेहारे
देखब कोना मोर दोष हे भाई
देखब कोना मोर दोष!

मनक….

हृदय एक बस ईशक वासे
नेह जोड़ि बस हुनकहि खासे
Paral nirantar Sharanak aashe
Dekhab kona more dosh hey bhai
Dekhab kona more dosh!

मनक चालि किछु कहलो न जाई
देखब कोना मोर दोष!

Harih Harah!

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गीत: (किछु सुधार सहित)!

गुदी-गुदी-गुदी! हि-हि! हि-हि! हि-हि!
गुदी-गुदी! हि-हि! हि-हि!
(कोरस स्वरमें आ तेकर बाद पुरुष/नारी स्वरमें)

धिया-पुतामें सुताके ओकरा लगबै छल गुद-गुदी..
आब जबनका बाजि चुटूक्का लगबै छै गुद-गुदी..

हे देखू! देखू कोना के छूटय गुदगुदी!  – २

गुदी-गुदी-गुदी ….

कतबू जाय हकार पुरय लऽ, ओतहु छल गुदगुदी
मास्टर जाइते क्लासमें सेहो, लगबै छल गुदगुदी

बढैत उमेर सुनि-गुनि देखितो, पाबय छै गुदगुदी
चैलते फिरते सोचितो उठितो, लागय छै गुदगुदी

हे देखू! देखू कोना के छूटय गुदगुदी!  – २

गुदी-गुदी….

भेल जवान दू बच्चा के बापो, तैयो तकय गुदगुदि
घर जमाय छै बैसल तखनहु, चाही ओकरा गुदगुदि

बुढ-पुरान के सेहो देखियौ, रोकलो न जाय गुदगुद्दी
चीज एहेन ई सदिखन सभके, चाहैय छैय गुदगुद्दी…

हे देखू! देखू कोना के छूटय गुदगुदी!  – २

गुदी-गुदी…

फेसबुकिया के मैथिली चौक पर, सेहो छय गुदगुदी
ई जितमोहना जानि कि सोचि, बना देलक गुदगुदी

सभ जुवान के तानि कतियौने, करा रहल गुदगुदी
काज बिसैर के छौंड़ा-माँड़रि, ढाहि रहल गुदगुदी…

हे देखू! देखू कोना के छूटय गुदगुदी!

धिया-पुतामें …..

गुदी-गुदी…. हि-हि! हि-हि!

हरिः हरः!

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२० जुलाई २०१२

मिथिला के व्यथा: कि अहाँ सहमत छी? 

१. बहादुर कहियो काज करय सऽ डेराइत नहि छैक, लेकिन कमजोरी जखनहि मन के भीतर प्रवेश केलक कि करय सऽ पाछू भागब आ तेकर बादो बलजोरी बहादुरी देखायब – एहि परेशानी सँ जूझि रहल अछि सुन्दर मिथिला!

२. मिथिला के निर्माण आइ नहि भेलैक अछि, ई सनातनकालीन थिकैक। लेकिन एहि बात के भान रहितो आत्मविश्वास के कमी यत्र-तत्र-सर्वत्र देखैत छैक।

३. बहाना बनायब के अंग्रेज विद्वान्‌ अपराध मानने छैक, लेकिन मिथिला के विद्वान्‌ एकरा साहित्य के आड़िमें रखैत रचना के माध्यम सऽ समाज के हित होइत देखैत आयल छैक; एहि तरहें मिथिला पाछू चलि गेल, पछुआ आगू भऽ गेल।

४. आपसी एकता लेल भाषा आ संस्कृति मात्र आधार थिकैक – लेकिन भाषा दुनिया के लहक-चहक में समाप्तिके कगार पर छैक आ संस्कृति आडंबर में डूबला के कारण प्रायः समाप्ति के तरफ अग्रसर छैक… एहेन अवस्थामें मिथिला राज्य स्थापना मात्र एक अन्तिम उपाय के रूपमें देखैछ, लेकिन एहि लेल नेतृत्वकर्ता के आपसी मतभेद जानलेवा छैक।

५. इक्का-दुक्का वीर मैथिल के अदम्य साहस पर टिकल छैक मिथिला – एकरा प्रति आम जनमानस के मातृप्रेम जगाबय लेल आखिर कोन संजीवनी बुटी काज करतैक?

Harih Harah!

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२१ जुलाई २०१२

As decided on last Saturday – we are scheduled to meet today as on 10 am onwards at my residence in Ward No. 16 (Bakhari) – for the purpose of formation of working committee of volunteering organization to provide the humanitarian aid to the common and deprived people of our area and let this organization further grow through networking to the entire nation. Special attentions of Anil Mallik Niranjan Mallick Bipin Paswan Dimple Dev Priyanka Yadav Navin Karna Girish Chandra Karna Bipin Kr Verma Prabhat Verma Ram Chandra Mahto Jitendra Thakur Rambhajan Kamat Chandan Paul Januka Paudel Domi Kamat and all dear friends from Biratnagar invited to attend this meeting to start sharp by 10 am.

Best regards/Pravin

Harih Harah!

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२२ जुलाई २०१२

दैवी आ आसुरी सम्पदा: (गीता अध्याय १६) मैथिलीमें एना बुझू आ अवश्य बुझू! कल्याण हेतु एहि तरहें बुझब परम आवश्यक अछि। ॐ! 

भयके सदिखन अभाव, अन्तःकरणके पूर्णतया निर्मलता, तत्त्वज्ञान के लेल ध्यानयोगमें निरन्तर दृढ स्थिति आ सात्त्विक दान, इन्द्रियके दमन, भगवान्‌, देवता आ गुरुजनकेर पूजा तथा अग्निहोत्र आदि उत्तम कर्मकेर आचरण संगहि वेद-शास्त्रके पठन-पाठन तथा भगवान्‌के नाम आ गुणकेर कीर्तन, स्वधर्म पालन हेतु कष्टसहन आ शरीर तथा इन्द्रिय सहित अन्तःकरणके सरलता; मन, वाणी आ शरीर सऽ केकरो कोनो प्रकार के कष्ट नहि देनाय, यथार्थ आ प्रिय-भाषण, अपन अपकारो करयवाला ऊपर सेहो क्रोध नहि भेनाय, कर्ममें कर्तापनके अभिमानक त्याग, अन्तःकरणके उपरति अर्थात्‌ चित्तक चञ्चलताक अभाव, केकरो निन्दा आदि नहि करब, समस्त भूतप्राणीमें हेतुरहित दया, इन्द्रियकेर विषयके संग संयोग भेला उपरान्तो ओहिमें आसक्तिकेर अभाव होयब, कोमलता, लोक आ शास्त्रक विरुद्ध आचरण करबामें लाज करब और व्यर्थकेर चेष्टा सभके कमी राखब; तेज, क्षमा, धैर्य, बाहरक शुद्धि आ केकरोमें शत्रुभाव नहि राखब आ स्वयंमें पूज्यताक अभिमानके अभाव – ई समस्त दैवी सम्पदा सभ लऽ के उत्पन्न भेल पुरुष केर लक्षण थीक।

दम्भ, घमंड आ अभिमान के संग क्रोध, कठोरता आ अज्ञान सेहो – ई सभ आसुरी सम्पदा लऽ के उत्पन्न भेल पुरुष केर लक्षण थीक।

दैवी सम्पदा मुक्ति के लेल आ आसुरी सम्पदा बँधनेके लेल मान गेल अछि। एहि लोकमें भूतक सृष्टि यानि मनुष्य समुदाय दुइये प्रकार के होइछ। एक तऽ दैवी प्रकृतिवाला और दोसर आसुरी प्रकृतिवाला। एहिमें सँ दैवी प्रकृतिवाला केर विस्तारपूर्वक कहल गेल अछि, आब आसुरी प्रकृतिवाला मनुष्य समुदायके सेहो विस्तारपूर्वक सुनू।

आसुर स्वभाववाला मनुष्य प्रवृत्ति आ निवृत्ति – एहि दुनू के नहि जनैत अछि। एहि कारणे ओकरा में नहिये तऽ बाहर-भीतरके शुद्धि छैक, न श्रेष्ठ आचरण आ नहिये सत्य भाषण छैक। ओ आसुरी प्रवृत्तिवाला मनुष्य कहल करैत अछि जे जगत्‌ आश्रय बिना, सर्वथा असत्य आ बिना ईश्वरके, अपने-आप केवल स्त्री-पुरुष के संयोग सऽ उत्पन्न अछि, अतएव मात्र काम एकर कारण थीक। एकर सिवा आर कि? एहि मिथ्याज्ञान के अवलम्बन कयके – जेकर स्वभाव नष्ट भऽ गेल हो आर जेकर बुद्धि मन्द छैक, ओ सभक अपकार करनिहार क्रूरकर्मी मनुष्य सिर्फ जगत्‌ के नाश लेल समर्थ होइछ। ओ दम्भ, मान आ मद सँ युक्त मनुष्य कोनो प्रकार सऽ पूरा नहि होवयवाला कामना के आसरा लऽ के, अज्ञान सऽ मिथ्या-सिद्धान्त सभके ग्रहण कयके आ भ्रष्ट आचरण सभके धारन कयके संसारमें विचरन करैछ। संगहि ओ जाबत मरत ताबत तक रहयवाला चिन्ताके आसरा लै वाला, विषयभोग सभके भोगयमें तत्पर रहऽवाला आ ‘एतबी सुख थिकैक’ एहि अनुरूप माननिहार होइत अछि। ओ आशाक सैकड़ों फाँससँ बान्हल लोक काम-क्रोधके परायण भऽ कऽ विषय-भोग हेतु अन्यायपूर्वक धनादि पदार्थ सभ संग्रह करऽ के चेष्टा करैत अछि। ओ सोचैत रहैत अछि जे आइ हम ई प्राप्त कऽ लेलहुँ आ आब ओहि मनोरथके सेहो प्राप्त कय लेब। हमरा लग आइ एतेक धन अछि आ आगुओ आर होयत। फल्लाँ शत्रु हमरा द्वारा मारल (हरायल) गेल आर अन्य दोसर शत्रु सभके सेहो हम मारि (हराय) देब। हम अपने भगवान्‌ छी, ऐश्वर्यके भोगनिहार छी। हम सभ सिद्धि सँ युक्त छी आ बलवान्‌ एवं सुखी छी। हम बड़ धनिक आ बड़ पैघ कुटुम्बवाला छी। हमर समान दोसर के अछि? हम यज्ञ करब, दान देबैक आ आमोद-प्रमोद सेहो करब। एहि तरहें अज्ञानता सँ मोहित रहनिहार आ संगहि अनेको प्रकार सऽ भ्रमित चित्तवाला मोहरूपी जालसे पूर्णरूपेण घेरायल आ विषय-भोगमें बिलकुल चिपकल आसुर लोक महान्‌ अपवित्र नरकमें खसैत अछि। ओ अपनहि आप के श्रेष्ठ माननिहार घमंडी पुरुष धन आ मानके मदसँ युक्त भऽ कऽ सिर्फ नाममात्रके यज्ञ द्वारा पाखंड सऽ शास्त्रविधिरहित यजन करैत अछि। ओ अहंकार, बल, घमंड, कामना आ क्रोधादिके परायण आ दोसरके निन्दा करयवाला पुरुष अपन आ दोसरके शरीर में स्थित ओहि अन्तर्यामी सँ द्वेष करनिहार लोक होइछ। ओ द्वेष करनिहार पापाचारी आ क्रूरकर्मी नराधमके प्रभुजी संसारमें बेर-बेर आसुरी योनिमें मात्र पठबैत छथि। ओ मूढ प्रभुजीके नहि पाबि जन्म-जन्ममें आसुरी योनिके मात्र प्राप्त करैत अछि। फेर ओहो सऽ अति नीच गतिकेँ प्राप्त करैत अछि, अर्थात्‌ नरकमें पड़ैत अछि।

काम, क्रोध आ लोभ – ई तीन प्रकारके नरक के द्वार आत्माके नाश करयवाला अर्थात्‌ ओकरा अधोगतिमें लऽ जायवाला होइछ। अतएव एहि तिनू के त्यागि देबाक चाही। एहि तिनू नरकके द्वारसँ मुक्त पुरुष अपन कल्याणके आचरण करैछ। एहि सँ ओ, परमगतिमें जाइछ, अर्थात्‌ प्रभुजीके प्राप्त करैछ। जे पुरुष शास्त्रविधिकेँ त्यागि अपन इच्छा सऽ मनमाना आचरण करैत अछि, ओ नहिये तऽ सिद्धिके प्राप्त होइछ आ नहिये परमगतिके आ नहिये सुख के। अतः हमरा सभके लेल एहि कर्तब्य आ अकर्तब्यके व्यवस्थामें शास्त्र मात्र प्रमाण अछि। एना बुझि हम सभ शास्त्रविधिसँ नियत कर्म मात्र करय योग्य छी।

ॐ तत्सत्‌!

हरिः हरः!

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आवारा छोटका

बड़ होशियार बनैछ… किऐक तऽ आब ओ पत्रकार बनि गेल अछि। ओकरा अपन बुद्धि के बहुत दावी, किऐक तऽ पत्रकार बनलाके बाद ओ अपन घरके खूब कुचेष्टा करैत अछि आ से बात मगह के लोक के बड़ नीक लगैत छैक… तऽ ओकरा बीचमें बैसेने रहैत छैक आ घरके जतेक डोबरा-खत्ता सभ छैक से उपछबैत रहैत छैक। गाम सऽ जेना ओ बहिष्कृत हो… अपनहि घरके बहुते बात घरके दुश्मन सभके सुनबैत रहैत छैक। बदलामें ओकरा कि भेटैत छैक… जे आब अहाँ सूर्योदय प्रकाशन समूह के हवलदार बनि गेलहुँ… बस कन्हा कुकूर माँड़हि तिरपित। लेकिन बाबु-माय-भाइ कतेको बुझबैत छथिन जे हे बौआ अपन घर के खीस्सा दोसर के नहि सुनाबी… एहि सऽ दोसर अप्रत्यक्ष अहीं के खिद्दांश करत। बौआ के सिंग में एतेक तेल चोपकैर देने रहैत छैक मगही शैतान जे बौआ घोर-अघोर सभ काज करय लेल उतारू रहैत अछि। बहुत दिन जखन बितल आ आब छोटका के बियाह के बेर भेलैक तऽ मगह के कनिया कऽ ले से कहैत बहरिया दुष्ट फेर एक बेर नवका षड्‌यन्त्रके शिकार बनेलक छोटका के। अन्ततोगत्वा छोटका के कनियाँ मोकामा घाटवाली जखन बियैह कऽ कोसी आबि गेलीह तखन शुरु भेल गंगा एहि पार आ ओहि पार के द्वंद्व।

क्रमशः….

हरिः हरः!

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२३ जुलाई २०१२

आइ फेर एक बेर भिनसर सऽ दू-दू जगह दहेज के कारण महिला ऊपर अत्याचार के बात सोझाँ आयल – एक भैरवस्थानके हैंठीवाली गाम कोनो उच्चकूलीन परिवारमें सेहो दहेज के कारण एक महिला के घर सँ बाहर करबाक समाचार देखलहुँ तऽ एखन तुरन्त हिन्दुस्तान के बिहार अंकमें निम्न लिंक पर एक महिला पर बर्बर अत्याचार के संग जरा कऽ मारय के बात पढि देह सिहैर गेल। सोचय पर मजबूर भऽ गेलहुँ जे सचमें लोक के दहेज के एतेक माँग रहैत छैक जे विवाहोपरान्त सेहो ओ अपन अंग लगायल महिला के नहि छोड़ैत अछि… अवस्था एतेक बिगैड़ जाइत छैक जे कतेको तरहें समाज प्रदूषित होइछ। हलाँकि दहेज के कानून कड़ा रहलाके कारण अक्सरहां केस में फरेब सेहो रहैत छैक… लेकिन तैयो तऽ आखिर परिवारमें कतेको महिला के उत्पीड़न होइते छैक।

निम्न समाचारमें पढलहुँ जे परिवार के सदस्य घटनाके अंजाम देला के बाद फरार छैक। कारण कि?

हैंठीवालीमें जे बात सुनलियैक ओहो चौंकाबयवाला छैक… एक ब्राह्मणके परिवारमें एहेन तरहक घटना… हमरा अपच भऽ रहल अछि। एक संस्कारी परिवारमें सेहो एहि तरहक महिलापर अत्याचार?? अहाँ सभ विश्वास कऽ सकैत छी??

आ कि बस कानून के दुरुपयोग मात्र थिकैक ई सभ?

हरिः हरः!

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२४ जुलाई २०१२

एहिमें पिंकी के कोन दोष?

“बात ई नहि छैक जे ओ अपन मने विवाह कय लेलक, सिर्फ एहि पर सोचू जे पिंकी जाहि तरहें एतेक उच्च परिष्कृत शिक्षा ग्रहण कयलक आ तेकर बादो पिता के परेशान होइत देखलक तऽ ओ करबे कि करितय? ओकर मजबूरी के आखिर किऐक नहि सोचि रहल छी अहाँ सभ? यदि ओ समय नहि देने रहैत तखन आइ केओ कहि सकैत छलैक जे कुल-खानदान के मर्यादा के उल्लंघन करैत पिंकी अनजाती-अनमूला आ ओहो जतय विवाह लेल हमरा लोकनिक पूर्वज सोचितो नहि छलाह ताहिठाम के लड़का के संग विवाह कयलक…” तामशे लाल मुदा वचन होशियारी सऽ निकालि रहल छल गुणा बाबु! अपन समाज के लोक सभ एक तरफ भीड़ लगौने देखि अपन बहिन के पक्ष लऽ रहल छल ओ। ओकर अवस्था एहेन छलैक जे नहि तऽ एम्हर आ नहिये ओम्हर। बस किंकर्तब्यविमूढ अवस्थामें छल… लेकिन कैल कि जा सकैत छैक … ई सोचि अपन पिता के झूकल माथ के पुनः समाज के चाप विरुद्ध ठाड़्ह होयबाक लेल अथक प्रयास कय रहल छल गुणा।

समाज के लोक सेहो चुप छल। लेकिन के रोकि सकलैक अछि आइ धैर अधलाही गामवाली के…? ओ तऽ सगरो गाम में घूमि-घूमि बुझू तऽ चिकैरते बजने फिरल जे गै दाइ गै दाइ… गै कोन जमाना आबि गेलौ गै दाइ… आब तऽ बाबुसाहेब के बेटी सभ एहेन काज करय लगलौ गै दाइ। बाबुसाहेब के सेहो बस गामहि के चिन्ता। आखिर कोना मुँह देखायब लोक के! काल्हि धरि तऽ शान छल जे गरदैन केकरो आगाँ नहि झुकल… मुदा ई कि? बेटीके पढा-लिखा के डाक्टर बनेलहुँ जे ई मिथिलाके शान बनत आ अपन मिथिला नगरिया के शोभा बनत… आ आइ एहेन दिन आबि गेल जे मिथिला सऽ बहुत दूर भदेसके लड़का संग विवाह कयलाक बाद पिंकी फिल्मी स्टाइलमें ‘पापाजी! आशीर्वाद दऽ दियऽ हमर सभके कहि सीनाजोड़ी करय लागल अछि। दलान पर जाबत ई सभ नाटक होइत रहल आ एम्हर अधलाही गामवाली समूचा गामके बाले-बच्चे-बुढे-स्त्रिगणे-पुरुषे नोति अयलीह… जाहि सऽ भीड़ आरो उग्र बनि गेल छल बाबुसाहेब के दलान के आगू…. बड़ा विचित्र परिस्थिति छल।

लेकिन गुणा के बात सुनला के बाद किछु युवा आ किछु युवती सेहो सभ हिम्मत केलक। ओहो सभ गुणा के संग ठाड़्ह भेल। पिंकी काल्हि तक सभक आदर्श के रूपमें छल… गामके विद्यालय सऽ पढितो जाहि तरहें मेडिकल फेस करैत भारतके सर्वोत्तम संस्थान सऽ एमबीबीएस आ तदोपरान्त एमडी आदि पढैत अपन अवस्थाके तीसम वर्ष अपनहि अध्ययनरत्‌ संस्थानक सहपाठी संग जीवन संग जीबाक लेल स्वनिर्णय सऽ विवाह कयली एहि प्रश्न पर गाममें थूक्कम-फझीता होवय लागल छल… लेकिन युवामें एहि बात के भान छलैक जे पिंकी के दोष केवल एहि लेल नहि जे बाबुसाहेब पढाई पर एतेक लाख टाका खर्च कयने छलाह आ जतय पिंकी के लेल लड़का तकैत छलाह तऽ आगू दहेज में कम से कम पचास लाख के माँग उठैत छल। बेटा कोनो मैथिल के डाक्टर बनि गेल तेकरा लेल दहेज के पचास लाख… आ बेटी डाक्टर बनि गेल तऽ धैन सन्! हाय रे समाज! हाय रे मिथिला! दहेज के कोढि एहेन फूटल छैक जेकर अन्त नहि देखा रहल अछि। युवा सभ में प्रतिक्रियास्वरूप पिंकी के तरफदारी देखाय लागल समाज में। अधलाही गामवालीके बेटा के बर्दाश्त सऽ बेसी भऽ गेलैक, ओ अपन माय के डेन पकैड़ हंटौलक आ सिधा अंगना लऽ जाय कहलक जे एक बेर आब तों बाहर निकलमें तऽ ई नहि बुझबौ जे माय थिकें… टाँग तोड़िके राखि देबौक। समाज में जे कोढी लागल छौक ताहिपर किछु बजले नहि होइत छौक… आ… !

एतबा में पिंकी अंगना सऽ बाहर निकैल हाथ जोड़ने सभ संग विनती करय लगली। बाबा-काका-भैया-बौआ-नुनू आ समस्त गामवासी… अपने लोकनि धैर्य राखू। हमर पिता के समस्त मान के नीक जानकारी हम रखने छी। हमर पिता के माथ के पगड़ी के हम मिथिलेमें रहि के उच्च राखब। हमर विवाह हम मिथिलावासी के मुँहतोड़ जबाब देबाक लेल केलहुँ अछि आ विवाह पूर्व शर्त लगेने छी अपन पति सँ जे … हुनको हमरा संग जीवन-निर्वाह लेल अपन व्यवसायिक जीवन सहित मिथिलामें सेवा करय पड़तनि। लेकिन जहाँतक बात छैक जाति-मूल-गोत्र आदि के – ताहि में विज्ञान अनुरूप हम सभ एक-दोसर के पति-पत्नी बनयमें सक्षम छी से विचारने रही, हमर पतिके परिवार सँ सेहो एहि विषयमें निर्णय लेने रही आ हमर ससूर-सासु सेहो मिथिले में अपन प्राण अन्त करब कहि हमर अंग लगौलनि। तदापि यदि अहाँ सभ के हमर निर्णय सऽ दुःख अछि तऽ हमरा जे सजाय देब हम ग्रहण करय लेल सहर्ष तैयार छी।

समस्त समाज चौंकि गेल! समस्त युवा के देह सिहैर उठल। बाबुसाहेब चुप रहितो अचानक अपन गर्दैन पहिले सऽ किछु बेसिये उच्च करैत बेटीके तरफ विस्मित होइत देखय लगलाह। आ पिंकी सहज सुन्दर मुस्कान संग सभ के निहारैत रहली आ अपन आगामी मिथिला सेवा लेल प्रतिबद्धता प्रकट करैत रहलीह। समस्त गाम के आँखिमें नोर भरि गेल आ बस सभके मुँह सऽ एतबी जे बेटी हो तऽ पिंकी जेहेन! 

हरिः हरः!

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२५ जुलाई २०१२

सभ सब के काज अढौतै, तखन कहू जे काज के करतय
नेता-नेता ताकू कहतय, तखन कहू फेर राज के करतय

मारामारी हरदम करतय, तखन एकता कोनाके बनतय
दोसरक बात दुषिते रहतय, फेर गलत जे केना सुधरतय

पित्त खराब वात बहेतय, शान्ति समाजमें कहिया एतय
क्रोधक खंझर पीठ धँसेतय, टूटल भाइ फेर केना उठेतय

नित नया संगठन बनेतय, नित नया चिन्ता जे करतय
दिवस चारि चन्दा चमकेतय, स्नेह-ज्योति कोना पसरतय

मिथ्याचार आ अहं-आडंबर, जड़ल जुन्ना ऐँठन रखतय
एनामें कहियो राजो बनतय, केओ कदापि सँगो अउतय

हरिः हरः!

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अविश्वसनीय सत्य:

माँ जगदम्बा के पवित्र प्राँगणमें सदिखन बसय मन
माँ के आशीर्वाद सऽ सदिखन चमकय ग्रामीण गण!

जीवनमें आब तेइसम वर्ष रोजगार संग जीबाक चलि रहल अछि आ मिथिला के एक सेवक के रूपमें आउ परिचय कराबी अहाँ सभकेँ एहि पवित्र मन्दिर सँ।

ई भेल कुर्सों दुर्गास्थान जेकर संरक्षण लेल जिम्मेवार छथि कुर्सों दक्षिणबाड़ि ड्योढि – एहि तरहक दू आर सुप्रसिद्ध धार्मिक संस्थान के जिम्मा क्रमशः कुर्सों उत्तरबाड़ि ड्योढि आ कुर्सों-दसौत ड्योढि के द्वारा सेहो कैल जाइछ श्रीरामजानकी मन्दिर आ श्रीराधेकृष्ण मन्दिर के!

एहि भगवतीस्थानमें हमरा लोकनिक आत्मा वसैत अछि कारण मैया के साक्षात्‌ कृपा के दर्शन अनेको बेर भेल अछि। हमर आँखिक देखल अछि जे जहिया संरक्षणकर्ता एहि मन्दिर के फूसक चार के उतारि खपड़ा चढौलनि तऽ भगवती के आशीर्वाद सऽ अपनो घर पर खपड़ा चढलैन… फेर मैयारानीके मन्दिर पक्का के बनलैन तऽ सभके घर पक्का के बनि गेलैन। आइ मैया मन्दिर चमैक रहल अछि, ड्योढिके संग गाम सेहो चमचमा रहल अछि। अहाँ सभ के यदि मौका भेटय तऽ एहि पवित्र भूमि पर जरुर दर्शन करय लेल पहुँची।

हरिः हरः!

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२६ जुलाई २०१२

आवश्यक व्यावहारिक मन्त्र

रक्षा (सूत्र) बन्धन मंत्र:

येन बन्धो वली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।

तेनत्वाप्रतिवध्नामि रक्षे माचल माचलः॥

कुशोत्पाटन:

कुशाग्रे वस्ते रूद्रः कुशमध्ये तु केशवः।

कुशमूले वसेद्‌ ब्रह्मा कुशन्मे देहि मेदिनी।

कुशोऽसिकुशपुत्रोऽसि ब्रह्मणा निर्मिता पुरा।

देवपितृ हितार्थाय कुशमुत्पाट्याम्यहम्‌।

चौठचन्द्र:

सिंहः प्रसेनवमवधीत सिंहो जाम्बवताहतः।

सुकुमारक मारो दीपस्तेह्यषव स्यमन्तकः॥

चौठचन्द्र (चौरचनमें) हाथ उठा चान के प्रणाम करबाक मन्त्र:दधिसंखतुषाराभम्‌ क्षीरोदार्णव सम्भवम्‌।

नमामि शशिनं भक्त्वा संभोर्मुकुट भूषणम्‌॥

उल्का भ्रमण:

शास्त्राशस्त्रहतानांच भूतानांभूत दर्शयोः।

उज्ज्वल ज्योतिषा देहं निदहेव्योमवह्निना॥

अग्निदग्धाश्च ये जीवा येऽप्यदग्धाः कुले मम।

उज्ज्वलज्योतिषा दग्धास्ते यान्तु परमाङ्गतिम्‌॥

यमलोकं परित्यज्य आगता महालये।

उज्ज्वलज्योतिषा वत्मं पश्यन्तो व्रजन्तुते॥

अगस्त्यार्घदान:

कुम्भयोनिसमुत्पन्न मुनीना मुनिसत्तम्‌।

उदयन्ते लंकाद्वारे अर्घोऽयंप्रतिगृह्यताम्‌॥

शंख पुष्पं फलं, तोयं रत्नानि विविधानि च।

उदयन्ते लंकाद्वारे अर्घोऽयंप्रतिगृह्यताम्‌॥

अगस्त्य-प्रार्थना:

आतापि भक्षितो येन वातापि च महाबलः।

समुद्र शोषितो ये न स मेऽगस्त्य प्रसीदत्‌॥

अनन्त भगवान्‌ पूजन मन्त्र:

ॐ अनन्त संसार महासमुद्रे मग्नासया अभ्युद्धर वासुदेव।

अनन्त रूपे विनियोजयस्य अनन्त रुफायनमोनमस्ते॥

देवोत्थान (देवउठाउन एकादशी पूजन मन्त्र):

ब्रह्मेन्द्ररुद्ररभिवन्द्यमानो भवानुषिर्वन्दित वन्दनीयः।

प्राप्ता तवेयं किलकौमुदाख्या जागृष्व जागृष्व च लोकनाथ॥

मेघा गता निर्मल पूर्णचन्द्रः शारद्यपुष्पाणि मनोहराणि।

अहं ददानीति च पुण्यहेतो जागृष्व च लोकनाथ॥

उत्तिष्ठोतिष्ठ गोविन्द त्यज निन्द्रां जगत्पते।

त्वय चोत्थीय मानेन उत्थितं भुवनत्रयम्‌॥

घटदान विधि:

ॐ वरिपूर्णघटाय नमः। – ३

ॐ ब्राह्मणाय नमः। – ३

ॐ अद्येत्यदि मेषार्क संक्रमण प्रयुक्तपुण्याहे अमुकगोत्रस्य पितुः (गोत्राया मातु) अमुक शर्मा (देव्या) स्वार्गकामः (कामा) इमं वारिपूर्ण घट यथानामगोत्राय ब्राह्मणाय अहंददे। ॐ अद्यकृतैत् वारिपूर्णघटदान प्रतिष्ठार्थम्‌ एतावद्‌द्रव्यमूल्यक हिरण्यमग्निदेवतं यथानामगोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणां महंददे।

दूर्वाक्षत मन्त्र:

ॐ आब्रह्मन्‌ ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसौ जायतामाराष्ट्रे राजन्यः शूर इषवोऽतिव्याधि महारथी जायताम्‌ दोग्ध्री धेनुर्वोढाऽनड्‌वानाशुः सप्ति पुरन्ध्रिर्योषा विष्णुरथेष्ठा सभेयो युवाऽस्ययजामानस्य विरोजायताम्‌ निकामे निकामे नः पर्ज्जन्यो वर्षतु फलवत्यो न ओषधयः पच्यन्ताम्‌ योगक्षेमोन कल्पताम्‌ मन्त्रार्थाय सिद्धयः सन्तु पूर्णा सन्तु मनोरथा शत्रुणां बुद्धिनाशोस्तु मित्राणामुदयस्तव।

वाजसनेयी धारण यज्ञोपवीत मन्त्र:

ॐ यज्ञोपवीतम्‌ परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत सहजं पुरस्तात्‌।

आयुष्यमग्रयं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतम्‌ बलमस्तुतेजः॥

छन्दोग: ॐ यज्ञोपवीतमसि यज्ञस्य त्वोपवीतेनोपनह्यामि।

संक्षिप्त वैतरणी दान:

ॐ कृष्णगव्यै नमः। – ३

ॐ ब्राह्मणाय नमः। – ३

ॐ वष्मे वर्षति शीते वा मारुते वाति वा भृषम्‌। दातारं त्रायते यस्मात्तस्माद्वैतरणी स्मृता। यमद्वारे महाघोरे कृष्णां वैतरणी नदी। तासन्तर्तुन्ददाम्येनं कृष्णां च गाम्‌। इति पठित्वा कूशत्रयतिलजलान्यादाय – “ओमद्यामुकगोत्रस्य पितुरमुकशर्मण यमद्वार स्थित-वैतरणीनदी सुखसन्तरणकाम इमां कृष्णांगांरुद्रदैवताममुकगोत्रायऽमुक शर्मणे ब्राह्मणाय तुभ्यमेहं सम्प्रददे।” ॐ स्वस्तीति प्रतिवर्चनम्‌। ओमद्य कृतैस्तत्‌ कृष्णगवीदानप्रतिष्ठार्थमेतावद्‌द्रव्यमूल्यक हिरेण्यमग्निदैवतम्‌ – दक्षिणा प्रतिग्रहीता ॐ स्वस्तीत्युक्त्वा गोपुच्छं गृहणान्‌ यथा सांखं कामस्तूति पठेत्‌। गोसन्निधाने ॐ एतावद्‌द्रव्यमूल्यक कृष्णगव्यै नमः पूर्ववत्‌।

संक्षिप्त दाह संस्कार:

कर्ता स्नान कय नूतनवस्त्रादि पहीरि पूर्वमुँह बैसि नूतनमृत्तिका पात्रमें जल अभिमंत्रित करैथि – ॐ गयादीनि च तीर्थानि ये च पुण्याः शिलोच्चयाः। कुरुक्षेत्रं च गङ्गा च यमुनां च सरिद्वराम्‌॥ कौशाकि चन्द्रभागाञ्च सर्वपापप्रणाशिनीम्‌॥ भद्रावकाशां सरयू गण्डकी तमसान्तया। धैनवञ्च वराहञ्च तीर्थपीण्डारकन्तथा। पृथिव्यां यानि तीर्थानि चतुरः सागरास्तथा॥ – मनसँ ध्यान करैत जलसँ दक्षिण सिर शवके स्नान करा नूतन वस्त्रद्वयं यज्ञोपवित पुष्प चन्दनादिसहित अलंकृत कय चिता पर उत्तर मुँह अधोमुख पुरुष के तथा स्त्रीगणके उत्तान शयन करा, अपसव्य भऽ दक्षिणाभिमुख भऽ वाम हाथमें ऊक लय – ॐ देवश्चाग्निमुखः सर्वे कृतस्नपनं गतायुषमेनं दहन्तु। मनमें ध्यान करैत – ॐ कृत्वा सुदुष्करं कर्म जानता वाप्यजानता। मृत्युकालवशं प्राप्तं नरं पञ्चत्वमागतम्‌। धर्माधर्मसमायुक्तं लोकमोहसमावृत्तम्‌। दहेयं सर्वगात्राणि दिव्याल्लोकान्‌ स गच्छतु। इति मन्त्रद्वयं पठित्वा त्रिः प्रदक्षिणीकृत्यज्वलदुल्मुकं – शिरो देशे दद्यात्‌। ततस्तृकाष्टघृतादिकं चितायां निक्षिप्य कपोतावशेषं दहेत। ततः प्रदेश मात्र सप्तकाष्टकाभिः सह प्रदक्षिणा सप्तकं विधाय कुठारेण उल्मुकं प्रति प्रहार सप्तकं निधाय क्रव्यादाय नमस्तुभ्यमित्येकैकां काष्टिकामग्नौ क्षियेत्‌। ततः ॐ अहरहर्न्नयमानो गामश्वं पुरुषं पशुम्‌। वैवस्वतो न तृप्यति सुराभिरिव दुर्मतिः। इति यमगाथा गायन्तो बालपुरस्सराः वृद्धपश्चिमा पादेन पादस्पर्शम्‌ अकुर्वाणाः जलाशयं गच्छेयु। ओमद्यामुकगोत्रायःऽमुक प्रेत एष तिलतोयाञ्जलिस्ते मया दीयते तवोप्रतिष्ठताम्‌। बादमें लोहा, पाथर, आगिक स्पर्श।

ॐ तत्सत्‌!

काल्हि अपने लोकनिकेँ देखने रही किछु मन्त्र केर जिज्ञासा – से घरमें पत्रा जरुर राखी आ एहिमें समस्त मन्त्र के उपलब्ध पाबी। आवश्यकतानुसार मन्त्रके सहारा लैत कोनो अनुष्ठान निष्पादित करी। देव-कर्ममें तऽ भावके प्रधानता छैक, लेकिन पितृकर्ममें मन्त्रके अनिवार्यता छैक। धन्यवाद!

हरिः हरः!

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२७ जुलाई २०१२

अब वो समय नहीं जब औरतोंको सिर्फ पर्देके पीछे से – पुरुषोंके पीछे से शासन चलाना होता था – अब तो जमाना ऐसा है कि वो इतने आगे निकल गयी हैं कि मर्दोंको उनके पीछे चलनेकी विवशता है। प्रकृति की कुछ ऐसी देनी जो इन्हें पीछे रहनेको मजबूर भले करती रही हों, पर दाद दें हम इनके मजबूत इच्छा-शक्तियोंको जिसके सहारे ये उन दुविधाओं भरे मजबूरियोंपर कुछ इस कदर हावी हुयी हैं जिससे आज इनका पुरुषोंसे पीछे रहनेको कोई सहज मान ही नहीं सकता।

भारतीय नारी – इस महाद्वीपमें रहनेवाली वो सारी नारियाँ इस पहचानको भी बखूबी जिती हैं। गये दिन कोई न कोई लक्ष्मीबाई तो कोई पद्मावती और वो ऐतिहासिक नायिकाओंकी भूमिका निभाती नजर आती हैं जिनके नामको पुरुष या स्त्री हर कोई प्रातःस्मरणीय समझकर अपने लिये शुभ करने हेतु जपना भी बेहतर समझते हैं। इन छोटी भूमिका के साथ मैं पहुँचना चाहता हूँ मिथिलाकी उस ऐतिहासिक प्रदेशमें जिसका योगदान त्रेता युग के पुरुषोत्तम राम के साथ सीता बनकर जुड़ता है और पवित्र नामोंमें यह नाम सीताराम समझा जाता है। आस्थावान आज भी सीताराम नाम की जप से अपना जीवन सफल समझते हैं। आइये इस मिथिला नगरी में सीताओंकी वर्तमान स्थिति पर चर्चा करें। मैथिल अपने मैथिली को किस तरह सीताकी आदर्श और त्याग से अपने जीवनशैली को सुन्दर बनाते हुए संसारके लिये कल्याणकारी बनने हेतु प्रोत्साहित करते हैं, इस परिचर्चाके साथ मैं आपके समक्ष प्रस्तुत करना चाहूँगा।

Baaki padhane ke liye link kholiye, padhiye aur muhim me saath juriye bhi.

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Harih Harah!!

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२८ जुलाई २०१२

आइ तिनू देवी (हमर भाग्य के उदया बेटी सभ) सँ क्लियर कहि देलियैन जे बेटी जमाना भऽ रहल छैक उल्टा… यदि ढंग सऽ पढाई नहि करब तऽ डोनेशन पर एक गरीब बाप कोना कऽ अहाँ सभके डाक्टर-इन्जिनियर या फेर अन्य कोनो तकनीकी शिक्षा दियाबैत आजुक युगमें उचित शिक्षा प्रदान करय के व्यवस्था कय सकत… आब अहीं सभ कहू जे आइ-काल्हि डाक्टरी के पढाई ४०-५० लाख सऽ कममें संभव छैक… यदि विद्यार्थी स्वयं प्रतियोगिता के माध्यम सऽ प्रवेश नहि पबैछ तऽ गरीबक बेटी कोना कऽ डाक्टर बनतैक? तहिना ईन्जिनियरिंग के पढाई हो या कोनो उच्च आधुनिक तकनिकी शिक्षा दियेबाक हो तऽ कम से कम २५ लाख सऽ कम में नीक संस्थान में प्रवेश नहि भेटतैक आ पढाई संभव नहि हेतैक। तखन तऽ राधा के नौ मन घी नहि हेतनि आ ने राधा नचती। … तखन फेर? बाप कि करौ चोरी आ डकैती…? आ सेहो कि… एतेक कष्ट काटिके धिया-पुता के पढाउ आ फेर बेटीके जखन विवाह करबाबय के समय आओत तऽ तैयार राखू मोट रकम दहेज वास्ते। … बाबा हौ! कोना के सकबय हौ बाबा?? 

बरु बेटी, अपन बुद्धि एखनहि सऽ प्रखर राखय जाउ। आगाँ ईश्वर भरोसा छथि। हरिः हरः!

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सौराठ सभा के दृश्य

आइ सँ ठीक एक महिना पूर्व याने २८ जुन, २०१२ सौराठ सभागाछी में कम से कम ५० गाम के लोक बेरा-बेरी अयलाह, घुमलाह आ एक-दोसर के बस अपरिचित जेकाँ दूरहि सँ देखैत, अछोपे सुनैत, अपन समूह संग गुन्धुन करैत अयलाह आ फेर चैल गेलाह। व्यवस्थित सभावास लेल व्यवस्थापक नहि छैक ओहिठाम। सिवाये पंजिकार लोकनिके ओहिठाम केओ केकरो पूछैयोवाला नहि छैक। बस… अपनहि आउ… उदास सभा के चारू कात दुष्ट स्वार्थी जमीन अपहर्ता आ दोसरके धन लूटनिहार सभके दर्शन करू आ पुण्य केने होयब तऽ माधवेश्वरनाथ महादेव मन्दिर में प्रवेश भेटत – एम्हर-ओम्हर टौआउ आ फेर मनमें इतिहास के सुनलहबा बात सभ के स्मृतिमें अनैत पुनः घर-वापसी करू। अपनो एतेक ऊहि नहि जे आखिर सभा के ओ पुरान गरिमा लेल कम से कम ५ मिनट एक निश्चित स्थल पर बैसार करी… बस सभ तरहें प्रश्न के घुमाड़… उदासमें हताश। 

कहीं ५ गो बुधियार बैसलाह कि फेर ई एना भेलैक… ओ एना… आ आगू केना हेतैक ताहिपर फेर वैह जे मुँह ताकब जे फल्लां ई करैथ… चिल्लां ई। 

यौ जी अहाँ अपन काज करियौ… अपन हिस्सा के कर्तब्य निर्वाह करियौ। बस! 

