१५म अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन द्वारा राजविराज मे १३ सूत्रीय माँग सहितक घोषणापत्र जारी

अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन राजविराज मे घोषणापत्र जारी करैत पूरा

दिसम्बर २६, २०१७. मैथिली जिन्दाबाद!!

विदिते अछि जे भारतक संविधान केर अष्टम् अनुसूची मे मैथिली केँ स्थान (मान्यता) देलाक तिथि २२ दिसम्बर केँ ऐतिहासिक आ अविस्मरणीय बनेबाक लेल अधिकारकर्मी – अभियानी लोकनि द्वारा डा. बैद्यनाथ चौधरी बैजूक अगुवाई मे प्रत्येक वर्ष २२ आ २३ दिसम्बर केँ अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन केर आयोजन भारत ओ नेपालक विभिन्न स्थान पर आयोजन होएत आबि रहल अछि। एहि वर्ष २०१७ मे ई आयोजन नेपालक सप्तरी जिलाक मुख्यालय राजविराज मे मैथिली साहित्य परिषद् केर आयोजन मे सफलताक संग सम्पन्न भेल अछि।

१५म अंतर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलनक पहिल दिवस राजविराज नेपाल में नगर शोभायात्रा सँ आरम्भ होएत नागरिक उड्डयन मंत्री जितेंद्र देव द्वारा उद्घाटन आ महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ओ आयोजक समिति मैथिली साहित्य परिषदक अध्यक्ष अशोक कुमार झाक अध्यक्षता में दुनू पारक मैथिलीभाषी लोकहित एवं मिथिलाक लोकसंस्कृति केर संरक्षण हेतु आवश्यक पहल आदि पर केंद्रित विचार गोष्ठी व सांस्कृतिक कार्यक्रम केर आयोजन संग सम्पन्न भेल।

लगभग २०० प्रतिनिधि संग आरम्भ ई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन द्वारा भारतक संविधान केर अष्टम अनुसूची में मैथिली भाषा केँ सम्मानपूर्वक शामिल करबाक लेल पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व समस्त भारतीय संसद ओ भाषा अभियानी संग साहित्यकार आ विद्वान लोकनि केँ धन्यवाद आ आभार प्रकट केलक, तहिना नेपालक संविधान में सेहो मैथिली केँ दोसर राजभाषा बनेबाक आ लोकसेवा आयोग में पर्यन्त एहि भाषा केँ मान्यता प्रदान करबाक अपेक्षा आ मांग राखल गेल। प्रदेश २ केर राजभाषा मैथिली संग अन्य भाषा केँ प्रयोगक आधार पर मान्यता भेटय, एहि सम्मेलन सँ स्पष्ट कयल गेल। मिथिला नाम समावेश कय अपन गरिमामय इतिहास केँ सम्मान देबाक काज संघीय नेपालक प्रदेश २ केर विधानसभा द्वारा पारित होयबाक बाट प्रशस्त भेलापर सभासद लोकनि प्रसन्नता व्यक्त कयलन्हि।

मुख्य अतिथि मंत्री जितेंद्र देव मैथिली भाषा नेपालक सबसँ प्राचीन आ साहित्य तथा व्याकरण संग शब्दकोश सम्पन्न भाषा मानैत संविधान में भाषा सँ जुड़ल संशोधन आवश्यक रहबाक तथ्य रखैत एहि लेल समुचित सहमति बनेबाक प्रतिबद्धता प्रकट कयलाह। महासचिव बैजू भारत सरकार सँ मैथिली कोना अपन सामर्थ्य सँ संविधान में मर्यादित ढंग सँ स्थान प्राप्त कयलक, एहि लेल केहेन संघर्ष कयल गेल, ताहि पृष्ठभूमि पर चर्चा करैत नेपाल सरकार सँ अपील कयलाह जे जाहि देशक दोसर सर्वाधिक बाजल जायबला भाषा सेहो मैथिली हो ओतय त ई अधिकार सहजहि मानि प्राकृतिक न्याय होयबाक चाही। आयोजक समिति मैथिली साहित्य परिषद राजविराज केर संयोजक शुभचन्द्र झा, संयोजन सहयोगी करुणा झा, श्याम सुंदर यादव पथिक, देवेन्द्र मिश्र, प्राज्ञ राम भरोस कापड़ि भ्रमर, मुखीलाल चौधरी, गोपाल झा, निराजन झा, नवीन मिश्र, पूनम मैथिल, राजकुमार महतो, राधा मंडल, वसुन्धरा झा, आशा झा, पिंकी मेहता, अजय कुमार सिंह, प्रवीण नारायण चौधरी, विरेन्द्र झा, जयराम यादव यदुवंशी आदि तथा भारत दिशि सँ आयल डॉ बुचरू पासवान, चन्द्रेश, उदय शंकर मिश्र, दीपक झा, पं. कमलाकान्त झा, जीवकान्त मिश्र, विनोद कुमार झा, प्रो. चन्द्रशेखर झा ‘बूढाभाइ’ सहित दर्जनों विद्वान तथा साहित्यकार अभियानी लोकनि अपन महत्वपूर्ण विचार रखलाह।

