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टाइम पास मिथिला: एम्हरो एक नजरि देल जाउ
आधुनिक विज्ञानक युग – टेलिविजन आ मोबाइलक युग इन्टरनेट सँ जुड़ल युग – हाथे-हाथ मे फेसबुकक युग सौ मे सँ ९५ यूजर टाइम पास मिथिला – ५ गो टा काजक मिथिला!! आउ, एम्हरो एक नजरि देल जाउ!!

टिकट भेट जायत – व्यंग्य प्रसंग
टिकट भेट जायत “भैया! अहाँ चिन्ता नहि करब। हम राजधानी पूरा हिलाकय राखि रहल छी। लगभग सब बड़का नेताक चाटुकारिता मे लागल छी। हल्ला-हुच्चर सेहो समुचिते मात्रा मे कय रहल छी। प्रेस सब मे फोटो पहुचय ताहुक पूरा इन्तजाम करैत छी।” “ठीक छैक छोटू!” “जँ भाजपा सँ टिकट कटियो जायत तऽ आआपा तऽ अपनहि बुझू। […]

हम छी न्याय – हम छी नेआय: न्याय आइ ‘नेआय’
– अमरनाथ झा हम छी नेआय समदर्शी एहेन हम आंखि मे पट्टी अछि पलड़ा अछि झुकल, मुदा तौल नहिं घट्टी अछि पासंग कऽ तौली हम पट्टी अलगाय । हम छी नेआय । हमरा लग अंतर नहिं धनिक आ गरीबक सब कें अधिकार दी हुकुर हुकुर जीबक हड़बड़ी कोनो नइ दइ छी लटकाय । हम छी […]

ई देश सबहक नहि – मैथिली कविता ‘अग्निमित्र’
ई देस सभक नहि, किछु खासक ई देस – डा. मित्रेश्वर चौधरी ‘अग्निमित्र’ “मा, हम सभ सन्तान भारत मा केर, देस हमर माता” “हँ, रिमिल” “हम सभ सहोदर, सभहक एक माय” “हँ, रिमिल” “सम्पूर्ण देस सभक’ नदी – पहाड़ – जंगल – खेत – खदान…..” “हँ, रिमिल” “हम नहि पतिआयब मा, हमरा ई गप्प बुझना […]

फेसबुक केर भाषाक आम-जीवन पर प्रभाव – एकांकी नाटक “फेसबुकिया परिवार”
भूमिका: मैथिल आ फेसबुक ई नाटक (एकांकी) सेप्टेम्बर १, २०१२ केँ लिखल गेल छल। एहि मे कल्पना सँ फेसबुक द्वारा मिथिला समाजक किछु गूढ समस्या – यथा बेटीक कुटमैती, दूलहा निरीक्षण, दहेज व्यवस्था, वैवाहिक निर्णय, पारिवारिक माहौल आ ओकर प्रभाव आदि दरसेबाक चेष्टा कैल गेल छल। जानकारी दी जे यमन केर प्रीमियर ओतुका जनता सँ […]

भूकम्प आब जान पर केने अछि – व्यंग्य प्रसंग
व्यंग्य – सत्य नारायण झा कतय गेल ई वैज्ञानिक सभ । लगैत अछि नांगरि सुटकंत कए बिल मे नुका रहलैए । केखनो चंद्रमा पर त केखनो मंगल पर रहता ई नकडुब्बा सभ । एखन भूकम्प सँ लोक के की बचेता अपने नांगरि सुटकेने भागल फिरैत छथि । ओह एखन ऱामजीक भाई लखनलाल याद परैत छथि […]

कि युवा मैथिल मिथिलाक पहिचान अहिना करता?
देखल जा रहल अछि जे वर्तमान युवा मैथिल सब एक-दोसर केँ मिथिलाक विभिन्न फल व अन्य फोटो जे मूल मिथिलाक धरती पर देखि आनन्दित होइत छलाह, तेकरा आब फेसबुक पर सेहो फोटो राखि-राखि एक-दोसर सँ प्रश्न पूछैत ‘कहू ई कि छी’ करैत समय बितबैत छथि। हुनका लोकनिक हिसाबे एनाही प्रवास पर मिथिलाक मरौसी फलक पहिचान […]

अपन पाइ, सुदि कमाइ! सरकारी खरात, मुफ्तक खाइ!!
अपन पाइ, सुदि कमाइ! सरकारी खरात, मुफ्तक खाइ!! (व्यंग्यवाण) – प्रवीण नारायण चौधरी गामक हाल बेहाल अछि। नीक-नीक लोक गड़बड़ायल अछि। कोटा परका चाउर चाही। राहत सब बड़के लेत। अपने सेटिंग मे सब बेहाल। एहन बदतर गामक हाल। मुखिया देखियौ भेल बइमान। सरपंचहु केर कोनो न ठेगान। सब मिलि लूटय चारू दिशि। एकरे बुझू […]

मिथिलाक सात आन्हर आ शेरुआ कुकूर
(पार्श्व ध्वनि – तर्ज: तन-डोले-मन-डोले पर चलि रहलैक अछि) गीतक बोल: तू हमर मुह पोछ, हम तोहर मुह पोछ बस पोछिते काटब दिन हो! मैथिल चलल बेसुरपुरिया…. सब दिन आदति रहल चोरपनिके सोच नञि बदलल मैथिल गणके अपन मूल सब बिसरिके बैसल अनकर देक्सी जे फेरल सनके हम अहाँकेँ पूछी, अहाँ हमरा पूछी, भैर जिनगी […]

Message to Belagobanaa!!
Message to Belagobanaa!! बेलगोबना रे बेलगोबना….. अगबे फोटो टा नहि देखे रे बेलगोबना बेलगोबना रे बेलगोबना!! समाचार सब पढे मिथिलाके राखे ध्यान मे गाम सदा, कतबू घरवाली लगे मे छौ गाम मे मैथिली मर्यादा!! एना जुनि बहको रे बेलगोबना! बेलगोबना रे बेलगोबना!! खुजलौ मैथिली जिन्दाबादक वेबसाइट बस तोरहि लेल, नहि चाही आरो किछु फूद्दू जोड़ि […]