दुर्गाजी के नौ पूजा नौवो दिन नब पावनि सन लगैत अछि ।

दुर्गा पूजा आबसँ पहिने मोनक उत्साह आ पूजाक तैयारी "- नेनपनमे दुर्गा पूजा या दशमीकेँ बहुत बेसब्रीसँ इंतजार रहैत छल। नेनपनमे सब पाबनि-तिहारमे सामान्य जीवनसँ...

अद्भुत उमंग सौं भरल होइ अछि गामक दुर्गा पूजा

दुर्गा पूजाक उत्साह - - - दुर्गा पूजा आओर गामक बाल्यावस्था, दुनू एक दोसर केर पूरक। स्कूलक झोड़ा आ बोरा पटकि क मूर्ति देखवाक...

मिथिलाक घरे घर मनाओल जैत अछि दुर्गा पूजा

लेखनी के धार 🙏🏽🌹 दिनांक -12/10/23 विषय -दुर्गा पूजा के उत्साह आर ओकर तैयारी **********//****** हिन्दू धर्म में दुर्गा पूजा एक टा प्रमुख पावैन होइत अछि। ओना तऽ...

सन्त चरितः भक्त जलारामजीक पठनीय-मननीय-अनुकरणीय कथा

भक्त जलारामजी (शास्त्री श्रीमंगलजी उद्भवजी पुरोहित) संत-चरित - साभारः कल्याण, वर्ष ९२, संख्या ४ गङ्गा पापं शशी तापं दैन्यं कल्पतरुस्तथा। पापं तापं च दैन्यं च घ्‌नन्ति सन्तो महाजनाः॥ 'गंगा...

आसिन पुनीतक मास शुक्लपक्ष मे दुर्गा मय भ जैत अछि मिथिलाधाम

तृषित धरा जेना हरियेली, कियैक त' आबिगेल आसिन पावन पुनीत मास। माँ भगवतीकेँ आगमनक महीना।पुनीत भादवक पूर्णिमा के संग शुरू होइत अछि आसिन मास आ...

इ पूजा आश्विन मासक कृष्ण पक्ष अष्टमी के प्रदोष काल कैल जैत अछि

**दहेज मुक्त मिथिलाक आभार** लेखनीक_धार (ज्ञानदा दी के संग) शीर्षक:- "मिथिलामे जितिया पावैन आ व्रतक महत्व" ● मिथिलांचल में आसिन-कार्तिक मास व्रत-पावैनक सम्मेलन थिक। देवता-पितर सभक पूर्ण भक्तिभाव...

संतानकें दीर्घायु हेबाक लेल कैल जाइत अछि इ व्रत

एकटा मिथिलामे बड्ड प्रख्यात कहबी छै जे:- जितिया पावनि बड्ड भारी धिया पुताकेँ ठोकी सुतेलनि अपने खेलनि भरि थारी जितिया पावनि बड्ड भारी मुदा ई कहबीटा नञि अछि। राइतमे...

कठिन व्रत निराजल रहबाक कारण कहल गेल अछि जितिया पावनि बड्ड भारी

अपना सभक ओहिठाम जखन लोक कोनो दुर्घटना सँ साफ साफ बचि जाइत अछि तऽ सभ कहैत छैक जे एकर माय खरजितिया पावनि कयने छलैक...

महाभारत काल सौं कएल जाइत अछि इ जीवित पुत्रिका( जितिया व्रत )

लेखनीकेँ धार - "जितिया पाबनि बड़ भारी धिया पुताकेँ ठोकि सुतएलौं अपने खएलौं भरी थारी " मिथिलाक लोक आस्थाक पाबनि जितिया अछि। एहिमे संतानक दीर्घायु आ सौभाग्यक...

मैथिलीक पहिल गल्पकार : डॉ मनमोहन झा

मैथिल यायावर, मधेपुरा/८ अक्टूबर २०२३/मैथिली जिंदाबाद साहित्य जीवनक यथार्थ चित्र थिक आ व्यक्तित्वक चरित्र थिक। जीवनक दोसर अर्थ होइत अछि प्रगति।आ प्रगतिक अर्थ होइत अछि...