शोभायात्रा केर वर्णन करैत डॉ बैजू कहलनि जे मौसमक प्रतिकूलता रहितो हजारों आम जनमानस के सहभागिता उत्साहवर्धक आ विशिष्ट अनुभव देलक। राजविराज केर जनमानस में मातृभाषा आ मातृभूमि मिथिला प्रति ई सिनेह बहुत प्रभावशाली लागल। ओहिना नहि ई नेपालक नवनिर्माण में अग्रणी भूमिका खेलाइत अछि, एतुका लोक में राजनीतिक अधिकार प्रति सचेतना केँ ओ भरपूर सराहना कयलनि।

कार्यक्रमक अंतिम सत्र में सांस्कृतिक संध्या भेल जाहि में कुंजबिहारी मिश्र, विरेंद्र झा, मुनचुन देव, संगीता देव, नवीन मिश्र, कैलाश झा, आदि अनेक गायक तथा विभिन्न विद्यालयक बाल-बालिका सहित रंगदर्पण केर कलाकार लोकनिक रंगारंग नृत्य प्रस्तुत कयल गेल। मैथिली जिन्दाबाद सँ नेपालक कलाकार सभक प्रस्तुति देखिकय गदगद महासचिव बैजू कहलनि कि एहि पार कला प्रति आम लोकक झुकाव सँ प्रेरणा भेटैत अछि, एहि तरहक कला सेवा भावना ओहू पार विद्यालय आ संस्थागत ढंग सँ कयल जेबाक जरूरत अछि।

हरेक वर्ष एहि सम्मेलन सँ समाज, साहित्य, संस्कृति आदिक प्रति उत्कृष्ट योगदान कयनिहार व्यक्तित्व सब केँ ‘मिथिला रत्न’ उपाधि सँ सम्मानित कयल जाएछ। एहि वर्ष ई सम्मान इतिहासविद् प्रा. डा. हरिकान्त लाल दास (राजविराज), संचारक्षेत्र मे मैथिली दर्पण सँ क्रान्तिक प्रसार कयनिहार दीपक झा (मुम्बई), १५ वर्ष सँ सामाजिक कूरीति दहेज तथा बाल विवाह प्रथाक विरोध मे कार्यरत भोर संस्थाक संस्थापक राजकुमार महतो (सर्लाही), स्व. वाणी मिश्र (मूल तिलाठीवासी आ बहुत कम उमेर मे अनेकानेक साहित्यिक रचनाक प्रकाशन) केँ मरणोपरान्त, मैथिलीक वरिष्ठ गायक रामा मंडल (विराटनगर), मैथिली संस्कृति केँ अपन कला सँ चमकेनिहाइर अभिनेत्री डोली सरकार (राजविराज) तथा एकल नाट्य परम्पराक प्रसिद्ध रंगकर्मी सरिता साह (महोत्तरी) केँ देल गेलनि अछि।