हरिः हरः!

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प्रिय संतोष कुमार यादव भाइ! (Santosh Kumar Yadav)

ओना तऽ अहाँके संग बेर-बेर बात फेसबुक के चैटलाइन मार्फत होइत रहैत अछि… लेकिन औझका बात अहाँके हमरा बड़ नीक लागल। अहाँ पूछलहुँ जे मैथिली साहित्यमें कलम कोना चला सकब से सुझाव देल जाउ… ई सुनि मोंन गदगद भऽ गेल जे अहाँ के भीतर मैथिली प्रति बैसल प्रेम आइ खुलि के सोझाँ आबि गेल। आदरणीय धीरेन्द्र प्रेमर्षि (Dhirendra Premarshi) भाइजी सन के प्रखर साहित्यकार, विद्वान्‌ स्रष्टा के रेडियो कार्यक्रम के अहाँ निरंतर श्रोता बनल रहैत छी आ हमर दावी अछि जे हुनकर कार्यक्रम के आनन्द उठेनिहार यदि मैथिली साहित्य-संगीत-परिदृश्यमें रुचि नहि रखताह ई संभव नहि भऽ सकैत छैक। अहाँ के रुचि स्वाभाविक मैथिली प्रति समर्पित अछि आ अहाँ किछु लिखब – कोहुना लिखब – जेहने लिखब वैह मैथिली साहित्य के प्रस्तुत करत। विश्वास मानू।

भाषाक ज्ञान अहिये, भावना कि होइत छैक से अहाँ बुझिये रहल छियैक, तखन अभिव्यक्तिक विभिन्न शैली के लिपिबद्ध करब साहित्य निर्माण करैत छैक जेना हमरा लगैत अछि। ओना हम बहुत पढल-लिखल लोक नहि छी जे अहाँके एहि सँ बेसी अलंकृत रूपमें किछु कही… आइ धैर जे हम सभ पढैत आयल छी… चाहे ओ नेपाली साहित्य हो वा हिन्दी साहित्य हो वा संस्कृत हो वा कोनो आन – लेकिन गद्य आ पद्य रूपमें सहज प्रस्तुति के हम साहित्य बुझैत छी। गद्य विस्तारमें समस्त प्रकरण के प्रस्तुत करैत छैक, पद्य ओकरा छोट-छोट पाँतिमें सजाकय प्रस्तुत करैत छैक। पद्य शैली गूढ सऽ गूढ बात के बहुत संक्षिप्त मुदा सटीक भावना के पूरा व्यक्त करैत छैक। शब्दकोष कवि के संपत्ति, शब्दक प्रयोगमें कंजूसाइ मुदा भावना के सुन्दर अभिव्यक्ति आ ताहि पर नियंत्रण कवि के महारथी गुण के व्यक्त करैत छैक।

लेकिन हम या अहाँ आजुक परिवेश में एतेक रास बात पर माथ किऐक दुखायब – आब तऽ घोर व्यूह में फंसल अछि हमरा लोकनिक मातृभाषा मैथिली…. अन्दर-बाहर सौंसे लोक मैथिली के उला-पका कऽ कंसार के भूज्जा जेकां राखि देने छैक। भने न कहलखिन राजविराज में मैथिली महासम्मेलन के नारा में- जैह बजैत छी सैह मैथिली। जी! हम सभ अपन हृदय के भावना के बस अपन मातृभाषामें अभिव्यक्त करी, ओकरा सुन्दर ढंगसऽ क्रमशः सजाबी आ तेकर बाद अपन गुरुवर्गमें ओहि लेखनीपर – अपन संगी-साथी लग ओकर प्रभाव, भावार्थ पर चर्चा करैत दिनानुदिन सुधारोन्मुख रही। लेख-रचना में अपन घर-परिवार-समाज के चरित्र-चित्रण करैत एहेन सार्थक संदेश के वजन जरुर दी जाहिसँ अहाँके लेख-रचना समाजमें दस के हित लेल हो।

शुभकामना सहित,

अहाँके स्नेही ज्येष्ठ,

प्रवीण ना. चौधरी ‘किशोर’

हरिः हरः!

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२९ जुलाई २०१२

हम किसी से अपनी हाल सुना तो सकते हैं
पर यह नहीं कह सकते कि आप भी ऐसा करें

यह तो उनके प्रकृति और मनके गति पर है
वो हमसे कुछ लेते हैं या फिर अपनी करते हैं

धर्म मार्ग शान्ति पानेका एक जरिया है दोस्तो
यहाँ ईश्वरका प्रेम छोड़ और क्या ले-दे सकते हैं

ज्ञान तो आज अन्धे गुरु बहरे चेला में बंटता है
यहाँ तो सागर है बस पूर्व दर्शनों, बस डुबकी लो! 

आपके जीवनमें सदा शान्ति बनी रहे विनती करो
खुद के लिये और थोड़ा हमारे लिये भी माँग लो!

बोलो सच्चे दरबारकी – जय!

हरि बोल! हरिः हरः!

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३० जुलाई २०१२

रावण राजा प्रतापभानु के शापित होयबाक कारण निर्मित भेलाह… तदापि अपन अनेको विज्ञ गुण सँ प्रखर रहैतो हुनका में दम्भ आ अहंकार नाशी छलन्हि। कथामें बहुत बात छैक जे हमरा सभ हेतु मननीय अछि… लेकिन विभीषण जे रावणक छोट भाइ रहलाह हुनक विद्रोह रावण लेल जानलेवा भेल आ ओतहि सऽ निकलल एक किंवदन्ति – घरका भेदी लंका डाहे।

कोनो आश्चर्य के बात नहि छैक जे मिथिला के मान-सम्मान समूचा विश्वमें अलग छैक… लेकिन घर के लोक स्वयं एकरा अपनहि हाथे उछालि रहल छैक। स्वयं अपन भाषा संग सौतिया व्यवहार… स्वयं अपन लोक पर खूब थाल फेकब… अपनहि में दियादी डाह निकालब…. एहि तरहक घरक भेदिया सभ पर अहाँ कदापि नियंत्रण नहि कऽ सकैत छी। ई मानवीय स्वभाव थिकैक। एकरे प्रकट करैक लेल कहल गेल छैक – चाइल, प्रकृति आ बेमाय, ई तिनू संगहि जाय।

सुधार लेल एकमात्र उपदेश गीता द्वारा देल गेल छैक जे समस्थिति में कर्म करू – बिना सोचने जे ई नीक भेल वा ई बेजाय… हर तरहक द्वंद्व स्थिति के सर्वथा त्याग करैत कर्म करब कर्म-बन्धन नहि बनबैछ – एहि मान्यताके संग जीवन जिबैत रहू।

हरिः एव हरः!

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३० जुलाई २०१२

अपन घर के खोज नहि अन्ना के पुछारि
अपने भ्रष्ट से सोच नहि सभ्यताके बिसारि!

मिथिला राज बनाबय लेल तेलंगाना के वेट
बारीक पटुआ तीत अछि दूरक लगबी रेट!

कौआ कुचरय सांझ के खायब नहि आब गुँह
भिन्सर फेरो बिसरैत अछि दौड़ि मारय मुँह!

मोरक पाँखि पहिरि के नाचि सकय नहि जोर
पाउडर मुँह रगड़ि कतबो बनय केओ कि गोर!

नित्य नया टन्टा झाड़य मारय झटहा तीर
महाबूड़ि कोढिया मनुख बनय हमेशा वीर!

साहित्यक समुद्रमें सुन्दर सनके सम्हारि
हाइकू शेर्न्यू रूबाइ ओ गजलक देखू मारि!

चोर-चोर हल्ला मचबय गाम के भेल जगारि
भेल पुछारि जे चोर कतय चोरहि हल्ला पारि!

देख रे मूढ टेटर अपनहु माथ भरल छौ आगि
प्रवीण भनें गैरखोर बनें चोतमल काजक लागि!

हरिः हरः!

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मिथिला के समृद्ध साहित्यक इतिहास बनल आरो समृद्ध – नव ज्योति आ ओज सँ ज्ञानकेर भंडार मैथिली साहित्यमें आब धिया-पुता के लेल उपहार स्वरूप प्रदान कयलन्हि मिथिलाक महान्‌ संगीतकार-साहित्यकार लेखक श्री सियाराम झा ‘सरस’।

समस्त मैथिल एक प्रति अपन-अपन बच्चा के अवश्य भेंट करैथ। पुस्तक नहि सिर्फ धियापुता के लेल अछि बल्कि मिथिला-मैथिलीक इतिहास संग खिलवाड़ करनिहार बिहारी नेता आ घरके विभीषण उपद्रवी मैथिली-विरोधी सभके मुँहपर जोरगर थापड़ थीक जे कतबो चिकरत या भोकरत – मैथिली के प्रगति नहि रुकत, आब तऽ धियापुता के जोड़यलेल कैल गेल ई रचना एक आरो मिलके पाथर रूपमें आबि गेल बाजार में।

साहित्यकार सरसकेँ हार्दिक बधाई, समस्त मिथिला के हार्दिक बधाई।

हरिः हरः!
Siyaram Saras – one of the most prominent Maithili lyricist and writer has written a new book “Ful Titali Aa Tulbul” – the glorious lyrics for children – first part with a sub-name Bai-Ni-Aa-H-Pi-Na-La – 1 and presented to the world of Mithila a wonderful gift. The book is written with a great vision to connect the children with Maithili – especially when the ill-mentality leaders from Bihar and even from Mithila intentionally willing to defeat Maithili and end the eternal history of Mithila; this book written for Maithils’ children will add a new milestone. The book has been launched recently and several learned scholars from Mithila have been analyzing it as a miracle and new wonder for Mithila. It was my good luck to have called the writer today who informed that there was a grand program on launching it at Madhubani just yesterday where several prominent personalities and writers participated and talked in detail about this book. The glories will gift Mithila a new height and rich history will continue prospering with such contribution. I wish a great success of this book and may every Maithil family gift one copy to every Maithil children and inspire them to strengthen their identity more stronger than ever before.

Congratulations Saras Sir and entire Mithila community, just

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समीक्षा – फूल तितली आ तुलबुल (लेखक -श्री सियाराम झा ‘सरस’)

समीक्षक –- डॉ. धनाकर ठाकुर 9470193694
३.६.२०१२ क श्री सियाराम झा ‘सरस’क पोथी ‘फूल तितली आ तुलबुल’क लोकार्पण रांचीमे भेलन्हि जाहिमे श्रीरमणजी, पटना मुख्य अतिथि छलाह
पोथी बै नी आ ह पि ना ला -१ यानी सतरंगी इन्द्रधनुषक रंगक जकां आबयबला सात कड़ीमे ई प्रथम अछि तकर विशेष संकेत पृष्ठ ४८मे (बाबा दिनकरमें पनिबोडा गीतके भीतर सातो रंग फरिछा देबाक छल).

पोथीक अनेक पन्ना रंगीन अछि, बालोपयोगी अछि आ संस्कारवर्धक (पृ. २०मे अंटी-बँटी नहि कहू), आ ज्ञानवर्धक प्रायः सब पन्ना अछि तथापि दिनक नाम (पृ. ३८), गाडीक प्रकार (पृ. ३९-४०), बापूक चरखा, सचिन, धोनी, विद्यापति, मंडेला, आवश्यकता आ आविष्कारमे मेट्रो रेलस मिसाइल कंप्यूटर तक, टाकाक लाथे (पृ.४२-४३मे) रूपाक नव निशान, खेल-खेलमे (पृ.४४-४५) कुश्तीसs ओलम्पिक तक.

विज्ञान लेखकक प्रिय विषय अछि (पृ.१८-१९),बिजली रानीमें पवन बिजली तकके चर्चा अछि संगही मिथिला-मैथिलीस प्रेमवर्धक (नेनाक मायस पृ. ६-७ मे नीक बात कहल गेल अछि जे मैथिली बाजय पढयबला सेहो नीक पद पर पहुँचैत अछि), मिथिलाक्षरहूँ अछि अंतमें. मिथिलाक एक नक्शा कतहु रहितय से नीक (अगिला कड़ीमे देल जाय), खेल -खेलमे सेहो राम, कृष्णक चर्चा (पृ. ४४-४५), जगदीशचन्द्र बसुक हँसैत-कनैत गाछक रूपमे ऋतु वर्णन(पृ.४९), सागरक वैविध्य वर्णन (पृ.६३-६४), विज्ञान प्रश्नोत्तरी (पृ. ६८), आविष्कारक माय आवश्यकता(पृ ७२) में भारतक अंक- शून्यक अवदान आदि.

म स मिथिला आर लेखक क गाम मेंहथस आर की की नहीं ( पृ.६५)- एक कड़ी एहिना अ, आ सँ ज्ञ तक बनायल जा सकैत छैक बच्चाके अपन संस्कृतिक ज्ञान दैत. सब पन्ना सचित्र अछि ताकि नेना बुझि सकय अधिकाश गीत गेय अछि
लगैत अछि बालोपयोगी जानि बहुत ठाम व्याकरणक नियम पालन नहीं भेल – जेना पोथीक नाममे फूलक बाद अल्पविराम (कोमा) बच्चा चुलबुलक नामके नेना भुटकाक उच्चारण तुलबुल आ एहेन अनेक ठाम (पृ.१४,…. ) बालक -बालिकाक जे चित्र मुखपृष्ठ पर देखावल गेल अछि ओहिमे कोनो गामक नहि, शहरीआ विकासकक परिचायक (पृ.२४) जखन की गामक चीज पर बहुत चर्चा अछि -चेत कबड्डी(पृ.५०), सोचु, सोचु(पृ.५१)मे किसानक महिमा) आ पर्यावरण (पृ.१२,२२,२३), आ रंगीन आर्ट पेपर पार्क फूल आ तितली, टून मून रे क जंतु संसार छपर छैयांक पनिबोडाक रंग, गाछ रोपिह फलदार, दादा-दादीक रोपल गुलाबक फूल(?) आ आन फूल पर बहुत चर्चा अछि, सौरमंडल , दुतियाक चान, (पृ.२५)क चुन्मुनी, २६, २७, २९ क आम, पृ.३३क बगुला, पृ.३५क फूलवती, बाबा दिनकर, ई धरती, सागरक संपदा, धरतीक सिगार चिडी-चुन्मुनी, गीध जकां दुर्लभ चिड़ी के बचबयके आग्रह, जाडक रौद, ऋतू वर्णनमे गाछ (पृ.४९), गाछ रोपीह (पृ.५७), सागरक सैर (पृ.६३),चिंता कचड़ास बचाब जल-नभ-स्थलके (पृ.६६), कछ्मछी(पृ.६७). एही लेल आ स्वतंत्रता हेतु, बाबा पोता गीत(पृ. ७१) मे अछि पर्यवरण, जल जीवन अछि (पृ.७६-७७ )मे जल संचय आ जल छाजनक बात अछि,बाघ मारक विरोध(पृ. ७९-८०) आदि.

मुदा ‘हैप्पी बल्थ डे'(पृ.१४) आ आर्ट पेपर पर पर सेहो शुभ जन्मदिन आ तहिना दू-दू बेर हैप्पी दिवाली आ हुक्का लोली (पृ.५४मे) मुदा भरदुतिया आ होली नहि भेटल जे सबस अधिक प्रिय बच्चाके स्वास्थ्य संबंधी नीक जानकारी(पृ.१५) संतुलित आहार (पृ.५५) नीक अछि जे नून आ चीनी कम खेबाक अछि आ फल फूल साग खेबाक आ पौष्टिक आहारक (पृ.१५,) मुदा टाफी चर्चा नहीं रहितय त नीक (पृ.२८), आमा माइक पेटारीमे (पृ.५२) ग्रामीण नुश्खा मे तुलसी, नेबो आदि ठीक मुदा धात्री फलं सदा पथ्यम नहीं देखल . संस्कार लेल अनेक बात अछि ((पृ.१६,३४) नब जटा – जटीन, विद्यार्थीक पञ्च लक्षणक सचित्र विवरण(पृ.५९), सर-कुटुम (पृ.४८), सीखक लेल भीख(पृ.८२), बालश्रमक विरोध(पृ.८३) ई ठीक बात नै .

समाजक बिविध भागक जानकारी लेल मुस्लिम लेल अलीखान (पृ.६०), कारीगर (पृ. ६१-६२), राहुलक माता यशोधरास प्रश्न मार्मिक अछि (पृ.६९ )पिताजी कत गेलाह? आखर यागक धुआं में शिक्षाक महत्ता अछि (पृ. ७०), मूलमंत्र(पृ. ७३-७४मे) सत्यनिष्ठा, समर्पणस गांधी, सचिन, कलाम बनक गाथा चिरई,चुट्टी, मूसक सतत कर्म जकां.

भारत भक्तिक संग संगीतक वर्णन (पृ.७७), प्रकृति चित्रण अछि(पृ. ७८) आबी गेले अलेदाले भोर आ अनेक बालसुलभ गीत यथा (पृ.८१), अनेक सुधार अगिला संस्करणमे संभव अछि- बै नी आ ह पि ना ला क मैथिली पूरा रूप देनाई नीक जे केवल पीअर लेल लिखी देलासँ भयजाइत (पि नहि) पृ.९- ‘मात्रा के यात्रा’ नहि ‘मात्रक यात्रा’मे (आ तहिना बाबाक अंगुरी (पृ. ८१) ‘बाबा के अंगुरी’ क जगह), दीर्घे कीस दादीजी नीक रहैत -(स्कूलमें आब मिस पढ्बैत छथि दीदी कहाँ ?) पृ.१० एम् एल अ क उदहारण सटीक नहीं पृ.११- चटापटा शब्द ? पृ.४७- ‘बड़े- बड़े’ सपनामे, पृ.६३ सागरक ‘सैर’ में हिन्दीक छाप अछि ( से आन अनेक आनो ठाम अछि)
पृ.१२- स्कूलमें जाईबला बच्चा लेल हाती आ एहिना सब शब्द कियैक- या त नर्सरीक बच्चा लेल केवल अलग अध्याय हो (बादक बच्चा लेल ई अनुपयोगी गलत उच्चारण सीखबयबला जेना बिरस्पति(पृ. ३८) ? पृ. ३८- ६० अलीखानक इम्तिहान छनि त हुनक पिताजी नहीं अब्बाके आबक छल आ मायके नहीं अम्मीके आ तपक हुनका प्रयोजन? एहिना बहुत ठाम ध्यान राखी जे कोनो किताबक पाठकवर्गक आयु यदि तय अछि तखनहु ओकर विशेष आयु वर्ग लेल चीज बाँटल होयबाक चाही| इन्द्रधनुषक सात रंग नहीं सात वर्ष तकके बच्चा लेल पोथी हर वर्ष लेल अलग अध्यायमे रहक छल आ जाहीमे पहिल माय लेल दोसर तुलबुल लेल आ एहिना होइत पांचम छठम लेल लिखैत काल शंकरक ‘अपूर्णे पंचमे वर्षे.’ जरूर याद राखक चाही – कार्यक्रममे गीतके प्रस्तुत करयबला जे बालक-बालिका छलथि ओहिमे अधिकांश शुद्ध उच्चारण कय सकयबला आयुवर्गक छलथि (पृ. ३०, ३१, ३७) ई ध्यान रखैत अध्यायभाजन अगिला कड़ीमें जरूर हो. लगैत अछि एतेक परिश्रमसँ तैयार किताबक ठीक सम्पादन नहि कयल गेल आ जे कियो सरसक गीतक प्रशंसक छलाह ओ सब एकर गीत बेर-बेर सुनि-सुनिकय सेहो केवल नीक -नीक बात बजयबला मुदा समाजमे स्वस्थ आलोचकक सेहो कमी नहीं| पोथी लेखक सरस भनही दादा नहि भेलाह अछि (जे बादमे बात केला पर मालूम भेल) हमरा लागी रहल छल जे ई सरस ककाक(पृ.५ )नहि सरस दादाक उपहार अछि नेना भुटका लेल जे अनेक ठाम आयल अछि – बाबा, पोता संवाद (पृ. ७१), बाबाक अंगुरी (पृ. ८१) (‘बाबा के अंगुरी’ नहि).
८४ पृष्ठ + २४ आर्ट पृष्ठ पोथीक मूल्य १०१ रूपा अधिक नहीं अछि (जे कियो २०० रूपा राखि सकैत छल)- सरसजीक संपर्क – 9931346334, 0651-2560786
(NOTE-टाकाक जगह बेगुसरायक रूपा लिखब हमरा नीक लगैत अछि जे रानी विक्टोरियाक चांदीक/ सिक्का/ रूपा चाल जाहीस एक टाका बनल अछि)
अनेक अशुद्धि हम एही फॉण्टमे टाइप करैत सुधारी नहीं सकलन्हू- धनाकर

Sabhar: Dhanakar Thakur

Uparokt sameekshaa search kelaa sa bhetal achhi, aha sabh ke bahut jigyasa e pura padhi lela sa bha jaayat… ona sameekshak Dr. Thakur apan prakhar swabhaav me bahuto jagah kavi ke antarbhaav aa kavik swabhav anuroop taarkik prastuti ke dharfari me kene chhathi… yadi Dr. Thakur fero sameekshaa karaith aa kavi sang charcha kayalaa ke baad sameekshaa karaith ta bahut raas sandesh me parivartan aayat jena hamara laagi rahal achhi.

Harih Harah!!

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हे मातृभूमि करी शत्‌ प्रणाम
हे मिथिला धरा शत्‌ शत्‌ प्रणाम!

प्रतिबद्ध सदा उऋण बनी, मानव जीवनके मोल राम
जन्मक कर्जा स्वयंसेवा करी, दूधक कर्जा पद सेवा काम,
हे मातृभूमि करी शत्‌ प्रणाम
हे मिथिला धरा शत्‌ शत्‌ प्रणाम!

मुँहक मैथिली मैथिलमें जान, संस्कृति बसय गंगाके गाम,
बस भाग अपन निज धर्म चली, कर्तब्य-कर्मके संग नाम,
हे मातृभूमि करी शत्‌ प्रणाम
हे मिथिला माय तोरा प्रणाम!

हम आत्मसुखी संतान ईश, ऋषि मुनि ज्ञानी पुरुष प्रधान,
एहि माटि सँ सीता अवतरली, विद्वान्‌ खान ई मिथिला धाम,
हे मातृभूमि करी शत्‌ प्रणाम
हे मिथिला धरा शत्‌ शत्‌ प्रणाम!

जन जर जमीन झंझटिक घर, ईरक खेला बड़ घमासान,
मोह क्रोध लोभ व्याधिक निशान, सर्वत्र मचल छै त्राहिमाम
हे मातृभूमि करी शत्‌ प्रणाम
हे मिथिला धरा शत्‌ शत्‌ प्रणाम!

निज शत्रु संगे बहरी के ध्यान, मैथिल पराय आनहि के शान,
मजबूर भेल खेतो हरान, श्रम शक्ति पराभव परेशान
हे मातृभूमि करी शत्‌ प्रणाम
हे मिथिला धरा शत्‌ शत्‌ प्रणाम!

बड़ बुद्धि तरे में डूबल बथान, जातिक झगड़ा बोलीक विराम,
काटि बान्ह बलानक भाइके गाम, फेर झूठे पटकी जोर खराम
हे मातृभूमि करी शत्‌ प्रणाम
हे मिथिला धरा शत्‌ शत्‌ प्रणाम!

हे माँ मिथिला! हे मैथिली! आशीष सँ सभ के ढाठि दी!
जे जुड़य ओ बस सेवा करय, आ केवल स्वयंसेवी कहबी।
हे मातृभूमि करी शत्‌ प्रणाम
हे मिथिला धरा शत्‌ शत्‌ प्रणाम!

निकलय गामहि सँ यात्रा आब, गामहि बनबय मिथिला राज!
आब जनक के ताकी जानकी, सुन्दर साभार ओ स्वच्छ समाज!
हे मातृभूमि करी शत्‌ प्रणाम
हे मिथिला धरा शत्‌ शत्‌ प्रणाम!

हरिः हरः!

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३१ जुलाई २०१२

केओ जरय जतेक जरबाक छैक,
केओ मरय जतेक मरबाक छैक,
हम पहिरब पाग! राखब मिथिलाके लाज!
ई हमर पहचान छी राखब एकर लाज,
हम पहिरब पाग! राखब मिथिलाके लाग!

धोती-कुर्ता-अंगपोच्छा के
रहलै अछि पहिरन प्रधान,
स्वच्छ रहब वा मैट में
लोटायल यैह हमर परिधान,
आब केओ झगड़ा लगबय
जौँ धोती के बनबय लूँगी,
तऽ कहि दी जे मिथिलामें
धोतिये बनै छै ओ लूँगी,
हे! ई सभ फोकटिया के बात भेल!
राजनीति सऽ मेल तोड़ऽ‍ के खेल!

बचू एहेन मानसिकता के लोक सँ,
जेकर नहि कोनो ठौर!
निज घिनाइल अपनहि ओ बतहा,
दोसर के उतारय मौर!
पाग मौर वा पगड़ी मुरेठा,
ई सभ थीक सिरस्त्राण,
जे पहिरि संहार कैल गेल,
संसार सऽ दानवक खान!

के नहि अछि संसार मे जेकरा,
अपन माथ संग प्रेम!
समूचा शरीर के श्रृंगार करब,
सिर के झाँपब क्षेम!
उघरल माथ उच्छृंख मानल,
संस्कृतिक ई अछि हेम!

हरिः हरः!

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१ अगस्त २०१२

मैथिली-मैथिली भूकैत रहैत छी लेकिन मैथिली प्रति जानकारी के अभाव रहैत अछि आजुक पीढीके। अतः हम निम्न एक सुन्दर आलेख जे http://www.lisindia.net/Maithili/Maith_lang.htmlलिंक पर सऽ तकलहुँ, पढैत एना बुझायल जे ई अहुँ सभ संग शेयर करी। ई अंग्रेजीमें अछि, हम एकर अनुवाद सेहो समय पाबिके राखब। फिलहाल, अंग्रेजीमें पढू आ ज्ञानार्जन करू।

जय मैथिली! जय मिथिला!

भाषा प्रबन्धन

अ. राज्य आ समाज

१६.१. भाषा योजना:

ब्रिटिश के पारंपरिक सिद्धान्त आ राष्ट्रीय आवश्यकता के बीच परस्पर द्वंद्व भाषा प्रबन्धन सम्बन्धी बहुत गंभीर समस्या गत शदी के शुरुआती वर्षमें उत्पन्न केने छल। पहिले संस्कृत के नाम पर बहस चलल, तेकर बाद अंग्रेजी आ फेर आखिर में क्षेत्रीय भाषा लेल बहस शुरु कैल गेल। संस्कृत के शीघ्रहि छाँटि देल गेल। बाकी में विवाद विश्व भरि में आइयो विवादिते अछि। शुरुमें मैथिली एहि बहसमें कतहु नहि छल जाबत धरि कि मैथिली बजनिहार समुदाय सभ एहि लेल आवाज उठौलनि जे मैथिलीके क्षेत्रीय भाषा के रूपमें मान्यता देल जाय। एहि सँ एगो आर चिन्तनके समस्या भाषा प्रबन्धनमें समुदाय समक्षा ठाड़्ह भेल।

VIII.LANGUAGE MANAGEMENT

Language management

A. State and Social

16.1. Language planning:

(a) Problems:

Tradition policy of British rule and national interest clashing with each other created serious problem in language management in the early years of the last century. They first advocated Sanskrit, then the recent English and at last they advocated the regional languages. Sanskrit was rejected outright. The conflict between the rest is yet a problem worldwide. Maithili was out of purview till early years of the last century when the Maithili speaking community raised the voice for giving the status of a regional language to Maithili. This added a new problem to the language management in this community.

(b) Policy:

The language policy of the state government is as follows:

Hindi – Medium of education, administration and mass contact in capacity of the State language, Official language, Language of law and Regional language.

Urdu – Second official language.

English – (optional) medium of higher education, administration of justice, and outside communication.

Maithili, Bhojpuri and Magahi – only in secondary education as a subject in capacity of lokbhasa or Regional dialects.

In private mass media, Hindi dominates and is encroaching upon the area of English. Maithili and Bhojpuri have just registered their presence.

16.2. History of planning:

In 1905, Government formed the National Council of Education, which decided that the vernacular should be the medium of education. In pursuance of this policy, Hindi was introduced as the medium of education ignoring Maithili, on the advice of Bhudeb Mukherji, the then Inspector of schools, nourishing the wrong notion that Maithili is only a vulgar form of Hindi. The struggle for installing Maithili on its usurped throne started outright. Under the leadership of Chanda Jha, Parameshvar Jha and others, some organizations planned the strategy for promoting Maithili. The first fruit of this movement was the recognition of Maithili as an independent language for its M.A. examination in 1919. Other universities in Bihar coming up in succession followed suit. Now Maithili is taught as a subject in secondary and higher secondary education. Thus the planning succeeded to some extent in the domain of education except the medium of primary education.

The language management under the state government does not concern Maithili as in Government’s view it is not a language, but only a vulgar form of Hindi. The onus of planning for Maithili is, therefore, on the people who are now busy with the planning to enrich and enable Maithili for getting due place in the remaining domains.

16.3. Process of planning:

The corpus planning of Maithili was initiated in 1878, by George Abraham Grierson with the host of local Sanskrit scholars namely Pt. Babujan Jha, Hail Jha, Chanda Jha, M.M.Paramesvar Jha and others. He was the first to write a grammar of Maithili. He collected good number of words and acquainted the world with the language and literature of Mithila. In the early 20th century Pt. Dinabandhu Jha wrote the first Maithili grammar and compiled the first Maithili dictionary and pioneered the standardization. These efforts were the first phase of the process of planning. The corpus thus produced paved the way for status planning.

16.4. Standardization:

Standardization is needed for the use of the language among the different dialect groups conveniently without hesitation or dubiousness. Linguists and litterateurs decide the standard forms of languages and Government diffuse the same through the network of primary education. Bangla and Marathi are the best examples of this process. Maithili could not get such opportunity as the state government has been keeping itself aloof from Maithili.

The standardization however, started in Maithili in 1881, when George Abraham Grierson (1881 c) wrote the first grammar of Maithili with the help of some local pandits. Among native (local) scholars, Pt. Dinabandhu Jha took the lead by writing a grammar in Maithili of its standard form.

During the thirties of the last century, Ramanath Jha took up the standardization work seriously and methodically considering the tradition and the opinions obtained from a number of linguists, writers and scholars. Surprisingly, the standard form of Maithili that emerged was almost the same as described and prescribed by Dinabhandhu Jha in his grammar. A lot of literature in quarterly Sahitya Partra (193801940) and elsewhere followed this standard, which was nicknamed Ramanathi shaili by his critiques.

In 1961, when Maithili monthly Mithila Mihir restarted from Patna, it devised its own standard simplifying and modernizing to some extent the spelling system of Sahityapatra.

With the establishment of Maithili Academy at Patna in 1975, the standard was fixed and the same was followed meticulously. But practically it followed Mithila Mihir.

Yet the standardization and fixation of uniform spelling is a formidable problem of Maithili. The younger generation seems too liberal, rather self willed or anarchist in this matter. They prefer the form as heard in the speech of lower level mass, heralding it as Dalit vad in language.

The domain in Maithili is yet limited to literature, education and the lips of the people. So the process of standardization of language may take place in other domain only when this language is allowed to enter there.

16.5. Modernization:

Some of the journals and periodicals are appreciably modernizing Maithili in course of dealing sectors of modern life. This is being done in purely practical way. Academic approach is yet a desideratum.

16.6. Script reform:

Maithili has adopted Devanagari and is enjoying the benefit of the reform of that script done outside and Tirhuta, the script is struggling for its survival

16.7. Language movement:

Movement for Maithili is quite different from other language movements. Since its very beginning, i.e., from the second decade of the 20th century, the movement for Maithili has been quite peaceful (from the public platform of Maithil Mahasabha established in 1910). The movement is at the same time slow and steady, without any participation of political leaders, led and supported mostly by scholars, writers, thinkers and social workers and it is mostly stationed out of Mithila. The means of the movement mainly consists of delegations, representations, signature campaign, resolutions passed by hundreds of cultural organizations scattered from Mumbai to Gowhati and from Kolkata to Kathmandoo and the like. The movement began with simple demand of introducing Maithili in education. The movement gradually got its several demands fulfilled. In 1967, Bihar Public Service Commission included Maithili as a subject in its competitive examination. In 1956, Sahitya Akademi accepted Maithili as a literary language, and at last in 2004 Government of India included Maithili in the eighth schedule of Indian Constitution as a major Indian language.

The movement of the type described above is going on for recognition of Maithili as a regional language by the state government, and withdrawal of the state governments order removing Maithili from the competitive examination curriculum of Bihar Public Service Commission.

The regrettable aspect of this movement is the failure to mobilize the people to utilize the opportunity brought about by this movement.

16.8. Effects of planning:

Effect on the whole cannot be said commensurate with the effort taken in planning. Solid infrastructure created so far is satisfactory. Standardization of language is achieved. Corpus is ready with the publication of dictionaries, grammars and histories of literature. Doors are open for the use of this language in primary education, competitive examination of Union Public Service Commission, and in Panchayats and other local bodies. The number, circulation and quality of periodicals are rising. A band of devoted writers are busy with producing literature. Publication of books is satisfactorily progressing in number as well as in quality.

16.9. Agencies of planning:

(a) Government agencies –

(i) Sahitya Akademi, New Delhi. (ii) Central Institute of Indian Languages, Mysore. (iii) Maithili Academy, Patna.

(b) Government – aided Institution –

Nil.

(c) NGOs

(i) Chetana Samiti, Patna. (ii) Karnagosthi, Kolkata. (iii) Vaidehi Samiti, Derbhanga. (iv) Maithili Sahitya Sammelan, Allahabad. (v) Sankalpalok, Supaul. (vi) Maithili Sahitya Parisad, Darbhanga. (vii) Jakhan –Takhan, Darbhanga. (viii)All India Mithila sangh, Kolkata; and many others.

(d) Individuals:

As non-governmental organizations are mostly economically weak, the credit of achievements goes mainly to the individuals devoted to the cause of their mother tongue. Often they devise some organization for the prestige, publish their works at their own cost under the banner of some dummy publishing house.

16.10. Individual: Code switching and Borrowing:

Unlike developed languages, Maithili is yet fragile enough to allow code shifting and code switching. The agency of such changes consists only of individuals. Maithili writers have, successively, been more and more liberal in moulding their language. Maithili literature prior to independence was overridden with tatsama workers. Now purely tadbhava and indigenous words and naturalized foreign words dominate the texemes. Code shifting was a taboo for traditionalists, but it is no more so now. The wall between standard and colloquial forms of language is gradually disappearing.

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पुनः एक महत्त्वपूर्ण शोध योग्य बात सोझां आयल….

गाम में दारू-ताड़ी-भांग-गांजा के बात तऽ बहुत दिन सँ गाम-समाज के अपन चपेटमें लेनहिये छल आ आब … लेकिन नशाके संग आब नशेड़ी सभ गाम में वेश्यावृत्ति aa immoral sexual behaviors (illegal sexual relations) के बढावा देबय लागल छैक कहाँ दैन… आइ हमर माथ लाजसँ झुकल बुझैछ।  Ham gaam ke pavitra maanait aayal chhi ekhan dhari… 

कि एहि लेल पाश्चात्य सभ्यता जेकां हमरो सभ के मिथिलामें विद्यालय के पुस्तक द्वारा जवानी-सम्बन्धी शिक्षा (sexual education) देबाक जरुरैत अछि?

कहीं एहि पाछू कलियुगी चपेटा के संग कोनो समाजक दुष्ट सभ तऽ कार्यरत नहि जे नशा के खोराक खुवाबैत नैतिक पतन के कारक बनि रहल अछि?

अर्थके युग थिकैक… लेकिन अर्थ हर चेष्टा सऽ कमाइ करब कम से कम गाम-घरमें नहि देखने रही। लेकिन ई कि??

एहि तरहक जागरुकताक लेल कि सचेष्ट अभिभावक, पंचायत समिति आ सक्रिय समाजिक प्रहरी कि मुँह ताकि रहल अछि?

आखिर एहि नैतिक पतन के विरुद्ध कोना लड़ल जा सकैत अछि? विचार करी।

हरिः हरः!

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२ अगस्त २०१२

मित्र-बंधु! आजुक विशेष शुभ-अवसर पर एक आरो बात कहय के इच्छा होइत अछि। बहुत गोटा मित्रक सूची में आबि गेल छथि। पता नहि कि सोचि मित्र के अनुरोध पठबैत छथि, लेकिन अनुरोध आबि गेला के बाद ओकरा नकारय के हमरा हिम्मत नहि होइत अछि। हम स्वीकार कय लैत छी। लेकिन तेकर बाद ओ तुरन्त चैटलाइन पर ‘हाइ-हेल्लो’ करब शुरु करैत छथि। हम आरिज आबि चुकल छी बुझबैत-बुझबैत… … फेर कहय चाहैत छी जे हमरा विषय पर अध्ययन करब आ तकर उपरान्त जे अपने सभके संग बाँटय जोगर बात रहैछ तेकरा अपन स्टेटस अपडेट के रूपमें आ विभिन्न ग्रुप पर हम रुबरु पोस्ट कऽ दैत छी। तखन कोनो तरहक प्रतिक्रिया ओहि पोस्ट पर दी, नहि कि अपन समय आ हमर समय के खराब करय लेल बिना कोनो बात के बात लेल हाइ-हुंइ करय लेल प्राइवेट चैटलाइनके प्रयोग करी। यदि पसिन्न अछि तऽ मित्रक सूची में रही आ नहि तऽ अहाँ स्वतन्त्र छी। सधन्यवाद!

अहाँके विश्वासी,

प्रवीण

हरिः हरः!

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२ अगस्त २०१२

प्रत्येक वर्षक भाँति अहू वर्ष मिथिलाक एकमात्र दहेज विरोधी संस्था दहेज मुक्त मिथिला आइ शुभ दिन रक्षा बन्धन के अवसर पर संकल्प दिवस मनौलक आ विषय छल जे ‘लैंगिक विभेद अन्त करबाक उपाय कि?’ जाहि पर निम्न व्यक्तिक निम्न सुझाव आयल आ आवश्यक समीक्षा उपरान्त एक घोषणापत्र प्रकाशित हो जेकर फेसबुक व अन्य मिडिया मार्फत आमजन तक प्रसार कैल जाय से निर्णय लेल गेल।

प्रभात राय भट्ट जी: १. पैतृक सम्पत्ति में सभ संतान – बेटा या बेटी, दुनूके बराबर अधिकार हो। २. हर माता-पिता लेल बेटा-बेटी दुनू लेल बराबर शिक्षा दियाबय के नियम हो। ३. महिला लेल सरकारी नौकरी आ जन-प्रतिनिधित्वमें ५०% के आरक्षण हो। ४. पुरुष प्रधानताक परंपरा परिवर्तन लेल समाजिक कार्यक्रम व गतिविधिमें सेहो महिलाक सहभागिता सुनिश्चित कैल जाय।

घनश्याम ठाकुरजी : १. बेटीके धर्म-कर्ममें वैदिक प्रतिबन्ध के खत्म कैल जाय – क्रिया-कर्म के अधिकार बेटा बराबर परिस्थिति अनुरूप देल जाय। २. बेटा के पढवय लेल जेना पैतृक सम्पत्ति बेचियो के पढाबय के इन्तजाम होइछ, तहिना बेटी लेल सेहो कैल जाय।

अमलेश झा जी: १. बेटीके आगू बढय लेल मौका जरुर दियौक (जे देलखिन तिनकर उदाहरण अनुरूप बेटी के सेहो राष्ट्र निर्माणमें आगू बढाउ।)। २. जागरुकता के प्रयास कैल जाय – जे बेटा आ बेटीके बराबर मौका भेटबाज जरुरैत पर समाजमें जनचेतना पसारय।

गोपालजी मिश्र: १. बेटीके शिक्षा व स्वतंत्रता में समाज के बेटा समान अधिकार प्रदान करय लेल नियम हो। २. युवा-समाज में अनैतिकता आ चरित्र-गिरावट विरुद्ध एकजूटता हो। ३. सभक बेटा-बेटी के अपन भाइ-बहिन समान व्यवहार करब तेहेन समाजिक निर्णय हो। ४. समाजिक जागरुकता एहि लेल जरुरी जे विभेद अहितकर अछि।

रमण दत्त झा जी: १. बेटीके शिक्षा आ संस्कारके संग नैतिकता के पाठ पर विशेष जोर देल जाय, कारण हुनकहि सऽ एक नव संसारके निर्माण होइछ। २. दहेज हमरा सभक माथ के कलंक थीक, एकरा खत्म करबाक आत्मनिर्णय करब सभ लेल अनिवार्य।

एकर अलावे विचार देनिहार सज्जनवृंद सभ में महेश राजा, आनन्द मिश्र, अमित चौधरी, अनित झा, विजय ठाकुर, अभिषेक आनन्द, बिजेन्द्र मोहन मिश्र एवं हमहुँ छलहुँ। बहुत दर्शक पूर्वके भाँति अपन उपस्थिति सँ उपरोक्त विचार के मौन सहमति देलन्हि।

हरिः हरः!

