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लेखनी के धार प्रतियोगिता: पुरस्कृत लेख
समयानुसार परिवर्तन के साथ जे व्यक्ति चलैत अछि वो सुखी रहैत अछि । रीती -रिवाज कि धर्म के परिभाषा तक हर युग के अलग-अलग छय । जाहि समय में इ भैसुर भावों वला रिवाज बनलई तखन के आवश्यकता रहय कियाक—–स्त्री के स्थिति दयनीय रहय ।यदि पुरुष कोनो अभद्र, व्यवहार कैलथिन तॢईयो सजा स्त्री के भुगत […]

लेखनी के धार प्रतियोगिता: पुरस्कृत लेख
मिथिला में बहुत रास रीति-रिवाज होइ त अईछ जेना मुङन उपनयन और विवाह। मिथिलांचल में वैवाहिक रीति-रिवाज कनि अलग होइत अईछ। मैथिल दम्पति में जे प्रेम भाव होइत अईछ एक दोसर के प्रति जे सम्मान के भावना होइत अईछ से गौर करै बला बात अईछ। विवाह पूर्व घटकैति औपचारिकता भेलाक बाद सिद्धांत नाम सॅ एकटा […]

नेपाल आ भारत केर मैथिली लेखक-साहित्यकार बीच समन्वयक प्रयास
21 जनवरी 2021, मैथिली जिन्दाबाद!! मैथिली साहित्यकार सभा जनकपुर द्वारा नेपाल व भारत केर मैथिली लेखक-साहित्यकार बीच अंतरसंबंध केँ सबलता देबाक संग भाषा, साहित्य आ संस्थाक विकास में सहयोग प्राप्ति लेल भारत दिश सँ साहित्यकार डॉ धनाकर ठाकुर, डॉ शेफालिका वर्मा, डॉ जयनारायण यादव, डॉ रमानन्द झा रमण, डॉ महेन्द्र नारायण राम, मैथिल सदरे गौहर […]

सुन्दरकाण्ड मैथिली मे – तुलसीकृत रामचरितमानस केर मैथिली स्वरूप
सुंदरकाण्ड सुंदरकाण्ड मे हनुमानजी लंका लेल प्रस्थान, लंका दहन सँ लंका सँ वापसी तक केर घटनाक्रम अबैत अछि। नीचाँ सुंदरकाण्ड सँ जुड़ल घटनाक्रम केर विषय सूची देल गेल अछि। अहाँ जाहि घटनाक्रमक सम्बन्ध मे पढ़य चाहैत छी ओकर लिंक पर क्लिक करू। मंगलाचरण हनुमान्जी केर लंका केँ प्रस्थान, सुरसा सँ भेंट, छाया पकड़यवाली राक्षसी केर […]

मैथिली सुन्दरकाण्डः रावण केँ विभीषण केर बुझेनाय और विभीषणक अपमान
मैथिली सुन्दरकाण्डः श्री तुलसीदासजी रचित श्रीरामचरितमानस केर सुन्दरकाण्डक मैथिली अनुवाद रावण केँ विभीषण केर बुझेनाय और विभीषणक अपमान दोहा : सचिव बैद गुरु तीनि जौं प्रिय बाजथि भय आश राज धर्म तन तीनि केर होय बेगिहीं नाश॥३७॥ भावार्थ:- मंत्री, वैद्य और गुरु – ई तीन यदि (अप्रसन्नता केर) भय या (लाभ केर) आशा सँ (हित […]

मैथिली सुन्दरकाण्डः मंदोदरी-रावण संवाद
मैथिली सुन्दरकाण्डः श्री तुलसीदासजी रचित श्रीरामचरितमानस केर सुन्दरकाण्डक मैथिली अनुवाद मंदोदरी-रावण संवाद चौपाई : ओम्हर निशाचर रहय सशंका। जहिया सँ जरा गेला कपि लंका॥ निज निज गृह सब करय विचारा। नहि निशिचर कुल केर उबारा।१॥ भावार्थ:- ओम्हर (लंका मे) जहिया सँ हनुमान्जी लंका केँ जराकय गेलाह, तहिया सँ राक्षस सब भयभीत रहय लागल। अपना-अपना घर […]

मैथिली सुन्दरकाण्डः श्री रामजीक वानर सेना संग चलिकय समुद्र तट पर पहुँचब
मैथिली सुन्दरकाण्डः श्री तुलसीदासजी रचित श्रीरामचरितमानस केर सुन्दरकाण्डक मैथिली अनुवाद श्री रामजीक वानर सेना संग चलिकय समुद्र तट पर पहुँचब दोहा : कपिपति बेगि बजेला आयल मुख्यक झुंड। नाना वर्ण अतुल बल बानर भालु बहुत॥३४॥ भावार्थ:- वानरराज सुग्रीव शीघ्रहि वानर सभकेँ बजौलनि, सेनापति लोकनिक समूह आ गए। वानर-भालु केर झुंड अनेको रंग केर अछि और […]

मैथिली सुन्दरकाण्डः समुद्र केर एहि पार आयब, सभक लौटब, मधुवन प्रवेश, सुग्रीव मिलन, श्री राम-हनुमान् संवाद
मैथिली सुन्दरकाण्डः श्री तुलसीदासजी रचित श्रीरामचरितमानस केर सुन्दरकाण्डक मैथिली अनुवाद समुद्र केर एहि पार आयब, सभक लौटब, मधुवन प्रवेश, सुग्रीव मिलन, श्री राम-हनुमान् संवाद चौपाई : चलैत महाध्वनि गर्जेथि भारी। गर्भ खसय सुनि निशिचर नारी॥ नाँघि सिंधु एहि पार मे एला। शब्द किलिकिला कपि केँ सुनेला॥१॥ भावार्थ:- चलैत काल ओ महाध्वनि सँ भारी गर्जना कयलनि, […]

मैथिली सुन्दरकाण्डः लंका जरेलाक बाद हनुमान्जी केर सीताजी सँ विदाई माँगब आ चूड़ामणि पायब
मैथिली सुन्दरकाण्डः श्री तुलसीदासजी रचित श्रीरामचरितमानस केर सुन्दरकाण्डक मैथिली अनुवाद लंका जरेलाक बाद हनुमान्जी केर सीताजी सँ विदाई माँगब और चूड़ामणि पायब दोहा : पूँछ मिझाय विश्राम कय धय छोट रूप बहोरि। जनकसुता केर आगू ठाढ़ भेला कर जोड़ि॥२६॥ भावार्थ:- पूँछ मिझाकय, थकावट दूर कयकेँ और फेर छोट सन रूप धारण कय हनुमान्जी श्री जानकीजी […]

मैथिली सुन्दरकाण्डः लंकादहन
मैथिली सुन्दरकाण्डः श्री तुलसीदासजी रचित श्रीरामचरितमानस केर सुन्दरकाण्डक मैथिली अनुवाद लंकादहन दोहा : कपि केर ममता पूँछ पर सबकेँ कही बुझाय। तेल बोरि पट बान्हिकय पावक दिहीन लगाय॥२४॥ भावार्थ:- हम सबकेँ बुझाकय कहैत छी जे बानरक ममता पूँछ पर होइत छैक। तेँ तेल मे कपड़ा बोरिकय ओ एकर पूँछ मे बान्हिकय फेर आगि लगा दे॥२४॥ […]