मैथिली जिन्दाबाद
मरयवाला मरिते रहैत छय
यैह थिकैक संसारक रेबाज
ई दुनिया अपन गति सँ
सतति चलिते रहैत छय!
आउ करी एके टा कोनो काज
बना कऽ राखि मिथिला अपन राज!
पढबो करी अपन गामक बात,
तखनहि हेतैक बूझू जे
मैथिली जिन्दाबाद!! मैथिली जिन्दाबाद!!
मरयवाला मरिते रहैत छय
यैह थिकैक संसारक रेबाज
ई दुनिया अपन गति सँ
सतति चलिते रहैत छय!
आउ करी एके टा कोनो काज
बना कऽ राखि मिथिला अपन राज!
पढबो करी अपन गामक बात,
तखनहि हेतैक बूझू जे
मैथिली जिन्दाबाद!! मैथिली जिन्दाबाद!!
May 10, 2015 - 9:02 am
धरोहर मेटि रहल अछि तकर ककरो चिन्ता नहि
इहो की अप्पने माल छी तकर छगुन्ता अछि
आइ जखन की बनि रहल अछि नव-नव विम्ब
हम सब रामेश्वर जकां बौरायल छी एखन्हु धरि
चौल अछि की करब सीख कय ई सब चीज
जखन हम बिन एकरे पबय छी मान-सम्मान आ ताज
किए नहि गाबी ओकरे गीत जकर सब्टा ताना-बाना
जकर चलय अछि चहुंदिश राज
जाह तो पगलायल-बौरायल रहह अपन दिवा स्वप्नमे
चलय अछि काज हमर चिप्पी भले साटिकय
एम्हर-ओ्म्हर मारिक’ हाथ चलिए जाइत अछि
खूब लुटयछी नाम आ खाइछी मिलि-बांटिकय
जा हौ हेहरू एतेक दशा आ गंजन होइत छह
तैयो लागल छह सुखायल शोणित कें जगबयमे
जे मिटा रहल छिय हमसब आ चाटि क’ खा गेलिय
ओहि पहिचान के बचबय मे
धुर बताह मुर्दा की कहियो जगलैया?
सुखायल शोणित की फेर स’ फदकि उठलैया?
ज’ जगबो करतै त’ हम ठाढ छी सुतबय लेल
बनल अप्पन बजार की केयो उजारल्कैया?
तूं लाख मर तोरा स’ किछु नहि हेतौ
ई मुर्दा फेर नहि उठतौ
मूस छी हमसब भोकाड कयने छी हाथी बिलाय बला
तूं की बूझय छे तोरा केयो बचेतौ?
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ऐ सोच के बदलबाद अछि सूतल अस्मिता के बचेबाक अछि,
आगा बढू आ हाथ बढाउ सबके अप्पन मेधा देखाउ
नहि देखू एम्हर-ओ्म्हर बस लागल रहू-लागल रहू
ओंघायल आंखि फुजबे करतै शोणित फेर फदकबे करतै
जाउ-जाउ-जाउ ढोल-तासा बजाऊ वृन्द गीत गाउ सबके जगाउ
फेर उठब हम से शंखनाद कैल जाऊ सबके जगाउ सबके जगाउ
May 10, 2015 - 10:54 am
बहुत सुन्दर कौशलजी