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मैथिलपुत्र प्रदीपजी के आइ कम से कम १९७८-८० ई. में मध्य विद्यालय, कुर्सों के बाद ई प्रथम दर्शन भेल। हिनक एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण रचना के संग हिनक चरण-वन्दना करैत छी।

जगदम्ब अहीं अवलम्ब हमर
हे माय अहाँ बिनु आश केकर
जगदम्ब अहीं…

जँ माय अहाँ दुःख नहि सुनबै
तँ जाय कहू केकरा कहबय
करु माफ जननि अपराध हमर
हे माय अहाँ बिनु आश केकर
जगदम्ब अहीं….

हम भरि जग सँ ठुकरायल छी
माँ अहींके शरणमें आयल छी
देखू हम पड़लहुँ बीच भँवर
हे माय अहाँ बिनु आश केकर
जगदम्ब अहीं….

काली लक्ष्मी कल्याणी छी
तारा अम्बे ब्रह्माणी छी
अछि पुत्र ‘प्रदीप’ बनल टूगर
हे माय अहाँ बिनु आश केकर
जगदम्ब अहीं….

परम आदरणीय गुरुदेव मैथिलपुत्र प्रदीप प्रति भावपूर्ण समर्पण सहित।

प्रवीण ना. चौधरी
ग्राम: कुर्सों द. ड्योढि,

हरिः हरः!

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३ अगस्त २०१२

सभसँ पहिने तऽ साइना के जित हो, एहि लेल हार्दिक शुभकामना।

मिथिला के बेटी भारतमें सभ सँ पाछू, कारण दहेज के दानव के प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष प्रहार।

जागू मैथिल जागू – दहेज मुक्त मिथिला बनाबू।
माँगरूपी दहेज के प्रतिकार करू!
बेटा-बेटी के एक समान शिक्षा प्रदान करू!

www.dahejmuktmithila.org

हरिः हरः!

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वाह… वाह रे दुनिया… देखू जे केहेन-केहेन लीला भऽ रहल अछि।… 

थूक नहि फेकतैक लोक एहेन दहेज के लोभी आ खेलाड़ी सभ पर?? 

घोर कलियुगी आ एकदम ९०% दहेज लेनिहार संग कहानी यैह रहैत छैक… बाद में झगड़ादानी भेल आ बात सलैट गेल तऽ बड़ नीक बात… जँ नहि सलटल तऽ फेर दहेज के मुकदमा करैत सपरिवार के जेल जाय पड़ैत छैक…

लेकिन धन्यवाद जे एहि कहानी में मैथिलानी नायिका अन्ततः नायिका के असल भूमिका निमहेली। सिम्प्ली ग्रेट!

कोढिया दुलहा के सुधैर ई बेटी एक उदाहरण कायम केलीह। आब मैथिलानी सभके अहिना करैये पड़त… दहेज लोभी सासु-ससुर सऽ बेटा के कतियाबैत अपन पिता के त्याग प्रति नैतिक समर्थन प्रदान केलीह।

बहुत सुन्दर कथा आ एहि कथा के पढला सऽ बहुत दूर तक चोन्हरी खूलत से विश्वास अछि। पंकज झा जी के कथानक आ प्रस्तुति के जतेक प्रशंसा करब से कम होयत। हमर विचार सऽ एहि कथा के मिथिला-मैथिली के समस्त पत्रिकामें पठाबी आ हिन्दी-अंग्रेजीमें सेहो एकर अनुवाद प्रस्तुत करैत देश-विदेश दहेजक लोभी लीलाधारी सभ के पोल खोलब जरुरी।

हरिः हरः!

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४ अगस्त २०१२

सृष्टिके विस्तार

श्रीमद्‌भागवत कथाक तेसर स्कन्धक बारहम अध्यायमें मैत्रेयजी द्वारा विदुर संग वार्तालापके क्रममें सृष्टिक विस्तार ऊपर बहुत सुन्दर चर्चा कैल गेल अछि। संयोगवश एहि प्रसंगमें आइ जयबाक अवसर प्राप्त भेल आ सोचलहुँ जे हमरा हृदयके एतेक सुन्दर लागि सकैत अछि तऽ हमर मित्रक संसारमें सेहो एकर सान्दर्भिकता आ सारगर्भिता अवश्य होयत। आउ एहि पर किछु विशेष विन्दु के हम अहाँ सभ लेल राखि रहल छी तेकरा ध्यान सऽ मनन करू।

एक बेर ब्रह्माजी सोचि रहल छलाह जे हम पहिले जेकां सुव्यवस्थित रूपमें सभ लोक केर रचना कोना कऽ करी। एहि समय हुनकर चारू मुँह सँ चारि गो वेद प्रकट भेल। एकर अलावे उपवेद, न्यायशास्त्र, होता, उद्‌गाता, अध्वर्यु और ब्रह्मा – एहि चारि ऋत्विज सभकेँ कर्म, यज्ञक विस्तार, धर्मके चारि चरण, चारू आश्रम आ ओकर वृत्ति सभ, इहो सभ ब्रह्माजीकेर मुँह सँ उत्पन्न भेल।

विदुरजी पूछलखिन – तपोधन! विश्वरचयिता सभक स्वामी ब्रह्माजी जखन अपन मुँहसँ एहि वेदादि सभक रचना कयलाह, तखन ओ अपन कोन मुँह सँ कोन वस्तु उत्पन्न कयलाह – अपने से कृपा करैत हमरा बताउ।

तखन श्री मैत्रेयिजी कहलखिन – विदुरजी! ब्रह्माजी अपन पूर्व-दक्षिण-पश्चिम आ उत्तरके मुँह सँ क्रमशः ऋक्‌, यजुर, साम और अथर्व वेदके रचलन्हि आ एहि क्रमसँ शस्त्र (होताक कर्म), इज्या (अध्वर्युक कर्म), स्तुतिस्तोम (उद्‌गाताक कर्म) और प्रायश्चित्त (ब्रह्माक कर्म) – एहि चारू के रचना कयलन्हि। एहि तरहें आयुर्वेद (चिकित्सा शास्त्र), धनुर्वेद (शस्त्र-विद्या), गान्धर्ववेद (संगीत-शास्त्र) एवं स्थापत्यवेद (शिल्पविद्या) – एहि चारि उपवेद सभके सेहो क्रमशः अपन पूर्वादिमुख सँ उत्पन्न कयलाह। तेकर बाद सर्वदर्शी भगवान्‌ ब्रह्माजी अपन चारू मुख सँ इतिहास – पुराणरूप पाचम्‌ वेद बनौलन्हि। एहि क्रमसँ षोडशी आ उक्थ, चयन आ अग्निष्टोम, आप्तोर्याम आ अतिरात्र संगहि वाजपेय और गोसव – ई दू-दू याग सेहो हुनक पूर्वादिमुख सँ उत्पन्न भेल। विद्या, दान, तप आ सत्य – ईहो धर्मक चारि पैर आ वृत्ति सभक सहित चारि आश्रम सेहो एहि क्रममें प्रकट भेल। सावित्र, प्राजापत्य, ब्राह्मा आर वृहत्‌ – ई चारि वृत्ति सभ ब्रह्मचारी केर थीक। वार्ता, संचय, शालीन आ शिलोञ्छ – ई चारि वृत्ति सभ गृहस्थ केर थीक। तहिना वृत्तिभेद सँ वैखानस, वालखिल्य, औदुम्बर आ फेनप – ई चारि भेद वानप्रस्थ केर थीक। कुटिचक, बहुद्रक, हंस आ निष्क्रिय (परमहंस) – ई चारि भेद संन्यासी केर थीक। एहि क्रमसँ आन्विक्षिकी, त्रयी, वार्ता आ दण्डनीति – ई चारि विद्या एवं चारि व्यहृति सभ सेहो ब्रह्माजीक चारि मुँहसँ उत्पन्न भेल, आर हुनकर हृदयाकाश सँ ॐकार प्रकट भेल। हुनक रोमकूप सँ उष्णिक्‌, त्वचासँ गायत्री, माँससँ त्रिष्टुप्‌, स्नायु सँ अनुष्टुप्‌, अस्थिसँ जगति, मज्जा सँ पंक्ति आर प्राणसँ वृहतिछन्द उत्पन्न भेल। तहिना हुनकर जिभ स्पर्शवर्ण (कवर्गादि पंचवर्ग) आर देह स्वरवर्ण (अकारादि) कहायल। हुनकर इन्द्रियकेँ उष्मवर्ण (श, ष, स आ ह) आर बलको-अन्तःस्थ (य, र, ल, व) कहल गेल छैक; तेकर बाद हुनकर क्रीड़ासऽ निषाद, ऋषभ, गान्धार, षड्ज, मध्यम, धैवत आर पंचम – ई सात स्वर बनल। ब्रह्माजी शब्दब्रह्मास्वरूप छथि, ओ वयखरीरूपसँ व्यक्त आ ॐकाररूपसँ अव्यक्त छथि – आर हुनका सँ परा सर्वत्र परिपूर्ण परब्रह्म छथि, वैह अनेक प्रकारके शक्ति सभ सँ विकसित भऽ के इन्द्रादिरूप में भासित भऽ रहल छथि।

हरिः हरः!

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५ अगस्त २०१२

मिथिला व मैथिली के समृद्ध इतिहास आइ ओझल में कोना पड़ि रहल अछि? आखिर मिथिला के पहचान समाप्त करबाक षड्‍यन्त्र के निरस्त कोना पारल जाय? मिथिला-मैथिली के विभिन्न आन्दोलन के वर्तमान स्वरूप आ आगामी योजना पर विस्तृत चर्चा के लेल समर्पित नेतृत्वकर्ता डा. धनाकर ठाकुर व अनेको गणमान्य व्यक्तित्व सभ द्वारा विशेष संबोधन प्रशिक्षण कार्यक्रम। आगामी १४ अगस्त, २०१२ संध्या ५ बजे सँ रात्रि ११ बजे तक के बीच एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम अनलाइन – फेसबुक के पेज व ग्रुप चैटिंग के मार्फत उपलब्ध कराओल जायत। एहि सन्दर्भमें अपनेक सुझाव आमन्त्रित अछि।

हरिः हरः!

https://www.facebook.com/groups/397657300296872/

Ehi jaankaari ke sarvottam upayog ham sabh kena ka sakait chhi:

1. Apan jigyasa ke soochi taiyaar kari.

2. Mithila ke vartamaan abasthaa par apan vichaar raakhi.

3. Sudhaar hetu je kichhu sambhavana dekhi rahal chhi se sujhaw raakhi.

4. Mithila-Maithili ke astitwa bachaabay lel pran kari.

5. Apanek sa jural anya yuwa varga ke ehi prayaas sa jori, jay sa ki besi-sa-besi lok ehi aandolan me sahabhaagi bha sakaith.

Harih Harah!!

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I never celebrate a day imposed beyond my own culture – but nothing is bad to wish you a happy friendship day dear friends who have so wished for me. Enjoy the blissful music and remain happy.

One more line from me for not celebrating such useless days beyond my cultural ordinances – I am happy with whatever I celebrate as a true Hindu everyday since morning to evening and every moment is equally important for me as I must never feel away from Lord alone.

Harih Harah!!

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६ अगस्त २०१२

श्रीमद्भागवत कथा – प्रथम स्कन्ध – तेसर अध्याय – भगवान्‌केर अवतार सभक वर्णन

श्री सूतजीके शब्दमें –

सृष्टिकेर आदिमें भगवान्‌ समस्त लोककेर निर्माण करबाक इच्छा कयलन्हि आ महतत्त्व आदिसँ निष्पन्न पुरुषरूप ग्रहण कयलन्हि। से पुरुष दस इन्द्रिय, एक मन आ पाँच भूत – याने सोलह कला सँ सम्पन्न छल। कारण-जलमें शयन करैत जखन योगनिद्राके विस्तार कयलन्हि तखन हुनकर नाभि-सरोवर सऽ एक कमल प्रकट भेल आ ओहि कमलसँ प्रजापतिगणकेर अधिपति ब्रह्माजी उत्पन्न भेलाह। भगवान्‌केर ताहि विराट्‌रूपक अङ्ग-प्रत्यङ्गमें केवल समस्त लोककेर कल्पना कैल गेल अछि, वैह भगवान्‌केर विशुद्ध सत्त्वमय श्रेष्ठरूप थीक। योगीजन दिव्यदृष्टिसँ भगवान्‌केर एहि रूपकेर दर्शन करैत छथि। भगवान्‌केर ओ रूप हजारों पैर, जाँघ, भुजा आ मुख केर कारण अत्यन्त विलक्षण अछि; ओहिमें सहस्रो सिर, हजारो कान, हजारो आँखि आ हजारो नासिका अछि। हजारो मुकुट, वस्त्र आ कुण्डल आदि आभूषण सभसँ ओ उल्लासित रहैत छथि। भगवान्‌केर यैह पुरुषरूप जिनका ‘नारायण’ कहल जाइछ, अनेकों अवतारकेर अक्षय कोष होइछ – एहि सँ समस्त अवतार प्रकट होइत अछि। एहि रूपकेर छोट-सँ-छोट अंश सँ देवता, पशु-पक्षी आ मनुष्यादि योनि सभकेर सृष्टि होइत छैक।

क्रमशः…

हरिः हरः!

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जे होइत अछि मर्दक लाल
ओ सदिखन करैछ कमाल!

भले अन्तर्देशीय पत्रक माध्यम सऽ किऐक नहि हो, मैथिली के लेल ‘पल्लव’क योगदान महत्त्वपूर्ण लागल। एक पत्तामें यदि १० गो स्रष्टाक सुन्दर विचाररूपी विभिन्न बात समेटल जा सकैत छैक तऽ आजुक परिवेश में ५० पन्ना के रंगीन पत्रिका आखिर हमरा वा केकरो किऐक विस्मित करत। लेकिन विचारनीय बात छैक जे एहेन ओत-प्रोत प्रेम भरल प्रयास के कय सकैत अछि। विचार देनिहार लोक तऽ बहुत छैक, कहबी गलत नहि छैक जे विचार नित्य मस्तिष्क में अबैत रहैत छैक, लेकिन कऽ के देखेनिहार मात्र प्रमाणित करैत छैक मूल मर्म के, वजन के आ मूल्य के। जय हो!

समस्त मैथिलमें एहि प्रयास प्रति सजगता अपनाबैत अपन तरफ सँ किछु नव करय लेल प्रण लेबाक अनुरोध सहित।

जुनि उठाउ आंगूर ओहि लोक के देन पर
जेकर देन बनेलक मिथिला मूल्य देश भर!

धीरेन्द्र प्रेमर्षि जी – अहाँके बेर-बेर नमन अछि।

हरिः हरः!

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मिथिला-मैथिली के नाम पर हम सभ बहुत लोक अन्हरिया में हथोरिया मारैत रहैत छी। किछु दिन पूर्व अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद्‌ के आयोजनामें एक कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यक्रममें हम भाग लेने रही आ जाहि तरहक रुचि के जागृति एक अनपढ मुदा खूब बुझनुक गौंवाँ मजदूरमें देखलियैक से हमरा प्रेरित केने छल जे एक दिन यैह कार्यक्रम आजुक व्यस्त जीवनमें मैथिल लेल हम फेसबुक के मार्फत अनलाइन करब। एहि बेर मौका अछि, १४ अगस्त, २०१२ के संध्या ५ बजे सँ अहाँ सभ अनलाइन रही आ देखी जे मिथिला-मैथिली के वास्तविक स्थिति केहेन छैक आ एहि में हमरा-अहाँ लेल केहेन भुमिका अछि। गप-गप्फ-गप्फा सऽ आखिर कि देत ई फेसबुक?

निचुलका लिंक पर क्लीक करू आ ज्वाइन करू!

हरिः हरः!

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७ अगस्त २०१२

प्रिय दिलीपजी!

जय मिथिला! शुभ-प्रभात।

अगिला वर्ष ८ जनबरी – २०१३ दिन के प्रस्तावित महारैला के तैयारी हम अपन स्तर सऽ शुरु कऽ देने छी। नेपाल व भारत दुनू भागक मिथिला के सभ कर्मठ मैथिल सेनानी संग एहि विषयमें चर्चा कऽ रहल छी। सभ क्षेत्रमें कार्यरत मैथिल-मिथिलाप्रेमी आ मूलतः अपन विशिष्ट पहचान प्रति सजग लोक सभ सँ हम सम्पर्क करय लेल विचार केने छी आ तहिना अपनो लोकनि सँ निवेदन जे एहि प्रस्तावित महारैला में लाखों मैथिल के स्वाभिमान रक्षा हेतु सहभागी बनबैत भारत व नेपाल दुनू भाग मिथिला के पहचान संग कैल जा रहल छेड़छाड़ जे एतेक पुरान आ गरिमा-ओजभरल ऐतिहासिक पहचान के धूमिल बनबैत नवका-नवका झगड़ुआ आ वैमनस्यतापूर्ण पहचान सभ लादबाक चेष्टा भऽ रहल अछि जे कदापि दूरदृष्टिके राजनीति नहि बल्कि छद्म आ छूद्र विचार के प्रस्तोता बुझैछ तेकर भंडाफोड़ हो आ समस्त मैथिल एहि विषयमें आबो जागैथ नहि तऽ अवश्य देरी भऽ जायत। एक उदाहरणक संग हम एना सभके बुझय लेल निवेदन करब – भाषा के नाम पर आन राज्य बनल… तखन हिन्दी प्रेम में मैथिली के किछु अदूरदर्शी बिहार-पक्षधर नेता के चलते मिथिला निर्माण १९३५-१९५३ के बीच हाँ-नहि करैत खत्म कैल गेल… अन्ततः मैथिली अपन दम पर लड़ैत संविधान के अष्टम्‌ अनुसूचीमें स्थान प्राप्त कयलक आ तेकर बादो मैथिली विरुद्ध षड्‌यन्त्र रुकि नहि रहल अछि। हाइ-कोर्ट सऽ प्राथमिक शिक्षा माध्यम मैथिली हो – आदेश भेला बावजूदो कोनो तरहक पालन नहि करब, अदालती निर्णय के दरकिनार करब… ई सभ स्पष्ट कय रहल अछि जे मैथिली के बढनमा गुण सऽ केओ ईर्ष्या करनिहार नहि चाहैत अछि जे दबल-पिछड़ल भारतीय मिथिला आगू बढय। तहिना नेपालमें देखियौक जे २५० वर्ष के चर्चा खूब कैल जैछ आ अति प्राचिन इतिहास के देखनिहार केओ नहि। मधेस चाही मुदा मिथिला के लेल मधेसवादी नेता सभ के जेना मुँह पर ताला लागल हो। सभ के बुझल छैक जे लदौआ भाषा सऽ विकास अवरुद्ध होइत छैक। तेकरे विरोध में आइ नेपाल के ‘एक भाषा – एक भेष’ सिद्धान्त विरुद्ध एतेक पैघ आन्दोलन चलल छैक जेकर कारणे आइयो संक्रमण काल यथावत छैक… कोनो तरहक राजनीतिक निकास नहि भेटि रहल छैक… स्थिति भयावह छैक… तखन पता नहि मधेसवादी दल आ नेतृत्वकर्ता प्राकृतिक मातृभाषा के दबावैत हिन्दीके सर्वमान्य मधेसी भाषा के रूपमें एतहु स्थापित करैत मिथिला के दमन करय पर तूलल छैक। एहि सँ प्राप्ति किछु नहि छैक… बल्कि वैह जे वोट-बैंक राजनीति जे मैथिली-मिथिला के ब्राह्मण-कायस्थ-अगड़ा-वर्गक आरक्षित भाषा आ संस्कृति के मोहर मारि ओ घटिया सोचके राजनीतिबाज लोक सभ अपन मायके बोलीमें थुथूरके थोंथ जोड़ैय तहिना चाहि रहल छैक जेना १९३५-३६ में भारतमें किछु हिन्दीप्रेमी नेतागण जाहिमें एक नाम विशेषरूप सऽ उल्लेख करब जे परमादरणीय भारतक प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद रहितो हिन्दीप्रेममें चूक कय गेल छलाह जेकर कारणे आइ बिहारमें अपन बोली मैथिली, भोजपुरी, मगही, संथाली व अनेको उप-भाषिका… ई सभ गुमनामी के अन्हरियामें जानि कतय नूका रहल अछि … अपन दम-खम पर अपन पहचान आइयो हुक-हुकाइतो बनेने अछि… ठीक तहिना नेपालमें आइ ७५-८० वर्ष बाद वैह दाकियानूस विचारधारा…।

बहुत लिखब तऽ लंबा होयत। फेर बाद में। बस तैयारी जोर-शोर सऽ हेबाक चाही।

अहाँके विश्वासी,

मैथिल सेनानी प्रवीण!

हरिः हरः!

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८ अगस्त २०१२

हम कोनो जाति विशेष के बड़ उच्च आ कोनो जाति विशेष के बुच्च नहि करय चाहैत छी, लेकिन एक बात के अफसोस होइत अछि जे मिथिलामें सर्वाजातिमें मस्तिष्क विशिष्ट रहितो ब्राह्मण जातिमें मात्र बौद्धिक विकास के बात अक्सरहाँ चर्चामें देखैत छी आ हमर अधिकांश अन्य जातिके मित्र सभकेँ नंगा-तस्वीर आ लड़कीके तस्वीर के टैग करैत देखैत छी… एहि सऽ हमर नहि केवल आत्मविश्वास के चोट पहुँचैत अछि बल्कि इहो सोचय पर मजबूर करैत अछि जे आखिर दुलारुवे अहाँ सभ अपन संस्कार के आ स्मृतिविभ्रंश किऐक करैत छी? हरिः हरः!

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ई थीक एक प्रेम-प्रसंग जे लिखल जा रहल अछि केवल ओहि मैथिल रचनाकार के जे अपन माय के बोली के हिन्दी हाथे बेच देने अछि….

रचना हिन्दीमें…

वो छुपकर कुछ लिखा करती थी
रखती थी मुट्ठीमें भींचकर,
मैं सोचता था कि क्या है वो
रह जाता बस घूँट खूनका पीकर,
पर था विश्वास कि वो है तो मेरा
बाकी जो हो वो जाने ईश्वर बेहतर!

जिस दिन खुली वो मुट्ठी,
देखकर रह गया मैं दंग,
पढा उसके हाथों से छिनकर
उसमें पड़े थे प्रेम प्रसंग,
वो मेरी थी और मैं था उसका
कभी मिल न सका संग!

कहो फिर प्यार कैसा?
वो इकरार था कैसा?
क्या छल है जीवन?
क्यों व्यर्थ समय है?
यह खेल तो नहीं?
पर तुम तो तुम हो!
यह जान सको तो!

हरिः हरः!

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प्रिय
दिलीपजी, मिथिलान्चल विकास सेना
इन्द्रजीतजी, मिथिला यूथ फाउन्डेशन
कृष्णानन्दजी, दहेज मुक्त मिथिला
विकासजी, मिथिला राज्य आन्दोलनकारी
सागरजी, मानवतावादी समाजसेवी
आदित्यजी, मैथिल युवा आन्दोलनकारी
अमितजी (कलकत्ता), मिथिला राज्य समर्थक-सहयोगी
लगायत समस्त मैथिल युवा के जानकारी करबैत अपार हर्ष भऽ रहल अछि जे आगामी १४ अगस्त, २०१२ के अनलाइन डा. धनाकर ठाकुर व अन्य वरिष्ठ मिथिला राज्य संघर्ष करनिहार अनुभवी – बुजुर्ग केर संबोधन आ संगहि कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद्‌’ नामक फेसबुक ग्रुप पर कैल गेल अछि ताहि में संध्या ५ बजे सँ ११ बजे धरि अपने लोकनि अवश्य अनलाइन रही, आ मिथिला-मैथिली सम्बन्धित जतेक रास प्रश्न-दुविधा आदि हो से अपने राखि सकैत छी।

जनबरी ८, २०१३ – मिथिलान्चल विकास सेना अध्यक्ष श्री मोहन मल्लिक के अध्यक्षता में विशाल रैली दरभंगामें होयत, एहि में सभ के जोड़य लेल कार्य करी। एखनहि इन्द्रजीत जी अपन मिथिला यूथ फाउन्डेशन के तरफ सँ मिथिला के समस्त जिला सँ ३०-३० प्रतिनिधि मंडल भाग लेत तेकर जानकारी करौलनि अछि। दिलीप जी सऽ अनुरोध जे आवश्यक सम्पर्क करी। ८६७९९१३९९९.

हरि: हरः!

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करू लगतौ मीठो लगतौ
तीतो लगतौ खट्टो लगतौ
स्वाद के बात छय केहनो लगतौ
मुदा लगतौ भाइ जरुर
मानव रूप में कतेक प्रकृति
सत्त्व रजस आ तामस लगतौ
निवृत्ति आ ढेर प्रवृत्ति
सिखय लेल सेहो किछु भेटतौ
बनतौ मान जरुर!

हरिः हरः!

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९ अगस्त २०१२

आदर्श युवा

‘आइ रिजल्ट निकलला १५ दिन बीत गेल, सभ महाविद्यालयमें प्रवेश हेतु सूची निकैल चूकल…. हमरो प्रवेश सी. एम. साइंस में मार्क्स के आधार पर सीधा संभव अछि… लेकिन बाबु हमरा पाइ नहि दऽ रहल छथि जे प्रवेश लेल सभ प्रक्रिया पूरा कय सकी।’ – एकदम आक्रोशित होइत अंगना के गल्लीमें सभ महिला के सोझां झुना कूदैत-फंगैत माय के सुनेलक।

‘जो नऽ… बाप के कहिहें… बच्चा! हमरा लग बजने कह जे हम कि करियौ।’ माय सभ बात बुझितो लोक लज्जाके कारण दियादिनी आ पड़ोसिया साउस सभ नहि बुझैथ ताहि लेल झुना के बुझेलन्हि।

‘कि कहियैन बाबु के? कतेक कहियैन?’ लगभग कनैते झुना बरबस फेर माय सऽ अप्रत्यक्ष सहायता लेल गोहार केलक।

‘बौआ बच्चा के धियो-पुता के मोंन नहि राखल पार लगैत छन्हि।’ रुद्रपुरवाली काकी अपन भितरका शिकायत दियरके अन्ठाबयवाला प्रवृत्ति के चलते सोझां रखैत समेटके झुनाके हाथ पकैड़ि अपना लग बैसबैत ओकरा माथक केशके सरियबैत बजलीह।

‘कि कहियैन बहिन! हमर बिपैत तऽ आब दैबे टा हैर सकैत छथि।’ झुनाके माय अपन लाचारी सोझां रखलीह।

एतबामें झुनाके बाप अबैत छथि आ दरबज्जा पर सऽ सोर पारैत – ‘झुना! एक गिलास पैन लेने आबे। पढुआ भाइ सेहो आयल छथि। अंगनामें संतोला के कहुन कनेक चाय बनेती।’

संतोला उठिके अंगना दिसि जेती ओहि सऽ पहिने रुद्रपुरवाली काकी चिकरैत आ बौआ बच्चा के मुँह दुसैत बाजि उठलीह – ‘ईह! काज-धाज किछु नहि आ चाह लाबे तऽ पैन पियबे… से नहि! झुना के प्रवेश लेल जखन कालेजमें समय खत्म हेतैक तखन अहाँके चैंक खुजत… आ कि एहेन पढनमा बच्चा के अहाँ अपन अल्हड़ैय में गामहि सड़ाबय चाहैत छी?’

झुना के बाप के लेल ई कोनो पहिले दिन नहि छलैन – ओहो खिखियैत हंसैत बाजि उठलाह… ‘हे यै भौजी! हमरा लग अर्थ रहितय तऽ झुना के लेल हम किछु केने नहि रहितहुँ… देखियौ भगवान्‌ कि करैत छथिन। सभटा हेबे करतैक। देखैत छी जे केम्हरौ सऽ कोनो बाट निकलैत अछि तखन झुना के एडमिशन करबा देबैन।’

झुना जोर सऽ बाप के सुनबैत – ‘सभक एडमिशन भऽ गेलैक… आ हमर… नहि जाइन बाबु के भगवान्‌ कहिया अर्थ देथिन आ कहिया हमर एडमिशन हैत। डाक्टरीवाला पाइ सब कि भेलौ गै माय?’

बेटाके जोर सऽ डाँटैत – ‘हे रौ! तोरा नऽ लगैत छौक जे हम डाक्टरी करैत छी… लेकिन तों कि जाने गेलहीन जे ई केहेन डाक्टरी थिकैक… जाहि में कहियो ५ टाका तऽ कहियो १० टाका… कहियो सेहो नहि? बस एक भगवान्‌ टा छथि हमर आ हुनकहि सहारे हम सभ छी। बेसी हल्ला-फसाद नहि कर। अंगना के स्त्रिगण लग बैसि नेप चुवेला सऽ कि हेतौक?’

झुना पुनः अपन मन के बात रखैत अछि – ‘श्यामा के सेहो एडमिशन ओकर बाबु देवी साहु सऽ कर्जा लऽ के करबा देलकैक… ओकर बाप तऽ गरीब छैक… हमर बाबु डाक्टरी करैत छथि.. तखनहु…?’

एहि बेर किछु बेसिये जोर सँ चिकरैत बजलाह झुना के बाबु – ‘खबरदार जे कर्जा के नाम लेलें हमरा लग तऽ … आ हे रौ बुरि डाक्टरी… डाक्टरी… तोरा ने बुझैत छौक जे सभ डाक्टर साहेब के बेटा कहि बजबैत छौक… कहलियौ ने आइ धरि हम केकरो लग हाथ नहि पसारलौं अछि आ हमरा औकात नहि अछि जे दरभंगामें राखि तोरा पढा सकी… तखन बस भगवान्‌ के सहारा छौक। साइंस पढमें से पार नहि लगतौक। देखहीन केओ-केओ कहने छल जे झुना के कॅलेज एडमिशन बेर हम किछु मदैद कय देब… से आब हम माँगब सेहो संभव नहि… ओ सभ स्वयं कय देत। कहियो हमहुँ केने छलियैक। एडमिशन लऽ लिहें आ आर्ट या कमर्स में नाम लिखबिहें… जाहि सऽ घरोपर रहि अपनो सऽ पढाइ कऽ सकमें। साइंस में राजु कहैत छलाह जे ट्युशन पढने बिना विद्यार्थी पास नहि करैत छैक।’

काकी, भौजी आ बाबी सभ गोटा झुना के बाप के तामश देखि बुझि गेली जे बौआ बच्चा के तामश आ सच्चाई के जीवन कदापि याचना के विरोधमें रहैत अछि… सभ झुना के बुझाबय लगलीह। झुना सेहो बात बुझि गेल। आइन्दा बाप सऽ एक चव्वन्नी नहि माँगब – आ जीवनमें अपन बदौलत किछु करब से सोचि गुम भऽ गेल। बाप के असलियत बुझला उपरान्त नहि जानि ओकरामें कोन सरस्वती प्रवेश कय गेलखिन… बस ओ चुप्पे रहल आ ताबत धरि चुप रहल जाबत बाप सदा के लेल चुप नहि भऽ गेलखिन आ तखन बाप लेल कानैत ओ बाजय लागल आ बापके आदर्श पर ओकरा बहुत गर्व छलैक। आइ झुना स्वयं एक सक्षम युवा बनि गेल छल। बाप के समस्त दायित्व के अपन माथ पर उठाबैक लेल तैयार छल। समस्त गाम के सोझां हाक्रोश पारैत कानैत रहल आ ओकरा तकलीफ एकहि बात के जे अपन प्रखर स्वाभिमान बापो सऽ बेसी बनेलक लेकिन से बाप देखय सऽ पहिने चलि बैसलाह। बस तकलीफ एहि बात के ओकरा होइत रहलैक। तदापि ओ प्रण लेलक आ अपन पिता के समाधि समक्ष प्रण लेलक जे हम अहाँक आदर्श सऽ दुनिया के परिचित करायब, तहिये बुझब जे अहाँ हमरा हँसैत आशीर्वाद देलहुँ आ अहाँ चैन सँ अपन बेटा में अपन आधा-अधूरा कार्य पूरा करबाक विश्वास पायब।

एक आदर्श पिताक पुत्र रूपमें झुना आइ नहि सिर्फ अपन गाम बल्कि अपन इलाका में एक अलग छवि बनेने अछि। आजुक युवा लेल झुना केर आदर्श अत्यन्त प्रेरक आ अविस्मरणीय छैक।

हरिः हरः!

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हम स्मरण करा दी जे १४ अगस्त संध्याकाल ५ बजे सऽ अपने लोकनि अपन हृदय के विचार मिथिला-मैथिली प्रति राखब आ अपन श्रेष्ठजन अनुभवी नेतृत्वकर्ता संग जे दूरी बढल अछि तेकरा कम करैक चेष्टा करब। एहि सऽ मिथिला के भविष्य के कर्णधार नवयुवक सभ बेसी उर्जावान्‌ एहि लक्ष्य के संग हम सभ एहेन इन्तजाम मिलेलहुँ अछि। एहि तरहक सहभागिता एहि इवेन्ट पेज पर आ ग्रुप दुनू पर जरुर राखी। हम दुनू ठामक लिंक एक बेर फेर निचां में राखि रहल छी।

ई थीक ग्रुप केर लिंक आ केवल रुचि लेनिहार लोक मात्र जुड़ी:
https://www.facebook.com/groups/397657300296872/

ई थीक इवेन्ट पेज – एहिठाम जतेक लोक के इच्छा हो से जुड़ी:
https://www.facebook.com/events/451114021577051/

एक बात के ध्यान राखी, प्रश्न के माने अशिष्टता या गंभीरता नहि राखब आ हँसी-मजाक नहि होइत छैक। अतः केवल अपन स्वरुचि सऽ अपन योगदान देब, अन्यथा अहाँ जतय छी ओतहि नीक आ हम-सभ जतय छी ओतहि नीक। ईश्वर सभ के लेल एक छथि। जय जय करू!

कृष्णाष्टमी केर शुभ उपलक्ष्य में सभक लेल शुभकामना।

सधन्यवाद!

हरिः हरः!

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१० अगस्त २०१२

किसीको यह लगे कि ईश्वर तो है ही नहीं और फिर वो करने लगे हैवानोंके जैसा बर्ताव तो उसका अन्त शीघ्र समझना… उसे और कोई कुछ सजा दे न दे … उसके भीतर स्वयं परमात्मा ही उसके लिये पहला दुश्मन बन जाते हैं और उस दुर्जनकी आत्मा खुद ब खुद परमात्मा से कुछ ऐसा करनेको गुहारता है कि अहंकारी लीला जल्द ही समाप्त हो जाता है।

हमने श्रीकृष्णके जन्म हर साल मनानेके साथ भी कुछ अपने परमात्मा से ऐसे ही करुण पुकार सुनाने के लिये करते आये हैं – अंधकार से प्रकाशकी ओर अग्रसर करने के लिये श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाया जाता है। जब तक हमारे भीतर के कंस और रावण का वध नहीं हो जाता तब तक हमें यह एहसास नहीं हो पाता कि हमारे सारे कर्मोंका सबसे बड़ा और पुख्ता गवाह हमारा (जीवोंका) खुद-आत्मा है और वो तो हमेशा परमपिता परमात्मा से मिलनेके लिये बेताब रहता है, ।

जरा गौर करो! क्या ऐसे लोग जो मानव समाज में असहायोंका सहाय बनकर उन असहायों के अस्मिता से खिलवाड़ कर रहे हैं… क्या यह नहीं दिखाता कि रावणी अहं इन्हें ऐसा करनेके लिये प्रेरित किया?

हरिः हरः!

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क्या बात है! देख लो! छुपाये भी सच छुपता नहीं, ये जुबां पर आ ही जाता है। बिलकुल सही प्राकृतिक प्रतिक्रिया है। आखिर कोई कितना छुपाये? सरकार को अब चाहिये कि एक नया बिल लाकर घुस खानेको ‘चोरी’ के बराबर कम से कम सुनिश्चित कर दे। जनता भी राहत महसूस करेगी और नेताओंका अब एक नया वोट बैंक जो काफी दिनों से छुपाछुपीके जैसा है वो सरकारी महकमोंमें अब खुलकर बनेगा। डोरी लूज छोड़नेपर तो डकैती होगा ही। 

हरिः हरः!

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आइ तारीख १० अगस्त, २०१२ आ एखन धरि मुश्किल सऽ ५ (पाँच) गोट प्रश्नकर्ता – ईमानदार जिज्ञासा रखनिहार, आखिर हमर मिथिला पाछू किऐक, एकर पहचान खतरा में कोना आ विभिन्न अन्य सन्देहकेर परिस्थिति सऽ मुक्ति लेल आयोजित ‘कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यक्रम १४ अगस्त, २०१२ – अनलाइन एट फेसबुक ग्रुप/चैट’ पर आयल छथि। सच्चाई यैह छैक। कार्यकर्ता तऽ दूर – अध्ययन केनिहार के संख्या सेहो मिथिलामें मुश्किल सऽ ५% मात्र छैक। मिडिल-स्कूल सऽ हाई-स्कूल आ कॅलेज आदि कोनो शिक्षण संस्थानमें सेहो गंभीरतापूर्वक अध्ययन केनिहार शिष्यभाव रखनिहार के मात्रा आइ सभ सऽ बेसी कम बुझाइत छैक। ई बहुत पैघ शोध के विषय बनतैक जे आखिर अध्ययन सऽ लोक विमूख किऐक होइत अछि आ अन्य बात लेल भीड़ के कि चर्चा करी। एगो साधारण नटुआ नाच लेल तुरन्त में हजारों के भीड़ लागि जैछ। हमर एहि संवाद पुनः वैह ५ शुद्ध-सुसंस्कृत जिज्ञासू लेल अछि आ एक बेर हुनकहि सभ के फेर स्मरण करा दी जे काल्हि स्मरण करेने रही। फोकट के गप करनिहार आ नाच देखेनिहार – उपदेश देनिहार – दोसर पर आंगूर उठेनिहार के संख्यामें कमी नहि भेटत। 

हरिः हरः!

पुनर्स्मृति लेल कौल्हका संवाद निम्न अछि:
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हम स्मरण करा दी जे १४ अगस्त संध्याकाल ५ बजे सऽ अपने लोकनि अपन हृदय के विचार मिथिला-मैथिली प्रति राखब आ अपन श्रेष्ठजन अनुभवी नेतृत्वकर्ता संग जे दूरी बढल अछि तेकरा कम करैक चेष्टा करब। एहि सऽ मिथिला के भविष्य के कर्णधार नवयुवक सभ बेसी उर्जावान्‌ एहि लक्ष्य के संग हम सभ एहेन इन्तजाम मिलेलहुँ अछि। एहि तरहक सहभागिता एहि इवेन्ट पेज पर आ ग्रुप दुनू पर जरुर राखी। हम दुनू ठामक लिंक एक बेर फेर निचां में राखि रहल छी।

ई थीक ग्रुप केर लिंक आ केवल रुचि लेनिहार लोक मात्र जुड़ी:
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ई थीक इवेन्ट पेज – एहिठाम जतेक लोक के इच्छा हो से जुड़ी:
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एक बात के ध्यान राखी, प्रश्न के माने अशिष्टता या गंभीरता नहि राखब आ हँसी-मजाक नहि होइत छैक। अतः केवल अपन स्वरुचि सऽ अपन योगदान देब, अन्यथा अहाँ जतय छी ओतहि नीक आ हम-सभ जतय छी ओतहि नीक। ईश्वर सभ के लेल एक छथि। जय जय करू!

कृष्णाष्टमी केर शुभ उपलक्ष्य में सभक लेल शुभकामना।

सधन्यवाद!

हरिः हरः!

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Mithila me jigyaasu yuwa aa Mithila-Maithili me ruchi lenihaar yuwa ke kami par hamar aankhi kholanihaair Kumud Singh Jee sang bhel vartaa sabh ke lel preshit kay rahal chhi, avashya ehi vaartaa me sa ahu sabh lel kichhu na kichhu sundar sandesh chhupal achhi. Samay nikaalait puraa padhab. E hamar karbaddh prarthana achhi. Ona ta Maithili me ek paragraph sa faajil padha ke fursat nikaalay vala ke seho ghor akaal chhaik… lekin kahi aha hamar prarthana suni li… 

Harih Harah!
———————–

Kumud Singh
प्रवीण जी, अहां केकरा संबोधित क रहल छी। नटुआ नाच देखनिहार कहियो एहि काज लेल सामने नहि आउत। सच पूछू त नाटक देखबा लेल सेहो नहि आउत अहां त अध्‍ययन आ शोधक गप कहि रहल छी। मिथिला प्रेम टाइम पास आ ककरो विरोध करबा लेल बहुत लोक देखा रहल छथि।
about an hour ago · Unlike · 2

Pravin Narayan Choudhary
Sahamat chhi, aa tahi lel ham sambodhit kay rahal chhiyain hunka sabh ke je magarmachh ke nor bahabait rahait chhathi, lekin samay par sabh furfuri ghusair jaait chhanhi, hoshiyaari gaayab bha jaait chhanhi. 

Lekin, 5% lok par je asmitaa chhaik o sabh din tiklaik aa aaguwo tiktaik. Ham kewal 5 out of 100 mitra takait chhi. Kasam!!

