मैथिली गीत – नारायण मधुशाला

गीत

– नारायण मधुशाला

जिबै सङ्गे-सङ्ग, मरबै सङ्गे-सङ्ग
करबै नहि कहियो एक दोसरके तङ्ग
झुमबै खुशीमे नितदिन हरदम
भेल रहबै अपनेमे प्रेम मगन

अहाँ दियऽ सङ्ग करुने उटपटंग
यै हमर प्रियतम
उडि चलु नेहक गगन बैसि मोनक तरङ्ग यै हमर प्रियतम

नेह भरल आँगनके सजायब अहाँ आर हम
रहतै जतय हँसैत लगने-लगन
भेल रहबै….

बात हमर सुनि सोचमे किया पडि गेलौ यै सजनी
नहि बनऽ देब कहियो हम अहाँके बिर्हनी
बितायब जिनगीक हरेक क्षण अहींक नेहक छाहमे
आबो तऽ दियऽ अपना हृदयक भितर शरण
भेल रहबै…