पटना सँ शिव कुमार ठाकुर केर नेतृत्व मे तथा स्थानीय प्रकाशनक पोथी सभक प्रदर्शनी लगाओल गेल छल। एहि मे मैथिली पोथीक संग-संग मिथिलाक विशेष जनेउ, पाग, दोसल्ला आ मिथिला चित्रकला, गीत-संगीत तथा फिल्म आदिक सीडी सेहो उपलब्ध कराओल गेल छल। स्थानीय अनुपदास धर्मशाला मे आयोजित उपरोक्त समारोह मे हजारों आम जनमानसक सहभागिता देखल गेल छल। उल्लेख्य पोथीक बिक्री सेहो उत्साहवर्धक भेल। अतिथि सब केँ ठहरेबाक व्यवस्था सँ लैत भोजन-भात आ स्वागत-सत्कार लेल राजविराजक आयोजन समिति, विशेष रूप सँ करुणा झा, सतीश दत्त, पंकज झा आ अध्यक्ष शुभचन्द्र झा सहित अन्य कार्यकारिणी सदस्य लोकनि दिन-राति एक कयकेँ कार्यक्रम सफल बनौलनि।

सम्मेलन केर दोसर दिवस आइ विचार गोष्ठी, कवि सम्मेलन तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम केर आयोजन कयल गेल। प्रथम सत्र मे परिचर्चा गोष्ठीक विषय ‘नेपालक प्रदेश संख्या २ केर राजकाजक भाषा मैथिली’ पर चर्चा भेल। एहि चर्चा मे डा. रेवतीरमण लाल द्वारा वृहत् कार्यपत्र प्रस्तुत करैत नेपालक एकल भाषा नीति सँ वर्तमान संघीय नेपाल मे समस्त मातृभाषा केँ राष्ट्रीय भाषाक रूप मे मान्यता प्रदान करबाक तथ्य स्पष्ट कयल गेल। परन्तु प्रदेश २ केर राजकाजक भाषा मैथिली होयबाक लेल विधान सभा सदस्य लोकनि मे आपसी सहमति बनय ताहि लेल सामान्य अपेक्षा मात्र राखि भोजपुरी भाषी आदि एहि बात पर सहमति देता वा नहि एहेन अजीबोगरीब प्रश्न राखि देल गेल छल। एहि कार्यपत्र पर टिप्पणी करैत प्रा. अमरकान्त झा प्रखर स्वर मे भाषा आ भाषिक पहिचानक महत्व पर प्रकाश दैत नहि सिर्फ प्रदेश २ केर राजकाजक भाषा बल्कि समस्त राष्ट्रहि केर दोसर राजकाज भाषाक रूप मे मैथिली केँ मान्यता भेटक चाही ई मांग कयलनि। भारतक मिथिला सँ टिप्पणीकार प्रो. उदय शंकर मिश्र द्वारा डा. लाल केर कार्यपत्र पर कम मुदा समग्र रूप सँ भाषाक महत्वपर आकर्षक व्याख्यान राखल गेल छल। ओ इजरायल केर हेब्र्यु भाषाक संरक्षण कोना संभव भेल आर अंग्रेजी चरवाहाक भाषा सँ विश्व भाषाक रूप मे कोना परिणति पेलक ताहि सब विन्दु पर रोचक जानकारी सब करौलनि। संगहि, चेतावनी देबाक अन्दाज मे विधायिका केँ जागरुक रहैत अपन भाषाक रक्षा लेल सेहो ओ अपील कयलनि, समय पर चेतना नहि आओत तँ देरी होयत आर मैथिली भाषा मैर जेबाक खतरा अछि, ओ स्पष्ट कयलनि। विश्व भरि मे कोनो भाषा कियैक मरैत अछि, आर ताहि मे मैथिली सेहो अग्रसर कोना अछि – एहि सब विन्दु पर तथ्यपूर्ण संवाद निहित छल प्रो. मिश्रक वक्तव्य मे।