Harih Harah!!
about an hour ago ·

Pravin Narayan Choudhary
आ यैह कारण छैक जे हम विद्यालय में सेहो मात्र पाँच बट्टे एक सौ के पढैत आ गंभीर बनैत देखने रहियैक… एहि में आइयो कोनो परिवर्तन भेलैक से बात नहि छैक। लेकिन हम गलतो भऽ सकैत छी।  हरिः हरः!
about an hour ago · Like

Kumud Singh
पिछला तीन साल स एकटा युवक एहन नहि भेल जे राज मैदान जा किला पर तिरंगा लहरा सकए, निश्चित रूप स एहि स मिथिला राज्‍यक शंखनाद सेहो भ सकैत अछि। मुदा एहि मे तत्‍काल हिनका सब कए नीतीश विरोध या राजनीतिक स्‍वार्थ नहि देखा रहल अछि। मिथिलाक पहचान स्‍थापित भ जाएत ताहि स हिनका सब कए कोनो मतलब नहि। आब अहां कहू जाहि छोट काज लेल एकटा युवक सामने नहि आयल, अहां एतबा पैघ काज लेल हजार युवक ताकि रहल छी। पिछला किछु दिन पहिने दरभंगा क श्‍यामा मंदिर क ढांचा में परिवर्तन संबंधी पोस्‍ट आशीष जी केने छलाह। आइ धरि कोनो युवा मंदिर परिसर जा ओकर जांच तक करबाक समय नहि निकाललथि। मिथिलाक पहचान लेल हिमालय पर जेबाक काज नहि छैक, बस आसपास जेबाक छैक सेहो एहि फेसबुकिया युवा सब स संभव नहि।
about an hour ago · Unlike · 1

Kumud Singh
प्रवीण जी, कोनो मांग पत्र लिखी गोसाउन क सामने राखि देला स सरकार ओकरा पर कार्रवाई नहि क सकैत अछि, तहिना खाली फेसबुक पर किछु लिख देला स आंदोलन या परिवर्तन नहि भ सकैत अछि।
about an hour ago · Unlike · 1

Pravin Narayan Choudhary
मानैत छी। अहाँके हरेक बात में प्रखर आरोप अछि लेकिन सच अछि।  परिवर्तन लेल हम सभ केवल तुच्छ प्रयास कय रहल छी एतबी टा कहि सकब। मिथिलामें युवा के बीच समस्या केवल रोजगार के प्रमुख छैक, पहचान, संस्कृति, अन्य… सभ एहि पेटक धधरा के आगू ओझल में पड़ैत छैक। ईहो जरुरिये छैक।
about an hour ago ·

Kumud Singh
प्रवीण जी, अहां अपना कए युवा मे किया शामिल क रहल छी, कियो आपत्ति दर्ज करा देताह।
about an hour ago ·

Kumud Singh
प्रवीन जी, रोजगारक चिंता क बहाना बना युवा कए बचेबाक अहांक प्रयास, हस्‍यासपद अछि। किया त एहन काज सामान्‍य युवा कहियो नहि करैत एलाह अछि। एहि लेल विशेष हेबाक जरूरत होइत अछि। रोजगार क समस्‍या सब काल मे रहल अछि। एहन बहाना त आजादी क आंदोलन स ल कए अन्‍नाक आंदोलन तक लगाउल जा सकैत अछि। मिथिलाक युवा अन्‍ना आंदोलन लेल कोना समय निकाली लेलथि।
about an hour ago · Unlike · 1

Kumud Singh
”मैं भी अन्‍ना” कहनिहार मैथिल युवक आइ ”मैं भी प्रवीण”कहबा लेल तैयार किया नहि छथि।
59 minutes ago · Unlike · 1

Pravin Narayan Choudhary
Bahut gambheer vindu par aha dhyaanaakarshan karaa rahal chhi. Really, hamar maath jhukal achhi.  Harih Harah!!
59 minutes ago ·

Pravin Narayan Choudhary
Yuwa hamahu chhi aa aha ke aarop ke maath par dhaaran karait chhi, laaje maath jhukal achhi.  Harih Harah!!
58 minutes ago · Like

Pravin Narayan Choudhary
Jahiya kono sewa yathaarth ke dharati par pura hoyat, tahiye aarop sa mukti bhetat.  Harih Harah!!
53 minutes ago · Like · 1

Kumud Singh
हम अहां पर कोनो आरोप नहि लगा रहल छी आ नहि अहां कए माथ झुकेबाक जरूरत अछि। हम बस इ कहबाक कोशिश क रहल छी जे समाज मे नायक सब नहि भ सकैत अछि, नायक बनबा लेल अतिरिक्‍त क्षमता चाही। आखिर एतबा दिन बाद अहां कोना सामने एलहुं। धनाकर जी सेहो हाल मे किछु एहने गप अपन वाल पर लिखने छलाह जे कार्यकर्ता नहि भेट रहल अछि।
47 minutes ago · Unlike · 1

Pravin Narayan Choudhary
Vyaktigat pratiidhittva sa faajil daayittva samooh lel grahan karait chhi. Maath taahi lel jhukal achhi. Harih Harah!!
45 minutes ago · Like

Kumud Singh
माथ झुकायब त खाली दरी देखबा लेल भेटत आ दरी उठेनिहार कार्यकर्ता तकबा मे लागि जाएब। ताहि लेल माथ उठा मंच देखू जे खाली पडल अछि। नायक तकबा मे लागू। कार्यकर्ता नायक जमा करि लेत।
42 minutes ago · Like · 1

Pravin Narayan Choudhary
Ham kaaryakartaa pahile aa aakhiri tak banal rahi sayh aashirvaad aha sabh diya, hamara lel yaih prarthana karu. Harih Harah!!
40 minutes ago · Like

Kumud Singh
नायक तकबा मे लागू। हम इ कहल अछि। नेहरू सेहो आजादी लेल गांधी कए अफ्रीका स ताकि अनने छलाह।
37 minutes ago · Unlike · 1

Pravin Narayan Choudhary
Kaaryakartaa ke ghor akaal chhaik, khaasiyat neto me chhaik je o sabh dari sametay lel seho samay dait chhathin, afasos je hamar sangi saathi sabh pon jhaarait bhaaig jaait achhi, naach samaapt aa okro sabh ke samay samaapt.  Harih Harah!!
37 minutes ago · Like

Kumud Singh
जा धरि नेता नहि बनत, कार्यकर्ता क अभाव रहत। अहां राजग कए देखू, जा धरि प्रधानमंत्री क नाम तय नहि होएत, सब नेता प्रधानमंत्री क सूची में अछि। मिथिला मे दरी उठेनिहार सेहो अपना कए नेता घोषित क दैत अछि किया त ओकरा पते नहि अछि जे ओ कार्यकर्ता बनबाक योग्‍यता सेहो नहि रखैत अछि नेता त दूर क गप।
35 minutes ago · Unlike · 1

Pravin Narayan Choudhary
Aa sach poochhu ta Neta ke kami nahi achhi, lekin Neta ke bujhanihaar lok kam aa dushanihaar bahut besi. Ham haalahi bahut lok sa sangat kayalahu, aa pata chalal je Mithila ke dharati aaiyo manishi sabh sa bharal achhi. Lekin hunkar sammaan me kaaryakartaa kam aa Guru sa Guruwai karabalaa bahut besi.  Ahu lel maath jhukal achhi.  Harih Harah!!
28 minutes ago · Like · 1

Pravin Narayan Choudhary
Ham haalahi Dr. Kamal Kant Jha san prakhar lok ke dekhlahu, etek sakaaraatmak aa sundar urjaa sa bharal sambodhan je hruday ke juraa delak. Isvar bas ek kaaryakartaa ke roop me ehen-ehen muni-mahatmaa sabh sa sangait dene rahaith, ham ta kanaah kukkur etabi me tirpit.  Harih Harah!!
27 minutes ago · Like

Kumud Singh
प्रवीण जी, अहां ज्ञानी आ नेता मे अंतर नहि क रहल छी। चिंतक अलग चीज अछि जे मिथिला मे बहुत अछि मुदा नेता सर्वथा अलग चीज अछि। चिंतक कखनो नेता नहि भ सकैत अछि। चिंतक नेता ताकि सकैत अछि। नेता त ओ भ सकैत अछि जे सब तबका कए अपन गप बुझा सकए। चिंतक केवल ज्ञानी कए बुझा सकैत अछि। मिथिला मे एहन के अछि जेकर एकटा हुंकार पर लाखो लोक ढार भ जाए।
24 minutes ago · Unlike · 1

Pravin Narayan Choudhary
Sudhir Babu – Arariya ke dekhlahu – Dr. Bhubaneshwar Gurmaita ke dekhlahu, Rabindra Kumar Choudhary Jee ke dekhlahu, Ashok Avichal Jee ke dekhlahu – aah ek par ek karmath lok – Udaychandra Mishra Jee sa bhet bhel… bujhaayal je e sabh Mithila ke bahut dur tak la ke jetaa… lekin sang denihaar aai kaalhi Mithila laayak kam aa MLA MP Paarshad Pramukh Mukhiya Sarpanch aadi ke election me panni peebait jindaabaad-jindaabaad karanihaar besi… o sabh ehi manishi ke sahayog denihaar nahi, jamana dosar chhaik. Hamar maath jhukal achhi.  Harih Harah!!
24 minutes ago · Like

Kumud Singh
अहां जतेक नाम लेल एहि मे स अधिकतर चिंतक छथि।
22 minutes ago · Unlike · 1

Kumud Singh
किनको लग हजार आदमी कए नियंत्रित करबाक क्षमता नहि।
21 minutes ago · Unlike · 1

Pravin Narayan Choudhary
Kumud Singh Jee – aai Ram Gopal Yadav ke o statement padhlahu je babu (clerk aa ministerial staffs) ke chor banay lel kahalaa, dakaiti kara se swayam ke rokay lel kahalaa… aab samaajwaadi neta sabh ke jakhan e haal chhaik takhan aha Mithila me neta yaane Videh, Ayachi, Mandan, Yagyavalkya, Gautam, Aaryabhatt, Dinkar, Sooraj, JP, RML, ehen lok ke lel kona kaaryakartaa paayab…?? E sabh panni aa chilam ke intejaam kay sakathin??  Hamar maath ehi sabh lel jhukal achhi je aai naitiktaa ke patan ke ghor andhakaar me ham yuwa sabh fasi gel chhi.  Harih Harah!!
21 minutes ago · Like

Kumud Singh
अवध आ मिथिलाक संबंध आब अहां उजागर जुनि करू। जखन चिंतक मिथिलाक देखलहुं त नेता सेहो मिथिला स देखू। डॉ मिश्र क पाछु सौटा गाडी चलैत छल। लालूक एकटा हुंकार पर एक लाख लोक हाथ उठा दैत छल। आइ नीतीशक एकटा बयान पर ताली बजेनिहार कम नहि अछि। फेर मिथिला कए कार्यकर्ता विहीन कोना कहल जाए। दरअसल नेताक अभाव अछि।
17 minutes ago · Unlike · 1

Pravin Narayan Choudhary
Thik kahait chhi, o sabh chintak chhathi. Neta ta vaastav me kewo achhiye nahi. Hamar ego bhaujee chhaleeh, o engineer bhai ke patni… gaam aabi geleeh aa kahali je aab ham netagiri karab… ham sabh bahut prasann bhelahu… je etek saksham aa sampann lok neta banati… sabh mili ke pura Hindustaan sa gaam aabi ekjut bha ke hunkaa jitaayal gel aa o jakhan netaagiri karay lagalih ta ohi sa poorv jatek bhrashta lok chhal tekraa apanaa me milaa lelee aa dunu haathe brahma loot kay rahal chhathi. Aha ta swayam patrakaaritaa ke kshetra sa chhi aa hamar gaam ke e kahaani chhaik, aha ke apratyaksh pataa seho laagi jaayat. Lekin aab chintak paksha punah asantusht achhi aa hamar gaam me fer shuru achhi waih purankaa khichaa-taani. Netagiri ke kaaran sabh pareshaan achhi. Kumud Jee… kakhan harab duhkh more… hey Bholanath…. bas yaih praati sabh chintak varga ke patni – pita – pitiyain – pitamahi – putra – parijan sabh gaabi rahal chhathi.  Hamar maath jhukal achhi. 

Harih Harah!!
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Kumud Singh
विद्यापति स आगू बढू। सुर-समाद शुरू भ चुकल अछि। नव नव गीतकार सब मंच पर पहुंचताह। डिबिया इजोतवाला गाम हमरो बड नीक लगैत अछि। कखन हरब दुख मोर….केतबा दिन गबैत रहब आ कनैत रहब।
11 minutes ago · Unlike · 1

Pravin Narayan Choudhary
Ham maanait chhi. Aha je darshan ka rahal chhi se hamhu ka rahal chhi. Bihar aa Bihar dwara del ja rahal o samast kharaat ke daanaa – jaahi par sandhyaa kaal taari aa chengaa maachh ke jhor par seho kaaryakartaa taiyaar bhetait chhaik…. Mithila lel ehen neta nahi bhetat…. taabat jaabat fer kono muni-manishi Vajpayee san ke neta kendra sa ekkahi ber fuki det je aab bahut bhel – Mithila san ke sanskruti ke mool akhaaraa ke daman bhel se neek baat nahi, ekraa raajya ke darjaa bhetab jaruri achhi… bas okrahi intejaar karu. Jena Maithili ke ashtam anusoochi me naam darj kail gel 68-69 varsh ke maun muni-chintak-vichaarak aandolan dwara – tahinaa kono nav chamatkaar ke intejaar karu je kahiyaa Mithila raajya ghoshna hoyat. Harih Harah!!
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Pravin Narayan Choudhary
Aha ke sang bahut kichhu sikha lel bhetal, aashaa karait chhi je aagaami samay me hamara ehen nav kaaryakartaa sabh ke aha ker sneh aa gyan-darshan ahina bhavishyame seho bhetait rahat. Ham ehi vaartaa ke copy aan-aan group par seho debay jaa rahal chhi, jaahi sa hamaraa san ke anya kaaryakartaa sabh lel seho kichhu nav gyaan darshan avashya bhetat. Harih Harah!!
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Harih Harah!

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११ अगस्त २०१२

For a writer and a thinker, it is very essential to reduce the activities from several groups and pages on Facebook – because we need a good amount of concentration to build positive thoughts and develop helpful ideologies for our society. I believe, my friends and fans would be getting all feedback from this page after a very short time. Do like this page to enable me concentrate on my love through writing and that through this page alone.

Thanks and best regards,

Pravin

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भाषा और संस्कृति से लोगोंमें एक खास पहचान बनती है, परन्तु जब एक भाषा के कारण दूसरे भाषा का मान-सम्मान कम हो जाय या फिर कम करनेके लिये राज्य द्वारा उस तरहके दमनपूर्ण नीतियोंको अपनाया जाता है तो समाजिक विद्वेष फैलना तय है।

भारतीय गणतंत्रमें नेपाली के लिये सम्मान होना लेकिन नेपालमें समानुपाती व्यवहार हिन्दी के साथ न होना, इतना ही नहीं, नेपालके खुद विभिन्न भाषाओंको एक भाषा नेपाली के नीचे दाब देना… आज नेपालमें अस्थिरता पैदा किये हुआ है। संविधान बनानेकी प्रक्रिया आज भी जारी है, संक्रमण काल चल रहा है, लोग एक-दूसरेको सिर्फ अविश्वास की दृष्टि से देख रहे हैं, शान्तिका देश आज खुद अशान्त और उद्वेलित अवस्था से गुजर रहा है।

लेकिन सच तो यही है कि भारतीय गणतंत्रकी विशाल हृदय से समूचे संसार को कुछ सिखना जरुरी है। भारतमें पहचान को अत्यन्त बारिकी के साथ सम्मान दिया गया और इतिहास को सम्मानित रखनेका पूरा प्रयास हुआ।

अफसोस यह जरुर है कि मिथिला जैसे अत्यन्त प्राचिन संस्कृति जो इन दोनों देशों के सीमाओंमें बंटा हुआ है इसको न तो इस देश ने और ना ही उस देश ने किसी तरहका उचित सम्मान देने का काम किया है; इसके लिये कभी भी उत्पीड़नका विस्फोट होनेका प्रबल आशंका को बल मिलते दिख रहा है।

हरिः हरः!

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मिथिला में नेता के कमी नहि, लेकिन नेता के लक्ष्य मिथिला नहि, बिहार आ भारत के गद्दी अछि। मिथिलामें नेता के उपेक्षा छोड़ि दोसर किछु प्राप्ति शायद संभव नहि, आ हर तरहें पिछड़ल क्षेत्र के नेता बनब हुनका सभ के पसिन्न सेहो नहि। मिथिला के वृद्ध माय-बाप आ परित्यक्त पत्नी समान व्यवहार करैत केवल वोट-बैंक राजनीति लेल युज एण्ड थ्रो के सिद्धान्त पर चलनिहार नेता गये दिन नव-नव हथकण्डा आ नव-नव आन्दोलन ठाड़्ह करैत रहैत छथि… लेकिन मूल चिन्ता किनको नहि। ताहि घड़ी दियादी झमेला ततेक रास ठाड़्ह कय देता जेकर परावार नहि। 

लोजपा, राजद, जदयु, सपा, दमकिपा, भाकपा, माकपा – कोन-पा आ सोन-पा लगायत भारतक दू प्रमुख राजनीतिक दल भाकाँपा आ भाजपा सेहो एहि क्षेत्रमें घर-घर प्रवेश केने अछि; लेकिन सभक नजरि केवल बिहार के पटना सऽ बहि रहल अविरल माल-खजाना आ भारतक दिल्ली सऽ बरैस रहल अनुदानरूपी माल-खजाना के हाथोंहाथ लूटय पर मात्र छैक। इलाका के विकास लेल २” के पिचिंग के जगह पौने इन्चके पिचिंग करैत दाँत खिसोरैत ठीकेदार सऽ पाइ (कमीशन) लैत नेताजी खिखियैत जल्दिये दोसर ठेका दियाबैक बात करैत छथि आ संध्याकालमें ममता आ मौर्याके बाररूम में खूब ठेल कऽ पियाबय के इन्तजाम रहैत छैक… चमचा-बेलचा-नेता-ठीकेदार सभ जैम के अपनहि हाथे अपन धर्म के लूट मचबैत अछि।

एम्हर मिथिला के सनातन पुत्र मनिषीगण स्रष्टा पहिले तऽ मिथिलाप्रेम भुभुवैत बहाबैत छथि… लेकिन जहाँ दूइ-चारि दिन घुमलहुँ आ पेटके धधरा आ नुनू-मुनू के किलकाड़ी सुनैत छथि आ कि पुनः अन्नपूर्णा के शरण तकैत तप में लगैत छथि आ हुनकहु मजबूरी बनैत छन्हि जे एम्हर-ओम्हर सऽ परिवार-पेट-परिजन-पोषण हेतु किछु अर्जन करैथ। देह पर दू बूट्टी माउंस रहतैन तखनहि केओ पूछबो करतैन… बिना निल-टीनोपाल आ खाली पेट के बावजूद सींगमें तेल नहि रहल तऽ मिथिलामें मोजर नहि भेटतैन… तखन ओहो सभ कि करता… पहिले स्वार्थपोषण आ तेकर बाद समाजपोषण। ओ तऽ धन्य सीताजी जे एहि धरती सऽ जन्म लऽ लेली आ रिद्धि-सिद्धि के एहिठाम सदा लेल छोड़ि गेलीह जे नहियो किछु तऽ थोड़बो-थोड़ अपन कृपा बनेने रहैथ… आ १-२ प्रतिशत सनातन पुत्र में ओ दम-खम रहैछ जेकर बदौलत मिथिला-जय – मैथिली-जय होइत रहैत अछि। आन के?

युवा में द्वंद्व छन्हि… सोचैत छथि जे लोजपा-भाजपा-कोनपा-सोनपा ज्वाइन करब तऽ पटना सऽ पेट भरत आ दिल्ली सऽ लागत दिल… आ मिथिला के संग धरब तऽ कादो-माइट में फाँगब प्रीत। एहि द्वंद्वमें रहैत अगबे हुंकार भरब हिनकर सभ के मजबूरी। लेकिन फेसबुक पर एला सऽ एना बुझैत छैक जे प्रतिबद्ध सनातनी मिथिला सेवक के संख्या कम नहि, मिथिला-मैथिली के जय-जयकार होइते रहत… लेकिन मिथिला राज्य एना बनत से असंभव अछि। लेकिन एक आरो सकारात्मक बात जे मिथिला के गण में सेहो आब अपन मूल शक्ति के क्षीण होइत देखि चिन्ता बैढ रहल छैक आ पटना-दिल्ली सऽ मोह टूटि रहल छैक। तखन देखी जे आब ८ जनवरी २०१३ के बाद नव परिस्थिति केहेन बनैत छैक।

Harih Harah!

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Look at the sky – doesn’t it show wonder sometimes? It is said by old people in Mithila that this scene appears in sky only and only when a pair of husband and wife proved chastity and died at the same time. This is the scene of their funeral. But this is simply a myth. We may not have any scientific reach to invent the real story behind. But I wish to sing the glories of Lord as He has made this world so bright and so beautiful. Our life needs to explore many things, keep sincerely devoted at His refuge.

Do sing with contemplation:

Hare Krishna Hare Krishna
Krishna Krishna Hare Hare
Hare Rama Hare Rama
Rama Rama Hare Hare!

Shri Krishnah Sharanam Mama!!

Harih Harah!!

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मनन करय योग्य ईहो बात छैक जे पार्टीके काज करय लेल लोक में स्फुरणा छैक। लेकिन हम सभ जे समस्या लेल ऊफान मचेने छी… मिथिला के सांस्कृतिक-भाषिक पहचान के समस्या… एहि लेल यथार्थ भूमि पर समस्या कतय छैक? एहि तरफ नेतृत्वकर्ता के ध्यानाकर्षण होयब जरुरी। राजनीतिक पार्टीके द्वारा कैल जा रहल कोनो जागृतिमूलक अभियान या विरोध सभा – आन्दोलन के मुद्दा पर सामान्य जनमानस तुरन्त समर्थन लेल संग ठाड़्ह होइत अछि… लेकिन जैड़ समस्या पर सभक ध्यान केना जेतैक एहि लेल सेहो किछु प्रयास होयब जरुरी छैक। केवल डायरीमें लिखय लेल जे फल्लां दिन हम खगड़ियामें आ फल्लां दिन गोड्डा में कार्यक्रम केने रही शायद बुनियादी समस्या के समाधान नहि करैत छैक, बल्कि व्यक्तिगत तुष्टि करैत हेतैक से हमरा बुझैत अछि।

आ से नहि छैक संभव तऽ पहिले बुनियादी समस्या सभक समाधान ताकैक लेल मिथिलावादी पार्टी सेहो अपन जनाधार बनाबैथ आ तखनहि मिथिला राज के सपना देखैथ। कि?

हरिः हरः!

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सोनरबाके जन्तर कि पण्डितबा के मन्तर? पंचायती अहीं करू।

हटिया पर ओना बहुत किछु बिकाय लेल अबैत छलैक। एक तरफ फूलडाली-चंगेरा-सूप-कोनिया-मौनी-ढाकी-पनपथिया-छिट्टी आ अनेको गृहस्थीमें प्रयोग करयवाला बाँसकेर काइम सऽ बनल वर्तन-बासन जेकरा बनबय लेल डोम जातिके लोक महारत हासिल केने रहैत अछि से बिकाइत छलैक, दोसर तरफ एक लाइन सऽ कुम्हार-कुम्हाइन सभ माटिक कोहा, ढकनी, घैला, डाबा, छाँछी, कस्तारा, सरबा, दीप, धूपबत्ती, हाथी, आ अनेको प्रकार के अन्य गृहस्थीके समान बेचि रहल छल। एवम्‌ प्रकारे एहि हाटके विशिष्टता जे सभ अपन-अपन घरैया लूरि अनुरूप अपन कलाकृति आ उपजा सभ बाजार-भाव संग हटियामें राखि बेचि रहल छल। के नहि छल ओहिठाम – डोम, कुम्हार, हलुवाइ, माली, तेली, सूरी, चमाड़, कुजरा, धुनिया, मलाह, सोनार, आदि सभक अपन-अपन घरैया लूरिके वस्तु-माल सभ बिकाइत छल ओहि हटिया में।

ओहि हटिया पर एगो पण्डितजी आ एगो सोनार सेहो नित्य एकहि ठाम बैसि अपन कला बेचैत छलाह। ओना तऽ ओ दुनू गोटे बड़ मित्रवत्‌ छलाह, लेकिन हटिया पर एक-दोसरक कम्पिटीटर। एक गोटे लग जे ग्राहक आबैन तऽ ओकरा ओ मन्त्र के शिक्षा देथिन आ दोसर गोटा जन्तर दैत छलैक। दुनू गोटा के दोकानदारी बड प्रसिद्ध छलैक ओहि हटिया में। जे पहिले जन्तर लेलक से बाद में मन्तर लैत छल आ जे पहिले मन्तर लैत छल से बादमें जन्तर लेबऽ लेल अबैत छल। जन्तर-मन्तर में कि सेटिंग रहैत छलैक से नहि पता मुदा बहुत लेल वैह दू दोकान सभ तरहक समाधान छलैक।

किछु दिन बाद ओहि गाम के किछु युवक ओहि दुनू दोकानके बन्द करबा देलकैक… शिकायत रहैक जे तू दुनू गोटे लोक के बेवकूफ बनबैत छहक।

कहू ई न्यायसंगत भेल?

हरिः हरः!

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अपनेक लोकनिक सहमति आ संभाव्य सहमति द्वारा उपरोक्त कार्यक्रम अपन पहिल अनलाइन वर्सन पूरा करत आ एहि में आवश्यक कोर्स अन्तर्गत हमरा सभ के प्रशिक्षक डा. धनाकर ठाकुर मिथिला के विषयमें अपन विचार आ शोधित सत्य सभ बतौता – तदनुसार आ सामान्यतया ओहुना हमरा-अहाँके मस्तिष्क में रहल प्रश्न-जिज्ञासा सभ सेहो राखब जेकर समुचित समाधान आदरणीय प्रशिक्षक महोदय करता आ हमरा लोकनि सहभागी लेल दीक्षा पूरा भेला के बाद आवश्यक प्रमाणपत्र सेहो देताह। एहि तरहें हमरा सभक कार्यकर्ताक रूपमें अपन मातृभूमिके सेवा लेल एक नव जीवन प्रारंभ करय के मौका भेटत।

शुभकामना के संग,

प्रशिक्षु, प्रवीण!

हरिः हरः!

https://www.facebook.com/events/451114021577051

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आत्ममंथन हेतु मात्र
(दहेज मुक्त मिथिला के अभियान संग जुड़ल सदस्य एवं अधिकारीगण लेल मात्र)!

मार्च ३, २०११ सऽ शुरु अछि ई अभियान!

एक पर एक व्यक्तित्व एहि अभियान में छथि जुड़ल!

मंच पर कतेको बेर भेला/भेली सम्मानित, बस अपन प्रतिबद्धता संग एहि अभियान के आगू बढाबय लेल!

सम्मान पाबि गेला के बाद कतेक लोक छथि गायब!

बहाना के कमी नहि, कहियो आँखि में गड़ल खूट्टी तऽ कहियो धोती/साड़ीमें लागि गेल खोंच, काज करय बेर परा गेला/गेली!

व्यक्तिगत स्वार्थ रहल सभ दिन हावी आ अभियान के गति भेल मत्थर!

कतेक श्रेष्ठ तऽ घूरि के पूछैयो लेल नहि अयलाह जे आखिर कोना चलि रहल अछि ई अभियान!

बहुत बात छैक – खूलि के बजला सऽ लोक हंसत। लोक वैह कहत जे आइ धैर मिथिला-मैथिली के नामपर चलायल जा रहल अनेको संघ-संस्था के कहल जाइत छैक। नेतागिरी, स्वार्थपुर्ति, ढकोसला… आडंबर… अनावश्यक… आ नहि जानि आरो कतेको तरहक घिनायल आरोप। समाज के नजैर में यैह दृष्टिकोण बनैत छैक समाजिक संघ-संस्था के।

लेकिन स्मरण रहय – हम बेर-बेर कहैत आयल छी – ई अभियान कोनो लौकिक दृष्टि सऽ नहि, अलौकिक दृष्टि सऽ बेसी छैक। आखिर घरके बेटी जे लक्ष्मी के पर्यायवाची पहचान थिकी हम सभ हुनका ऊपर अत्याचार के परंपरा आब बहुत दिन तक आरो नहि चला सकैत छी। अतः एहि अभियान में केवल आ केवल स्वच्छ हृदय सऽ जुड़ल लोक सक्रिय रहि सकैत छथि, बाकी आइ नहि काल्हि आडंबरमें अपनहि पलायन करता से स्वयंसिद्ध तथ्य बूझब।

ईश्वर सभके कल्याण करैथ। आ ओ समस्त कर्मठ सदस्य एहि बात पर मनन आ आत्ममंथन करैथ जे आखिर हुनकर भूमिका कि रहबाक चाही, कि छन्हि आ न्याय कि थिकैक।

हमर बात सँ केओ गोटा आहत होइ तऽ दू गिलास पाइन अवश्य पीबि के फेर दुनू पैर माइट पर सटबैत नजैर नीचां खसा के आँखि गुरारने धरती माय सऽ पूछी, हे धरा! अहाँ मिथिलाके माइटमें सीता के जन्म देलहुँ… कि सभ दिन सीता कानिते रहती??

हरिः हरः!

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१२ अगस्त २०१२

वार्ता समाधान के नीक माध्यम!

उपरोक्त बात कूटनीति, राजनीति, समाजनीति आ न्यायनीति सभ में प्रसिद्ध छैक। वार्ता के माने ई कदापि नहि जे बस अहाँ टा बाजू आ हमरा चुप केने रहू, या हमहीं टा बाजी आ अहाँ चुप रहल करब। समाजिक संजाल के माध्यम सऽ बहुत मूक वाचाल बनि रहल छथि आ बहुत वाचाल मूक सेहो बनि रहल छथि। स्थितिमें सुधार सेहो आबि रहल छैक आ बिगाड़ के मात्रा सेहो प्रचूर देखि पाबि रहल छी। तुलसीदासजी के द्वारा रामचरितमानसके मंगलाचरणमें उद्धृत एक बड़ नीक उक्ति स्मरण में अबैत अछि… नीक आ बेजाय सभ सँ संसार के इतिहास बनल छैक, निर्भर करैत अछि निज स्वभाव पर जे एहि सभ में सँ कि ग्रहण करब आ कि परित्याग करब।

हमर कहब अछि जे समस्या छैक तऽ समाधान सेहो छैक। एहेन कोनो समस्या नहि जे बिना समाधान के हो। अवश्य एहि लेल वार्ता एक नीक माध्यम छैक|

Harih Harah!

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सुनू मिथिलावासी समस्त मैथिल!

बाप-दादा-पुरखा के नाम भजा कय बहुत खेलौं, आब किछु स्वयं सेहो करू जाहि सऽ आबयवाला पीढी अहुँके सम्मानित बाप-दादा-पुरखाके रूपमें आबयवाला विश्व परिवेश के कहि सकय गर्व सऽ जे हम मिथिला के छी आ मैथिल छी।

मैथिली के बाढि फेसबुक पर एहेन आयल छैक जे हिन्दीमें खोंखी आ अंग्रेजी में अंगराई लेनिहार मैथिल लाजे नुकायल छथि।

मैथिली में बाढिक दर्शन कराबय लेल हमरो मजबूरिये आब अपन एक पेज निर्माण करय पड़ि गेल अछि… आ संभवतः हमर निजी प्रकाशन अतिशीघ्र मात्र आ मात्र एहि पेज सँ होयत। अपने समस्त प्रशंसक आ आशीर्वाद देनिहार सँ निवेदन जे चैटिंग के माध्यम हमर-अहाँके समय नष्ट नहि करैत बस एहि पेज के माध्यम सऽ अन्तर्क्रिया करी। मैथिली के बाढि में अहाँ भसियाउ नहि, खूब नौका-विहार आ गोलही-काँटी-मुंगरी-कबै-सिंगीके झोर बना कऽ मस्त रहू।

जय मैथिली! जय मिथिला!

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मिथिला पेन्टिंग केर अलौकिक सुन्दर कीर्ति – दुनिया के महानतम्‌ कलाकार श्री एस. सी. सुमन जी द्वारा हालहि पेन्टिंग केर एक प्रदर्शनी में ‘नैतिकता के खोजी’ नामक शीर्षक अन्तर्गत उक्त प्रदर्शनी में राखल गेल ई पेन्टिंग जाहिमें आकृति के प्रस्तुति में महिला केर श्रृंगार, हाथीके श्रृंगार, माछके श्रृंगार के संग-संग विभिन्न श्रृंगार सहित मानव के प्राकृतिक स्वरूप कला आ रंग केर माध्यम सऽ निखारल गेल अछि। ओना तऽ पेन्टिंग बहुत किस्म के होइत हेतैक… लेकिन यदा-कदा कोनो-कोनो पेन्टिंग कलाकार के हृदय सऽ निकलल मौलिक धारा के आम जन समक्ष रखैत छैक आ देखनिहार के मन-मस्तिष्कमें स्वतः अनेको तरहक बात उठैत छैक। वर्तमान पेन्टिंग देखि हमरा एना बुझायल जे संसार के आधार महिला के हम सभ बेसी नांगट करप पर उतारू छी, आ अपन मूल संस्कृति जाहिमें माछ, हाथी, माटि आ बाँसक काइमके वर्तन, अंगना, घर, आदि के सेहो श्रृंगारमें जुटैत रही… आब अपन अस्मिता के श्रृंगार संग खेलवाड़ कय रहल छी। हरिः हरः!

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१३ अगस्त २०१२

बंधुगण! आबि गेल चिर-प्रतिक्षित प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रारूप: डा. ठाकुर केर निम्न मेल अनुरूप हम सभ एहि बेर एक नव अनुभव समेटय लेल जा रहल छी। ओना तऽ ट्रेनिंग कैम्प ६ सेशन – प्रति सेशन २ घंटा – याने कुल १२ घंटा के फेस-टु-फेस होइत छैक। लेकिन अनलाइन करबाक सोच जाहि में बेसी सऽ बेसी कार्यकर्ता लाभान्वित भऽ सकैत छथि आ सभ किछु लिखित रहला के कारण बेर-बेर आ जगह-जगह भवष्य में सेहो उपयोग कैल जा सकैत छैक – से सभ सोचि हमर संयोजनमें एहि कार्यक्रम के प्रभावी बनाबय लेल हम निम्न उपाय सोचलहुँ अछि। अपने लोकनि ध्यानपूर्वक एहि नियम के पढी आ तदनुसार अपन आगाँ समय के प्रयोग करी। धन्यवाद!

१. मिथिलाक भूगोल
२. मिथिलाक इतिहास
३. मिथिलाक समस्या
४. मिथिला में समाजिक सामंजस्यता (एकरूपता)
५. भारतमें मिथिला राज्य किऐक (नेपाल लेल मिथिला राज्यकेर अलग संसाधन/संभावना)
६. मिथिला राज्य केर संसाधन पर चर्चा
७. एक कार्यक्रम के आयोजन केना कैल जाय
८. मिथिला लेल आदर्श कार्यकर्ता के गुण
९. अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद्‌ – उद्देश्य आ उपलब्धि
१०. अ. मै. प. केर द्वारा आयोजित २४म अन्तर्राष्ट्रीय मैथिल सम्मेलन
११. मिथिलाक आन्दोलनमें युवा केर भुमिका
१२. मिथिला के लेल कार्यकर्ता किऐक बनी
१३. प्रतिज्ञा आ दीक्षान्त समारोह (प्रमाणपत्र लेल भविष्यमें सशरीर अन्य कैम्प द्वारा ग्रहण करय के व्यवस्था)।

एतेक रास सामग्री पर हमर अहाँ के जतेक ज्ञान अछि से जरुर लिख के पहिले पोस्ट कय दी। तेकर बाद – गुरुजन केर पोस्ट एतबी विन्दु पर पढी, मनन करी आ तेकर बाद जे जिज्ञासा-प्रश्न आदि हो से राखी। तेकर जबाब आबि जायत, तेकरा पढी आ अन्तमें अपन प्रतिज्ञा आ दीक्षान्त समारोह (प्रमाणपत्र लेल भविष्यमें सशरीर अन्य कैम्प द्वारा ग्रहण करय के व्यवस्था)।

Harih Harah!!

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१४ अगस्त २०१२

मिथिला एकता समाज – सउदी अरब (रियाद) – प्रवक्ता श्री प्रभात राय भट्ट जी द्वारा प्रेषित एहि सुन्दर सूचना सँ स्वयं पुलकित होइत अपने लोकनि संग सेहो समाचार बाँटि रहल छी जे समस्त मैथिल केँ समेटि सउदी अरब में एक सुन्दर संस्था-संगठन के निर्माण भेल अछि ‘मिथिला एकता समाज’ आ एहिमें नेपाल सँ प्रव्रजित समस्त कामदार रोजगारी लोकनि एक मंच पर अपन भाषा, संस्कृति आ पहचान प्रति सजगता लाबैत समाज में विद्यमान विभिन्न कूरीति संग लड़ैक लेल प्रतिबद्ध बनलाह छथि।

खास बात जे अपन विधानमें पर्यन्त दहेज मुक्त मिथिला संग सहकार्य करैत दहेज केर दानव विरुद्ध संघर्ष करबाक योजना बनौलन्हि अछि।

मिथिला एकता समाज केर उत्तरोत्तर प्रगति लेल शुभकामना!

हरिः हरः!

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रचना सिर्फ बधाई की ही पात्र नहीं बल्कि इनका यह खुबसुरत पैकेज उन दाकियानूस लोगोंके मुँह पर जोरदार थप्पड़ है जो बेटियोंको दहेज के बदले दूसरे को देकर पिण्ड छुड़ाने में विश्वास रखते हैं – यह नसीहत है उनके लिये जो बेटीको जन्म देने से पूर्व ही कोखमें खत्म करने जैसा कसाईपन दिखाता है और बेशक हम सभी के लिये आँखों से पर्दा हंटाने के लिये सुझाव है कि बेटे और बेटी की शिक्षामें कभी भी फर्क ना करें।

रचना के माता-पिता अत्यन्त भाग्यशाली हैं जो रचना जैसी खुबसुरत बेटी के पिता हैं – सुधरो समाज सुधरो और बेटियोंको दहेज के लिये आगे बढने से मत रोको, दहेज देकर बेटीका शादी करना भी पाप ही है, उतने पैसे से इनका कैरियर बनाओ।

उठू यौ मैथिला जागब कहिया – दहेज मुक्त मिथिला बनायब कहिया!

हरिः हरः!

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ईश्वरके अनेक धन्यवाद जे एक नव परीक्षण सफल भेल। काफी दुविधामें रही जे अनलाइन प्रशिक्षण शिविर आखिर कोना चलतैक… लेकिन मजबूत इरादा आ दृढ इच्छाशक्ति सऽ कोनो कार्य असम्भव नहि छैक – ई एक पाँति पुनः अपन शक्ति प्रमाणित केलक।

डा. धनाकर ठाकुर, प्रवक्ता, अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद्‌ केर सान्निध्यमें मिथिला के जिज्ञासू युवाजन अपन-अपन फेसबुक पेजसँ एहि अनलाइन प्रशिक्षणमें सहभागी बनलाह। अपेक्षा अनुकूल सौ में पाँचहि के असल मर्म पता चलैत छैक – तहिना भेल – लेकिन पाँच केर तैयार होयब मिथिला-निर्माणमें अत्यंत सहायक होयत एहि पर हमर मनोबल मजबूत अछि। सौके भीड़ सऽ हंटल पाँच संग कात-करोटमें अनुसंधान संभव होइछ।

आजुक विषय रहल – मिथिलाक भूगोल! काफी रास बात सोझाँ राखल गेल आ काफी रुचि सँ सभ सहभागी समस्त बात के मनन केलाह, बुझला आ पुनः प्रश्नोत्तरीमें सेहो सहभागी बनलाह। आगाँ निर्णय ई भेल जे एतेक रास विषय के एक दिन में समेटब कठिन… अतः इवेन्ट/आयोजन के सीमा बढायल जाय आ पुनः दोसर दिन दोसर विषय पर पूरा समय खर्च करैत कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यक्रम कैल जाय। एहि तरहक कार्यक्रम के यथार्थ धरातल पर जे मूल्य छैक से तऽ हम ओही दिन सौराठमें देखने रही जतय एक गामके वृद्ध मंडलजी आ दोसर पासवानजी स्वस्फूर्त वाचन करैत एतेक सुन्दर ढंग सऽ सभ बात रखने छलाह… तखन युवाके एखनहि सुखौंती कोना लागत… से आब अनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम सऽ नहि सिर्फ तत्काल किछु युवा तैयार भऽ गेलाह, बल्कि वैह तथ्यांक सभ द्वारा आबयवाला भविष्य में आरो कार्यकर्ता तैयार हेताह आ समूचा संसार के मार्गदर्शन करयवाला मिथिला एक नया रिकार्ड बनायत। मिथिला निर्माण होयत, युवा जन आगू औताह।

अहुँ सभ आबि सकैत छी। निम्न लिंक पर ज्वाइन करू। परसू संध्या ६ बजे सँ – विषय – मिथिलाक इतिहास!

