कि युवा मैथिल मिथिलाक पहिचान अहिना करता?

देखल जा रहल अछि जे वर्तमान युवा मैथिल सब एक-दोसर केँ मिथिलाक विभिन्न फल व अन्य फोटो जे मूल मिथिलाक धरती पर देखि आनन्दित होइत छलाह, तेकरा आब फेसबुक पर सेहो फोटो राखि-राखि एक-दोसर सँ प्रश्न पूछैत ‘कहू ई कि छी’ करैत समय बितबैत छथि। हुनका लोकनिक हिसाबे एनाही प्रवास पर मिथिलाक मरौसी फलक पहिचान सँ भगवान् केर पहिचान सेहो भेट जायत। किछु ताहि मनसाक संग एना समय बिता रहल छथि, आ कि एहि मे किछु सार्थको बात छैक…!

आउ, अध्ययन करी, मिथिलाक प्रसिद्ध कार्टुनिस्ट झा चंदन केर नव कीर्ति मे: प्रश्न बहुत रास छैक… युवा मैथिलक सोझाँ मिथिला लेल बहुत काज करबाक जरुरत छन्हि। लेकिन एना अल्हुआ, सुथनी, कटहर आ केरा आदि फल देखाय मित्र सबकेँ चिन्हय लेल समय व्यतीत करता तऽ एहि सँ प्राप्ति कि छैक।

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कार्टून मे भरल स्टेडियम मे मिथिला प्रदर्शनकी आन सब काउन्टर छूछ छैक, मुदा ‘कहू ई कि छी’ काउन्टर सब पर पूरा स्टेडियम मे धमाल मचल अछि। गाम सँ दूर शहरी परिवेश मे ई अचानक मैथिल युवा सबकेँ अपन मूल परिवेशक ओ फल सबहक याद मात्र अपन पहिचान केर रक्षा लेल आबि रहलनि अछि आ कि फेसबुक पर आर कोनो नीक काज नहि भेटबाक अभाव मे एना ‘अल्हू-सुथनी‍-कटहर-केरा’ केर प्रदर्शन सँ मिथिला ताकि रहला अछि। जबाब स्वयं ताकबाक अछि।