कार्यपत्र पर अन्य ४ गोट टिप्पणी आयल जाहि मे रामनारायण देव, हेमकर सिंह, प्रवीण नारायण चौधरी तथा खुशीलाल मंडल भाग लेलनि। महिला सहभागिता अनुरूप आशा झा अपन विचार रखलैन। टिप्पणी सँ ई स्पष्ट कयल गेल जे मैथिली भाषा अपन सृजनशीलताक सामर्थ्य सँ पोषित रहल अछि, ताहि आधार पर आइयो कोनो आन भाषा सँ बेसी गहिंर आ मजबूत साहित्य, शब्दकोश, व्याकरण आ सृजनकर्मीक अटूट धारा सँ सुसज्जित अछि। अतः एहि भाषा केँ राजकाजक भाषा एकर सामर्थ्यक आधार पर विधायिका केँ बनाबहे टा पड़तनि। प्रदेश २ मात्र नहि, प्रदेश १ मे सेहो मैथिलीभाषी जनमानसक उल्लेख्य संख्या होयबाक कारणे ओत्तहु ई भाषा राजकाजक भाषाक रूप मे मान्यता पेबे टा करत। बीच-बीच मे हिन्दी भाषा, मधेशक मुद्दा आ शहादति देबाक विभिन्न उदाहरणक संग मैथिली भाषा केँ समग्र आन्दोलन बीच खलनायकक भूमिका नहि खेलेबाक हीनभावना सँ ग्रसित विचार सब सेहो राखल गेल छल, परञ्च ध्वनिमत सँ एहि विन्दु पर सम्मेलन जनादेश दैत देखायल जे भाषिक पहिचान अन्य कोनो पहिचान सँ बेसी महत्वपूर्ण होएत छैक, पूर्व मे कयल भूल केँ आगू आरो नहि दोहरा अपन भाषा केँ सुरक्षा प्रदान करब आवश्यक अछि – अतः ई भाषा प्रदेश २ केर राजकाजक भाषा अवश्य बनय, संगहि अन्य मुख्य भाषा यथा भोजपुरी केँ सेहो सम्मानजनक स्थान देनाय अपरिहार्य अछि। एहि सत्रक अध्यक्षता देवेन्द्र मिश्र कयलनि, संचालन सतीश दत्त द्वारा कयल गेल।

एहि १५म सम्मेलन सँ ‘अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन’क १२१ सदस्यीय कार्यकारिणीक घोषणा कयल गेल छल। स्वयं प्रधान महासचिव डा. बैद्यनाथ चौधरी बैजू नव कार्यसमितिक घोषणा कयलाह। नव कार्यसमिति मे मैथिली जिन्दाबाद केर सम्पादक प्रवीण नारायण चौधरी केँ उपाध्यक्ष पद पर मनोनीत कयल गेल अछि, तहिना विराटनगर सँ वसुन्धरा झा, राधा मंडल, आशा झा, डा. शंभुनाथ झा, डा. योगेन्द्र प्रसाद यादव, ई. फूल कुमार देव एवं जफर अहमद जमाली सहित कुल ७ सदस्य केँ कार्यसमिति मे शामिल कयल गेल अछि। नेपालक प्रभारी डा. रामभरोस कापड़ि भ्रमर यथावत् छथि। राजविराज आ जनकपुर सँ सेहो नव सदस्य लोकनिक नाम कार्यसमिति मे शामिल करबाक बात महासचिव बैजू घोषणा कयलन्हि।

नव कार्यसमिति तथा घोषणापत्रक पूर्ण पाठ एहि वीडियो पर उपलब्ध अछिः
https://www.facebook.com/pravin.choudhary/videos/10156731510348492/

१३ बुँदा माँग सहितक घोषणापत्र जारी करैत अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन नेपाल सरकार सँ मैथिली भाषा आ मिथिला संस्कृतिक संरक्षण, संवर्धन ओ प्रवर्धनक अपील केलक अछि। एहि समाचारक अन्त मे एहि घोषणापत्रक सम्पूर्ण उतार राखल गेल अछि।

दोसर दिनक दोसर सत्र मे कवि सम्मेलनक आयोजन छल। एकर अध्यक्षता पूनम मैथिल केलनि। संचालन पंकज झा एवं राधा मंडल द्वारा संयुक्त रूप सँ कयल गेल। एहि सत्र मे लगभग २ दर्जन कवियित्री भाग लेलीह जे आइ धरिक सम्मेलनक पहिल इतिहास छल – महासचिव डा. बैद्यनाथ चौधरी बैजू हर्ष प्रकट करैत कहलनि। राजविराज, विराटनगर, जनकपुर केर अलावे भारतीय मिथिला सँ आयल कवि-कवियित्री लोकनि अपन सुन्दर कविता पाठ सँ मंच केँ बान्हिकय रखलन्हि। कार्यक्रमक अन्त मे नवीन मिश्र, कैलाश झा, मुनचुन देव, पिंकी मेहता, संगीता देव व अन्य गायक, कलाकार, नर्तक आदि द्वारा भव्य सांस्कृतिक संध्या प्रस्तुत करैत १५म अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलनक समापन कयल गेल। समस्त आयोजन समितिक सक्रिय सदस्य केँ धन्यवाद दैत डा. बैजू व अन्य विशिष्ट अतिथिक हाथ सँ प्रशंसा पत्र सेहो सब केँ देल गेल।