जय मैथिली! जय मिथिला!

Harih Harah!

https://www.facebook.com/events/451114021577051/

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१५ अगस्त २०१२

दहेज मुक्त मिथिला के सपना यैह:

१. जे मिथिला में पुरुष के मान कम नहि हो लेकिन महिला के सम्मान बढवाक चाही।

२. जे बेटी के दहेज देबय लेल अभिभावक त्रसित नहि होइथ बल्कि शिक्षा देबाक चाही।

३. जे बेटा के कैरियर लेल जेना अभिभावक चिन्तित रहैत छथि, तहिना बेटीके सेहो एक कैरियर देबाक चाही।

४. जे स्वेच्छा सऽ बेटी-जमाय के जतेक इच्छा ततेक देथून मुदा माँग केनिहार परिवार के बहिष्कार हेबाक चाही।

५. जे दोसराक बले (बेटीवाला सऽ सभ खर्चके माँग कयनिहार आ संगहि गहना व अन्य दहेज अप्रत्यक्ष रूपमें माँगनिहार) बेटाके विवाह करेनिहार के समाजिक प्रतिष्ठा सऽ वञ्चित करबाक चाही।

६. जे हर जगह – शहर या गाममें महिला स्वायत्तता एक सीमा में जरुरी, समाजिक क्रियाकलाप में महिलाक सहभागिता के गारंटी करबाक चाही।

७. जे महिला के इज्जत के बाजारू खिलौना के रूपमें नहि बल्कि घर के लक्ष्मी रूपमें सदिखन उच्चासन आ प्रमुख स्थान भेटबाक चाही।

८. जे समाजिक गतिविधिमें नहि केवल पुरुष द्वारा बल्कि महिला द्वारा सेहो समुचित समाजिक कल्याणकारी कार्यक्रम आ संस्कृति संरक्षण लेल आवश्यक सामूहिक गतिविधि आदि हेबाक चाही।

९. जे महिला द्वारा सेहो स्वतंत्रता दिवस आ गणतंत्र दिवस समान राष्ट्रीय भावना के उत्साह बढाबयवाला कार्यक्रम में झंडा फहरेबाक चाही – शहीद के शहादत प्रति बेर-बेर नमन्‌ करबाक चाही।

Aai uparokt sapana me sa ek sapana Lagama Gaam me puraa hoit dekhi samast Dahej Mukt Mithila Pariwaar hinak yashgaan karait achhi. Gaam Lagama – Jilaa: Darbhanga sabh din kraanti ke sutrapaat karayvaalaa gaam rahal achhi aa DMM ke lakshya me seho ehi gaam ke bhumikaa bahut paigh saarthaktaa aanat se hamara vishwaash achhi.

Harih Harah!!

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A son has to be like Modi. A leader has to be like Modi. An Indian has to be as Modi.

Mere allegation on great leaders with brand and emboss of being a communal will not develop India. We must do as he does.

Prove your caliber and become a true Indian. Happy Independence Day to all Indian Brethern! Harih Harah!!

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भारत केर स्वतंत्रता दिवस पर मैथिल भाइ प्रति समर्पित एक गीत:

हम तऽ विश्व फीरि के मिथिले वापस आयल छी
गीत मैथिली गाबय छी ना!
सौंसे मारि हथौड़िया खाली हाथ बड़ थाकल छी
गीत मैथिली गाबय छी ना!
हम तऽ विश्व…..

गेलौं गाम त्यागि परदेश, सोचि के लायब नया सनेश-२
कार्तिक बनल घूमल सभ देश, बिसरल बुद्धि जेना गणेश-२
छोड़ि के माय-बाप त्रिलोकी जेना औनायल छी
गीत मैथिली गाबय छी ना!
हम तऽ विश्व फीरि…

लूटलक एक-एक श्रृंगार, रखलक सदिखन बीच मझधार-२
सिखलक कला छीनि सौगात, लिखलक पेटपोसा कपार-२
बरु आब भूखहि पेट माटि अपन ओंघरायल छी
गीत मैथिली गाबय छी ना!
हम तऽ विश्व फीरि….

एकटा बात देखल सभ धाम, सभ जे ओगरै छै निज गाम-२
अपन देशके बनबय शान, गाबय सदिखन अपन बखान-२
कहू फेर मिथिलावासी हम कतय बौड़ायल छी
गीत मैथिली गाबय छी ना!
हम तऽ विश्व फीरि….

जगियौ-जगियौ मैथिल भाइ, सिखियौ दुनिया गति कि आइ-२
करियौ कर्म जनक सम भाइ, तखनहि औती सीता दाइ-२
कहू कि अनकर देक्सी करैत किऐ अन्हरायल छी
गीत मैथिली गाबय छी ना!
हम तऽ विश्व फीरि…

हरिः हरः!

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कि मैथिल कहाबैत अहाँके सम्मानित महसूस होइत अछि?

Select the right options as your answer to above question.

a. हाँ! किऐक त हम मिथिलाके छी आ एकर संस्कृति संसार में अपन विलक्षण स्थान रखैत छैक।

b. नहि! आब मिथिलाके अस्मिताके संसारक दृष्टिमें कोनो स्थान नहि छै। मिथिला पाछू अछि।

c. हमरा अपन राष्ट्रीयता सऽ मात्र मतलब अछि आ एहि मामले हम सम्मानित महसूस करैत छी।

d. मिथिला प्राचिन संस्कृति छैक लेकिन राष्ट्रीयताके आगू मैथिल रूपे सम्मान के भूख नहि

e. उपरोक्त में सऽ कोनो नहि, हमर कमेन्ट पढू।

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Regards,

Pravin

Harih Harah!!

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१६ अगस्त २०१२

मिथिला के तांत्रिक भूमि कहल गेल छैक, विज्ञान के दृष्टिमें तंत्र के अभियांत्रिकी सऽ जोड़ल बुझल जाइत रहल छैक… लेकिन भावनात्मक गति के ऊपर पकड़ राखयवाला तंत्र-विद्या के उपजा पर मिथक होयबाक मोहर लगबैत छैक विज्ञान – सुपर्सटिशन (अंधविश्वास) के कलंक दैत छैक… लेकिन वैह वैज्ञानिक के एक श्मसान साधना के बतायल उपाय पर कहल जाय जे प्रयोग करू… तखन निरर्थक कहत लेकिन प्रयोग नहि करत। तर्क सऽ सहज होइत छैक भावनात्मक समझ।

एक उदाहरण आरो देब – फ्राइडे जिशस के नलिफाइ कैल गेलैक, समूचा शरीर सऽ दर-दर खून बहैत रहलैक आ जिशस हंसैत अनुयायी के कहैत रहलैक जे हम आब अपन पिताके कोरामें समा जायब, ई काज करब जरुरी छलैक, नहि तऽ फेर एहि पृथ्वीपर अनाचारीके गलती के माफी कोना भेटितैक… सभक पाप के हरण हेतु हम एहि सजायके स्वीकार कयलहुँ… लेकिन अहाँ सभ सऽ रवि दिन फल्लां चर्च में भेंट होयत, कृपया ओहिठाम आबी। आब दू तरहक खेमा में बँटि गेल लोक… एक जेकरा ई विश्वास छलैक जे जिशस आइ धरि कोनो बात गलत नहि कयलक आ मरला के बादो ओ पुनः अवतरित होयत, रवि दिन जतय कहलक अछि ओतय भेंट होयत। लेकिन दोसर खेमा बुद्धि लगेनिहार – धूत्‌! इट इज इम्पासिबल टु कम बैक आफ्टर डेथ कहैत जिशस के बात के रिजेक्ट करैत रहलैक। एवम्‌ प्रकारेन एहने संदेह के परिस्थितिमें जिशस रवि दिन ओहि चर्चमें आबि सभ सऽ पहिले एक जोन नामक अनुयायी जे बेसी बुद्धि लगबैत सभके बरगला रहल छलैक ओकरहि पीठ पर हाथ रखैत पूछलकैक… हे! जोन! हम आबि गेलियौ! कतय बेसी दिमाग लगा रहल छें तों? … जोन के छुवेलकैक अपन देह… आ तखन पूछलकैक… नाउ यू विलिव.. वन कैन कम बाइ फ़ादर्स विश? जोन के देह सिहैर गेलैक आ ओ कूदैत-फंगैत गाबय लागल जे फ़ादर, यू आर ग्रेट! गॅड इज ग्रेट!… जिशस फेर हंसैत ओकर माथ पर हाथ फेरैत कहलकैक – हे! सी देयर! ओकरा सभके एखन धरि ई नहि बूझल छैक जे हम आबि गेल छी, बट दे स्टील सिंग एण्ड डैन्स विदाउट मच वरियिंग – एहि विश्वास के संग जे फादर कहियो गलत कहबे नहि केलैथ आ ओ जिशस के पठेबे टा करता। येस! ओकरा विश्वास कहल जाइत छैक जे हमरा सभ के भीतर एक आह्लादकारी शक्ति-कंपन उत्पन्न करैत अछि। बस! ओकर झूमब आ आब हमरा छूला-देखलाके बाद तोहर झूमब… एहि दू में फर्क छौक। तों बहुत काल धरि विस्मयमें व्यर्थ समय गंवा लेलें। आ ओ सभ तऽ हल्लूक छल। फूल जेकाँ खिलल रहल। ओ अहिना जीवन बिता लेत। तों फेर एहेन समय आबि सकैत छैक जे तर्क सऽ हमर अस्तित्व के नापय-जोखय में लगेमें।  जोन के नजैर झूकल छलैक। आसपास जतेक लोक छल ओ सभ एहि सऽ असल मर्म के सिखलक।

हमर कहय के मतलब जे सीता जी पृथ्वी पर अवतरित भेलीह आ बड़का-बड़का शास्त्र हुनका मिथिला के बेटी कहि के चिन्हलकैन, चिन्हि रहल छन्हि आ चिन्हैत रहतन्हि। हिमवान पुत्री गौरी अवतरित भेलीह आ महादेव संग वरण करय लेल कठोर तपस्या कयलीह, अपर्णा कहेलीह, मिथिलापुत्रीके रूपमें अमिट छाप छोड़ि चलि गेलीह। मिथिला के जनवाणी – नचारी – महेशवाणी – भक्ति केर हर स्वरूपमें सीता आ गौरी आ हिनक वर श्रीराम आ महादेव के गरियाओल सेहो गेल… मुदा प्रेम केर भावना संग।  जे तप केलाह ओ जपलाह, अहूँ जपू आ जीवन के सिद्ध करू।

काली-दुर्गे राधेश्याम
गौरीशंकर सीताराम!

सभमें तर्कक मीटर जुनि लगाउ। 

हरिः हरः!

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हमें बेटियोंको ऊँचाई छूते देख बहुत ही गर्व होता है और आत्मविश्वास भी बढता है क्योंकि ‘दहेज मुक्त मिथिला’ नामक अभियान अन्तर्गत हमें साइना नेहवाल, रचना नंदन और अनेकों बेटियोंकी जिन्दगीपर बिबिसी का कवरेज को शेयर करते हुए लोगोंमें जागरुकता फैलानेका सुनहरा अवसर प्राप्त होते रहता है। बिबिसीका बहुत ही आभारी हैं हमलोग। आप युँ ही हमें लोगोंके पास बेटियोंका बड़ा कारनामा बतानेका अवसर देते रहें। हरिः हरः! www.dahejmuktmithila.org

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एकांकी नाटक: दरभंगिया हिन्दी

प्रीति: तू काहे पाउडर लगाती है। तू तो ऐसही बड़ी गोर है री। (अपन छोटकी बहिन के ठुनका मारैत कहैत छैक।)

सृति: काहे! पाउडर कोनो गोर होने के लिये लगाया जाता है सो? (ऊचकैत पूछैत छैक अपन बहिनसऽ।)

(दुनू बहिन आपसमें केस थकरैत – पाउडर लगबैत – अलता-श्रृंगार करैत आपस में बात करैत रहैत छलैक। भन्सा घर सऽ माय के स्वरमें)

मम्मी: हय सृतिया-प्रीतिया! एतना बार शोर कर रहे हैं से तोरा सबके कानमें ठेपी पड़ा है जी?

प्रीति: कि मम्मी?

मम्मी: जल्दी दुनू बहिन अपन खाना खा लो आ बापो के खाना जल्दिये खाय लेल कैह दो। हमरा माथामें आइ भिन्सरे से टनक दे रहा है। कनी जल्दिये आराम करनेका मन है।

सृति: हाँ मम्मी! हमरा तऽ भूखो जोर सऽ लागल अछि।

प्रीति: (बहिनके मैथिली बजैत देखि समझाबैत) हगै! मैथिलीमें बजैत छिहीन। मम्मी के आरो माथ दुखेतैक। बूझल नहि छौक जे ओकरा टेन्शन भऽ जाइत छैक?

सृति: हगै बुझलियौ! चुप-रह! चुप-रह! तू कोन सतिवर्ता छँ से? अपन मुँहक बोली कि तोरा बिसरा जाइत छौक? ई कुनू स्कूल छियैक से?

प्रीति: हँ गै! सेहो ठीके कहैत छँ… स्कूल में तऽ मास्टर सब अपने मैथिलिये में फदर-फदर करतौ आ हमरा सबके मैथिली में बजैत देखि छड़ी लऽ के पिटैत छौ।

(फेर अन्दरसऽ माय हाक दऽ के शोर करैत छैक।)

मम्मी: हय! छौंड़ी सब! तखन से शोर करते-करते हमरा टनक वाला माथा फूट रहा है आ तूँ सब बात नञि सुनती है?

प्रीति: हैया एलियौ मम्मी!

मम्मी: ऐँ जी! तू सब नाक कटाती है… मैथिली बोलकर। तुम सबके चलते हम हिन्दिये बोलते हैं कि हमर जेठकी विशाखापटनम वाली दियादिनी के धिया-पुता से ऐबरी तुहूँ सब कोनो मामला में कमजोर नहि पड़ेगी… आ तू सब तऽ मैथिलिये में कहती है कि एलियौ मम्मी?

सृति: मम्मी! अहाँ पागल नहि बनू। मैथिली हिन्दी सऽ बेसी मीठ लगैत छैक। कोनो स्कूल थोड़ेक नऽ छियैक…?

मम्मी: खबरदार! हम माहूर खा लेंगे… आइन्दा तू सब मैथिली बोली तो। घर हो कि स्कूल! खाली हिन्दी आ अंग्रेजी बोलो।

(दुनू बहिन कनैत सनक मुँह बनबैत माय के मुरी डोलाकऽ गछैत छैक। आगू हिन्दिये बाजब।)

एहि एकांकी नाटक पर पाठक अपन प्रतिक्रिया दरभंगिये हिन्दीमें देब, से आग्रह।

हरिः हरः!

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मिथिलाके इतिहास सन्दर्भमें किछु बात श्रीविष्णुपुराण सँ:

मुनि श्रीपराशरजी केर शब्दमें – चतुर्थ अंशक पाँचम अध्याय सँ।

इक्क्ष्वाकु केर जे निमि नामक पुत्र छल ओ एक सहस्रवर्षमें समाप्त होयवाला यज्ञके आरम्भ केला। ओहि यज्ञमें वसिष्ठजी केँ ‘होता’ (आचार्य) रूपमें वरण कैल गेल। वसिष्ठजी हुनका सँ कहला जे पाँच सौ वर्षक यज्ञ लेल इन्द्र हमरा पहिले वरण कय लेने छथि। अतः एतेक समय अहाँ रुकू, ओतय सऽ अयला उपरान्त हम अहुँके ऋत्विक्‌ बनि जायब। हुनक एना कहला पर राजा किछो उत्तर नहि देला।

वसिष्ठजी ई बुझैत जे राजा हुनक कथन स्वीकार कय लेलाह छथि, इन्द्रकेर यज्ञ आरम्भ कय देलाह। किंतु राजा निमि सेहो ताहि समय गौतमादि अन्य होतागण केर द्वारा अपन यज्ञ सेहो करय लगलाह।

देवराज इन्द्रक यज्ञ समाप्त होइते ‘हमरा निमिके यज्ञ करेबाक अछि’ एहि विचारसँ वसिष्ठजी सेहो तुरंते आबि गेलाह। ओहि यज्ञमें अपन ‘होता’के कर्म गौतमकेँ करैत देखि ओ सूतल राजा निमिकेँ ई शाप देला कि ‘ई हमर अवज्ञा करैत सम्पूर्ण कर्मकेर भार गौतमकेँ सौंपला छथि ताहिलेल ई देहहीन भऽ जेता।’…

क्रमशः…

एहि कथा के आब हम बाद में पूरा करब – बल्कि संक्षिप्त में यैह कहय चाहब जे शास्त्र-ओ-पुराण सँ उल्लेखित मिथिला केर इतिहास मानवक शब्द में गान संभव नहि अछि। हमर समझ सँ मिथिला देवभूमि थीक। ताहिलेल एहिठाम आइ धरि अनेको देवता आ ऋषिके पदार्पण केर प्रसिद्धिक इतिहास रहल अछि। आधुनिक कालमें समयकेर बिगड़ैत धारा सँ मिथिलाके दुर्दशा एहने भेल अछि जे ई दू राष्ट्रके बीच नोचा गेल केक के टूकड़ी अछि… मैथिल के मीठ मस्तिष्करूपी जैम सऽ समूचा संसार फायदा उठा रहल अछि, लेकिन मिथिला अपनहि अपन सम्मान लेल क्रन्दन कय रहल अछि। ओ हो चाहे भारत या हो चाहे नेपाल… भूगोल के विषय में विगतमें हम सभ चर्चा कय चुकल छी… अगबे मीठ बात आ आत्मसम्मान केर विभिन्न स्वरूप सभ के वास्तविक स्वरूप देखि चुकल छी। लेकिन आब समृद्ध इतिहास आइ एहेन विपन्न वर्तमान में परिणत कोना भेल एहि विन्दु पर आदरणीय प्रशिक्षक व गणमान्य सभ सँ शिक्षा प्राप्त करय लेल आजुक कार्यक्रममें अपनेक स्वागत अछि। आशा करैत छी जे जाहि गंभीरता के संग हम सभ ओहि दिन चर्चामें सहभागी भेल रही, बस किछु ओहू सऽ नीक जेकां आजुक चर्चाकँ गंभीरता सँ निष्पादित करी। सभकेर अभिवादन आ फेर स्वागत।

संयोजक – प्रवीण!

https://www.facebook.com/events/451114021577051/ – जे एखन धरि नहि पहुँचल छी से जल्दी सहभागी बनी। एहि विलक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम सँ भरपूर लाभ उठाबी।

हरिः हरः!

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१७ अगस्त २०१२

एकांकी नाटक: पापा! चान चाही!

रुबी: मम्मी! अहाँ सऽ हम एक बात कहय लेल चाहैत छी। (एकदम लजैत मुदा हिम्मत केने माय तरफ मुखातिब होइत एक विवाह योग्य बेटी बजैत छथि।)

माय: हाँ बेटा! कहू! माय सऽ केहेन लाज! कहू-कहू!

रुबी: हमर विवाह लेल अहाँ सभके दिन-राति चिन्ता करैत देखि आब हमरो चिन्ता होवय लागल अछि।

माय: राम! राम! हमर चिन्ता बेटी भले अहाँ किऐक अपन माथ पर लैत छी? सभ के अपन सोचय लेल कर्तब्य छैक ने?

रुबी: लेकिन पापा जी बहुत दिन सऽ गुमशुम रहैत छथि… अहाँके कतेको बेर पूछैत देखैत छी… लेकिन ओ समुचित जबाब नहि दैत छथि.. जाहि सऽ अहाँके उदास देखैत छी हम… से हमरा एकदम नीक नहि लगैत अछि। कि बेटी भऽ के जन्म लेनाइ माय-बाप के एतेक चिन्ता देनाइ होइत छैक?

माय: बेटा! एक दिन अहूँ हमरहि जेकां माय बनब – अहूँ के हमरे जेकां सोचय लेल जरुरैत पड़त। सोचनाइ के माने चिन्ता करब नहि होइत छैक। अहाँके जेना अपन कोर्स के पढाई करैत सोचय के आवश्यकता होइछ तहिना हरेक जवान बेटीके माय-बाप के सोचय पड़ैत अछि।

रुबी: लेकिन अहीं न पापा सऽ कहैत छियन्हि जे एखन धरि कोनो उपलब्धि नहि भेल?

माय: ओ हमर आ पापा के बीच के बात थीक, ओहि सऽ अहाँ व्यग्र जुनि होउ।

रुबी: (कनेक आरो बेसी लजाइत) हम एक सुझाव देबऽ लेल अहाँ सऽ बात करऽ चाहैत छी। कहैत मुदा डर बहुत भऽ रहल अछि… लेकिन…

माय: कोनो बात नहि, माय सऽ कोन लाज बेटा, कहू।

रुबी: फेसबुक के एक ग्रुप दहेज मुक्त मिथिला सऽ हमरा एक दहेज मुक्त वर भेटि गेल अछि। (एकदम लजाइत माय सऽ कहैत हुनकर आँचर में लिपैट जाइत अछि रुबी। सामान्यतया मिथिलामें बेटी के एतेक हिम्मत नहि जे अपन वर-चुनाव या फेर विवाह-चर्चामें ओ कहियो प्रत्यक्ष सहभागी बनय… लेकिन आइ अपन माता-पिताके असीम वेदनामें देखि एक बेटी हिम्मत करैत अपन निजी जीवन केर किछु उपलब्धि सुनबैत छथि।)

माय: कि? दहेज मुक्त मिथिला सऽ वर भेट गेल? बुझा के कहू हमरा? (विस्मय सऽ भरल आ आधुनिक बात के बुझय के प्रयास करैत…)

रुबी: हाँ मम्मी! ई एक नव प्रयास थिकैक युवा सभक… एहि ठाम स्वेच्छा सऽ कोनो लेब-देब के दहेज नहि मानल जाइत छैक आ माँग कयनिहार के दोषी मानैत समाजिक बहिष्कार के बात सेहो कैल जाइत छैक। बहुत युवा-युवती जुड़ल छथि आ अपन समाज के नीक बनाबय लेल प्रतिबद्ध छथि। वास्तवमें दहेज के कारण कतेको माता-पिता बेटीके पढाबैत नहि छथिन आ बस जेना-तेना दहेज के व्यवस्था गनैत बेटी के विदाइ करैत छथिन… एहि सभ के कारण मिथिला के आधा सऽ फाजिल जनसंख्या दिमाग रहितो समुचित विकास नहि करैत छथिन आ एकर पैघ प्रभाव पड़ैत छैक अगिला पीढी पर… एहि तरहें मिथिला पहिले बहुत पाछू छूटि गेल छैक आ आगुओ कम से कम नीक भविष्य हो… एहि सभ तरहक सोच लऽ के इन्टरनेट के माध्यम सऽ स्वच्छ व्यवहार – सिद्धान्त अपनाबैत लोक अपन जोड़ी चुनि सकैत छथि… एहेन तरहक इन्तजाम छैक।

माय: लेकिन अहाँ के कोना पता चलत जे ओ लड़का केहेन छैक, ओकर परिवार, विचार.. आदि?

रुबी: से तुरन्ते तऽ पता नहि चलैत छैक… लेकिन धीरे-धीरे जखन बेसी सऽ बेसी अन्तर्क्रिया कैल जाइत छैक तऽ बुझऽ में आबि जाइत छैक। आ… हम कोनो फाइनल थोड़ेक नऽ कऽ देलियैक… बस आब अहाँ सभके अपन सुझाव दैत छी… विशेष अहाँ सभ करी।

माय: बेटा! अहाँ लड़का के बायोडाटा आ पारिवारिक विवरण हमरा दियऽ, पापा छूट्टीमें अबैत छथि तऽ बात करैत छी हम।

रुबी: मम्मी! हम ओतेक तऽ नहि बुझैत छियैक… हे ई लियऽ लड़का के पापा आ लड़का के मम्मी के फोन… अहीं सभ बात करू। हमरा तऽ लड़का संग बात भेल। बहुत आदर्श सिद्धान्त के बुझेला।

माय: ठीक छैक। पापा के अगिला महिना १५ तारीख के छूट्टी भेट जेतनि तऽ आवश्यक कथा-वार्तामें सेहो पठा सकैत छियन्हि। आइ-काल्हि तऽ लोक के ड्युटी एतेक समय घेर लैत छैक जे….!

रुबी: लेकिन पापा के कहि एक बेर लड़का के पापा सऽ गप तऽ करबियौन?

माय: ठीक छैक। एखनहि कहैत छियन्हि। लगाउ फोन। (माय रुबीके पापाकेँ फोन लगबैत नंबर लिखबैत छथि आ बात करय लेल कहैत छथि…)

माय: बेटा, एक कप चाय बनाउ, कनेक माथ धेने अछि… भिन्सर सऽ एको कप कड़क पत्ती वला चाय नहि पिलहुँ शायद तही लेल…. (रुबी चाय बनबय लेल भीतर जाइत छथि आ ततबा काल में ओम्हर सऽ फोन अबैत छैन पापा के)

पापा: (फोन पर) ओ सभ तऽ बड़ पैघ लोक सभ छथिन… हम सभ कोना सकब??

माय: से कि?

पापा: बस! गपशप सऽ किछु तहिना बुझायल जे किछु चाहबो नै करी आ सभ किछु चाही।

माय: से जेकरा जे जुड़ैत छैक देबे करैत छैक… लेन-देन के बात पर तऽ रुबी कहने छलीह किछु नहि तखन फेर…?

पापा: नहि! बेर-बेर पूछैत छथि जे कि करबैक – कि करबैक…?? से हमर तऽ काज आ तनख्वाह जेहेन अछि से दुनिया के पता छैक.. ओ सभ आलीशान कमाइ आ गाड़ी-बंगलावाला लोक सब… हमर औकाति सऽ बेसी शेखी… तखन कि कहैत छी?

माय: रुकू हम रुबी सऽ बात करैत छी।

(अन्दर सऽ रुबी के प्रवेश… ट्रे में दु कप चाह लेने अबैत छथि, माय के चाय पकड़ाबैत छथि)

रुबी: पापा के फोन छल मम्मी?

माय: हाँ बेटी! गप भेलनि आ ओ सभ तऽ बड़ धनिक-मनिक लोक छथिन… अहाँके पापा एक साधारण कर्मचारी… ओतय जोड़ी कोना मिलत?

रुबी: एहिमें धनिक-मनिक आ जोड़ी नहि मिलयवाला कोन बात भेलैक मम्मी? हम अपनहि २५ हजार के नौकरी करैत छी, अपन पैर पर ठाड़्ह छी, हर सुविधा के मेलकाइन हम स्वयं छी… फेर जोड़ी नहि मिलय के बात?? लड़का सेहो अपन पैर पर छथि… फेर…? कि कहय लेल चाहैत छी?

Continued…

Harih Harah!!

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कहाँ गये पाकिस्तान के अल्पसंख्यक: वसातुल्लाह खान (बिबिसी हिन्दीपर एक बेहतर मूल्यका ब्लाग) – जरुर पढें! मैंने इसपर निम्न टिप्पणी देना जरुरी समझा। हरिः हरः!

http://www.bbc.co.uk/blogs/hindi/2012/08/post-260.html

मुझे आपके ब्लाग पढके बहुत सारी नयी जानकारी मिली और पहले से दिमाग में घर किया हुआ वो शंका विश्वासमें परिणत हो गया कि हिन्दू अपनी सहिष्णुताको आज भी बनाये हुए हैं तभी तो संसार के हर कोने में उन्हें तुच्छ समझा जाने लगा है और वो बस सब कुछ चुपचाप अपने ईशोंको सुनाते जैसे-तैसे जीवन गुजार रहे हैं। आप पाकिस्तानकी बात कर रहे हैं – हिन्दू हिन्दुस्तान में कौन से बेहतर जीवन-स्तर और शुकून महसूस करते रह रहे हैं… यहाँ भी नित्य उन्हें जिल्लत का जीवन जीना पड़ रहा है क्योंकि वो आपस में और धर्मावलम्बियोंके तरह कभी एकसूत्रमें बँधने जैसी भावनाएँ विकास ही नहीं किये। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन ने हिन्दुत्वकी बातें करके उनमें एकता लानेका प्रयास तो किया… लेकिन स्वाभाविक रूप से ही हिन्दू धर्म निरपेक्ष और स्वतंत्र विचारधारा रखनेवाले होनेके कारण उसे भी ठुकरा दिया और अब काँग्रेसकी व अन्य राजनीतिज्ञोंकी सत्तालिप्सासे भ्रष्टाचारीके बुनियाद पर हिन्दूओंको सब कुछ झेलना पड़ रहा है। अब कल्कि अवतार तक इन्हें यही सब भुगतना है। बस हमलोग भी कुछ लिखकर अपने मनकी भड़ास निकाल रहे हैं, वास्तवमें कोई परिवर्तन तब तक नहीं होना है जब तक कल्कि अवतार हो नहीं जाता। अभी जब मैं लिख रहा हूँ तो श्रीकृष्ण मुझको मुस्कराते हुए देख रहे हैं और इशारोंमें कह भी रहे हैं कि मैं तो हर वक्त तुम्हारे साथ ही हूँ… लेकिन तुम हो कि हिन्दू और मुसलमान और पता नहीं क्या-क्या करते हुए मुझे भी आरक्षण में डाल दिये हो। 

हरिः हरः!

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१७ अगस्त २०१२

धन्यवाद डा. धनाकर ठाकुर आ समस्त प्रशिक्षु – जेना पहिले सऽ कहैत आबि रहल छी जे सौ में विरले ५ गो बेटा में मातृभूमि-मातृभाषा प्रेम सेहो बामुश्किल जगैत अछि आ जखन जागि जाइत अछि तऽ अहिना उत्सुकता संग अपन श्रेष्ठजन सँ जिज्ञासा रखैत मिथिलाके गौरवमयी इतिहास जनैत छथि। आइ ओना गप छल जे ‘मिथिलाक आधुनिक इतिहास’ पर चर्चा होयत, लेकिन पुनः कौल्हके किछु छूटल बात पर चर्चा शुरु भेल आ मिथिला के स्वर्ण युग तक पहुँचल – विस्तृत चर्चा काल्हियो ८.१५ सँ १० बजे धरि निरंतरता में रहत। लिंक तऽ सभ लग अछिये – तदापि अपन कर्तब्य अनुरूप एक बेर फेर निम्नरूपे नोट करी आ क्लीक करैत पहुँची एहि प्रथम अनलाइन मैथिल कार्यकर्ताक अनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रममें – विज्ञ डा. धनाकर ठाकुर अपन अमूल्य समय दऽ रहल छथि। हम सभ हिनक आभारी छी।

https://www.facebook.com/events/451114021577051/

अत्यन्त उत्सुकता के संग सहभागी प्रकाश कमती, अखिलेश चौधरी, भास्कर वत्स, सागर मिश्र, पंकज चौधरी, चन्दन झा, कृष्णानन्द चौधरी, आनन्द मिश्र, विकास ठाकोर, आदित्य झा एवं अनेको गणमान्य व्यक्तित्व सभ के गरिमामय उपस्थितिमें आइ तेसर सभा समापन भेल।

आजुक बहुत रास प्रश्न सभ के जबाब आयल प्रशिक्षण कार्यक्रम में आ चर्चा एखनहु निरंतरता में अछि। किछु हमरो प्रश्न सभ पर डा. ठाकुर केर जबाब भेटल। हम बहुत आभारी छियन्हि एहि विद्वान् नेतृत्वकर्ता के जे अपन अमूल्य समय सऽ आजुक युवावर्गमें मिथिलाक गरिमापूर्ण इतिहास आ राज्यक माँगकेर सार्थकता अपन सहज भाषा में समझा रहल छथि।

हमर प्रश्न अछि जे राजा के चर्चा तऽ एतेक भेल, जनता के दशा ओ दिशा में राजा के योगदान पर सेहो किछु प्रश्न विभिन्न समयक राजा संग जुड़ल किछु आलेख उपलब्ध कराबी।

दोसर बात – जे ब्राह्मण के राजा बनय लेल मिथिला सनके भूमिपर गलती भेल कि नहि… एहि पर किछु शोधल जबाब चाही। जे मिथिला सभ दिन धर्माचरण केलक ताहिठाम ब्राह्मण के राजगद्दी लेबाक जरुरी कि छलन्हि? कहीं मिथिला के पतन के ईहो तऽ कारण नहि? १३२४-२६ के समय के अपने संकटके समय कहलहुँ… ताहि समय में राजा के कोना संघर्ष करय पड़लन्हि आ एहि तथ्य के समेटय लेल इतिहास के सिलसिला केना चलल?

जे घड़ीमें कहल कि वर्ण-रत्नाकर सऽ पूर्व सेहो महत्त्वपूर्ण कीर्ति अवश्य बनल होयत… लेकिन संभवतः ओहि समस्त आलेख के विद्वेषपूर्वक पूर्व में आक्रमणकारी द्वारा हरण भेल होयत। कि?

अजातशत्रुके चर्चा सेहो नहि देख पेलहुँ… एहि विषयमें किछु संबोधन चाही।

विद्यापतिके जीवन पर प्रकाश दी।

ब्राह्मण जाति में बर्बरता के प्रवेश केना?

मिथिला के स्वायत्तता आ सार्वभौमिकता के अन्त के मूल कारक तत्त्व कि?

इतिहास सऽ जुड़ल आरो अनेक प्रश्न अछि आ एहि लेल समय के आरो माँग करैत छी। आब एतेक बताओ जे काल्हि कतेक बजे कार्यक्रम कैल जाय? हरिः हरः!

एतबा नहि, सभ उपस्थित युवाजन अपन-अपन महत्त्वपूर्ण प्रश्न संग एहि अनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम के महत्त्व बनेने छथि। फेसबुक मिडिया के सार्थक उपयोग आ समस्त वार्ता के रिकर्डेड प्रारूप मिथिला क नव भविष्य लेल अवश्य सार्थक होयत। एहि विश्वास के संग अहूँ सभ के सहभागी होयबाक लेल निवेदन करैत छी।

काल्हि, १८ अगस्त, २०१२, समय: ८.१५ सँ १० बजे संध्याकाल।

हरिः हरः!

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१८ अगस्त २०१२

आदरणीय धीरेन्द्र प्रेमर्षि भाइजी एवं रुपा भाभीजी, सादर प्रणाम आ संगहि हेल्लो मिथिला के माध्यम सऽ समस्त मिथिलाके दुःखक घड़ीमें अपन किछु संदेश देबाक अनुरोध करैत छी – Dhirendra Premarshi

एहि सप्ताह मैथिली सेवा समिति विराटनगरक कार्यकारिणी समितिके बैठक डा. शंभुनाथ झा केर अध्यक्षतामें सम्पन्न भेल जाहिमें मिथिलाके किछु महान‌ विभुति सभक असामयिक निधन पर शोक प्रकट करैत शोक-संतप्त परिवार के एहि वेदनाक घड़ीमें धैर्य प्रदान करबाक प्रेरणा लेल ईश्वर संग प्रार्थना कैल गेल।

एहि अपूर्व क्षतिमें:

1. मिथिलाक पूर्वाञ्चल क्षेत्रक संगीत सम्राटरूपमें परिचित हरिराज राजवंशी,

2. राजविराज केर मैथिली साहित्य परिषदक भु.पू. अध्यक्ष एवं महान्‌ मैथिल अभियानी विवेकानन्द झा

एवं

3. युवाकवि – समाजसेवी – मैथिलीके प्रवर्धन में अनवरत सेवा करनिहार देवडीहा-जनकपुर निवासी नरेन्द्र झा ‘बिपीन’

एहि तीन महान्‌ मैथिल केर असामयिक स्वर्गारोहण पर शोक व्यक्त करैत एहि असह्य दुःखक घड़ीमें शोक-संतप्त परिजन एवं समस्त मिथिलाकेँ धैर्य धारण के संग दिवंगत आत्माकेर चिर-शान्ति लेल ईश्वर सँ प्रार्थना करैत छी। संगहि हेल्लो मिथिलाके माध्यम सऽ समस्त मिथिलावासी-मैथिलभाषीमें उपरोक्त महान्‌ पुरुष सभक अधूरा सपना जे मिथिलाके गीत-संगीत-संस्कृतिक संरक्षणकेर संग-संग मैथिली साहित्य एवं मैथिल समाजमें एकता के विशेष पहल करैत अपन पहचान लेल अटल संकल्पित रहैथ से अपील करैत छी।

अपने लोकनिसँ ओना तऽ हर घड़ी लोक हिनका सभक योगदान के चर्चा कतेको बेर सुनने हेता लेकिन संक्षिप्तमें किछु संबोधन हमरा लोकनिन प्रेरणा लेल फेर संबोधन करी से हमर व्यक्तिगत अनुरोध करैत छी।

हरिः हरः!

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लिंक तऽ सभ लग अछिये – तदापि अपन कर्तब्य अनुरूप एक बेर फेर निम्नरूपे नोट करी आ क्लीक करैत पहुँची एहि प्रथम अनलाइन मैथिल कार्यकर्ताक अनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रममें – विज्ञ डा. धनाकर ठाकुर अपन अमूल्य समय दऽ रहल छथि। हम सभ हिनक आभारी छी।

https://www.facebook.com/events/451114021577051/

अत्यन्त उत्सुकता के संग सहभागी प्रकाश कमती, अखिलेश चौधरी, भास्कर वत्स, सागर मिश्र, पंकज चौधरी, चन्दन झा, कृष्णानन्द चौधरी, आनन्द मिश्र, विकास ठाकोर, आदित्य झा एवं अनेको गणमान्य व्यक्तित्व सभ के गरिमामय उपस्थितिमें आब चारिम सभा शुभारंभ होयत।

हरिः हरः!

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१८ अगस्त २०१२

बेटीके पैतृक सम्पत्तिमें अधिकार विवादास्पद कोना? पिता अपन उत्तराधिकारी आ हुनका सँ बढऽवाला आबादी लेल सोचैत छैक, लेकिन बेटी के भाग्य दोसर परिवार सऽ जुड़ल रहला के कारण हुनकर पतिके पैतृक सम्पत्तिमें नैचुरल इन्हेरिटेन्स राइट बनैत छैक। लेकिन अहू में हर्ज कि जे अहाँ अपन बेटीके पैतृक सम्पत्ति में अधिकार देबैक… तहिना अहाँके घर जे केकरो बेटी आयत तऽ ओकर पैतृक सम्पत्ति के हक-दाबी बनतैक… एवम् प्रकारेन सम्पत्ति अधिकार वाद-विवाद आजुक तुलनामें बेसी उलझतैक। दोसर एक दुविधा जे पिता के सम्पत्तिमें अधिकार लेबैक आ वृद्धावस्थामें बेटा समान बेटी सेहो माता-पिता के देख-रेख करऽके पूर्ण दायित्ववाली बनथिन… लेकिन हुनकर ऊपर अपन संतान आ पति के संग-संग पतिके परिवार… कतेक दायित्व छन्हि… तखन ओतेक के छोड़ि पिता-माता के देखय लेल आयब शायद तंत्रके उलझा दैत छैक। यैह कारण छैक जे हिन्दू विवाह पद्धति अनुरूप जे भारतकेर संविधान नियम-कानून बनेने छैक… ताहू में एहि पर विवाद छैक।आँखि मूनि के हम सभ कोनो निर्णय नहि लऽ सकैत छी… बल्कि ऐतिहासिक व्यवहार आ व्यवहारिक सिद्धान्त – एहि सभ के ध्यान में रखैत बात करय पड़त। लेकिन दहेज के उन्मूलन लेल यदि पैतृक सम्पत्तिमें हिस्सा के सैद्धान्तिक रूपसँ मान्यता देल जाइत छैक तऽ बरू वैह स्वीकार कैल jaay!

Harih Harah!

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August 22, 2012 – Delhi me upasthit Maithil avashya Mithila Rajya Sangharsh Samiti dwara prastaavit Mithila Rajya ke maang par dharnaa kaaryakram me sahabhaagi banaith, hamaro saubhaagya je ehi punya kaarya me ehi ber Mithila Rajya ke maang karanihaar mahan Maithil Nettrittwakartaa sabh ke actual struggling status sa face-to-face hobaak avasar bhetat.

Ona ta hamar sabhak mool dhaaranaa achhi je pahile samaaj ke bigrait swaroop me sudhaar, aapasi sauhaardrataa ke kami ke mending/repairing, Maithila bhasha aur saahitya prati lok me punarjaagaran, vidyaalay me Maithili maadhyam ke mahattva ke prasaar aa maang ke pura karay lel jameeni prayaas, Mithila Rajya ke darakaar kiyaik se jan-jan me pahuchaayab, Mithila ke itihaas par sabh yuwa sa charcha, lagaayat vibhinn o kaarya jaahi sa bhavishya neek hoybaak gunjaaish banat – ehi taraf dhyaan-kendrit karab lakshya achhi…. tathaapi sahayog sabh ke di se nirnay lene chhi.

Harih Harah!!

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२२ अगस्त २०१२

Kewo kahat je khaali gap maaray chhaik,
Kewo kahat je e kelaa sa kichh nay hetaik.

