विदापत नाच मे विद्यापतिक पद्य संग मानवीय सरोकारक नाटकीय प्रदर्शनः रमेश रंजन झा

गनगाईं समुदाय बचाकय रखने अछि महाकवि विद्यापति केर पदावली केँ अपन विदापत नाच मे

विराटनगर, ३ जनवरी २०१८। मैथिली जिन्दाबाद!!

विराटनगर स्थित गनगाईं सामुदायिक भवन मे आयोजित एक विचार गोष्ठी केँ संबोधित करैत नेपाल संगीत तथा नाट्य प्रज्ञा प्रतिष्ठानक नाट्य विभागक पूर्व प्रमुख एवं प्राज्ञ रमेश रंजन झा विदापत नाच केर ऐतिहासिकता पर प्रकाश दैत कहलनि जे एहि नाच मे कृष्ण लीलाक वर्णन महाकवि विद्यापतिक रचना अनुसार जनभाषा मे गनगाईं समुदायक लोककलाकार द्वारा कयल जाइत अछि। विदापत नाच केर सन्दर्भ केँ आरो गहींर धरि व्याख्या करैत ज्योतिरिश्वर केर ‘वर्णरत्नाकर’ केर छठम् कल्लोल मे वर्णित ‘विदाओत’ सँ सेहो जोड़बाक बात ओ रखलनि। संगहि बंगाल केर जात्रा आ आसाम केर अंकिया सेहो मिथिलाक विदापत नाच समान होयबाक तर्क दैत ओ कहलनि जे यवन आक्रान्ता द्वारा सामान्य जनसमुदाय केर सामूहिक धर्म-परिवर्तन करेबाक विकट समय मे एहि तरहक नाच केर माध्यम सँ साहित्य आ सनातन धर्मक प्रचार करैत जनसामान्य मे धर्म रक्षा प्रति चेतनाक जागृति कराओल गेल छल। एहि कार्य लेल मिथिलाक एक विशेष समुदाय केँ ‘गणगायक’ कहि ई महत्वपूर्ण रचना सभ जनसामान्य धरि पहुँचेबाक भार देल गेल छल। यैह समुदाय कालान्तर मे ‘गनगाईं’ कहायल जेकर जीवनशैली आ दैनन्दिनी मे ‘विदापत नाच’ बिना कोनो महत्वपूर्ण धर्म-कर्म आइयो संपन्न नहि होइत अछि। नेपालक पूर्वी तराईक जिला मोरंग मे सर्वाधिक जनसंख्या, तहिना भारतक पूर्वक पूर्णियां आ आजुक अररिया जिला मे सेहो सर्वाधिक जनसंख्या मे गनगाईं समुदाय बसोवास करैत अछि। आइयो विदापत नाच केर कइएक समूह सक्रियता सँ एकर प्रस्तुति करैत अछि। एहि नाच मे मुलगेन अर्थात् मूल-गायक द्वारा विद्यापतिक रचना केँ सहज जनभाषा मे राखल जाइत अछि जाहि मे साहित्य आ धर्म, संस्कृतिक संग-संग कृष्ण द्वारा प्रस्तुत विभिन्न लीलाक वर्णन रहैत छैक, ताहि पर बिपटा (हास्य सहनायक) केर भूमिका खेलाइत जनताक प्रतिनिधित्व करैत मुलगेन सँ कइएको समकालीन विषय सब रखैत अछि, मूलगेनक भावनाक बिपरीत जनभावनाक उत्सुकता सब रखैत अछि आर यैह बात एहि नाचक विशेषता होइत छैक। मुलगेन आ बिपटाक संग नटुआ सब सेहो संग मे नचैत आ गबैत रहैत अछि। एहि नाच मे कृष्णक विभिन्न लीला सभक प्रस्तुति देखाओल जाइत अछि। मुलगेन आ बिपटा जतेक सशक्त होइत अछि, नाच ततबे बेस महत्वपूर्ण बनि जाइत छैक जे घन्टों-घन्टा धरि अनवरत रूप सँ चलैत रहैत छैक।

सरिता मंडलक संयोजन मे उक्त गोष्ठी मे गनगाईं समाजक अगुआ लोकनिक संग पूर्व संविधान सभा सदस्या (सभासद) उषा सरदार तथा मैथिली जिन्दाबाद केर संपादक प्रवीण नारायण चौधरी सेहो सहभागी भेलथि। मिथिला आम जनसमुदाय धरि जाहि कविक आवाज पहुँचि सकल ताहि मे विद्यापतिक नाम कतेक सर्वोपरि अछि तेकरा सिद्ध करैत अछि गनगाईं समुदाय। वर्तमान समय मे गनगाईं समुदायक लोकक साक्षरता आ स्त्री-पुरूष बीच लैंगिक समानताक संग मुख्यधारा मे जीबाक विशिष्ट अन्दाज केर सराहना सेहो कयल गेल छल। विभिन्न वक्ता लोकनिक विचार सँ एहि बातक पुष्टि भेल जे विदापत नाच केर परम्परा केँ आगू आरो संरक्षण केर आवश्यकता अछि जाहि पर समुचित कार्ययोजना श्री झा द्वारा राखल गेल।