घोषणापत्रक उतारः

मैथिली साहित्य परिषद, राजविराजद्वारा दिनाङ्क २०७४ पुस ७ आ ८ गते, तदनुसार २२ आ २३ दिसम्वर २०१७ ई. (शुक्र आ शनिदिन), राजविराजमे आयोजित पन्द्रहम् अन्तराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन– २०७४ (ई. सं. २०१७) द्वारा घोषित “राजविराज घोषणा–पत्र”

स्थानीय तह, प्रदेश आ प्रतिनिधिसभाक निर्वाचन सम्पन्न भऽ चुकल अछि । तीन तहक निर्वाचन सङ्गहि नेपाल विधिवत संघीयतामे प्रवेश कएलक अछि । विदिते अछि जे मल्ल राजवंशक कालमे नेपाल उपत्यकामे मैथिली सरकारी कामकाजक भाषा छल आ मल्ल राजालोकनि स्वयम् मैथिलीमे गीत, कविता, नाटक आदिक रचना करैत छलाह । काठमाण्डू, भक्तपुर आ ललितपुरमे सरिपहुँ विद्यमान मण्डलासभ एकर साक्ष्य अछि मण्डला अर्थात नाटक मञ्चन वास्ते निर्मित खुला आकाश निचाक रङ्गमञ्च । मुदा शाहवंशक प्रादूर्भाव सङ्गहि मैथिली भाषा, साहित्य, कला, सँस्कृतिकें विस्थापित कऽ “एउटै भाषा एउटै भेष” क नीति लाधल गेल । मैथिली सङ्गहि भोजपुरी, अवधी, थारु सहितक भाषाक गरदनि मोंकि देल गेल । २ सओ ५० वर्षीय निरंकुश राजतन्त्रात्मक शासन ब्यवस्था मैथिलीक वास्ते “कारी युग” कहल जा सकैछ ।

वि.सं. २०६३ क अन्तरिम संविधान आ २०७२ क संविधानमे सेहो मैथिली भाषाकें सरकारी कामकाजक भाषा आ आनो क्षेत्रमे एकर प्रयोगक वाट अवरुद्ध कएल गेल अछि । तैं मैथिली भाषाकें संघीय, प्रदेश आ स्थानीय तह सहितमे सम्मानजनक अधिकार दिएबाक लेल आयोजित एहि अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलनमे सहभागी प्रतिनिधिलोकनि, विद्वत्जन एवम् भाषासेवीक सङ्ग आम मैथिलीभाषी लोकनिक ब्यापक विचार विमर्शक पश्चात् निम्नानुसारक राजविराज घोषणापत्र जारी कएल जाइत अछिः –

१. प्रदेश नं. २ के नामाकरण “मिथिला प्रदेश” आ एहि प्रदेशक सरकारी कामकाजक भाषा “मैथिली” घोषणा कएल जाए ।

२. प्रदेश नं. २ मे मैथिली वहुसंख्यक ब्यक्तिद्वारा बाजए जाएबला भाषा रहितहु भोजपुरी सहितक अन्य भाषा सेहो मातृभाषाक रूपमे वाजल जाइत अछि । अतः भोजपुरी सहितक अन्य भाषाकें सेहो सम्मानजनक अधिकार देल जाए ।

३. प्रदेश नं. १ मे सेहो मातृभाषाक रूपमे मैथिली बाजएबलाक संख्या अत्यधिक अछि । अतः प्रदेश नं.१ क सब तहक सरकारी कामकाजक भाषा मैथिली घोषणा कएल जाए ।