Ham kahait chhi je aha pahile shuru ta karu,
Aha pahile juru, juri ke dekhu, takhan kahu!

http://www.dahejmuktmithila.org/Members.aspx

Aha jurbay, oho jurthin, sabh kewo jurab,
Aapas me kay leb rishtaa tay, seho dahej mukt,
Aa sabh din yadi maathe peetait rahab,
Ek dosrak muhe dekhait rahab, niklat nahi yukti!

Atah pahile juru, aaro ke joru,
Dahej mukt vivah hetu kranti pasaru.

Ek varsh bha gelaik, lekin 67 got sadasya ehi par jurlaah. Ki dahej mukt ke naaraa kewal etabi gota ke neek lagait chhanhi?? Ki Dahej Mukt Vivah ke dar sa ya fer dahej ke lobh ke kaaran juray me etek pareshaani?? 

Harih Harah!!

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Maanav sharir me dwandwa ta rahabay karatay!
Rajas-tamas-sattva upar-nicha rahabay karatay!
Jahiya bantay o nirdwandwi Ish me milbe karatay!
Karma sada ekattva bhav me Yogi karabe karatay!

Harih Harah!

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Aab chali aai jeevan me pahil ber e dekhay lel je hamar sabh ke nettrittvakartaa Mithila Rajya lel Jantar Mantar par kona dharana dait chhathi aa ekar saarthaktaa ki! Samast nettrittwakartaa ke ber-ber salutation je etek adamya saahas sa asgare etek dur tak aabi ke apan asmitaa ke rakshaa lel Bharat Sarakaar sa satyaagrah karait chhathi. Ahu sabh sa nivedan je ehi me pahuchi. Samay 11 baje sa, Jantar-Mantar – New Delhi me!

Harih Harah!!

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Aai hamar saubhaagya je aadarneey CM Sir sang Delhi – Jantar-Mantar par ABMRSS ker sit-in program me darshan bhel wa hinak mukhaarvrund sa Mithila Aawaz ke aagaami samay ker sundar yojana sabh par suni ke Mithila ke sundar bhavishya lel aashwasht bhelahu. Harih Harah!!

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It was indeed a nice day. Mithila will remain with natural status of state. Have returned home now. Harih Harah.

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It was indeed an opportunity for me to have a chance of addressing my senior leaders struggling hard for Mithila State – that is must now, or we shall be losing our identity as Maithil for sure.

Harih Harah!!

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२३ अगस्त २०१२

Mithila Rajya Lel Jantar-Mantar Par Dharnaa

Akhil Bharatiya Mithila Rajya Sangharsh Samiti – Darbhanga dwara prastaavit Mithila Rajya ker maang hetu Jantar-Mantar (New Delhi) Sansad Marg me ek-divasiya dharana ke kaaryakram 22 August, 2012 ke sampann bhel. Ehi kaaryakram ke adhyakshtaa Ram Dayal Mahato kaylanhi aa sanchaalan swayam ehi samiti ke adhyaksh aa Mithila lel tan-man-dhan sa samarpit nettrittwakartaa Baidyanath Choudhary ‘Baiju’ kaylanhi. Aajuk dharana kaaryakram me Chandra Mohan Jha – Sansthaapak, Mithila Aawaz Dainik, Maasik wa TV Channel ati vishisht atithi ke roop me sahabhaagi bhel chhalaah.

Ehi sabha me mukhya sambodhankartaa me MP Keerti Jha Azad evam MP Maheshwar Hajare ke alaawe

Prof. Amrendra Jha, Antar-Rashtriya Coordinator, ABMRSS
Ashok Jha, Adhyaksh, Mithila Viash Parishad – Kolkata
Pravin Narayan Choudhary, Mahasachiv, Maithili Sewa Samiti, Biratnagar
Shishir Jha, Rashtriya Pravakta, ABMRSS
Vijay Chandra Jha, Adhyaksh, Akhil Bharatiy Maithili Sangh, New Delhi
Manoj Jha, ABMRSS
Dr. Shiv Narayan Paswan, Senate Member, LNMU-Darbhanga,
Prakash Jadav, JDU-Secy, Delhi Pradesh,
Dr. Mustaqeem, Kaaryakarini Sadasya, MRSS,
Pradip Jha, Adhivaktaa
Dr. C. K. Mishra – Delhi Pradesh Congress Mahasachiv,
Mahavir Swamy, Delhi Pradesh RJD Sachiv,
Anjani Kumar Jha – Yuwa Lok Janshakti Party – Delhi Pradesh Sachiv,
Ramesh Chandra Sharma, Adhyaksh, The Maithil Cooperative Society, Delhi,
Kishore Mishra, Maithil Brahman Sachiv, Ranjit Jha, S. C. Jha, Pt. Vindeshwar Jha, evam anek ganmaanya vyaktitwa sabh chhalaah.

Samast vaktaa ke chinta Mithila ke dhumil bha rahal pahachaan prati chhalanhi. Ehi kshetrak vikash sang kail ja rahal sautelaa vyavahaar ke aneko drishtaant sojhaa raakhal gel. Maithili ke ashtam anusoochi me sammaan bhetalaa ke baavjood adhikaar sampann bhasha ke darja nahi debay lel Bihar ke nettrittwa ke nindaa ke sang Mithila prati beimaan aa vaimanasya vyavahaar ke tivra aawaaz me virodh ke sang aab kewal aa kewal Mithila Rajya ke sthaapanaa samadhaan rahal achhi aa ehi lel Bharat Sarakaar ke dhyaanaakarshan hetu e dharana kaaryakram raakhal gel. Aai aneko varsh sa Mithila Rajya ke maang shantipoorn aandolan – satyaagrah ke roop me kail gel kahait jarurait ke kshan aandolan kranti ke roop pakair let je bahut ghaatak hoyat, atah satyaagrah ke sammaan hetu Bharat Sarakaar ke dhyaanaakarshan karaol gel. Sabha ke anta ek gyaapan patra Bharat ke Mahamahim Rashtrapati Jee ke pathaaol gel.

Uparokt dharanaa kaaryakram me jatay sabhak dhyaan mool uddeshya ke taraf rahal tatay aapasi ektaa aa aagaami aandolan ke praaroop poorv sa besi prakhar banebaak lel seho antar-sameekshaa seho hoit rahal. Hamar vaktabya ke kram me samast bujurg nettrittwakartaa ke mahantam yogdaan ke shabda sa saraahnaa kara me asamarthataa ke sang aandolan me yuwa ke joray lel vishesh kaaryakram ke aayojan taraf dhyaan aakarshan kail gel, jaativaaditaa ke mitthak ke chalte mool dharaa sa vichalan nahi hoybaak shubhakaamana vyakt kail gel aa sangahi ek muddaa Mithila-Maithili ke lel hajaaro alag-alag shakti beech aapasi ektaa ke prayaas taraf seho ber-ber anurodh kail gel. Samaajik kureeti ke viruddh swachh aachaar-vichaar ke atirikt kaaryakartaa beech prashikshan ke aavashyaktaa je Dr. Dhanakar Thakur dwara vishesh roop me kail ja rahal achhi tekar vishesh charcha kail gel aa sangahi aapasi man-mutaav ke vaartaa dwaraa hal karabaak shubhechhaa seho prakat kail gel. Mithila rajya lel Nepal me sahadati denihaar ke balidaan ekdam vyarth nahi jaayat taahi pratibaddhtaa ke sang yuwa ke aagaa badhait apan bujurg nettrittwakartaa ke khuli ke sahayog debaak pratibaddhataa vyakta kail gel.

Aajuk ehi kaaryakram me Dahej Mukt Mithila ke taraf sa ham sabh bahut yuwa sahabhaagi bhelahu. Mukhya roop sa yuwajan Sagar Mishra Sunil Kumar PawanKishan Karigar Madan Kumar Thakur evam vibhinn anya sansthaa jena Vishwa Maithil Sangh ke sachiv Hemant Jha evam anya padaadhikaarigan, Akhil Bharatiya Mithila Sangh ke vibhinn adhikaarigan, Maithil Jan-Jaagriti Manch, Paalam ke sang Mithila kshetrak media-karmi Maithil bhai sabh ke seho poorn sahabhaagitaa rahal. Ek atyant mahattvapoorn baat ehi dharanaa ke eho rahal je Delhi ker vibhinn kshetra me kaaryarat saksham vyaktitwa sabh seho Mithila Rajya lel aandolan ke naam sunait maatra sahabhaagi bhel chhalaah aa sabh ker anurodh yaih chhalanhi je aagaami kaaryakram kara sa poorv jaankaari dhang sa del jaay, laakho Maithil ehi tarahak virodh kaaryakram me sahabhaagi hetaah aa jena aai Delhi ke dil me Maithil basait chhathi, tahina sansad bhawan ke chaaru kaat Maithil apan vishaal upasthiti sa Mithila ke pahachaan ke surakshaa hetu Mithila Rajya nirmaan lel Bharat Sarakaar par dabaaw jarur bana sakait chhathi, ehi tarahk bhavana vyakt karait aandolankartaa ke utsaahvardhan kayalanhi. Kateko retired IAS evam suddrudh Maithil udyogi-vyapaari ehi lel sarvathaa swayam ke taiyaar rahabaak ghoshnaa seho kayalanhi.

Mithila me media ke kami rahito uparokt kaaryakram me swa-sfoort Maith sanchaarkarmi ke bahut paigh bheer chhal. Swayam Dr. Chandra Mohan Jha ehi kaaryakram me apan vishisht upasthiti delain aa Mithila kshetra lel pratibaddh Maithil Putra Dr. Jha aabay vala akhabaar Mithila Aawaz sa Mithila me media ke kami avashya puraa hoyat – ehi tathya ke Baiju Babu ujaagar kayalanhi. Saubhaagya Mithila ke Dilip Pathak apan team ke pahile pathaa dela ke baavjood swayam seho upasthit hoit Mithila ke asmitaa lel ehi larai me sabh sang rahab kahait aagaami samay me aaro neek prayaas sa Mithila ke maanvardhan karabaak bhavanaa prakat kaylanhi. Times news ke Lalit Jha seho apan Mithila lel har tarahe pratibaddh rahabaak ichhaa prakat kayalanhi. Kaaryakram ke beech nav-nav shuru bhel Mithilaanchal Today patrika ke complimentary copy sabh ke haath me dait Sagar Jee evam Madan Jee sabh sa sahayog hetu aahwaan kaylanhi. Yuwa maithil ke utsaah takhan aaro jhalkay laagal jakhan karmath kaaryakartaa ke roop me Sunil Pawan abite jal aa chaay sewa karabait swayam Maithili aa Mithila lel sadikhan tatpar rahabaak ichhaa rakhalaah. Tahinaa Kishan Kaarigar Jee aagaami samay me apan yogdaan badhaabait yuwa varga ke Mithila-Maithili sang juraaw utpann karabaak pratibaddhataa prakat kayalanhi. Yuwa beech Sagar Mishra me bahut kshamataa rahal achhi aa hinkaa kichhu bhaar del jaay ehi vindu par nettrittwakartaa sang sanchhipt charchaa me aagaami kaaryakram ke sanyojan ke jimmaa debaak nirnay seho lel gel.

Dilip Mishra Jee dwara ghoshit kaaryakram 8 January, 2013 ke Darbhanga Polo Maidan ke Maha Rally ke upar seho charchaa bhel aa sabhak sahayog avashya bhetat tekar aashwaashan del gel. Tahina, ABMRSS ke Rashtriya Adhyaksh Baidyanath Choudhary ‘Baiju’ apan savistaar sambodhan me samast vindu par baareeki sang apan vichaar prakat kelaah. Aapasi manmutaaw ke prashna par bajalaah je e kewal dambhi maan ke kaaran hamaraa sabh me hoit achhi, kewal Mithila lel laray ke bhavana rakhanihaar ehi tarahak chhudra kriya-kalaap sa bachait achhi. Ham pratigyaa lene chhi je Mithila ke lel sabh sang behichak jurait kaaj karab, apan sammaan sa kono sarokaar nahi raakhab. Naam ke lel rahal kono matabhed ke samaadhaan ke seho prayaas bhel, muda vyaktigat dambh ke kaaran yadi kewo ohi prayaas ke asammaan kaylanhi ta bhalaa ham sabh katek ruku… aagaami September 17 ke baad samast Mithila kshetrak MP aa MLA, MLC ke sang samast nettrittwakartaa ke punah ek manch par aanait ek mahattvapoorn vichaar goshthi raakhab aa tahina November me aayojit Vidyapati Smriti Parva Samaroh me seho vichaar manthan aa kaaryaroop me parinati lel kaarya karab. Apan buland aawaaz me ber-ber naaraa lagabait Baiju Jee ekjut hoybaak prayaas karait rahalaah. Aai dharik uplabdhi par seho sameekshaatmak sambodhan rakhait o ber-ber Atal Behari Vajpayee ke sang Dr. C. P. Thakur ke seho dhanyavaad delaah aa sangahi har o Maithil Senaani ke je aai dhari bina kono niji swaarth ke Mithila aa Maithili lel samarpit rahait chhathi tinkaa naman evam dhanyavaad karait ehi dharana kaaryakram ke samaapan ke ghoshana kayalaah.

Harih Harah!

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२६ अगस्त २०१२

Kanha-Anha Ke Jori!

Kanha aa Anha me bar dosti. Kanha-Anha ke jori samucha samaj lel ek prerak udaaharan chhal. Kukarme naam ki sukarme naam! Kanha-Anha baat-baat me lok ke yaih kahi dait chhal. Anha ke sangeet ke gyaan chhalaik, Kanha ke paas baat baghaaray ke kalaa. Dunu mili kono sabha ke shaan bani jaait chhal aa dunu ke roji neek jeka bheti jaait chhalaik. Lekin fursat ke ghari Anha Samaj-Shashtra ke gap karay aa Kanha Darshan-Shashtra ke. Dunu mili jaay ta barka-barka ke daat tar aangur kaatay lel. Lekin gaam me kateko ta Kanha-Anha chhal, ehi sa pratidwandwitaa hovay laagal. Neek-neek lok Kanha-Anha ke badhait lokpriyataa ke kaaran deraay laagal chhalaah. Kanha-Anha aab mukhiya me thaarh bhel aa gaam ke brahman jaati ke chhori delak aa baaki sabh ke brahman ke virodh me bhira delak, kanha-anha chunaw jeeti gel. Aab ta Kanha-Anha ke poochh block level par seho hovay laagal. Lekin ek din Samajshaashtri Anha kichhu baajal je Darshanshaashtri Kanha ke neek nahi lagalaik – bas khatpat bha gelaik… aa kichhuwe din baad Kanha aa Anha ke dosti tooti gelaik. Aab Kanha ek disi aa Anha dosar disi… dunu ke paas khub paai chhalaik ta gauwa me dunu ke kami pura kara lel kateko navka Anha-Kanha bain gel. Lagbhag kichhuwe varsh me gaam me aneko ta Kanha-Anha ke jori bani gel – lekin je mool jora chhal tehen kewo nahi bani sakal aa fer Kanha kanhe tari aa Anha aanhare tari maaral gel.

Moral: Ekta me bal hoit chhaik.

Harih Harah!

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प्रकृति के देल बुद्धि आ विवेक के संग-संग व्यक्तिगत क्षमता सेहो किछु होइछ जे हर मानव में अलग-अलग होइत छैक। हमेशा प्रयास ई हेबाक चाही जे श्रेष्ठ केर अनुसरण कैल जाय – अपन कमजोरी के आत्मसात कैल जाय, नहि कि केओ आगू अछि ताहि लेल जानि-बुझि विभेद के फेर में फँसी। यथार्थ यैह छैक जे शिक्षा के आभूषण जे केओ सही में धारण कयलक ओकर जीवन-स्तर आ जीवनक रंग-ढंग आइ समाज के विकास तरफ लऽ के चैल रहल छैक।

एक समय छलैक जे यैह धिया-पुता जेकाँ हमहुँ सभ अपन बाल-बुद्धि सँ चाली गिजैत बंसी द्वारा या फेर धनखेत में पाइन उपछैत कहियो माछ लेल बेहाल रहैत रही… केओ अपन मोथीके गाँथमें एक सौ पोठी-टेंगरा-गड़ै-गोलही आदि गानि लैत छल तऽ केओ भैर दिन बेहाल रहैत दस पहुँचाबयमें सेहो हकैम जाइत छल। लेकिन सभक घर में माय ओतबा चाव सऽ माछ पका के चोखा या तिमन या भूजिये के खुवाबैत रहैत छलैक, माय के कर्तब्य निर्वहण होइत रहलैक… धिया-पुता अपन समय बाहर-भीतर करैत बढैत राखलक। कतेको संस्कार धिया-पुता में अहिना पारिवारिक आ समाजिक परिवेश सऽ प्रवेश करैत छैक।

शिक्षा पर सभक अधिकार छैक – हर माता-पिता के First and Foremost Duty!

Harih Harah!

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एक हाथ में पाँच गो आँगुर, पाँचो भेलय पँच रंग!
जीवलोक या अन्य कोनो हो, अनुभव जीवन संग!

मनबय केओ दिवस विशेषक, रुचि अपन सनमान!
पुरबय सभटा शख मौज केर, बनबय नव अरमान!

समय आइ कि काल्हि अलग, बनल रहय दिन-राति!
केओ पिबय खून के नोरे, केकरो हरदम रसहि माति!

प्रकृति के एहि धार के रोकि सकत नहि जीव जहान!
यैह बनैछ कारण जाहि सँ शरण जाइछ सभ भगवान्‌!!! !!

प्रवीण कतबू बनय चलाख लेकिन राखत ईश प्रमाण!
यदि केओ नहि बुझि सकब तऽ बनल रहत सुनसान!

हरिः हरः!

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२७ अगस्त २०१२

इतिहास गवाह रहलैक अछि – आइ धरि जतेक समृद्ध संस्कृति आ सभ्यता एहि संसार में रहलैक, अपन अस्तित्व निर्माण करैत एक विशिष्ट पहचान बनेलकैक – ओकर वासिन्दा के एक कुनबा सदिखन आमजनके कल्याण हेतु नीक सोचैत किछु-न-किछु संसार के छोड़ि जेबाक परंपरा के निर्वाह केलकैक अछि। बेशक मिथिलामें सेहो एक पर एक मुनि-मणिषी केर अवतार भेलैक आ एक पर एक विद्वान्‌ अपन योगदान सऽ संसार के भाव-विभोर रखलैथ… आइयो एहि में बहुत गिरावट आबि गेलैक से नहि छैक… आइयो बहुत हद तक मैथिल अपन प्रतिभा सऽ मिथिला के एक विशिष्ट स्थान दियेबा में सफल जरुर छथि। यदि गप कम मारल जाय तऽ पौराणिक परंपरा के ताजगीकरण संभव छैक। हमर समझ में गप्पीके गप्प मारय पर जुर्माना आ कोढिपन देखेनिहार के समूहमें जेल समान जगह पर संरक्षित करब मिथिलाके सम्मान के पुनः जोगाबय लेल आ घरमें व्याधि सऽ छूटकारा लेल बहुत जरुरी। ई दुनू काज आजुक युवा मात्र कय सकैत छथि कारण आइ धन्य युवा जे पिछड़ल मिथिला के अपन कर्मठ कर्म सऽ ओ भले परदेशी बनिये के किऐक नहि संभव भेलैक, लेकिन कयलाह… तखन युवा के सेहो सावधान रहय पड़तन्हि कारण गप्पी आ कोढिया हिनकहु बीच अपन परिषद्‌ निर्माण कय रहल अछि। काजक नाम पर ओकरा सऽ चोरि आ छिनड़पन छोड़ि दोसर किछु संभव नहि छैक… ताहि हेतु हम कहब जे एहेन लोक सऽ सावधानी बरतब बहुत जरुरी अछि।

हरिः हरः!

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प्रिय मित्र आ भाइ-बंधु-सखा!

बहुत नजदीक सऽ अध्ययन केला पर पता चलैत अछि जे हमरा सभक बीच कतेक एकता अछि आ कतेक अनेकता।

आगामी समय में बहुत प्रकार के योजना सभ छैक, आ ओ समस्त योजना लेल पूर्ण समावेशी सम्मेलन हेतु – आपसी विचार-विमर्श हेतु आ आवश्यकता में संगठनात्मक – संरचनात्मक कार्य करय लेल सेहो हमरा सभके एक-दोसर संग अन्तरक्रिया बढेबाक अछि। अतः हमर हार्दिक अनुरोध जे अपने या अपनेक आसपास कोनो मैथिलीभाषी-मिथिलावासी संघ-संस्था चलि रहल हो तऽ ओकर विस्तृत जानकारी इमेल द्वारा उपलब्ध कराबी। हमर इमेल आइडी – [email protected] आ संगहि मिथिलावासी किनको ऊपर केहनो आफत-विपत्ति आयल हो आ सामुदायिक सहयोग केर आवश्यकता हो तऽ सेहो जानकारी कराबी। हम आ हमरा संग देनिहार समस्त समाजसेवी मैथिल एहि लेल समुचित प्रयास करब।

उपरोक्त जानकारी के अतिरिक्त मैथिल विद्वान्‌ आ सहयोगी सभकेर नाम व पता सेहो उपलब्ध कराबी। मिथिला भारत व नेपाल दुनू तरफ छैक, अतः उपरोक्त अनुरोध हमर समस्त मैथिल सँ अछि आ दुनू तरफक मिथिला लेल अछि।

निवेदक:
प्रवीण ना. चौधरी
मिथिला नव-निर्माण समिति
(पूर्वनाम: दहे मुक्त मिथिला)

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मिथिलामें कोनो नुस्खा चलवाला नहि छैक,
कारण एतय तऽ पहिले सऽ चावी देने छैक,
के कहतैक किछु ओकरा अपने बुझैत छैक,
तखन चमत्कार सऽ मिथिला राज बनैत छैक।

हरिः हरः!

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Tourism in Mithila – Your contribution.

Tourism in Samastipur District can be seen in below link.

Do you have such information about your districts in Mithila? If yes, please share the link. We are going to organize a documentary film by Sunil Kumar Pawan and we must try to provide more and more information about all tourist places in Mithila. The name of film is proposed to be Mithiladham Yatra! Please cooperate!

Dahej Mukt Mithila Family

१. दुर्गास्थान, कुर्सों, दरभंगा
२. श्रीराम जानकी मन्दिर, कुर्सों, दरभंगा
३. श्रीराधेकृष्ण मन्दिर, दसौत, दरभंगा
४. बिसहरिस्थान, मछैता, दरभंगा
५. यज्ञभूमि, जयदेवपट्टी, दरभंगा
६. ज्वालामुखी माइ मन्दिर, कसरर, दरभंगा
७. डा. लक्ष्मण झा डीह, रसियारी, दरभंगा
८. विश्वनाथ मन्दिर, रजौर, मधुबनी
९. कुशेश्वर बाबा मन्दिर, दरभंगा
१०. झील व पक्षी स्थल, कुशेश्वरधाम, दरभंगा
११. विदेश्वरनाथ मन्दिर, विदेश्वर, दरभंगा
१२. संस्कृत महाविद्यालय व संत आश्रम, लगमा, दरभंगा
१३. शेरपुर दुर्गास्थान, दरभंगा
१४. औंक्सी महादेव, औंक्सी, मधुबनी
१५. कमला-बलान बीच महादेव मन्दिर, सुथरिया…
१६. एहरैन महादेव, दरभंगा
१७. नवादा भगवतीस्थान, दरभंगा…

आ अनेको अन्य पवित्र स्थल सभ के सूची संकलन में सहयोग करू।

हरिः हरः!

पर्यटन हेतु राजनगर, बलिराजगढ, वाचस्पतिनगर, अयाची-ग्राम, सौराठ सभागाछी, उच्चैठ दुर्गास्थान, कपिलेश्वर स्थान, कल्याणेश्वर महादेव, गिरिजास्थान, उगना महादेव, आ अनेको टा पुण्य स्थल जे मधुबनी के चप्पा-चप्पा पर अछि तेकर चर्चा तऽ हम शुरुवे सऽ करैत आबि रहल छी। एक दृष्टि फेर देल जाओ!

हरिः हरः!

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Sitaram Sitaram BJP Spokesman/Vice President/All India BJP Convener Overseas Affairs Shri Vijay Jolly Jee!!

My Question for you to address in today’s event of live questions on Social Media Censorship & Corruption

Media is one of the essential medium of expressing the views and concerns of masses. Social media is indeed socially functioning, however, seeing the popularity of these medias – the conventional medias are trying to sabotage the peace and alleging of misuse or abuse; as I feel. Being a member of social media and sharing the views in favor of creativeness, I never felt anything provoking or poking to me. I even rule out the probabilities of spreading illness through social media by sharing provoking messages, photographs, news or anything. These allegations on social medias seem intervening of biased and prejudiced selfish government failing to curb the culprits or unable to control the evils destroying social harmony.

May I know what BJP thinks for freedom of medias and how they prefer to the social medias which directly speak common people’s mind? Please address elaborately and oblige.

On corruption, I have been seeing that corruption is the most organized social crime in Independent India, that could not or has not been curbed by any government of India so far… how do you think BJP will deal it indifferently? Don’t you think that despite NDA Government doing better and also curbing these ill-practices ultimately kept the corrupt people on hit and the reaction defeated in GE-2004?

Regards,

Pravin Narayan Choudhary
Dahej Mukt Mithila
(Fighting for Equal Gender Rights and for Protection of Lingual, Cultural and Monumental Heritages of Mithila!)

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मैथिलानी के डेग उठल छैक
मिथिला के जे भोर भेल छैक!

एहने जोश आ होश सऽ सभ दिन
बनतै मिथिला प्रदेश एक दिन!

सभ केओ लगबै जोर आवाज
मैथिल के चाही मिथिला राज!

राखू भाषा संस्कृतिक सम्मान
बनबू नव-नव नित्य अरमान!

माइयो दूध पियाबय ओकरहि
कानि पुकारय बच्चा जेकरहि!

हरिः हरः!

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२९ अगस्त २०१२

चुड़ा के गवाही दही, जे बाजू से सही!

डाक्टर के दैथि चुनौती देवी, चिर के रखलें शरीरक भाग
ट्रान्सप्लान्ट सऽ हृदय बदललें, पूरा केलें सभटा माँग
मगर बूझि सकलें मन के नहि विज्ञानक आलाके राग
नारी शक्ति वा अन्तर्मन बुझलथि नहि दैवो के त्याग
बाज तखन कि बुझत जन-मन आत्मशक्तिके जाग?
देवी पाछू लाखो देवता कयलनि लाइक कमेन्टक ढेर
देखि यैह फल्लां लेखक लिखलनि Facebook एहि बेर

Harih Harah!

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३० अगस्त २०१२

हम सभ राज्य के निर्माण कियैक विषय पर विचार राखि रहल छी… राज्य बनय या नहि तेकर पक्ष आ विपक्ष तऽ बुझि रहल छियैक…. लेकिन जतेक मुद्दा राखल गेल अछि ताहि पर कोनो सोच नहि आबि रहल अछि। भूखक आगि शांत करक लेल: भूख के ज्वाला एतेक तेज अछि जे अपन स्वदेश छोड़य लेल बाध्य भेल छी। बेरोजगारीक महामारी हटाबक लेल: कृषि के अतिरिक्त अन्य कोनो रोजगार के साधन नहि। कृषि हेतु संसार वैज्ञानिक प्रणाली अपनेलक, लेकिन हमरा सभ आइयो प्रकृति के मूड पर निर्भर, बाढिक चपेटामें पड़ल, बिना कोनो सिंचाई सुविधा आ खाद-बीज बस अपन शक्ति आ श्रम सऽ। हलाँकि आजुक समय में श्रमिक वर्ग के अपन भूमि पर श्रमदान देबा में लाज मानब… मजदूरी पुरान जमाना मुताबिक अपेक्षाकृत कम राखब… लगायत विभिन्न अन्य आन्तरिक समस्या सेहो अछि। शिक्षित युवक लेल कोनो काज मिथिलामें नहि रहब… बेकारीके समस्या… एहि सभके कारण अपन विकास बिसैर दोसर के विकास लेल रोजगार के खोज में पलायन भेल अछि। विपन्नता के एक कारण ईहो! हलाँकि आब धन्य यैह युवा जे परदेशो कमाइत अपन सम्पन्नता सऽ इलाका के सबल बनेलक, मुदा जे लक्ष्य अपन भूमि के विकास कऽ के भेटैत छैक से संभव नहि भेल अछि।

इत्यादि…. अन्य विन्दु सभ जेना अशिक्षाक TB … Ehi sabh vindu par charchaa kariyauk. Rajya nirmaan ke justification swatah clear hoyat. Dhanyavaad!

Harih Harah!!

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३१ अगस्त २०१२

Bihar’s participation in India’s development cannot be ruled out. However, Bihar could not give the importance to its creme portion of Mithila by avoiding the development works in required proportion. This is why Mithila has become 70% non-resident today and even those 30% are being made the idle and dormant by distributing bihari kharaat (state reliefs for BPL and others) and rest nothing vital. Why should Mithila remain with Bihar in such a poor management system?

I pray, the learned counsels from Mithila file a public interest litigation by focusing on Bihar’s unequal distribution of development package for Mithila region and keep the separate state issue in highlight. Let actions take from all sides and corners.

Jay Maithili! Jay Mithila! Jay Bihar! Jay Bharat!

Harih Harah!

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सोशियल मिडिया – याने कोनो इलेक्ट्रानिक मिडिया या प्रिन्ट मिडिया सऽ इतर जनता के अपन सीधा सहभागिता राखयवाला मिडिया! एकर महत्त्व के जे नहि बुझत ओ स्वयं पश्चाताप में पड़त। आब लोक टीवी पर न्युज देखि एक्कहि बातक रगड़ा सुनैत थाकि गेल अछि… आ सोशियल मिडिया पर दुनिया के सभ कोण सँ व्यक्ति अपन भावना आ भेल कोनो घटना के जानकारी प्रत्यक्ष शेयर करैत छथि… तखन इन्टरनेट के माध्यम सऽ सभ बात के जानकारी भेटबे करैत छैक… जन-जागरण अभियान हो या राजनेता के बोली… हरेक पहलू सऽ जुड़ल तथ्य आब एहि मिडिया द्वारा उपलब्ध अछि। केकरो एना नहि लगैक जे फल्लां मिडियावाला हमर सभके कार्यक्रम प्रति सजग नहि रहल, कवर नहि केलक… ओहि सऽ बेसी लोक देखय-बुझय के साधन भेल सोशियल मिडिया!

एकर सार्थक उपयोग करैत अपन-अपन क्षेत्रक विकास लेल मिथिलावासी सेहो लागि गेल छथि। नहि तऽ मैथिल के केओ पूछैत छल…? बस किछु मुँहगर-कनगर लोक जिनकर पूछ बनैत छल से गये दिन नव-नव नौटंकी करैत छलाह… आब ओ सभ नाटक खत्म भऽ गेल। अहाँ नाम में मिश्र राखू या अहाँके मंत्री-पुत्र मिथिला लेल कोनो काज करैथ – नहि करैथ… आब मिथिलावासी अपनहि जागि गेल छथि आ सोशियल मिडिया के हृदय सऽ धन्यवाद!

हरिः हरः!

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१ सितम्बर २०१२

फेसबुकिया परिवार

(आइ-काल्हि फेसबुक जाहि तरहें मैथिल समाज में अपन स्थान बनेने जा रहल अछि तेकरा ध्यान में रखैत किछु मनोरंजनात्मक लेकिन सच कथा हम लिखय जा रहल छी – मातृभाषा पत्रिका लेल जे मैथिली ई-पाक्षिक के रूपमें आइ संध्याकाल सँ हमरा सभक सोझाँ अयबाक बात व्यवस्थापक रोशन कुमार झा कहलनि अछि।)

बाबु: हे रौ! नुनुआं! जहिया सऽ तूँ ई 2G-3G मोबाइल फोन पठौलें आ फेसबुक पर जोड़लें तहिया सऽ बुझ जे ई मोबाइल हरदम च्यों-च्यों करैत रहैत छौक।

नुनु: से कि बाबु? फंक्शन सभ तऽ सबटा बता देने रही ने? किछु दिक्कत भऽ रहल अछि तऽ फेर बुझा दी।

बाबु: अपन बचपनवाला बात आ किछु रास फोटो सभ जहाँ अपलोड करैत छियैक आ कि तोरा तड़ातड़ लोक सभके लाइक आ कमेन्टक बौछार भऽ जाइत अछि आ ततबा बेर मोबाइल चिचियैत अछि जेना बुझ जे हमर मुइलहा बाबा ऊपर सऽ शोर कऽ रहल होइथ… हे रौ नागे… हे रौ हरवाह खेत पर गेलौ कि नहि से गेबो केलही देखय लेल… मान जे वैह आवाज हमरा काम में पड़ैत रहैछ।

नुनु: देखियौ बाबु! अहाँ सभ दिन रहलहुँ मिथिला के माटि-पानि में आ हम सभ बनि गेलहुँ परदेशी… तखन तऽ जतय रहत धिया-पुता ओतहि नऽ अहुँ के रहय पड़त… ई घुमा-फिरा कऽ हमरा जे अहाँ गामक प्रलाप सुना रहल छी से हम सभ बात बुझैत छी। १० दिन नहि एना भेल अछि दिल्ली आ लगलहुँ बाबा के बात मोंन पारय।

बाबु: (खिखियैत) छौंड़ा… आखिर बेटा केकर छी… धियेपुता सऽ हमर मास्टर सभ कहने छल जे नागधर… तोहर संतान सेहो बड़ होशियार हेतौक… उड़ैत चिड़िया के पकैड़ लेतौक! से सही में! ई नुनुआ हमर भितरका बात चट दिन बुइझ जाइत अछि। (जोर सऽ हाक पाड़ैत) हेगै मुन्नी! ला दू कप गरमागरम चाह… ओना तऽ दिल्ली में ततेक गर्मी पड़ैत छौक जे बाहर-भितर दुनू आइग फुकने रहैत छौक… लेकिन जहाँ चाह के गर्मी देबैक आ कि बुझ जे गर्मी – गर्मी के कटतैक।

नुनु: (बाप के हंसीमें संग दैत दाँत खिसोरैत) आ… आब कि दिल्ली आन छी… ईहो तऽ मिथिले न छी? हस्तिनापुर आ मिथिला के कतेक पटरी खाइत छैक से नहि देखैत छियैक?

(दुनू बाप-बेटा दाँत खिसोरैत हंसैत छथि… ताबत मुन्नी चाय लऽ के अबैत छैक… आ कि ओकरो मोबाइल में नोटिफिकेशन ट्युन बाजि उठैत छैक)

बाबु: बुच्ची! बुझाइत अछि तोरो कोनो सूचना छह… देखहक… कहीं हमर होइवाला जमाय तऽ नहि फोटो पर लाइक या कमेन्ट पठेला छथि?

मुन्नी: (लजाइत) बाबु! अहुँ के मजाक करऽ के आदैत नहि छूटत… भैया के सोझां में हमरा संगे मजाक कऽ के खिसियाबैत छी… लेकिन सच तऽ यैह छैक जे अहाँ के होइवाला जमाय के बुझू तऽ आर किछु काजे नहि रहैन – भैर दिन हमर फोटो सभ ताकि – ताकि के लाइक आ कमेन्ट पठबैत रहैत छैथ। सभटा खत्म भऽ जाइत छैक तऽ कहैत छैथ जे नवका-नवका पोजवाला फोटो अपलोड करू नहि तऽ हम पापा लग दहेज माँग करऽ के सिफारिश कय देबैन.. बिसैर जायब जे हम दहेज मुक्त मिथिला के तरफ सऽ शपथ खेने दूलहा विवाह लेल हामी भरलहुँ अछि। से बाबु, अहाँ हुनकर वाल पर पोस्ट कय दियौन जे बेसी ऊचक्का जेकां मैसेज आ पोस्ट सभ नहि करैथ… मजबूरन हमरा ब्लॅक करय पड़त।

नुनु: देखिहऽ तऽ ध्यान दिहक… आइ-काल्हि के युवा सभ के ई फोटो लाइक करनाइ – फ्रेण्ड रिक्वेश्ट पठेनाइ आ शेरो-शायरी… बूझा रहल अछि जे सभ केओ कवि आ मशहूर शायर बनि जायत… एतय तक जे आइ-काल्हिक लड़कियो सभ अपन फोटो तेहेन-तेहेन लगबैत अछि जे बाबु के उमेर वला लोक सभ सेहो पहुँचि जाइत छथि हाइ-हुंइ करय लेल।

बाबु: रे चुप! बेटीके सोझां में तों एना कहबें। (बेटा के डपटैत)

मुन्नी: भैया! से जों हेतैन तऽ चैन पर खापैर फोड़ि देबैन… पहिले वर्च्युअल मिटींग सऽ रियल मिटींग तऽ होमय दियऽ।

नुनुः गाम-वाला काका के बेटा कुमर सेहो फोन केने छल… पूछि रहल छल जे लड़का के गाम जा के घर-परिवार देखनाइ सेहो जरुरी अछि। फेसबुक पर तऽ लोक गाड़ी संग फोटो खिचा लेलक आ कहि देलक जे दिस इज माइ न्यु कार… १० गो अपनहि नजदिकी लफुआ मित्र सभ सऽ कांग्रेच्युलेशन लिखबा लेलक… से सभ भाइ ध्यान राखब आ एक बेर ओकर गाम के स्टेटस चेक करब बहुत जरुरी छैक। फेसबुक पर ओकर गाम के पेज देखलहुँ… मरल सन के बुझाइत छैक… नहि कोनो धरोहर न खास कोनो इतिहास आ ने बेसी मेम्बरे।

मुन्नी: आब जेहेन छैक… लेकिन हमर छैक… फोकटिया कमेन्ट के हम कहियो केयर नहि केलियैक अछि। बस! एक बेर पति के रूपमें स्वीकार कय लेने छियैक आ आब हमरा ओही लड़का सऽ विवाह करबाक अछि। ई लव बेर-बेर नहि कैल जाइत छैक… भले इन्टरनेट किऐक नहि हो। हमरो भारतीय नारी होयबाक गर्व अछि।

बाबु: वाह, वाह! बेटी! आखिर बेटी केकर छियें! मास्टर हमरा बच्चे में कहने छलाह जे नागधर तोहर संतानो तोरे जेकां आदर्शवान हेतह। गर्व अछि तोरा सभ पर।

मुन्नी: (नाक फूलबैत) बाबु! काल्हि हुनकर एगो पोस्ट आयल छैक, ताहि पर नहियो किछु तऽ २५० लाइक आ ५०० सऽ ऊपर कमेन्ट अयलैक अछि। कहू तऽ ओ मामूली लोक भऽ सकैत छथि? बुद्धिक परावार नहि छन्हि।

नुनु: कुमर के कहब सऽ हम सहमत छी… ई विवाह तखनहि करेबौ जखन ओकर गाम जाय सभ किछु नीक जेकां पता लगायब।

मुन्नी: भैया! दहेज मुक्त मिथिला पर जे जुड़ल छैक से केओ फोकटिया नहि भऽ सकैत अछि। कारण ओहिठाम लोक के बड़ हिसाब-किताब सऽ जोड़ल जाइत छैक। एकोटा इन्फोर्मेशन गलत नहि भऽ सकैत अछि।

नुनु: तखन ओकर गामक पेज कियैक मरहन्ना जेना छैक?

बाबु: भऽ सकैत छैक जे गाम में खाली जमाय बाबु के परिवार कनेक मुँहगर-कनगर हो आ मोबाइल पर फेसबुक आ सोशियल मिडिया के उपयोग बुझि सकल हो… पेज देखि के गाम नीक बेजाय निर्णय नहि कैल जा सकैत छैक। हम सहमत छी जे कुमर के ओहि गाम के पूरा पता लगेबाक चाही… आ हम तऽ कहबऽ जे अहू काजे हमरे जाय दऽ तू सब। खाली गामहि नहि, कुल-मूल-पाँजि आर बहुत तरहक बात होइत छैक जेकर अनुसारे निर्णय करबाक एक पौराणिक परंपरा रहलैक अछि।

मुन्नी: लेकिन बाबु… आब ई सभ बात प्रथम नहि बादक भऽ गेल… हमर विचारे लड़का के विचार आ पुरुषार्थ अन्तिम भेल जेकरा हम वरण करब।

नुनु, बाबु आ मुन्नी सभ एक दोसर के मुँह तकैत मुस्कुराइत एहि बात के सहमति दैत छथि आ आजुक युग में प्राथमिकता लड़का-लड़की के कैरियर मात्र होइछ… बहुत तरहक दुनियादारी सऽ कोनो सरोकार नहि… यदि इन्टरनेट सऽ विवाह ठीक होय तऽ बस एक करार यैह जे लड़का आ लड़की विवाहोपरान्त अपन स्वतंत्र कैरियर के संग राष्ट्र लेल सेहो योगदान देत, ई नहि जे झूठ के पारिवारिक शान के चक्कर में केओ केकरो ऊपर हावी बनत।

जय मैथिल समाज! जय मैथिली! जय मिथिला!

हरिः हरः!

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Hamar page: bhavishya ke jarurait dekhi ekhnahi bana delahu aa ehi tham sa interact karab aasaani sa.

https://www.facebook.com/PravinNarayanChoudhary

Harih Harah!!

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Aha sabh ke sahayog karabaak chaahi, bilkul jena ek Maithil apan sahayog lel patra likhi kahalani je o kena sahayog kay sakait chhathi.. aaro bahut lok ke man me bha sakait achhi same jigyaasaa:

Bahut prasanntaa bhetal aha ke message padhi ke… ehi jog hamra bujhal aa sallaah maangal. Avashya yaih jajbaat ke sang Maithil Putra sabh ke aagu ayabaak chaahi.

Jaankaari karaabi je Facebook ke maadhyam sa bahuto Maithil me jaagriti ke abhiyaan chalaayal jaa rahal chhaik aa ehi kram me aneko group ke nirmaan kail gel chhaik. Lekin je yathaartha me kaaryarat achhi taahi tarahak group ke maadhyam sa apane apan yogdaan har roop me… vichaar da ke, artha-daan da ke, kaarya-yojana bana ke, sa-sharir upasthit bha ke aa online campaigning me samet apane aa apan mitra sabh ke sadikhan apan sanskriti sag jori ke raakhi ka ham sabh apan yogdaan da sakait chhi.

Hamhu sabh ek sansthaa chalaa rahal chhi, ekhan panjiyan hetu Delhi sa ebe kelahu achhi, jekar naam chhaik Dahej Mukt Mithila aa website chhaik www.dahejmuktmithila.org – aha ehi par visit karu aa membership se lel jao. Apan pura pata, profession, interest, gaam ke naam, aa dahej viruddh pratibaddhtaa raakhab jaruri. Aabay vala samay me laingik vibhed samapt karab Mithila lel param jaruri chhaik, kaaran vikaash ke gati baadhit chhaik – 50% women population of Mithila is left so much behind, simply due to demandig dowry from girls’ family – no matter how much educated your daughters/sisters are – but you have to give dowry… this is very bad and discouraging large population to not care on education rather keep on summing up money for dowries and their marriages instead of career. It is obvious that merits of Mithila are outsourced by the rest of India and the world, even sons have to spare these for outside world. Then the system of dowry also compels our educated girls to marry outside Mithila and most of intercaste marriages take place due to ugly system of dosry and no proper honor to the hard earned degrees and skills of girls. How sad it is really… how can Maithil boast of they are the brilliant seeds on earth, I am astonished. Our second attempt is to recognize the spiritual, cultural, monumental and lingual heritages and work on to protect those beauties without much delay. We have identified Saurath Sabhagachhi to be one of the most important heritage which can give a very important lesson to entire world that the system of marriages among Maithil Brahmins are the supreme and so last long with exceptional cases of divorce or otherwise. No race in this world has such a strong and mysterious system of marriage that can ultimately prove to be such a bliss, even Science seems following the same rhythm when we go by the inventions by Greger Mendal. Moreover we have one or other form of heritages in every village – you cannot say any name without a pond and a temple in minimum. Entire Mithila is sacred place and this is why Divine Goddess incarnated here as Sita – right from the earth as Her Mother. Can anyone other than Maithils dare to perform the Yajna/Karmakanda on a banana leaf simply washed with river/pond water (Achhinjal) placed on ground duly coated with layer of cow-dung and decorated with paste of rice (Aripan) and red colored cosmetic powder (Sindoor)! None!! But what can we do when we are all compelled to leave our own lands and migrate to others’ world… now we have to do the needful to protect these values. So, Dahej Mukt Mithila has another brilliant objective to do anything for coservation of all types of heritages. You can be a member and strengthen the society.

I would also insist on all, to think over the falling dignities and identities of Mithila due to migration of large number of people caused by a long conspiracy and poor performance of leaderships both from Bihar and India including that of the leaders from Mithila doing nothing to protect Mithila and its eternalism; so, we all have to unite for pressurizing on Bihar and India governments to form a separate Mithila state to let Maithils decide future courses themselves. For this, also, please do extend your support in need.

Thanks and best regards,

Pravin

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५ सितम्बर २०१२

हमर प्रिय मैथिल भाइ-बहिन, श्रेष्ठजन, मित्र-बंधु!

आइ हमर वाल पर अहाँ सभक शुभकामना संदेश देखि हृदय प्रसन्न भेल – आशीर्वादित महसूस कय रहल छी। यैह भेल स्नेह आ आशीष! एहि लेल धन्यवाद कहि हम एहेन उत्कृष्ट भाव पर तुच्छता के गहन नहि लगबय चाहब, बस प्रार्थना करब जे अहिना अपन नजैर में सभ दिन प्रियपात्र बनेने रहू… अरे नहि हृदय में तऽ पैर पर जगह जरुर देने रहू… मुदा अपन सान्निध्य साधुता के संग बरकरार रखने रहू।

कहैत चली… हम अपन जन्मदिन कहियो सिर्फ एहि लेल नहि मनेलहुँ कारण आजुक दिन एहि विश्व के एक विशिष्ट मार्ग देखेनिहार आ अपन विद्वतापूर्ण प्रखर दर्शन एवं विचार सँ ओत-प्रोत रखनिहार डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन थिकन्हि आ बेशक हमरा गर्व होइत अछि जे ईश्वर हुनकहि जन्मदिन के संग हमरो जन्मदिन देलाह। हम १९७२ में जन्म लेलहुँ आ डा. राधाकृष्णन १९७५ में ईश्वरके नित्यधाम प्रवेश कयलाह… आखिर ३ वर्ष मात्र अबोध रहैत कतेक गुण लऽ सकितहुँ…  तदापि ईश्वर के असीम कृपा, जखन-जखन डा. राधाकृष्णन के जीवनी पढैत छी तऽ मन में उछल-कूद मचि जाइत अछि जे कोनाके एहेन महान शख्सियत केर जीवनक किछु अंश सेहो अपन जीवन में ग्रहण करी… निःसन्देह! जीवनक ४० वर्ष आइ बीत गेल। एहि ४० वर्ष में बहुत समय अपनहि लेल बीत गेल…  कि कय सकलहुँ अपन समाज, अपन मिथिला या अपन राष्ट्र लेल… लेकिन विश्वास अछि जे एतेक महान्‌ लोक केर जन्मदिन के शेयर करैत छी तऽ पासनो बरोबरि तऽ किछु कय सकब। 

हम एक लिंक शेयर करय चाहब अहाँ सभ सऽ – एकर पूरा जरुर पढू। डा. राधाकष्णन के विषय में पढि के पुनः अपन संतान, सखा आ समाज में एहेन पुत्र के उपजाउ।

अपन समस्त शिक्षक प्रति अभिवादनशील रहैत अहाँ सभ के फेर धन्यवाद करैत छी।

Happy Teachers’ Day All!!

Please read about the Hero:

Sarvepalli Radhakrishnan (1888—1975)

Radhakrishnan_SAs an academic, philosopher, and statesman, Sarvepalli Radhakrishnan (1888-1975) was one of the most recognized and influential Indian thinkers in academic circles in the 20th century. Throughout his life and extensive writing career, Radhakrishnan sought to define, defend, and promulgate his religion, a religion he variously identified as Hinduism, Vedanta, and the religion of the Spirit. He sought to demonstrate that his Hinduism was both philosophically coherent and ethically viable. Radhakrishnan’s concern for experience and his extensive knowledge of the Western philosophical and literary traditions has earned him the reputation of being a bridge-builder between India and the West. He often appears to feel at home in the Indian as well as the Western philosophical contexts, and draws from both Western and Indian sources throughout his writing. Because of this, Radhakrishnan has been held up in academic circles as a representative of Hinduism to the West. His lengthy writing career and his many published works have been influential in shaping the West’s understanding of Hinduism, India, and the East.

Read More: http://www.iep.utm.edu/radhakri/

हरिः एव हरः!

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६ सितम्बर २०१२

सुन बच्चा! कैमरा ठीक राख फोटो नीक एतौ
बिन सुन्नर मुँहें कि फोटो कहियो नीक भेलौ

कतबो चेन्ज आइना पोज या रौनक मुँहक
कहियो नहि बनतौ दिखावा पोज ठीक कतौ

भऽ सकैत छै किछु लोक के ओहुना नीक लगै
तेकर कि माने तों रखमें सैह सच भऽ जेतौ

घर भुजी भांग नहि बीबी पारैथ चूड़ा ओ जे
करमें सच से सच बनि दुनिया उभरतौ

कहि थाकि केओ जे रहि जैत एहि दुनिया में
बन तों जे सच छौक बस अहिना सम्हरतौ!

हरिः हरः!

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७ सितम्बर २०१२

दिल्ली में उपस्थित मित्र: विशेषतः Sagar Mishra Madan Kumar Thakur Santosh Choudhary राघवेन्द्र झा Sunil Kumar Jha Kunal Jha Madhawendra Kumar ThakurShyamanand Jha Kishan Karigar Anil Jha Manoj Jha Hemant Jha Prakash Jha लगायत हरेक मैथिली-मिथिलाप्रेमी संग अनुरोध जे अपने तऽ एहि कार्यक्रम में सपरिवार – धियापुता समेत हिस्सा लेबे टा करू, संगहि एहि में अपन अमैथिल मित्र-परिवार के सेहो सहभागी बनाउ।

मिथिला पेन्टिंग प्रदर्शनी लेल दिल्लीमें भऽ रहल एहि आयोजन के पूर्ण सफल बनाउ आ कलाकार सभ के सेहो उत्साहवर्धन के समुचित प्रयास करू। विशेष शुभ!

हरिः हरः!

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मैथिली होइ छय मीठ, मुदा हम तीते बाजब!
बड़ देखलौं छूछ-दुलार, हम दू कठिये धारब!
नीक बन के चक्कर में हिन्दी अंग्रेजी झारब!
छोड़ि कनैत मिथिला सपरिवार अन्तै सारब!

हरिः हरः!

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एहि में बिहार सरकार के दोख कि देल जाय… ई तऽ आइ-काल्हिक सरकार चलेनिहार सत्तालोभी बेईमान राजनीतिकर्मी आ ततबा बेईमान आ अनैतिक मानसिकता सऽ घिरल नौकरशाह – सभ केवल गरीब आ अशिक्षित जनता के नाम पर हजारों किस्म के गोरखधंधा करैत अछि… सामने सऽ ई देखबैत अछि जे हम सभ गरीब आ असहाय – अशिक्षित जनता लेल कल्याणकारी बीमा योजना – निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण – बेटी के जन्म पर पारितोषिक आदि उपलब्ध करबैत छी… लेकिन ओ अनीति के सरदार – फौजदार आ असलियत में समाज के घोर दुश्मन सभ केवल लूट कोना होयत ताहि के सोच में जकड़ल रहैछ। बिहार बड बेसी पिछड़ल राज्य छल, अछि आ एहने हिसाब-किताब रहत तऽ भविष्य में सेहो रहत।

आदरणीय मणिकान्त जी केर ई समाचार पढू – एहि में मिडिया के कूकर्म जे असलियत कोना नुकायल जाय ताहू पर प्रहार अछि… सरकार के अनेको ढकोसला के खुलासा सेहो अछि आ बीमा कंपनी के चूना लगाबय लेल निजी अस्पताल, दलाल आदि के ताण्डव सेहो अछि… खास कऽ के बिहार के मुख्यमंत्री नितिशजी के गृहजिल्ला के कहानी पर बिबिसी के बेवाक्‌ राय पढू।

हरिः एव हरः!

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स्वाधीन भारत में १९४७ के दंगे के बाद का सबसे बड़ा दंगा आसाम में हुआ जहाँ खुद को धर्म निरपेक्ष माननेवाली कांग्रेस की सरकार है…. परन्तु मिडिया को धन्यवाद जो कांग्रेस और इनके धर्म निरपेक्ष चोले को समूचे भारत में खुद को बेचकर बरकरार रखनेका काम किया। इसी बीच माया कोडनानी को नरौदा पाटिया दंगे के लिये विशेष अदालत द्वारा दिये गये दंड को लेकर फिर से नरेन्द्र मोदी को घेरने के लिये कोई कसर बाकी नहीं रखा… वश चले तो नरेन्द्र मोदी को ये लोग कल ही कोई सजा दे दें… अदालत किसी निर्णय पर पहुँचे न पहुँचे, इन बिकाउ मिडिया और तथाकथित धर्म-निरपेक्षोंके नजर में मोदी ही काँटा बना हुआ था, है और रहनेवाला भी है… पर मैं बि.बि.सी. का धन्यवाद करता हूँ कि हमारे सामने सत्य-तथ्य सिलसिलेवार ढंग से रखती आयी है। इस देश में पैसे से कुछ भी प्रचार करबा लो… दो टर्म तो कांग्रेस ने बस नरेन्द्र मोदी के खिलाफ बयानबाजी करके और लूट-भ्रष्टाचार का एक से एक मिसाल कायम करनेवाले लोगोंका सहारा लेकर देश में अपनी शासन चला लिया… कहना मुश्किल है कि आनेवाले समय में फिर से कोई मोदी-विरुद्ध सुपर-डुपर हिट फर्मुला सामने रखकर अपने विरोधियोंको अगले चुनाव में हार का मुँह दिखा दे… और हम बेवकूफ जनता इन सभी लूटेरों-भ्रष्टाचारियोंको अपना कीमती वोट जाया करते रहेंगे। बस देखते रहो आगे-आगे होता क्या है।

धर्म हमें आपस में जुड़ना सिखाता, पर ये राजनीतिबाज लोग सदा ही बाँटो और शासन करो कि अंग्रेजी सिद्धान्त से हमपर हुक्म चलाते रहेंगे। भारत सचमुच स्वतंत्र हुआ है क्या?

हरिः हरः!

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समस्त मैथिल अभियानी लेल अत्यन्त प्रेरणादायक जीवनी-गाथा – मिथिला राज्य के सभ सऽ पहिल शहीद जिनकर सपना नेपाल में राजतंत्र खात्मा संग पूरा भेल, लेकिन नेपाल सरकार हुनकर शहादत पर चुप किऐक अछि, आजुक गणतंत्रात्मक प्रणाली में मधेसवादी मिथिला-मैथिली लेल लड़निहार नेता द्वारा एहि मादे कि कदम उठायल गेल आ वास्तविकता पर मौन समाधान नहि भऽ सकैत छैक, संगहि डा. झा के शहीद घोषणा करैत एक शैक्षणिक संस्थान जाहि में मेडिकल के पढाई के संग ज्योतिष-विद्या आ आध्यात्मिक अध्ययन के सेहो इन्तजाम हो – एहि तरहक माँग नेपाल सरकार समक्ष रखबाक हम सभ सँ हार्दिक आह्वान करैत छी।

हरिः हरः!

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९ सितम्बर २०१२

भारत महान्‌ देश अछि – केना… आउ चलू देखी किछु मिसाल।

राजनेता व्यस्त अछि अपन राज-काज में; जाति के नाम पर आरक्षण दऽ के जनता के आपस में बाँटय लेल सोच बनायब, धर्मके नामपर जनता के दिमाग में आइग भरब आ अपन वोटबैंक सुरक्षित करब, भीड़ कतय आ कोना लागत ताहि के पाछू लूटल धन खर्च करैत चमचा-बेलचा के माध्यम सऽ कार्यक्रम करबायब आ ओतय बाद में नेताजी के रूपमें सफेद चेहरा प्रस्तुत करैत आत्मसंतुष्टि पायब, विधान-सभा आ संसद में हंगामा करब आ केनाहू के मिडिया के नजैर में बनल रहब, अपन क्षेत्र में पलैट के जेबो नहि करब लेकिन जहिया जायब तहिया फूइस के वादा के ढेरी लगा देब… आरो बहुत तरहक कारनामा करैछ आजुक नेता सभ। तहिना व्यस्त व्यवसायी आ पेशागत लोक बेईमानी आ शैतानी के विभिन्न रूप सऽ बस अपन जेबी आ कोठी भरय के चक्कर में; ओ रहय कोनो व्यापारी वा डाक्टर वा इन्जिनियर वा मैनेजर वा अफिसर – सभ अपन क्षेत्र में महारत लूट कोना करब एहि में हासिल करैत अछि। आर तऽ आर… पहिले मास्टरसाहेब सभ के तेहेन दू नंबर आमदनी नहि होइत छलन्हि तऽ आब भोजन-भात सऽ लऽ के खराती चाउर-दाइल-गहुँम-कपड़ा-लत्ता-साइकिल-भत्ता आदि विद्यार्थी के नाम पर लूटय लेल आ अपन ऊपरका आका सभ के लेल दलाली के खेप पहुँचाबय लेल इन्तजाम कैल गेल अछि। आर तऽ आर आम जनता के सेहो भ्रष्ट बनाबय में कोनो कसर नहि बाकी राखल गेल अछि – बिपीएल कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड, हेल्थ इन्स्योरेन्स पलिसी, बेटी जाति के सुरक्षा (कन्या भ्रुण हत्या विरुद्ध अभियान) … आ नहि जानि कतेक किस्म के सरकारी अफर आम जन लेल… भले एस्कीम के एस्पिरिट बढियां हो परन्तु डिस्ट्रीब्युशन में वैह जे अहाँ के एतेक भेटत आ एहि खातिर मुखिया-सरपंच के पास आधा सऽ बेसिये छोड़ऽ पड़ऽत काराण जे सभ ऊपरका के पहुँचाबयल जेतैक ओकर भागक खेप। आब तऽ वोट-बैंक लेल भितरिया सेटिंग सेहो होवय लागल छैक। कोनो एक पार्टी के दलाल गाम में पैसैत छैक आ सभ जाति-समूह में नव-नव शिगूफा छोड़ैत डिविजन पोलिटिक्स करैत छैक। कोनो एहेन क्षेत्र नहि जाहिठाम भ्रष्टाचारी चरम पर नहि! श्रम देनिहार सेहो सोचैत छथि जे एहि लूटतंत्र में खाली हमहीं सभ श्रमदान करू…. नखरा देखबैत छथि ठीकेदार के… लेकिन वैज्ञानिक आ पूँजीपति प्रणाली श्रमिक के सेहो त्रसित राखय लेल आइकाल्हि बेसी रास काज मशीन द्वारा करय लागल छथि। मशीन में भ्रष्टाचारी तुरन्ते तऽ प्रवेश नहि करैत अछि… लेकिन जँ चाइनिज आइ.सी. या पी.एल.सी. प्रोग्रामिंग लागल हो तऽ ऊपर सऽ फिटफाट आ भितर मोकामा घाट तर्ज पर चलैत-चलैत कखनहु दम तोड़ि दैत छैक… आ फेर झमेला शुरु। जापानी, जर्मनी, बेलायती मूल के दर्‍ह काज के प्रशंसा आइयो होइत छैक।

अच्छा छोड़ू! कतेक दोष दोसर में देखब? अपन भ्रष्टाचारी के आकलन जरुरी। भिनसर होइते सवेरे सूर्योदय सऽ पहिले उठय के जे आदैत छल से फेसबुक के चक्कर में छूटि गेल बुझैछ। नित्यक्रिया भगवती के कृपा सऽ ठीके अछि, ताहि हेतु स्वस्थ छी… नहि तऽ पता चलल जे आइ गैस्ट्रीक सऽ कंठ जैर रहल अछि तऽ कखनहु पित्त के थैली किछु बेसिये वमन करय लागल अछि जाहि के चलते समूचा शरीर में व्याधि के प्रदर्शन लागि गेल अछि बुझैछ… लिवर सेहो थाकि-थाकि आब अधिया गेल अछि… किडनी के कोनो ठेगान नहि जे कखन जबाब दऽ देत… लंग्स तऽ पहिले सऽ सिगरेट के धूआं में कमजोर केने छी… एकमात्र प्रभुजीके वासस्थल हृदय नहि जानि कोन मेटेरियल सऽ निर्मित अछि… ई अन्त-अन्त तक लड़ैत रहैत अछि… मुदा सावधान, आब कमो अवस्था में ई तेना धड़ैक उठैत अछि जे कहानी मिनटहि में साफ! अस्पताल तक जँ जीबिते पहुँचि जायब तऽ डाक्टरक भ्रष्टाचारी के मारि सऽ भूजड़ी-भूजड़ी कय देत शरीर के आ नोट के गलन निश्चिते!

कखनहु के बुझैत अछि जे बरु ऋषिये-मुनि ठीक छलाह… कंद-मूल-फल-पात-हवा-जल खाइत प्रकृति संग-संग प्रकृति के रंग में रंगायल रहैत छलाह आ बस संसारक कल्याण हेतु नव-नव अनुसंधान में लागल रहैत छलाह। लेकिन आब ऋषि-मुनि के सभ सऽ बेसी कोमलता भ्रष्टाचारिता के प्रकोप में आबि गेल छन्हि। बिना लक्जरी के साधना संभव नहि! कि ध्यानकेन्द्रन लेल एसी मंचक आवश्यकता अनिवार्य भऽ गेल छैक? कि गुरुभक्तक भीड़ गुरु के एतेक मजबूर कय देलकनि जे सांसारिक वस्तु सऽ कोनो आसक्ति नहि रखबाक मूल परिभाषा के स्वयं ताख पर राखि उच्चासन सऽ खोखला धर्मोपदेश कय रहल छथि? बहुत तरहक भ्रष्ट विचार सऽ हमर दिमाग आइ भ्रष्ट बनल जा रहल अछि। संयोग किछु नीक बुझैत छी जे माय अपन दूध पियाय पोसने छलीह… नहि तऽ डिब्बावाला दूध या आइ-काल्हि जे युरिया-तुरिया मिलाय केमिकल दूध के ऊपर रहितहुँ तऽ माथ चिन्तन के काबिल नहि रहैत। माइयो आइ-काल्हि दूध नहि जानि कि सोइच बच्चा के नहि पियबैत छथि… सेरलेक, फैरेक्स आ लेक्टोजेन के बहार आयल अछि। भ्रष्टाचारी के परिभाषा सत्यक स्वरूप लेने जा रहल अछि आ सत्य जे अडिग छल ओ धुमिल भेल जा रहल अछि। छटपटाइत भैर राइत तपस्या केलहुँ… भिनसरबा में आबि भगवान्‌ हंसैत ठाड़्ह भेलाह आ कहलाह जे बूरित्त्व में नहि फंसह… जे भऽ रहल छैक सेहो ठीक छैक, जे हेतैक सेहो ठीके रहतैक… जे भेलैक सेहो ठीक रहैक… तोहर जतेक टा के माथ छह ततबे दूर जाह आ बाकी हम न बनेने छियैक हौ… हमरा ऊपर छोड़ि दहक आ बस तों शरण में पड़ल रह। जेना बच्चा के जन्म सऽ पहिने हम माय के स्तन में दूध पठा दैत छियैक… अन्चोके हम हुनकहु टोकलियैन… से अपने तऽ विश्वंभर छी… अपने तऽ दैत छियैक… लेकिन माय तऽ ओहि सऽ बच्चा के आखिर वञ्चिते रखैत छथिन… भगवान्‌ फेर हंसैत कहलाह… फेर तोंही चिन्ता करबह? ओहि माय के नहि पता छैक उचित-अनुचित? हौ जी! अपन काज करह आ जय-जय करह। लेकिन हे! ई नित्यक्रिया जे छैक से समय सऽ करह। उठह सवेरे! मूरी हिला के कहलियैन जे – जेहेन आज्ञा प्रभु!

हरिः हरः!

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१० सितम्बर २०१२

साधन केर सीमितता आ समाजिक परिवर्तन लेल विभिन्न आन्दोलन समय-समय पर विफलता के मुँह देखैत आयल अछि। हम सभ जाहि समाज सँ छी ताहि ठाम सेहो जमीन्दारी व्यवस्था सऽ समाजिक काज-राज चलायल गेल, लेकिन अहं, आडंबर, अत्याचार, अमानवीयता, अनुशासनहीनता, असंस्कार आ आरो कतेक असहजता के कारण ई व्यवस्था भारत में स्वतंत्रता के संग समाप्त भऽ गेल। तथापि कतेको लोकक मानसिकता में परिवर्तन तेहेन नहि आबि सकल आ ऊपर सऽ सरकारी शासन-प्रशासन में सेहो बाहुबल-संख्याबल-जनबल के दबाव में न्याय के जगह अन्याय शासन चलेला के कारण आन्तरिक विभेद कायम रहि गेल। खुलेआम जाति-पाँति के नाम पर वोट बटोरैत लोक में मानवता के कम लेकिन जातियता के बेसी भावना उत्पन्न कैल गेल। समाज के काज कहियो एना भावुकता या भावना के आधार पर मात्र चलैत हम नहि देखलहुँ। एक-दोसर में सहयोग के भावना, मानवता के संग क्रिया-प्रतिक्रिया आ प्रगतिशीलता – कोनो समाज के सुसंस्कृत बनबैछ। मिथिला के गाम-घर में एहि बात के नमूना नजर अबैछ। कोनो गाम में जाउ तऽ आपस में हर-हर-खट-खट के लोक तुरन्त पर-पंचैती करैत सुलझा लैत अछि आ वैमनस्यता के दूर भगबैत अछि। मन में विभेद रखितो समाज के कानून अन्तर्गत बलजोरी-बलधकेल केकरहु नहि चलैत अछि।

I must remind to the friends of Dahej Mukt Mithila vowed to fight against the evils of dowry system in Mithila – you don’t worry for seeing the changes instantly tomorrow. Prepare the next generation which would give importance to the healthy relationships rather than materialistic relations greedy create with non-spiritual gifts of money, ornaments, various types of gifts and gains. How can those people show off that they are high esteems in the society when they have shown their lusts and greed by accepting dowry or have given the dowry on marriages of their kin ones. This is the basic line of our movement. Keep discussing, let the discussions continue till those devils realize that SACRIFICES ALONE MAKE IMMEMORIAL ESTABLISHMENTS. जाहि वैवाहिक सम्बन्ध में त्याग नहि, ओ सम्बन्ध के आध्यात्मिक महत्त्व कोना आ कतेक? वैवाहिक सम्बन्ध तऽ दू आत्मा के मिलन हेतु होइत छैक, ओहि में उपहार-भार के सीमा स्वतः ओतबी जतेक स्वेच्छा सऽ एक पक्ष दोसर पक्ष के दैत छैक। हम बेर-बेर एहि बात पर चिन्तन करय लेल जोर दैत छी समाज के समस्त प्राणी के जे सम्बन्ध के बुनियाद स्वच्छ हृदय आ भावना हेबाक चाही, नहि कि आडंबर-अहंता। परंपरा जरुर बहुत किछु छैक, लेकिन सामनेवाला के संग साधन के सीमितता के यदि कुटुम्ब नहि ध्यान देथिन तऽ कहू जे केहेन सम्बन्ध-निर्माण हेतैक… ओहि में सौहार्द्रता कतय सँ एतैक। अतः दहेज माँगल गेल तऽ घोर पाप भेल बुझबा में देरी नहि हो। एकर दुष्परिणाम सऽ आबो यदि समाज में चेतना नहि पसरत तऽ शायद मिथिला में सेहो मजबूत सम्बन्ध-निर्माण नहि भऽ सकत आ गये दिन अभद्र समाचार सुनय लेल भेटत जे फल्लां के पुतोहु भागि गेलीह तऽ ओकर सम्बन्ध टूटय के कगार पर छैक.. आ नहि जानि कतेक अंट-शंट।

हरिः हरः!

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Please give your opinion:

Q. What is dowry system in your knowledge? Please give an example in support of your understanding of dowry system.

Q. Are you aware of the objectives of Dahej Mukt Mithila? Have you visited the files section and ever studied what we have plans to do and how we wish to proceed?

Q. Have you ever visited the website www.dahejmuktmithila.org – the official website of thismovement? If yes, what are the features you could notice and how you wish to bring improvements in it?

I request all members to try these questions and help us improve in coming future.

Regards/Pravin

Harih Harah!!

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It is after a long time, got to hear some lovable words from our Sudhanshu Shekhar Singh Bhai and how he recalled the days of Orkut. Yes, I too understand that those days were golden in respect of our exchanging views of spiritual subjects. The couplets of great saint and thinker Kabir were then discussed in elaborated senses. Yes, these are done in moments of peace and aspirations for realizing the self alone. We have entire life to keep pondering the goods subject of spiritualism, Hinduism thus guides in all significant ordinances to carry on life with self-studies without fail.

Thanks for creating a table where we must talk and we must end the rifts of differences we feel in our religions. In my view, these appear to be different, but these are not different at all; these lead us to One and Only Goal – the Supreme Destiny. 

Here is the link for Interfaith Dialogue:
https://www.facebook.com/groups/127153597335984/

I hardly visit Orkut pages of Dharma Marga and Interfaith Dialogue shortly termed as DM and IFD; which were established by both of us in 2007, probably DM was established before IFD in May 2007 with a vision to let worships go for all, and IFD established in December 2007 to let differences reduce or end by letting the followers from various faiths exchange dialogues. In history of social sites, both these steps were welcomed by thousands of people from all corners of the world. IFD had discussed about all religions on broader spectrum, DM sang songs. Now, we are both at Facebook. And I share the link for all to enjoy the bliss.

Here is the link of Dharma Marga:
https://www.facebook.com/groups/265996693436348/

Harih Harah!!

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१२ सितम्बर २०१२

Today has been so auspicious for me!  Thanks a lot to Supreme Lord for showing me a day which is full of good news for Mithila and Maithili. Early in morning a young journalist Royantar gave a newspaper (weekly) namely Madhesh Special published from Siraha (Nepal) which had a lots of stuffs for traditional Mithila, those heritages which need conservation by special cares of Maithils. As I published my note in morning today, I did wish for those celebrating any moment for Mithila’s festivals for common people, do include these extincting cultural heritages – Raja Salahesh, Dina Bhadri, Jat Jatin, Kamala Snan, Nat Natin, Pamariya, and a lot more that you can read in my Maithili bulletin of morning.

Here I got another good news to publish for all – one of the most prominent personality from Mithila now residing at Riyadh (UAE) namely Prabhat Ray Bhatt informs that newly established Mithila Ekta Samaj – UAE has decided to organize a mega event of cultural program – Vidyapati Smriti Parva Samaroh Evam Sanskritik Kaaryakram on 26th October, 2012 at Riyadh (UAE) and also on 27th October 2012 at Dammam (UAE), the Chief Guest to inaugurate the event is Ex-Minister & CA Member Shri Sharat Singh Bhandari and that in auspicious presence of His Excellency Ambassador of Nepal to UAE Shri Uday Raj Pandey and nearly 2000 emigrated Nepalese nationals; the cultural program to be held with special guest artists, scholars Shri Murlidhar, Shri Sunil Mallick, Shri Harishankar Choudhary, Shri Roshan Mandal and Shri Kulendra Vishwakarma. Distinguished guests as designated members from several other organizations would also show their gracious participation in the same event to present a cultural and communal harmony for all Nepalese nationals celebrating the memorial day for Highly Learned Poet Cuckoo Vidyapati of Maithil clan who had also spent so much time in Mithila region of Nepal approximately 800 years before and done prominent works in field of Maithili literature and serving to the then King of Mithila as a dedicated noble loyal, with whom a common people remain impressed still humming his great pieces of creations – voice of common people – Janakavi. Undoubtedly this event in UAE by Mithila Ekta Samaj will bring a great fame to both Mithila Culture round the world and that to Nepal as a nation in whole which nationals are organizing the program in overseas. I make my sincere appeal to all, to coordinate with the organizing team as under:

Rukesh Kr. Shah – President, Mithila Ekta Samaj – UAE
Nabal Kishore Mandal – Vice President, Mithila Ekta Samaj – UAE
Sunil Pd. Gupta – General Secretary, MES – UAE
Niraj Ray Patel – Secretary, MES – UAE
Chandrashekhar Shah – Treasurer, MES – UAE
Legal Adviser and the 19 more committed members including the most important and committed sincere member Shri Prabhat Ray Bhatt.

My heartfelt congratulations for grand success of the event, wish all my friends and familiars also extend wishes for great success too.

Harih Harah!!

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Pratikriya likhait mishri ghulal achhi man me – je aai dhair gap debaak kaaj kelak aa batahpani dekhbait jeevan ke harek more par khaali Mithila aa Maithili ke naam par dokaan chalelak se Pravin par aangur utha rahal achhi. Moodh! Pravin etek nikammaa nahi chhaik 100 ber kahi delkau taiyo nahi bujhlihin?  Khair! Sun! DMM ke founder member DMM sang achhi ya nahi achhi – e DMM ke patal par dekh. DMM pole-khol me laagal aa ki kaaj karelak – kelak e sabh baat tu jekar naam la rahal chha hunkahi sa poochh. Aa yaad raakh! Hamara sange dhurtay karanihaar jeevan me kahiyo safal nahi bha sakal achhi.  Kiyaik ta ham kahiyo tel lagenihaar aa naam ke sammaan khojanihaar ke kadaapi nahi sweekaar keliyaik. Hamar team me o vyakti kadaapi nahi rahi sakait achhi jekraa naam kamebaa lel fareb ke sahara lebay parait chhaik. Smt. Karuna Jha ke naam sa tu bahut baat likhne chhe, bahut baat Shekhar Mishra ke naam sa likhne chhe – ham jahiya likhbauk ta pramaan ke sang likhbauk aa takhan samajh me etauk je ke asgar kaaj kelain – ke sang delkain – ke concept develop kelak – ke samhaaray ke saamarthya rakhait achhi…. akulaa juni. Faarh baanhi ke kaaj kara ke attitude sa Pravin kono kaaj karait chhaik. Khabardaar! Loose talk kara sa pahile 10 ber soch. Charitrahin aa beimaan – hamar sojha thaarh nahi bha sakait achhi. Smriti me taajagi bana, hosh kar. Bachchaa chha, bachche jeka rah. Jahiya apan pair par thaarh hebe tahiya apan paigh par aarop lagaabay ke jurrat karihe.

Ona, Smt. Karuna Jee ke kichhu vaktavya mishrit aayal chhanhi hunkar post me aa ehi sa tora sandeh ke paristhiti srujna bhelauk. Lekin ehi vindu par Karuna Jee sang hamar baat bhel tadoparaant ham apan wada nirvaah kene chhi. Registration bahut paigh task Karuna Jee pura kelih aa ehi me hamar sahakaarya, sandesh evam sanyojan me kelih… ki ekar pramaan chaahi tora? Ta, kahiyo sojha aa! Delhi aayal rahi ta sabh ke bajeliyauk aa katek himmat chhauk seho dekh leliyauk. Mayank Mishra ek sabhya aa sambhrant sahayaatri chhauk, tora san ke akarmal aa agyaani nahi. Kahiyo kichhu baaj ta tareekaa sa baaj.

Harih Harah!!

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1962 मे आरम्भ भेल मैथिली फिल्म’क दौर केर आधार पर पचासम वर्षगाँठ मनेबाक जतेक ढोल पीटि लेल जाय मुदा आधारभूत बात ई अछि जे मैथिली फिल्म उद्योग एखन ठाढ़ होयबाक स्थिति मे नहि आबि सकल अछि….ममता गाबय गीत सँ ल’ क’ एखन धरि जे काज सोझां आयल अछि ओहि मे ममता गाबय गीत, सस्ता जिनगी महग सेनुर, सिंदूरदान, कखन हरब दुःख मोर, मुखियाजी, सजना के अंगना मे सोलह सिंगार आदि कें सार्थक प्रयास अवस्से कहल जा सकैत अछि…मुदा तकरा बाद एकटा प्रश्न चिन्ह ठाढ़ होइत अछि….जे एना कतेक दिन ? मैथिली मे रक्त तिलक नामक लघु फिल्म बना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित मनोज श्रीपति, नैना जोगिन (राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सँ सम्मानित मैथिली/हिन्दी लघु फिल्म) केर निर्देशक प्रवीण कुमार एहन लोक’क आवश्यकता मैथिली फीचर फिल्म निर्माण कें छैक… ज्ञानेश्वर दुबे , सुनील-प्रवेश,धीरेन्द्र प्रेमर्षि सदृश मैथिली’क मौलिक संगीतकार’क सहयोग किएक नहि लेल जा रहल अछि…जनकपुर’क मिनाप, प्रतिविम्ब, पटना’क भंगिमा, सहरसा’क पंचकोसी, कोलकता’क कोकिल मंच वा दिल्ली’क मैलोरंग, मिथिलांगन एहन संस्था’क ऊर्जा सँ भरल अभिनेताक सदुपयोग सेहो मैथिली फिल्म लेल कयल जा सकैत अछि..फिल्म’क संवाद लेल महेंद्र मलंगिया, अरविन्द अक्कू, कुणाल, प्रदीप बिहारी, अजित आजाद आदि, गीत लेल सरस, राजेंद्र विमल, नवलजी, चंद्रमणि, जगदीश चन्द्र अनिल आदि गीतकार आदि कें जोडिए कें सार्थक मैथिली फिल्म’क परिकल्पना संभव छैक…. सतत मोन रहबाक चाही, जे मिथिलाक बाज़ार कें भने अश्लील करबाक प्रयत्न भ’ रहल हो. मुदा एखनो सुच्चा मैथिली श्रोता आ दर्शक स्तरीयता’क पक्ष मे ठाढ़ अछि, जं से नहि रहितैक तं रेडियो कान्तिपुर’क हेल्लो मिथिला एतेक लोकप्रिय नहि भ’ पबितैक… तें मैथिली सिनेमाक कथित पचासम वर्ष पर सोचबाक बेगरता अछि हमरा सभ लेल जे मैथिली फिल्म’क सम्मुन्नत भविष्य लेल की रणनीति तैयार हेबाक चाही…जं एही विन्दु पर सोचि आंगा बढ़ब त’ निश्चित हम सभ मैथिली फिल्म’क हीरक जयन्ती (60 साल : 2022) गौरव बोध संग मना सकब..
— किसलय कृष्ण

http://www.mithimedia.com/2012/09/blog-post_9.html

Bahut sundar vichar – imandaar vichar – lekin hataashaa nahi, vartamaan ke seho manebaak pravrutti apanebaak saadar anurodh. Aaiyo Maithili Film jatek chhaik se kam nahi chhaik aa ehi lel Darbhanga me je aayojna bha rahal achhi taahi prati sabh ekjut bha ke safal banao aa ohithaam ek saandarbhik vichar goshthi karu, ekjut hoit ek nirnay liya aa Kislay Jee ke sapana 2022 lel safal karu. Samast Maithil aha sabh ke hruday sa aashirvaad debaak lel tatpar chhathi.

Mithimedia ke upahaar sabh sundar aa Maithil ke jaagruk kara lel saamarthyavaan bujhait achhi. Thanks Rupesh Teoth!

Harih Harah!!

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आइ एक बातके पूरजोर स्वर में फेर खुलासा कय दी:

https://www.facebook.com/groups/dahejmuktmithila/

ई मुहिम धिया-पुता के खेल कनिया-पुतरा नहि थिकैक जे बस बाजि लेला सऽ काज भऽ जायत छैक… आ नहिये ई कोनो नित्य खुलैत नवका मिथिला-मैथिली के संस्था थिकैक जे अध्यक्ष-उपाध्यक्ष-सचिव बनैत होशियारी देखायब एहि समाज में… खबरदार जे केओ व्यक्तिगत स्वार्थ सऽ एहि मुहिम के जोड़ि देखबाक जुर्रत केलहुँ तऽ…! बहुत अथक परिश्रम सऽ ई अभियान नित्य कम से कम दस मैथिल आ ततबा अमैथिल के जरुर ध्यान एहि तरफ खींचि रहल छैक जे वास्तवमें दहेज के अन्याय सऽ प्रथम महिला-अत्याचार के पापक भागी हम सभ बनैत छी से नहि बनी….

नित्य किछु न किछु युवा एहि लेल अपन मन के मना रहल अछि जे हम जे बियाह करब तऽ माय-बाबु के बुझा देबैन जे हमरा जीवनसंगिनी सँ विवाह कराबैथ आ दू आत्मा के मिलन होवय दैथ नहि कि लोभ में फँसि पापक शुरुआत करा दैथ जाहि सऽ दुर्लभ मानव जीवन व्यर्थ जाय….

एतय तक जे दहेज लैत काल्हि धरि अपन सिर गर्व सऽ उच्च करैत समाज के दस केँ बजा ई कहथिन जे हे देखियौक भैर सन्दूक तऽ अदौरी-तिलौड़ी-दनौरी-चरौरी-मुरौरी-कुम्हरौरी साँठ में आयल आ कोनो घर बाँकी नहि जाहि में दहेज केर वस्तु नहि देलैन अछि नव कुटुम्ब…. सेहो सभ आब उल्टे कुटुम्बके डर सऽ कहय लगलाह छथि जे बेसी लेन-देन के चक्कर में नहि पड़ू समस्या छैक… गाम में कोन दैन संस्था खुजि गेल ‘दहेज मुक्त मिथिला’ बड़ कड़ा नजैर छैक… बजैत किछु नहि छैक लेकिन समाज में हंसारत करबैत अछि….

तऽ एहि अभियान संग संगठन के निर्माण लेल सोचू… आ फोकटिया खेल में जुनि पड़ू। क्षमता अछि तऽ ईमानदारिता के संग एहि में योगदान दियौक। नित्य नव-नव लोक जुड़ि रहल छथि। एहेन नहि जे पैसावाला लोक छी त संस्था के पैसा के बदौलत कीनि लेब। होशियार!