४. मिथिलाञ्चलक धार्मिक, साँस्कृतिक, पुरातात्विक महत्वक स्थलसभक संरक्षण एवम् सम्वद्र्धन कए झापासँ लऽ वीरगञ्जधरि “मिथिला पर्यटन क्षेत्र” घोषणा कएल जाए ।

५. प्रदेश नं. १ आ २ के मैथिलीभाषी क्षेत्रमे अनिवार्य रूपसँ मातृभाषा मैथिलीक माध्यमसँ आधारभूत शिक्षा प्रदान कएल जाए । सङ्गहि माध्यमिक तथा उच्च शिक्षामे अनिवार्य विषयक रूपमे मैथिलीक पठनपाठनक वाध्यात्मक ब्यवस्था कएल जाए ।

६. मैथिली नेपालक दोसर सर्वाधिक बाजल जाएबला भाषा अछि । जकर अटूट आ समृद्ध साहित्य एवम् साँस्कृतिक परम्परा छैक । अतः एहि भाषाकें संघीय, प्रादेशिक आ स्थानिय तहक सेवा आयोगसभक परीक्षामे विषयके रूपमे मान्यता प्रदान कएल जाए ।

७. नेपालमे नेपालीक पश्चात् सर्वाधिक बाजल जाएबला मैथिली भाषाकें संघीय सरकार आ सरकारी निकायमे देशक दोसर राजकाजक भाषा अर्थात राजभाषाक रूपमे मान्यता प्रदान कएल जाए ।

८. मैथिली भाषा आ मैथिली सँस्कृति नेपालक प्राचीनतम भाषा सँस्कृति एवम् सभ्यता अछि । तैं एहि भाषा, सँस्कृतिक संरक्षण, सम्वद्र्धनसँ देशक गौरव बढ़त । अतः मैथिली भाषा आ सँस्कृतिकें संघ, प्रदेश आ स्थानिय तीनू तहद्वारा मान्यता प्रदान कएल जाए ।

९. नेपालमे मैथिली अकादमी स्थापना कए मैथिली भाषा, साहित्य, कला तथा लोक सँस्कृति केर संरक्षण, सम्बद्र्धन एवम् प्रवद्र्धन कएल जाए ।

१०. नेपालक राष्ट्रीय अभिलेखागारमे संरक्षित मैथिलीक प्राचीन पाण्डुलिपि सभक अध्ययन एवम् अनुसन्धानक लेल शोध–वृत्तिक घोषणा कएल जाए आ एहि वास्ते केन्द्र, प्रदेश एवम् स्थानीय तह राज्य प्रदत्त समुचित कोषक स्थापना करए । सँगहि स्वयम् मैथिली भाषाभाषीद्वारा जनस्तरीय अक्षयकोषक स्थापना करबामे तीनू तहक सरकार सहयोगी भूमिका निर्वाह करए ।

११. मिथिलाक्षर (तिरहुता लिपि) लोपोन्मूख होएबाक अवस्थामे आबि गेल अछि । अतः एहि पुरातन लिपिक संरक्षण वास्ते तीनू तह आवश्यक नीतिगत निर्णय आ कार्यान्वयन करए ।

१२. मैथिली भाषामे निर्माण होमएबला पैघ आ छोट पर्दाक चलचित्रकें करमुक्त कएल जाए आ मैथिली भाषाक फिल्म निर्माण एवम् संचार माध्यमकें सशक्त बनएबाक वास्ते सरकारी अनुदानक ब्यवस्था कएल जाए ।

१३. मिथिलाक लोकगाथा सभक विद्युतीय अभिलेखीकरण सरकारी स्तरसँ होए आ लोकगाथा नायक सभक प्राकट्य–स्थलसभकें पर्यटकीय क्षेत्रक रूपमे विकास कएल जाए ।

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प्रा. अशोक कुमार झा शुभचन्द्र झा वैद्यनाथ चौधरी (बैजु) राभभरोष कापडि भ्रमर
अध्यक्ष संयोजक महासचिव नेपाल प्रभारी
मै.सा.प. आयोजक समिति अ.मै.स. अ.मै.स.

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डा. महेन्द्र नारायण राम देवेंद्र मिश्र श्यामसुन्दर शशि प्रवीण नारायण चौधरी
घोषणापत्र समिति सदस्य