कतेक लोक हमर जुड़ब के सेहो स्वार्थ सऽ जोड़ि देखैत छथि – तऽ हमर काज बिना नाम के काम करवाला में अछि, प्रेसीडेन्ट अवार्ड अहीं सभ लेल अछि।  जुनि जड़ू आ सिर्फ काज करू।

जिनका स्वच्छ हृदय सऽ जुड़बाक अछि ओ जुड़ू, अपन ठाम पर आरो के जोड़ू आ गाम में सेहो जोड़ू… एक निगरानी समिति निर्माण करू। अहाँके ठाम-गाममें जे विवाह योग्य वर वा कन्या होइथ हुनकर परिचय के शुद्ध हृदय सऽ संकलित करैत एहि अभियान द्वारा लांच्ड वेबसाइट पर राखू। www.dahejmuktmithila.orgपर। उम्मीद अछि जे जल्दिये अहाँ सभ के ई अभियान भारत, नेपाल आ यु.ए.ई सऽ आब अमेरिका में रहनिहार मैथिल तक सेहो पहुँचि जायत। भारत के विभिन्न कोण में बहुत जोर-शोर सऽ काज भऽ चुकल अछि आ बहुते काज एखन होवय लेल बाकिये अछि। खाली व्यक्तिगत स्वार्थ सऽ जुड़ल कोनो भी फंदेबाज सऽ बचू। हमर निवेदन!

हरिः हरः!

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१५ सितम्बर २०१२

आरएसएस प्रमुख के. सुदर्शन केर अवसान दिवस पर

Deep Condolance!

Maithili ke ashtam anusoochi me naam diyaunihaar ke Shri Sudarshan amar chhathi. Hinka punya aatmaa ke Isvar cheer shanti pradaan karaith.

Om Shanti! Om Shanti! Om Shantihi!!

Harih Harah!!

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मैथिल स्रष्टा रंगकर्मी आ लेखक श्री रमेश रंजन द्वारा लिखित ‘सङोर’ उपन्यासक समीक्षा कार्यक्रम आइ अपराह्न ३ बजे सँ वाणी प्रकाशन, नील सदन, विराटनगर में होमय जा रहल अछि। हमहुँ आमन्त्रित छी आ एहि लेल विशेष तैयारी में लागल छी, अपन प्रस्तुति हेतु।

एखन धरिक तैयारी यैह कहि रहल अछि जे सङोर आजुक परिवेश में मैथिलक यथार्थ अवस्था के चित्रण करयवाला मैथिली के लगभग वैह बोली जे आमजनकेर अछि ताहिमें रचित उपन्यास, गाम आ शहर बीच के सम्बन्धक खुबसूरत तादात्म्य आ युवा पीढीके मनोदशा में पुरान आ पारंपरिक सोच प्रति वैराग्यता के नीक प्रस्तुति कय रहल अछि।

हमर औकात समीक्षा करयवाला नहि अछि जे एक-एक विन्दु के छुबि सकब, लेकिन मुर्गा के अंडा या अप्रत्याशित कल्पना लेल कविकेँ जरुर अपन सुझाव देब, हुनकहु सँ आगामी मैथिली के सुन्दर भविष्य-निर्माण लेल अनुरोध करब, हुनकहु सुनब आ सिखब।

अहुँ सभ जे विराटनगर में छी से एहि कार्यक्रम में सहभागी जरुर बनी, अनुरोध!

हरिः हरः!

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१७ सितम्बर २०१२

बाबा विश्वकर्मा के हृदय सँ जयकारा लगबैत औझका खुशखबड़ी – राजीवजी (दहेज मुक्त मिथिला वेब एडमिनिस्ट्रेटर आ मेकर) द्वारा सूचना:

बहुत दिन सऽ चैल रहल प्रक्रिया पूरा भेल – आब सौराठ सभा के तर्ज पर समस्त सुविधा अनलाइन भेटयवाला अछि। आब दहेज मुक्त विवाह करनिहार लेल आधुनिकता सऽ भरल योग्य वर-कनियां चुनबाक लेल फ्री रेजिस्ट्रेशन चालू भऽ गेल। एहि पेज पर पहुँचिके अपन स्थान सुरक्षित करू:

http://www.dahejmuktmithila.org/Vivah.aspx

एखन धरि ७०० प्रोफाइल आबि चुकल अछि। एहि लेल www.mithilashaadi.com पर आबि सकैत छी। मुदा रोचक बात ई अछि जे एहि वेबसाइट पर दहेज लेन-देन के बात गौण छैक, स्वेच्छाचार के प्रोत्साहन छैक। जखन कि ई जे नवका वेबसाइट के ऊपर लिंक देल गेल अछि, ई पूर्णतया दहेज मुक्त विवाह करनिहार लेल छैक। कृपया एहि सूचना के बेसी सऽ बेसी मित्र संग शेयर करू आ धराधड़ रेजिस्टर करू। लग-इन आइडी बनाउ।

शीघ्र अहाँ सभ के लेल आरो facilities introduce kail jaayat.

Harih Harah!

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उम्रके अनुसार गुण और दोष आना जीवोंका स्वभाव होता है। किशोरों में बिपरीत लिंगोंके प्रति आकर्षण भी स्वाभाविक ही है। परन्तु सीमा और अनुशासन से खुदको नियंत्रित रखने के लिये नैतिकताकी आभूषण धारण करना जरुरी है। सुसंस्कृत लोगोंमें ऐसा भटकाव अन्यके अपेक्षा कम मिलता है। अतः अभिभावकोंको अपने बच्चों (किशोरों) के प्रति साकांछ रहकर उन्हें ऐसे माहौल में पालें-बढायें जिससे उनकी प्रवृत्तियाँ सार्थक कार्यकी ओर ज्यादा जाये न कि निरर्थक अश्लील तस्वीर और भद्दे टिप्पणियों से इन्टरनेट का दुरुपयोग के तरफ। हम अपने बच्चोंको पहले ही गुण-दोष के बारे में खुलकर कह सकते हैं। किशोरों को समुचित शिक्षा देकर इसके बुराइयों से दूर रखा जा सकता है। शिक्षक और अभिभावकोंकी सीख के साथ-साथ अच्छे संगतोंकी जरुरत है। बस सत्संगकी महत्ता को सदैव ध्यान में रखें। धन्यवाद! हरिः एव हरः!

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१८ सितम्बर २०१२

एक समय छलैक – लोक के लोक बलजोरी जोड़ि दैत छलैक; लेकिन आब ओ ट्रेण्ड दहेज मुक्त मिथिला पर बदलैत देखि रहल छी। हमर सभके कार्य अछि लोक में जानकारी करायब, लोक स्वयं जुड़ि रहल छथि एहि सऽ हुनकर अपन आत्मा सऽ स्वतन्त्र निर्णय लेबा में सहायक होइत छन्हि। जी! अवश्य ई अभियान एहेन छैक जे हम कहब तखन अहाँके मन बदलत तऽ कहियो न कहियो अहाँ असफल बनब, दहेज लेन-देन में फँसियो सकैत छी आ मिथ्याचार होयत। बरु, अपन इच्छा सऽ जे जुड़ैत छथि ओ अपनहि संग धोखा कदापि नहि कय सकैत छथि। जे अपना संग धोखा केलक ओ बुझू घोर पापी बनैत परमात्मा संग धोखा करनिहार कहैछ, बनैछ। स्वेच्छाचार के आचार-विचार अपनाउ, जीवनमें कहियो कर्म बन्धन नहि बनत। सभ दिन स्वतंत्र आ निष्पक्ष कार्य करबाक आनन्द सेहो भेटत।

हम फेर नहि बिसरब आ महत्त्वपूर्ण लिंक सभ एहिठाम राखि देब जाहि सँ स्वतन्त्र निर्णय करैत एहि मुहिम सऽ जुड़ि सकैत छी:

फेसबुक पर:
https://www.facebook.com/groups/dahejmuktmithila/

अफिशियल वेबसाइट:
http://www.dahejmuktmithila.org/Vivah.aspx (वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित करबाक लेल मैचिंग सुविधा लेल)

http://www.dahejmuktmithila.org/ (संस्थाके परिचय, मुहिम के उद्देश्य, आदि आ अहाँके विचार संग-संग अपन फ्री लग-इन आइडी लेल)

http://www.mithilashaadi.com/ (साधारण मैट्रिमोनियल साइट – संस्था के समर्थक वेबसाइट).

आर बहुतो रास लिंक सभ सऽ जुड़ू आ अपन समाज के स्वच्छ बनाबय लेल पुण्य प्रयास करू।

बहुत जल्दी हम सभ जुड़ल सम्बन्ध जे टूटय के कगार पर पहुँचैछ, घरायशी झगड़ादानी में लोक आपसी विवाद में पड़ैछ, तेकरो लेल कानूनी सल्लाह के सुविधा मुफ्त प्रस्तुत करायब। एहि लेल सेहो कार्य चलि रहल अछि।

अपनेक लोकनिक सल्लाह आ सुझाव सदिखन आमन्त्रित अछि। एहि पोस्टके अपन मित्र-बंधु संग अवश्य शेयर करी।

धन्यवाद!

हरिः हरः!

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यह संभव है कि तुम्हें अपनी मौलिकता से जुड़नेका मौका ही न मिला हो… पर कम से कम हम इतनी जागरुकता रखें कि आखिर हमारी मौलिकतामें क्या है जिससे समूचे संसार को हम कह सकते हैं कि किसी न किसी रूपमें हम दुनिया को कुछ बेहतर दे सकते हैं। मिथिला पेन्टिंग और मंजुषा दास, भारती दयाल की कहानी पढ लो इस न्युज आर्टिकल में, चौंकना नहीं कि एक पेन्टिंगकी कीमत $10,000.00 से लेकर $25,000.00 तक है; और यदि देखना हो कि कैसे तो कभी समय निकालकर पहुँच जाना बिहार इम्पोरियम, बाबा खड़ग सिंह मार्ग पर।

अजी! खुद नहीं सुधरे, कम से कम बच्चोंको तो सुधरनेका मौका दो। और हाँ! मैथिली बोली छोड़कर तुमने अच्छा नहीं किया… पीछे पछताओगे, अभी तो दिखावेका चोंगा पहनकर दिल्ली में हाँजी-हाँजी भाषा प्रयोग करते मजा ले रहे हो… पीछे पहचानकी समस्या बन जायेगी और तुम पीछे छूट जाओगे। 

हरि: हरः!

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मन उद्वेलित अछि, चारू कात झर-झंझैट में फंसल छी… कि करब?

उठाओ हाथ में वेद के सार ‘गीता’ आ ईश्वर के सुमिरन कय उलटाओ कोनो एक पृष्ठ आ देखू। हमर भागमें कि अछि, आउ देखी। 

सर्वस्य चाहं हृदि सन्निविष्टो
मत्तः स्मृतिर्ज्ञानमपोहनं च।
वेदैश्च सर्वेरहमेव वेद्यो
वेदान्तकृद्वेदविदेव चाहम्‌॥गीता १५-१५॥
द्वाविमौ पुरुषौ लोके क्षरस्चाक्षर एव च।
क्षरः सर्वाणि भूतानि कूटस्थोऽक्षर उच्यते॥गीता १५-१६॥
उत्तमः पुरुषस्त्वन्यः परमात्मेत्युदाहृतः।
यो लोकत्रयमाविश्य बिभर्त्यव्यय ईश्वरः॥गीता १५-१७॥
यस्मात्क्षर मतीतोऽहमक्षरादपि चोत्तमः।
अतोऽसि लोके वेदे च प्रथितः पुरुषोत्तमः॥गीता १५-१८॥
यो मामेवमसम्मूढो जानाति पुरुषोत्तमम्‌।
स सर्वविद्भजति मां सर्वभावेन भारत॥गीता १५-१९॥

I am centered in the hearts of all; memory and perception as well as their loss come from Me. I am verily that which has to be known by all the Vedas, I indeed am the Author of the Vedanta, and the Knower of the Veda am I.

There are two Purushas in the world – the Perishable and the Imperishable. All beings are the Perishable, and the Kutastha is called the Imperishable.

But (there is) another, the Supreme Purusha, called the Highest Self, the Immutable Lord, who pervading the three worlds sustains them.

As I transcend the Perishable and am above even the Imperishable, therefore am I in the world and in the Veda celebrated as Purushottama, (the Highest Purusha).

He who, free from delusion, thus knows Me, the Highest Spirit, he knowing all, worships Me with all his heart, O descendant of Bharata.

Vocabularies and Commentaries (From Swamy Swaroopananda)
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Memory: of what is experienced in the past births; and knowledge – of things transcending the ordinary limits of space, time and visible nature – Anandagiri.

Come from Me: as the result of their good or evil deeds.

I indeed … Vedanta: It is I who am the Teacher of the wisdom of the Vedanta, and cause it to be handed down in regular succession.

Two Purushas: Two categories – arranged in two separate groups of beings – spoken as “Purushas”, as they are the Upadhis of the Purusha.

Imperishable: Maya-Sakti of the Lord, the germ from which the perishable being is born.

Kutastha: That which manifests Itself in various forms of illusion and deception. It is said to be imperishable, as the seed of Samsara is endless – in the sense that it does not perish in the absence of Brahma-Jnana.

Another: quite distinct from the two.

The three worlds: Bhuh (the Earth), Bhuvah (the Mid-Region) and Svah (the Heaven).

The Perishable: The Tree of Samsara called Asvattha.

The Imperishable: Which constitutes the seed of the Tree of Samsara.


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हमहीं सभके हृदयमें अन्तर्यामी रूपमें स्थित छी, आ हमरहि सऽ स्मृति, ज्ञान आर अपोहन होइत अछि। समस्त वेद के द्वारा हमहीं जानय योग्य छी आ वेदान्त के कर्ता आर वेदके जानयवाला सेहो हमहीं छी।

एहि संसारमें नाशवान्‌ आ अविनाशी – यैह दू प्रकार के पुरुष होइछ। एहिमें सम्पूर्ण भूतप्राणीक शरीर तऽ नाशवान्‌ लेकिन जीवात्मा अविनाशी कहल जाइत छैक।

एहि दुनूसँ उत्तम पुरुष तऽ अन्य मात्र छैक, जे तिनू लोकमें प्रवेश कयके सभ किछु धारण-पोषण करैत अछि आ अविनाशी, परमेश्वर एवं परमात्मा – एहि प्रकार कहल जैछ।

चूँकि हम नाशवान्‌ जडवर्ग-क्षेत्रसँ सर्वथा अतीत छी आ अविनाशी जीवात्मासऽ सेहो उत्तम छी, एहि लऽ के लोकमें आ वेदमें सेहो पुरुषोत्तम नाम सऽ प्रसिद्ध छी।

भारत! जे ज्ञानी पुरुष हमरा एहि तरहें तत्त्वसँ पुरुषोत्तम जनैत अछि, वैह सर्वज्ञ पुरुष सभ तरहें निरन्त हम वासुदेव परमेश्वर के केवल भजैत अछि। 

हरिः हरः!

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ई भिडियो बड़ पैघ नहि, लेकिन छोट रहितो एकर संवाद मिथिला के घर-घर पसरल झूठ के देखाबा – घर में लाओल गेल नवकनियां संग ओल सनक बोल द्वारा अड़ोस-पड़ोस के महिलाक संग-संग घर के महिलाक सेहो दुर्वचन-दुर्व्यवहार कैल जैछ… तुच्छ दहेज लेल… इहो नहि सोचल जैछ जे आब जाहि पुतोहुरूपी लक्ष्मी के घर प्रवेश करौलहुँ अछि हुनकहि सऽ नव पीढी चलत आ परिवार के संस्कार बनत… आइ यदि हिनका घवाह बना देबैन तऽ काल्हि नहिये अपन पति के सुखी राखि सकतीह आ नहिये पतिक परिवार के… लेकिन केवल तुच्छ लेन-देन के लोभ में पड़ि लोक कोन तरहें अपन घर आयल दोसरक बेटीके संग व्यवहार करैत अछि आ एहि सऽ केहेन भविष्य निर्माण होयत से सहजहि अनुमान लगा सकैत छी। मिथिला के कल्याण हेतु दहेज मुक्त विवाह जरुरी। www.dahejmuktmithila.org आ http://www.dahejmuktmithila.org/Vivah.aspx पर आइये ज्वाइन करू आ सुन्दर-स्वच्छ दहेज मुक्त मिथिला निर्माण में सहयोग करू। हरिः हर:!

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एहेन-एहेन पाजी सभ सऽ अक्सर भेंट होइत रहैत अछि। आ पता नहि संजोग कही या किछु आर… बेसी लोक मधुबनी सऽ… ‘हेल्लो जी’ … ‘हाइ जी’ आ हिन्दीमें हांइ-हुंइ करैत आयत आ धृष्ट केहेन जे जनैम कऽ ठाड़्ह भेल अछि आ अहाँ ओकर पेज लाइक कऽ दियौ… आहि तोरी के बूड़ि… पहिले किछु कर न रऽओ! मिथिला के युवावर्ग छें… प्रोफाइल पर भरल छौक देखावटी बात सभ… बड़का-बड़का राजनीतिक गप आ भारतरूपी गाछ के हाँकऽवाली डायन जेकां बड़-बड़ चर-चर करबें तै सऽ कि तोहर पेज लाइक कय देबौक… एहि लेल पहिले किछु करय पड़तौ… पहिले गछ जे मिथिला के टूटैत संस्कृतिक धार के जोड़ब… मैथिली भाषा के प्रयोग अपनो करब आ आरो मित्र सभ सँ करबायब… स्वयंसेवी बनि के मिथिला लेल काज करब… निःस्वार्थ रूपमें अपन गाम आ समाज लेल सदिखन ठाड़्ह होयब…. बिना दहेज लेने विवाह करब… कदापि अपन श्रेष्ठ के असम्मान नहि होवय देब… तखन ने हम सभ तोरा ऊपर गर्व करब आ बुझबौक जे अपन लोक थिकें…. आ खाली कूद-फान केला सऽ मोजर भेटतौक… कदापि नहि। नहि जानि केना कऽ फ्रेण्ड्स के फिल्टर करी….!  एक बेर तऽ सब कऽ जोड़ि लैत छी जे भाइ मिथिला-मैथिली के बहैत प्रेमक धारमें डुबकी लगायत तऽ ज्ञान बढतैक… आबय दियौक सभ के… लेकिन बूड़ित्व के सीमा नांघनिहार के हम वर्दाश्त नहि कय सकैत छी भाइ। बड़ तुनुकमिजाज छी हम एहि मामला में। प्लीज! हमरा डिस्टर्ब नहि कैल कर। खबरदार!

हरिः हरः!

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१९ सितम्बर २०१२

तुँ तूही रे, हम हमहीं छी,
बिन हुनकर रे कि तू हम कि?

बाजब मोरा तोरा प्री लागौ, वा अप्रि लागौ,
पर बाजी हम तऽ सच बाजी!!
सच वैह होइत अछि जेकरा सभ माने,
यदि तू मानें वा नहि मानें!!
पर सच अछि कि आ झूठे कि,
बिन हुनकर रे कि तू हम कि?

तुँ तूही रे, हम हमहीं छी,
बिन हुनकर रे कि तू हम कि?

हरिः हरः!!
May 21, 2011 at 10:04am

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Warning: Please do not try to become a member of this group https://www.facebook.com/groups/dahejmuktmithila/ in case:

1. You are a fake ID and you have no courage to declare your full name, address, phone no. and other identities.

2. You must have taken an oath against the demand from dowry system – that we will neither demand the dowry nor shall ever pay such demanded dowry to any family; neither in self nor in children shall we repeat the same oath and also we would never participate in any such marriage/wedding functions where demand form dowry is given or taken.

3. You must know that this is a mission to spread from one to many to all – as such you have to commit to take the membership of Dahej Mukt Mithila and take up the mission to bring awareness among all.

4. You should think to give your personal contribution as by establishing a micro unit or a macro unit but to fight against the devils of dowries, encourage the people to protect girl children (even the female fetus) and education must also be given equally to girl children as we do for our male children. In your organization establishment, you have to take care that who are managing marriages by taking or giving dowry and who are doing free of it. We should encourage the dowry free marriages by bringing them the social rewards in public events.

5. Last, but not least, you should try to collect the bio-data of those lads or lasses ready for dowry free marriages and feed to the website www.dahejmuktmithila.org/Vivah.aspx – www.mithilashaadi.com – www.dahejmuktmithila.org (Ehi website sabh par prasaarit karait ek swachh samaj ke nirmaan me laagi.).

Thanking you and wishing the best of everything!

Dahej Mukt Mithila Family.

Harih Harah!!

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२० सितम्बर २०१२

एसगर दिल्ली में मिथिला आ मैथिली के नाम पर ३०० सऽ ऊपर संस्था…

विराटनगर सन छोट जगह पर २५ सऽ ऊपर संस्था…

संस्था के नाम पर एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष, एक सचिव आ किछु सदस्य – एक वैचारिक दृष्टिकोण – सेहो सिर्फ कागज में आ भूमि पर कोनो भूमिका नहि….

व्यक्तिगत स्वार्थक पुर्ति अन्तिम उद्देश्य जेना आभास….

तेहेन संस्था सभ द्वारा मिथिला-मैथिली के केवल नुकसान नहि कि कोनो जनम में कोनो तरहक सकारात्मक परिणाम अयबाक बोध…

गप देनाइ आ अपन पेट पोषण… एहि सऽ बेसी काज किछु नहि।

तखन ओहेन संस्था सऽ किछु आशा पालन करब उचित नहि।

जे संस्था सभ धरातल पर उतरि काज करैत अछि तेकरो कोनो खास पहचान या सम्मान नहि। संगठन कतहु किछु नहि। आइ दोस्ती काल्हि झगड़ा। आपस में मत के मत्तापनी-बतहपनी आ खाली ‘हम जे छी से हम छी रौ – तोरा सऽ तऽ हम छी रौ’ एहि मानबोध संग धरियाफाड़ युद्ध…

कि एहि सऽ होयत संगठनात्मक विकास?

कदापि नहि।

तखन हताश नहि होइ छी। जतबी लोक असलियत में कार्यरत छथि वैह टा छथियो। हुनकहि सऽ काजो होयत। धन्यवाद!

हरिः हरः!

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ओ खूब लिखै छथि नेहक पाँति, दिल हमर रिझबय लेल
हम पढि-पढि पागल बनि गेलहुँ, बस हुनकहि बुझय लेल!

कोनो आइ नहि भेलै प्रेम अपन, लिखल ईशक सभ खेल
तैयो धरतीक यैह दस्तूर, प्रेमीक मोंन लुभाबय लेल!

हे मित सुहनगर मनके सखी! हे प्रिया! सिनेहियाक मेल
जीवनके समर्पित हम केलहुँ! बस प्रेम पचाबय लेल!

कनखी-मटकी के दिन गेलैय, आब प्रेमक पत्र चलि देल
भेंट करय के मोंन नहि होइ, बापक डर सताबय लेल!

चोरा-नुकाक सपनो मनमा, चानक चांगूर अछि फंसि गेल
डर मोर बापके बड़का मुँह, दहेजक माँग मनाबय लेल!

कहु आब कोना के पास हेबय एहि प्रेमक योग धुरखेल
एक दिन चोरी पकड़ाय जेतैक ढहलेल बनाबय लेल!

हरिः हरः!

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२२ सितम्बर २०१२

कुञ्जबिहारी मिश्र केर तबलावादक साजन सहित २ गोट केर मृत्यु – अररिया संग्राम लग भेल फैटल रोड एक्सीडेन्ट मे

Aai atyant peeraa ke anubhooti bha rahal achhi je Mithila ke mahan kalaakaar – sangeetagya – gaayak aa ahu sabh sa besi mahattvapoorn je Mithila wa Maithili ke saanskrutik pahachaan ke barakaraar rakhanihaar Kunj Bihari Mishra Jee ke musical band ke 2 got mahattvapoorn sadasya ek road accident me maaral gelaah aa aaro kalaakaar sahit Kunj Bihari Jee apano seriously injured chhathi – Isvar hinkaa lokani ke sadgati pradaan karaith. Ehi kshan Samadauni sunait sabh ke lel shubh-raatri. Harih Harah!!

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२३ सितम्बर २०१२

The best Gazal of the year for me! God bless the writer to write like this keeping his heart noble and dedicated to the native land Mithila where people living on wages have a very miserable life still. Harih Harah!!

पंकज चौधरी
गजल-२८

पथिया लऽ बाधे-बाध गोबर बिछै छै ओ
अन्नक खगल छै तैं चिपड़ी पथै छै ओ

जिनगी के बोझ तर दाबल छै तैसँ की
भट्ठा पर राति-दिन पजेबा उघै छै ओ

एलैयै बाधसँ तऽ थाकल आ चूर भेल
तइयो जा घरे-घर बर्तन मँजै छै ओ

भरि दिन मजूरीकऽ आनै जे चारि सेर
सभके पेट भरिकऽ भुखले सुतै छै ओ

की नै कहै छै लोक बह्सल समाज में
सभटा सहै छै चुप्पे किछु नै कहै छै ओ

बन्ह्की पड़ल भाव स’ख छै बोनि पर
निर्धनताके कैंचीसँ जिनगी कटै छै ओ

अपन सभ सेहनता चूल्हा में धऽ देने
संतति के सुख लै सदिखन मरै छै ओ

रीनसँ उरीन कहिया हेतै नञि जानि
कएक बरखसँ तऽ सुइदे बुकै छै ओ

टांट सन देह सुखाकऽ भेल छै “नवल”
संतति के पोसै लेल तइयो खटै छै ओ

*आखर १५ (तिथि-२८.०८.२०१२)
©पंकज चौधरी (नवलश्री)

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Mithila Kala – Mithila Painting ke vyavasaayikaran me saadhaaran vastu upar computer graphics ke sahaare utaarab bahut sukhad samachaar aa aagaami bhavishya me vividhikaran ke gunjaaish tivra.

Aab kathi ke deri? Biratnagar me ek training camp raakhab jaruri aa ehi me 10 varsh sa 25 varsh ke beech vidyarthi evam yuwa-yuwati lel kaarya karabaak aavashyaktaa.

Bahut jaldi ham sabh ehi par baisaar karait kichhu nirnay karab, ehi lel aadarniy S.c. Suman Sir ke dhyaanaakarshan seho kay rahal chhi.

Harih Harah!!

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गामक पहचान: धरोहर आ एकर विशिष्टता

त्याग करैत कीर्ति करू, ओ अमर होयत आ एकर अमरता नहि सिर्फ अहाँके बल्कि अहाँके गाम, इलाका आ समुदाय सभक नामके विशिष्ट पहचान कायम करत। मिथिला के सम्पन्नता में एहि बात के खासियत नजैर पड़ैछ। यदि मिथिला सऽ बाहर एहि तरहक सम्पन्नता ताकल जाय तऽ ओतेक नहि भेटत जतेक मिथिलाक हर गाम – हर ठाम भेटैत छैक। आर तऽ आर, विश्वास के बंधन जतेक मजबूत मिथिलामें देखब ततेक अन्यत्र कतहु नहि। घर-घरमें भगवतीके पीढी! कुल देवता के बिना एको परिवार नहि। आस्था आ विश्वास के मानू दर्शन चारू कात भेटैत अछि। गाममें गहबर, गाममें एक नहि बल्कि अनेक मन्दिर, सलहेश स्थान, सुन्दर सरोवर, बाग-बगीचा, खेत-पथार आ जेम्हर देखू तेम्हर – प्रकृति आ शक्ति के संग मानव के बढैत कदम एक अन्योन्याश्रय सम्बन्ध आत्मा-परमात्मा बीच परिलक्षित करैत रहैत अछि। गाम संग जुड़ल रहबा में एहि सभ बात लऽ के एक अलग आत्मसंतुष्टि भेटैत छैक। अनेको उपद्रवी आ अशान्त करयवाला नव व्यवस्था के बीच उपरोक्त पौराणिक-पारंपरिक सुख सऽ एक भद्र लोक कदापि वंचित नहि रहि सकैत अछि।

हरिः हरः!

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फेसबुक पर भभाड़ाबाजी के पोल खोलि देलक एक अत्यन्त दुर्भाग्यशाली घटना

Reference Link: http://www.jagran.com/bihar/darbhanga-9687501.html

मिथिलाक सुप्रसिद्ध गायक, संगीतकार, कलाकार आ हर तरहें मैथिली के झंडा के सदिखन उच्च राखनिहार कुञ्जबिहारी मिश्र जी एवं हिनक सम्पूर्ण टोली परसु संग्राम बाजार सऽ बस २०० मीटरके भीतर नव सड़क पर उत्तरबड़िया लेन सऽ अनियन्त्रित होइत दछिणवड़िया लेन में जाय के पलटी खेलक – जाहिमें दू गोट कलाकार साजनजी-नालवादक आ राजुजी-बैन्जोवादक सहित एक अन्य मो. सत्तार साइकिल सवारी के मृत्यु भऽ गेल जखन कि अन्य सभ केओ बदतर ढंग सऽ घायल भेलाह। पहिले झंझारपुर अनुमंडलीय अस्पतालमें इलाज कैल गेलैन आ फेर दरभंगा व एक महिला कलाकार के पटना रेफर कैल गेलैन। मुदा फेसबुक पर कखनहु कुञ्जबिहारीजी के ड्राइवर दिन-दहाड़े दारू पीबैत दुर्घटना कयलक… तऽ कखनहु ५ गोटा के मृत्यु… तऽ कखनहु किछु तऽ कखनहु किछु… समाचार प्रकाशित होइत रहैत अछि आ फेसबुक के फुइसबुक होयबाक प्रमाण प्रस्तुत कय रहल अछि। एक पुख्ता जानकारी लेल मिडिया के देखैत छी… ओहू में कतहु पुख्ता जानकारी नहि भेटैत अछि। केओ किछु तऽ केओ किछु। एहेन में अजित आजाद, अमलेन्दुजी, रोशनजी आदि जे स्वयं कुञ्जबिहारी जी सऽ भेट केला के बाद जे सूचना देलन्हि वैह टा असल भेल।

फेसबुक पर भभाड़ाबाजी सऽ एक सुप्रसिद्ध कलाकार के संग भेल एहेन प्राकृतिक दुर्घटना पर लोकक हल्लूक बात हमरा बहुत मर्माहत केलक आ एहि बात पर सोचय लेल मजबूर सेहो केलक जे आखिर कतेक विवेक संग हम सभ कार्य करैत छी। फेसबुक के सार्थक उपयोगिता पर शिक्षा के प्रसार बहुत जरुरी बुझैछ।

हरिः हरः!

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२४ सितम्बर २०१२

पिछले कुछ वर्षोंमें जिस तरह से जिहादके नाम पर निर्दोषों – आम-नागरिकोंका जान लिया गया है और जिस तरह धर्मके युद्ध के नामपर दुनियावालोंको भय और आतंक के सायोंमें जीने के लिये मजबूर किया गया है तो इससे उपरोक्त किस्मका विज्ञापन देनेमें मुझे किसी भी तरहका आपत्ति नजर नहीं आ रहा है, हलांकि इजरायल या अमेरिका या कोई भी शक्तिशाली राष्ट्र के तरफसे सहिष्णुताके साथ वार्ता करनेके तरीके भी सवालमें हैं और मानवताकी दृष्टिमें निष्पक्ष और सौहार्द्रता कायम रखनेवाली एजेन्सी राष्ट्रसंघको भी मूक बनाना मुझे तो बहुत ही सालता है और दुनिया किस तरफ जा रही है इसपर गंभीर चिन्तनके लिये मजबूर कर रही है। केवल इस्लाम पर दोष मढ देना या फिर अपने सुपर पावर इम्पोज करना यदि समाधान होता तो विश्व युद्ध के परिणाम शान्ति होता, जो नहीं हुआ और दो-दो युद्ध हो चुके हैं, हम तृतीय विश्वयुद्धकी ओर अग्रसर हैं, बहाना चाहे कुछ भी ले लो। हरिः हरः!

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२६ सितम्बर २०१२

Fear of World War III

This is really the first time Pakistan has raised a voice on Kashmir involving UNO and without taking name of India straight way – UNO – the Organization to resolve the differences between different nations. Directly or indirectly Pakistan has again hit on Indian stakes for Kashmir, but UNO’s failures are counted as correctly and timely. I never think that Pakistan’s claim on Kashmir is as fair as its separation from India on the name of religion Islam. Could India not put a serious claim for those separations granted by British not acceptable to common people of India, then and even now? UNO must resolve the differences right since then and take back Pakistan to India and save true secularism equal for all religions. Let Indian Premier sound in that direction bluntly.

http://www.bbc.co.uk/hindi/pakistan/2012/09/120926_international_us_plus_zardari_kashmir_aa.shtml

Harih Harah!!

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Priya Facebook Mitra, Swajan, Bandhu, Gurujan evam Samast Maithi!

Kaarya vyastataa ke kaaran sabh group par member banal rahab sambhav nahi, atah saarthak aa sakaaraatmak yogdaan jatay da sakait chhi ohithaam ta member rahab, baaki kichhu groups je idle aa dormant position me achhi tekra sabh ke ham chhori rahal chhi. Aha jahiya hamara jorane rahi tahiya sa la ke aai dharik otukaa sang lel dhanyavaad aa prem banal rahay tekar nivedan.

Harih Harah!!

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I am so glad to have connected through Youth For Blood – at services of humanity. I also donated one pint O +ve blood to a serious patient hospitalized in Birat Nursing Home under care of Mr. Vijay Lakhotia of Biratnagar 12. This donation is made just yesterday at the same time I was being helped by Youth for Blood group, Mr. Subhash Karki Bhai. Hope this great services to humanity will continue and I am willing to bring more helps to this group in near future.

https://www.facebook.com/groups/youthforblood/ – Another appeal with all, please join this great humane cause and extend your support to humanity too.

I repeat my appeal for more 4 pints O Negative Blood for my brother. Today evening it could not be possible, but please do favor tomorrow morning without fail. I pray for your help in need.

Best regards,

Pravin Choudhary
Biratnagar-16,
Phone: 9852022981.

PS: I offer next donation at appropriate time on call of Youth for Blood group – may all of you remain blessed. In the meantime, may your helps continue for my patient presently under serious illness. 5 Pints in total will give him a life for some years. Rest God knows better.

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मैथिली सेवा समिति – विराटनगर द्वारा घोषित १५० विद्यार्थी प्रशिक्षु हेतु निःशुल्क कम्प्युटर शिक्षा उपलब्ध करेबाक कार्यक्रम अन्तर्गत आइ दिनांक २६.०९.२०१२ के साइरस एजुकेशन कन्सल्टैन्सी – कॅलेज रोड, विराटनगर-१४ में करीब २६५ आवेदक केर अन्तर्वार्ता सम्पन्न भेल। आजुक अन्तर्वार्ता में सफलता प्राप्त केनिहारक परिणाम दिनांक २८.०९.२०१२ केँ विराट पथ दैनिक में प्रकाशित कैल जायत। उपरोक्त १५० प्रशिक्षुकेँ प्रशिक्षण कार्यक्रम हेतु आवश्यक जानकारी सेहो अन्तर्वार्ता परिणाम संगहि प्रकाशित कैल जायत। – Jeetendra Jha जितेन्द्र झा, मैथिली सेवा समितिके प्रवक्ता एहि बात के जानकारी करौला। हरिः हरः!

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My regrets:

Bujhait achhi je hamar regrets ki kam se kam 100 sakaaraatmak vichaarak Maithil mitra hamar mitrak soochi me rahitaith se ehi janma me puraa nahi hoyat. 

Ehi me doshi ham swayam bha sakait chhi, jekar afasos achhi. 

Udaaharan pratyaksh achhi: Dahej Mukt Mithila ho ya kono anya group – I hardly see them putting up positive debates that can advocate for Mithila’s development. 

Wish situation improves – I get those friends with better commitment. Let them discuss the core issues. Not simply the useless hunting round the bush. 

Dahej Mukt Mithila ke link https://www.facebook.com/groups/dahejmuktmithila/ par nahi kichhu ta 10 go current topics hoyat jaahi par sabhak sahabhaagitaa e nirdhaarit karait je sach me vikaash je baadhit achhi taahi me sudhaar kona sambhav achhi…. but alas! people find time to argue on useless issues but they hardly have any thought to put or share on positive development issues. 

Harih Harah!!

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Kaash! Hamaare Mithila ki betiyaa kewal dikhaawe ki boli (Maatribhasha Maithili chhorkar kewal Hinglish) hi bolengi ki Nusarat jaisee beti banakar is samaaj ko roodhivaaditaa ki changul se baahar karne ke liye bhi kuchh kar sakengi??

“रुकावटें डालने वालों ने मेरे आगे धर्म, समाज और हिंसक माहौल के नाम पर मुझे रोकने की कोशिश की लेकिन मैंने खुद पर भरोसा रखा और आगे बढती गई. मैंने किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया और हर कठिनाई को पार करती गई. मुझे गलत कहने वाले लोग आज मेरी तारीफ करते हैं ये भी मेरे लिए एक जीत के समान है.”

Ye Nusarat kah rahi hai! Lekin Mithila ki betiyo me itani himmat wa taakat kaha ki unko kisi saudaagar sasur dahej lobhi dulhe ke saath haath peelaa kiya jaayegaa to bhi wo mook banakar kal ko saasu-nanad aur sasuraalvaalo ke taane ke beech rahana pasand karengi na ki isakaa pratikaar karengi.

Jaago Betiyo! Mithila ko Bachaao!

Dahej Mukt Mithila
Visit and register free: www.dahejmuktmithila.org and www.dahejmuktmithila.org/Vivah.aspx

Harih Harah!

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२८ सितम्बर २०१२

जीवन में व्यस्तता के बढोत्तरी अनेको कारण सऽ होइत छैक, मुदा जखन सेवा-परमार्थ लेल होइछ तऽ आत्मसंतोष बढैछ। जीवनक एहि मोड़ पर पुनः अस्पतालमें अबैत-जैत बहुतो दीन-दुःखी के विभिन्न पीड़ामें देखि अन्तर्मन विह्वल बनैछ। ईश्वर सभक कल्याण करैथ।

जयनगर, मधुबनी के दौरा पर अपने संग ११-१ बजे भेंट संभव अछि।

हरिः हरः!

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२९ सितम्बर २०१२

Today, there is a meeting called by my friend Sudip (a program coordinator) for intellectual debate on need of Foreign Direct Investment (FDI) to enhance the economical development of Nepal. You are all invited to attend the meeting at Patrakaar Mahasangh Meeting Hall – Biratnagar at 3pm today. Those willing to address the audience should also submit their names, please.

Harih Harah!

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The most pious services of mankind is to donate the blood – the donation of fresh blood is more beneficial than the whole blood (stored in blood banks). It is hard to imagine the pains and pressures of the sufferers (patients and caretakers) – but the youths’ steps to help those people have touched us. We would do all possible to take you and your efforts bring comfort to the mankind. This is the best of humanity I feel.

Come dear youths of Biratnagar to discuss what best we can do for YOUTH FOR BLOOD! Let’s discuss and establish an organization to do its best for said services.

https://www.facebook.com/groups/youthforblood/

Harih Harah!

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३० सितम्बर २०१२

Kono project par kaaj ke anubhav bad paigh cheej hoit chhaik. Vyaktigat anubhav, jaan-pahachaan, bhul-sudhaar, kamajori aatmashaat… aa aneko.

Dahej Mukt Mithila ke sang seho bahut kichhu nav jaankaari bhel aa khushi laagal je jan-kalyaan ke kono kaaryakram sa jurab me Mahadev ke saakshaat krupa seho bhetait chhaik. Fer, Ram aa Mahadev – yaane Hari aa Har – Hinka Dunu Gote ker saasur Mithila me aab lok vivah kara sa pahile saudaa-baaji karait achhi je kadaapi jaayaj nahi chhaik, tekar viruddh yadi jaagruti pasaarab ta saarthak prayaas jarur hoyat aa Prabhujee Paahun ke aashirwaad bhetbe ta karat.

Lekin imaandaari o nahi je dekhelahu ek aa kelahu dosar. Sawdhaan!!

Harih Harah!!

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मानव सेवा – माधव सेवा

एहि शीर्षक अन्तर्गत बहुत पहिने सँ हम सभ पढैत-गुनैत आबि रहल छी जे मनुष्यकेँ मानव सेवा जरुर करबाक चाही। मानव सेवा अन्तर्गत एक-दोसरक उपकार करबाक कार्य पड़ैत छैक, एहेन कार्य जेकरा कयलासँ जन-कल्याणक बोध हो।

हर जीव पर दया करबाक बोध केँ करुणा कहल जाइछ एवं करुणाके दृष्टिसँ कार्य करनिहार सहजहि सर्वसाधारणकेँ स्वीकार्य होइत छैक, लोकप्रिय सेहो होइत छैक आ एहि सँ कर्ताकेँ आत्मसंतुष्टिके सेहो बोध होइत छैक, जेकरा दैविक आशीर्वाद के रूपमें बुझल जा सकैत छैक। ईश्वरके कृपा लेल मानव सेवा आवश्यक छैक, ताहि लेल मानव सेवा के दोसर भावार्थ माधव सेवा सेहो होइछ।

हरिः हरः!

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जीवन के चालीस गो वसन्त पार भेला के बादो यदि एतेक होश नहि आयल जे कम से कम अपन गामके विकास लेल अपन किछु योगदान देबाक निर्णय नहि लेलहुँ तऽ आब हमरा सऽ किछु होयब असंभव अछि आ हमरा ‘चोतबा बौआ’ के श्रेणीमें यदि केओ रखैत छथि तऽ एहि लेल मन कनेकबो मलिन नहि करबाक चाही। जे अपन माता-पिता-गुरु के संग अपन मातृभूमिके सेवा करबामें असमर्थ अछि ओ चोतबा बौआ छोड़ि दोसर किछु नहि। हरिः हरः!

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